ग्राउंड ज़ीरो से लोकसभा सीट प्रतापगढ़ का चुनावी हाल, क्या हैं जनता के मुद्दे?

लोकसभा सीट प्रतापगढ़ का चुनावी हाल, क्या हैं जनता के मुद्दे?

लोकसभा चुनाव 2024 के चुनाव में प्रतापगढ़ संसदीय सीट से उम्मीदवारों की सूची में पहला नाम बीजेपी से मौजूदा सांसद संगम लाल गुप्ता हैं। संगम लाल गुप्ता आठवीं पास हैं इनका राजनीतिक कॅरियर 2014 में अपना दल से बतौर विधानसभा सदस्य (विधायक) के रूप में शुरू हुआ।

राजनीति हमारे देश में आमतौर पर चर्चा के लिए सबसे लोकप्रिय मुद्दा होता है। वर्तमान में लोकसभा चुनाव के चलते देशभर में राजनीतिक माहौल की गर्मी है। लेकिन नेताओं के बीच से अक्सर जनता के मुद्दे गायब रहते हैं। फिलहाल राजनीतिक पार्टियों की बड़ी-बड़ी रैलियां, चुनावी वादे, आरोप-प्रत्यारोप, रोड शो का दौर है। लोकतंत्र में आम नागरिकों के पास उसकी सबसे बड़ी ताकत वोट है और वह अपने मत का इस्तेमाल करता है। इसी कड़ी में आज हम बात कर रहे हैं, सबसे अधिक 80 संसदीय सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश के जिले और संसदीय क्षेत्र प्रतापगढ़ के बारे में।

प्रतापगढ़ का ऐतिहासिक और राजनीतिक परिदृश्य

1858 में गठित प्रतापगढ़ प्रयागराज मंडल के अंतर्गत एक जिला है, जो पूर्व से पश्चिम में 110 किलोमीटर तक फैला है। इसके दक्षिण-पश्चिम में गंगा नदी है, जो उसे प्रयागराज और कौशांबी से अलग करती है। प्रतापगढ़ की प्रमुख नदियां गंगा, सई और बकुलाही हैं साथ ही इसके उत्तर-पूर्व में 6 किलोमीटर तक गोमती नदी का भी प्रवाह है। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का राजनीतिक कॅरियर यहीं से शुरू हुआ था, जब पट्टी विधानसभा क्षेत्र से उन्होंने राजनीतिक पदयात्रा की थी। यही नहीं, प्रतापगढ़ हरिवंश राय बच्चन और भिखारी दास जैसे जाने-माने कवियों की जन्मस्थली भी है। इसका नामकरण यहां के भूतपूर्व राजा प्रताप बहादुर के नाम पर हुआ था। प्रतापगढ़ की शासकीय भाषा हिंदी है जबकि यहां के स्थानीय निवासी बोलचाल में आमतौर पर अवधी भाषा का प्रयोग करते हैं। आँवला नगरी के नाम से मशहूर यह जिला राजनीति की दृष्टि से भी काफी महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। 

78 वर्षीय कल्पना यादव का कहना है, “मेरी नज़र में पलायन प्रतापगढ़ की एक बड़ी समस्या है। उनका कहना है कि युवाओं को अपने जिले में ही रोजगार मिले, जिससे वह अपने घर में अपने परिवार के साथ रह सकें। इसके अलावा इन्होंने अपराधों पर अंकुश लगाने की भी बात की।”

प्रतापगढ़ की राजनीति राजघरानों से ख़ासतौर पर जुड़ी रही है। जिसमें से प्रमुख है रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया कुंडा क्षेत्र से राजनीति में जाना माना नाम हैं। बाहुबली छवि के राजा भैया 1993 से लगातार कुंडा विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह रहे हैं। मसीहा और माफिया की छवि के बीच राजा भैया हमेशा प्रतापगढ़ की राजनीति में चर्चा के केंद्र में रहे हैं। इसके अलावा कालाकांकर क्षेत्र से राजा दिनेश सिंह की वंशज राजकुमारी रत्ना सिंह तीन बार लोकसभा सांसद रह चुकी हैं। ग़ौरतलब है कि पहले वह कांग्रेस की कद्दावर नेता के तौर पर जानी जाती थीं, जबकि इन्होंने 2019 में बीजेपी का दामन थाम लिया। इसके साथ ही प्रतापगढ़ की राजनीति में प्रमोद तिवारी की भूमिका को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। प्रतापगढ़ के रामपुर क्षेत्र से नौ बार विधायक रहे प्रमोद तिवारी वर्तमान में कांग्रेस पार्टी की तरफ से राजस्थान से राज्यसभा सांसद हैं।

कौन हैं लोकसभा चुनाव 2024 में उम्मीदवार

लोकसभा चुनाव 2024 के चुनाव में प्रतापगढ़ संसदीय सीट से उम्मीदवारों की सूची में पहला नाम बीजेपी से मौजूदा सांसद संगम लाल गुप्ता हैं। संगम लाल गुप्ता आठवीं पास हैं। इनका राजनीतिक कॅरियर 2014 में अपना दल से बतौर विधानसभा सदस्य (विधायक) के रूप में शुरू हुआ। 2019 में इन्होंने बीजेपी के टिकट पर प्रतापगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ा। 2019 के चुनाव में इन्हें कुल 436291 वोट मिले थे, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी अशोक त्रिपाठी (बसपा) को 318539 वोट मिले थे। 

2024 के लोकसभा चुनाव में संगम लाल गुप्ता को चुनौती देने के लिए इंडिया गठबंधन की तरफ से डॉ. शिवपाल सिंह पटेल (एसपी सिंह पटेल) मैदान में उतरे हैं। डॉक्टर पटेल ने बॉटनी में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की है और ये एक जाने-माने शिक्षाविद हैं। इन्होंने लखनऊ पब्लिक स्कूल एंड कॉलेज की स्थापना की और शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। बसपा की ओर से प्रथमेश मिश्रा को टिकट मिला है। इसके अलावा एक तीसरा मोर्चा पीडीएम है जिसके प्रत्याशी डॉ. ऋषि पटेल है। इसके अलावा रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) ने चुनाव में कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है और चुनाव में न्यूट्रल रहते हुए किसी भी दल को सपोर्ट करने से मना किया है।

प्रतापगढ़ की रहने वाले 18 वर्षीय फिज़ा फर्स्ट टाइम वोटर है। चुनाव के बारे में बोलते हुए उनका कहना है, “शिक्षा, रोजगार और सुरक्षा मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे है। जिनके बारे में सोचते हुए ही मैं अपना वोट दूंगी। गुंडागर्दी और महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध पर अंकुश लगाना बहुत ज़रूरी है।”

लोकसभा चुनाव में क्या है लोगों की मांगें

2019 के लोकसभा चुनाव में प्रतापगढ़ में मतदान प्रतिशत 53 रहा है, जबकि देश में कुल 67% मतदान हुआ था। जहां देश का औसत लिंगानुपात 2011 की जनगणना के अनुसार 943 है, वहीं प्रतापगढ़ का लिंगानुपात इससे ऊपर 998 है। उत्तर प्रदेश में लिंगानुपात की दृष्टि से प्रतापगढ़ का चौथा स्थान है। इस लिहाज़ से देखा जाए तो प्रतापगढ़ की राजनीति में यहां की महिलाएं महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। हालांकि साक्षरता में कमी और अन्य कारणों से यहां की महिलाओं में चुनाव और राजनीति को लेकर रुचि कम रही है। लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे महिलाओं में अपने अधिकारों के प्रति जागरुकता बढ़ रही है। ग्रामीण परिवेश वाले इस जिले में महिलाएं धीरे-धीरे मुखर हो रही हैं। आगामी लोकसभा चुनाव के सिलसिले में इनसे बात करने के दौरान काफी रोचक और आश्चर्यजनक तथ्य सामने आए।

आखिर कब तक होंगे पेपर लीक

तस्वीर में पूजा पांडेय।

बीए कर चुकी पूजा पांडेय अभी सरकारी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं। हमसे बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि पेपर लीक होना इस समय सबसे बड़ा मुद्दा है। उत्तर प्रदेश के ज्यादातर एग्जाम्स जैसे कि समीक्षा अधिकारी और उत्तर प्रदेश पुलिस परीक्षा के पेपर लीक होना प्रतियोगी छात्रों के लिए बेहद ही चिंताजनक है। बेरोजगारी की समस्या एक बहुत बड़ी समस्या है। इसके अलावा चुनाव के दौरान नेता जो भी वादे करते हैं, उन्हें पूरा करने के लिए कोई प्रावधान किया जाए या फिर इन पर लगाम लगाई जाए। जिससे जनता भ्रमित न हो। 

इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट एंड इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन द्वारा जारी भारत रोजगार रिपोर्ट 2024 में पाया गया कि देश की महिलाओं की वैतनिक श्रम में भागीदारी (LFPR) दुनिया में सबसे कम 32.8 प्रतिशत है, भारतीय पुरुषों में यह आंकड़ा 77.2 फीसदी है। महिलाओं पर थोपा गया अवैतनिक घरेलू श्रम और युवाओं में योग्यता के अनुसार रोजगार और वेतन न मिलना देश की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती के तौर पर सामने आ रही है। हालांकि 2004-05 और 2000-21 के दौरान रोजगार की स्थिति में सुधार आया है परंतु यह मामूली है। इसमें भी उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा और झारखंड जैसे राज्य विशेष तौर पर नीचे के पायदान पर बने हुए हैं।

मंहगाई पर लगाम लगनी चाहिए

तस्वीर में पूनम।

पूनम एक गृहणी हैं। 12वीं तक पढ़ी पूनम का चुनाव के बारे में बात करते हुए कहना है, “महंगाई बुहत ज्यादा है। जिसकी भी सरकार आए उसे सबसे पहले महंगाई कम करनी चाहिए ताकि घर का बजट आसानी से चल सके। इसके साथ ही हमारे जिले में उच्च स्तरीय स्कूल कॉलेज की कमी है इस पर ध्यान देना चाहिए।” ग़ौरतलब है कि जिले में एमडीपीजी कॉलेज के अलावा अधिक उच्च स्तरीय संस्थान ना होने से जिले के विद्यार्थियों को पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए जौनपुर, बनारस और इलाहाबाद जैसे आसपास के शहरों का रुख करना पड़ता है।  

पलायन भी प्रतापगढ़ की एक समस्या है

तस्वीर में फिज़ा।

प्रतापगढ़ की रहने वाले 18 वर्षीय फिज़ा फर्स्ट टाइम वोटर है। चुनाव के बारे में बोलते हुए उनका कहना है, “शिक्षा, रोजगार और सुरक्षा मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे है। जिनके बारे में सोचते हुए ही मैं अपना वोट दूंगी। गुंडागर्दी और महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध पर अंकुश लगाना बहुत ज़रूरी है। महिलाओं को भी आज़ादी से जीने का पूरा हक़ है और उन्हें यह मिलनी चाहिए।” उत्तर प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री बड़े-बड़े बयान देते है लेकिन सरकारी आंकड़े के अनुसार धरातल पर तस्वीर महिलाओं के लिए बहुत गंभीर है। नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के 2022 के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के 65,743 केस दर्ज किए गए जो 28 राज्यों में सर्वाधिक है।

उत्तर प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री बड़े-बड़े बयान देते है लेकिन सरकारी आंकड़े के अनुसार धरातल पर तस्वीर महिलाओं के लिए बहुत गंभीर है। नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के 2022 के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के 65,743 केस दर्ज किए गए जो 28 राज्यों में सर्वाधिक है।

प्रतापगढ़ की अंशिका राव भी एक फर्स्ट टाइम वोटर है। कक्षा 12वीं पास करने के बाद वह सिलाई का प्रशिक्षण ले रही हैं। पहली बार वोट देने के लिए वह काफ़ी उत्सुक हैं। चुनाव पर बात करते हुए उन्होंने महिलाओं को स्वरोजगार हेतु प्रोत्साहन और प्रशिक्षण की बात की। ‌अंशिका का कहना है कि सरकार को महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए नौकरी के अलावा स्वरोजगार जैसे विकल्पों पर भी ध्यान देना चाहिए। बातचीत के दौरान 78 वर्षीय कल्पना यादव का कहना है, “मेरी नज़र में पलायन प्रतापगढ़ की एक बड़ी समस्या है। उनका कहना है कि युवाओं को अपने जिले में ही रोजगार मिले, जिससे वह अपने घर में अपने परिवार के साथ रह सकें। इसके अलावा इन्होंने अपराधों पर अंकुश लगाने की भी बात की।”

इस प्रकार, हमने पाया कि शिक्षा, रोज़गार, महंगाई, महिला सुरक्षा और पलायन इस समय प्रतापगढ़ की महिलाओं के लिए लोकसभा चुनाव में प्रमुख मुद्दे हैं। ग्रामीण परिवेश में रह रही ये महिलाएं इन मुद्दों से अछूती नहीं है। साथ ही जाति, धर्म, सांप्रदायिकता जैसे नैरेटिव शायद मुख्यधारा की मीडिया के लिए ही ज़्यादा मायने रखते हैं। इसके अलावा अगर समय देकर आराम से बात की जाए तो ग्रामीण पृष्ठभूमि वाली ये महिलाएं परिवार के अन्य विशेषकर पुरुष सदस्यों से अलग राजनीतिक सोच और समझ रखती हैं जो कि लोकतंत्र के लिए बेहद ज़रूरी और आशाजनक बात है।


नोटः इस लेख में शामिल सभी तस्वीरें प्रीति ने उपलब्ध कराई है।

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