समाजपर्यावरण बिहार में बढ़ता प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की बात खबरों से आखिर क्यों है दूर?  

बिहार में बढ़ता प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की बात खबरों से आखिर क्यों है दूर?  

डाउन टू अर्थ के एक खबर अनुसार बिहार में सरकारी अस्पतालों और निजी क्लीनिकों में सांस की बीमारी से पीड़ित बच्चों, खासकर शिशुओं की संख्या में वृद्धि हुई है। ऐसा इसलिए क्योंकि पटना सहित प्रमुख शहरों में वायु प्रदूषण बढ़ने की खबरें हैं। उनमें से अधिकांश श्वास संबंधी संक्रमण, सांस फूलने और एलर्जी की शिकायत कर रहे हैं।

प्रदूषण एक ऐसा खतरा है, जो मानव समाज को खत्म करने की शक्ति रखता है। भले ही वह जल प्रदूषण हो, ध्वनि प्रदूषण हो या किसी भी अन्य प्रकार का प्रदूषण हो। हमारे द्वारा अपनाए गए जीने की पद्धति और तौर-तरीके वातावरण को प्रदूषित कर रहा है। लेकिन बात जब भी प्रदूषण की आती है, तो अक्सर बड़े शहरों की बात होती है और चर्चाएं होती हैं। दिल्ली, मुंबई जैसी शहरें खबरों की सुर्खियों में होते हैं लेकिन प्रदूषण की मार से जूझते छोटे कस्बों और शहरों की कोई बात नहीं होती। हाल ही में स्विस संगठन IQAir द्वारा जारी विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2023 की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार बिहार का बेगुसराय दुनिया के सबसे प्रदूषित महानगरीय क्षेत्र के रूप में उभरा है।

बेगूसराय जिसका औसत पीएम 2.5 सांद्रता 118.9 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है, ने पिछले साल की रैंकिंग में मौजूद न होने के बाद भी, 2023 में अन्य सभी महानगरीय क्षेत्रों को पीछे छोड़ दिया है। रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि भारत वायु प्रदूषण के मामले में 134 देशों में तीसरे स्थान पर है, जो बांग्लादेश और पाकिस्तान के बाद दूसरे स्थान पर है। यह 2022 से एक महत्वपूर्ण बदलाव है, जब भारत वायु प्रदूषण के मामले में वैश्विक स्तर पर आठवें स्थान पर था। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा, लगभग 1.36 बिलियन लोग, PM2.5 स्तर के संपर्क में हैं, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) के दिशा-निर्देश 5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक है। साथ ही, 1.33 बिलियन लोग जो भारतीय आबादी के 96 प्रतिशत के बराबर हैं, PM2.5 के स्तर से जूझ रहे हैं, जो डबल्यूएचओ के मानक से सात गुना ज्यादा है।

बिहार के और भी बहुत सारे शहर बढ़ते प्रदूषण की सूची में अपना नाम दर्ज करवाते हैं। उन शहरों में पटना, अररिया, कटिहार, भागलपुर, पूर्णिया, सहरसा, छपरा और आरा दक्षिण एशियाई देशों में 15 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं। 

भारत में बढ़ता प्रदूषण और बिहार की स्थिति

IQAir की रिपोर्ट के मुताबिक़ विश्व में 10 सबसे प्रदूषित शहरों में से 9 शहर भारत के ही हैं। भारत की वायु गुणवत्ता स्थिति और दयनीय हो गई है। दिल्ली फिर से चौथी बार सबसे अधिक प्रदूषित राजधानी है। बिहार का बेगूसराय भी वायु गुणवत्ता में सबसे खराब स्थान पर है और दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है। PM 118.9 सांद्रता के साथ बिहार का बेगूसराय IQAIR द्वारा निकाली गई रिपोर्ट 2023 की सूची में सबसे पहले स्थान पर आता हैं । 

तस्वीर साभार: Hindustan Times

डाउन टू अर्थ के एक खबर अनुसार बिहार में सरकारी अस्पतालों और निजी क्लीनिकों में सांस की बीमारी से पीड़ित बच्चों, खासकर शिशुओं की संख्या में वृद्धि हुई है। ऐसा इसलिए क्योंकि पटना सहित प्रमुख शहरों में वायु प्रदूषण बढ़ने की खबरें हैं। उनमें से अधिकांश श्वास संबंधी संक्रमण, सांस फूलने और एलर्जी की शिकायत कर रहे हैं। उनका इलाज करने वाले डॉक्टर इसके लिए वायु प्रदूषण को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। बात सिर्फ वायु प्रदूषण तक सीमित नहीं है बल्कि बिहार में अगले दो दशकों में गर्मी के मौसम में और अधिक गर्मी पड़ने और कम बारिश होने की संभावना है।

इससे अधिक गंभीर गर्मी की लहरों और वेक्टर जनित बीमारियों में वृद्धि के साथ स्वास्थ्य संबंधी जोखिम बढ़ सकते हैं। हालांकि बेगूसराय की स्थिति चिंताजनक है, लेकिन यह बिहार का इकलौता शहर नहीं है, जहां प्रदूषण बढ़ रहा है। बिहार के और भी बहुत सारे शहर बढ़ते प्रदूषण की सूची में अपना नाम दर्ज करवाते हैं। उन शहरों में पटना, अररिया, कटिहार, भागलपुर, पूर्णिया, सहरसा, छपरा और आरा दक्षिण एशियाई देशों में 15 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं। 

बिहार जल-मौसम संबंधी प्राकृतिक आपदाओं के लिए अत्यधिक संवेदनशील राज्य है, जहां उत्तरी बिहार में बाढ़ का खतरा रहता है तो  दक्षिणी बिहार अत्यंत सूखे का इलाका है। राज्य स्तरीय प्रदूष और जलवायु परिवर्तन से निपटने के मॉडल और सामुदायिक जागरूकता की कमी के कारण, बिहार जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील और असुरक्षित है।

बिहार में बढ़ता जलवायु परिवर्तन है एक प्रमुख समस्या

जलवायु परिवर्तन का पर्यावरण और सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है, जिसमें जल संसाधन, कृषि और खाद्य सुरक्षा, लोगों का स्वास्थ्य जैसी चीजें शामिल हैं। बारिश के पैटर्न में परिवर्तन से गंभीर रूप से पानी की कमी या बाढ़ आने की संभावना होती है। बिहार में स्थित एक सीमेंट प्लांट के पास के एक गांव के अंदर पार्टिकुलेट मैटर की सघनता के स्तर का पता लगाने के लिए एक अध्ययन किया गया। ये इसलिए किया गया ताकि परिवेशी वातावरण पर सीमेंट प्लांट के प्रभाव को जाना जा सके। अध्ययन के अनुसार रात के समय गांव के वातावरण में पार्टिकुलेट मैटर की सघनता दिन के समय की तुलना में अधिक थी। यह भी देखा गया कि पास के सीमेंट प्लांट से उत्सर्जन के कारण दोनों मामलों (दिन और रात के समय) में डब्ल्यूएचओ वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश मूल्यों की तुलना में परिवेशी वायु में पार्टिकुलेट मैटर की उच्च सघनता है।

तस्वीर साभार: Mongabay

विभिन्न शोध और रिपोर्ट बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण जलवायु संबंधी प्राकृतिक आपदाओं की संख्या और तीव्रता में बढ़ोतरी की संभावना है। भारत में जलवायु परिवर्तन संबंधी प्राकृतिक आपदाओं के कारण संभावित खतरे में वृद्धि हुई है, और बिहार इससे अलग नहीं है। बिहार जल-मौसम संबंधी प्राकृतिक आपदाओं के लिए अत्यधिक संवेदनशील राज्य है, जहां उत्तरी बिहार में बाढ़ का खतरा रहता है तो दक्षिणी बिहार अत्यंत सूखे का इलाका है। राज्य स्तरीय प्रदूष और जलवायु परिवर्तन से निपटने के मॉडल और सामुदायिक जागरूकता की कमी के कारण, बिहार जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील और असुरक्षित है।

स्विस संगठन IQAir द्वारा जारी विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2023 की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार बिहार का बेगुसराय दुनिया के सबसे प्रदूषित महानगरीय क्षेत्र के रूप में उभरा है। डेक्कन हेराल्ड में छपी एक खबर के अनुसार, भारत में जलवायु परिवर्तन के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील माने जाने वाले 50 जिलों में से चौदह बिहार में हैं।

प्रदूषण के स्त्रोतों को जानने के लिए अध्ययन

डेक्कन हेराल्ड में छपी एक खबर के अनुसार, भारत में जलवायु परिवर्तन के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील माने जाने वाले 50 जिलों में से चौदह बिहार में हैं। हालांकि राष्ट्रीय उत्सर्जन में राज्य का वर्तमान योगदान मामूली है। राज्य में बढ़ते प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार ने राज्य में मुजफ्फरपुर और गया में वायु प्रदूषण के स्रोतों की पहचान करने के लिए वास्तविक समय विभाजन अध्ययन करने का निर्णय लिया है। मुजफ्फरपुर और गया में अध्ययन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (दिल्ली और पटना) द्वारा आयोजित किया जाएगा। वास्तविक समय स्रोत विभाजन अध्ययन से वाहन, धूल, बायोमास जलाना और उद्योगों से उत्सर्जन जैसे कारकों की पहचान करने में मदद मिलती है, जो किसी क्षेत्र में वायु प्रदूषण में वृद्धि के लिए जिम्मेदार हैं। इसके बाद, इसके उपाय किये जा सकते हैं। पटना में ऐसा अध्ययन पहले से ही चल रहा है।

डाउन टू अर्थ की एक खबर बताती है कि बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (बीएसपीसीबी) की 2023-24 के वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के 27 जिलों से होकर बहने वाली गंगा और उसकी 21 सहायक नदियों का पानी नहाने के लिए भी अनुपयुक्त है।

बिहार में गंगा और सहायक नदियों का हाल

डाउन टू अर्थ की एक खबर बताती है कि बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (बीएसपीसीबी) की 2023-24 के वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के 27 जिलों से होकर बहने वाली गंगा और उसकी 21 सहायक नदियों का पानी नहाने के लिए भी अनुपयुक्त है। वार्षिक रिपोर्ट से पता चलता है कि बीएसपीसीबी ने राज्य में 98 स्थानों पर जल गुणवत्ता की निगरानी की और पाया कि ये नदियाँ निश्चित किए गए जल गुणवत्ता मानदंडों को पूरा करने में विफल हैं। इन नदियों के पानी में मल-मूत्र कोलीफॉर्म और टोटल कोलीफॉर्म सहित बैक्टीरिया के दूषण का उच्च स्तर पाया गया। राज्य में गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों में सीधे तौर पर अनुपचारित सीवेज और नालियों का पानी प्रवाहित होना जल प्रदूषण का एक मुख्य कारण है।

तस्वीर साभार: Down to Earth

बिहार जिसे एक अविकसित राज्य के तौर पर अधिक देखा जाता है, वहां प्रदूषण निवारण संबंधित व्यवस्थाओं में कमी राज्य सरकार और केंद्र सरकार का रवैया बताती है। बिहार में तेज़ी से बढ़ रहे प्रदूषण के कारणों में में कारखानों से निकलने वाली गैस, कचरा, राज्य में तेजी से हो रहे भवन निर्माण, लोगों में जागरूकता की कमी प्रमुख हैं। लोगों में जागरूकता ना होना एक बड़ी समस्या है। राज्य में आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था भी हाशिये पर रह रहे लोगों को प्रदूषण जैसे गंभीर समस्या से सबसे ज्यादा जूझने के बावजूद इसपर सोचने या एक्शन लेने के लिए मजबूर नहीं करती।

बिहार में बढ़ते हुए प्रदूषण के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। प्रदूषण न केवल वातावरण पर बल्कि स्वास्थ्य को भी गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं। वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर से आज राज्य में लोग विभिन्न बीमारियों से जूझ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं को प्रदूषण के कारण कुछ अनोखी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। भले बिहार का नाम राजनीति में दर्ज हो चुका हो, आम जनता की समस्याओं को अनदेखा कर दिया जाता है। राज्य में प्रदूषण को कम करने के लिए लोगों में बड़े पैमाने पर जागरूकता फैलाने की बहुत जरूरत है। साथ ही, सरकार को इसके लिए रणनीति तैयार करनी होगी।

Leave a Reply

संबंधित लेख

Skip to content