दुनियाभर में आमतौर पर महिलाएं अपने स्वास्थ्य की चिंता किए बिना परिवार की देखभाल में लगी रहती हैं। इस दौरान कई बार वे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को नजरंदाज कर देती हैं और सालों-साल उनसे जूझती रहती हैं। महिलाओं के लिए यौन और प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों पर खुलकर बात या चर्चा करना आज भी मुश्किल है। पीरियड्स जैसे महत्वपूर्ण विषय पर आज भी समाज में टैबू बने हुए हैं। ऐसे में वजाइना से जुड़ी समस्याओं या मुद्दों पर बात करना महिलाओं के लिए और भी मुश्किल ही नहीं लगभग नामुमकिन हो जाता है।
क्या होता है वजाइनल ड्राईनेस
वजाइनल ड्राईनेस एक दर्दनाक लक्षण है जिसे कई लोग अपने जीवन में कभी न कभी अनुभव कर सकते हैं। यह लक्षण हार्मोन के स्तर में कमी, स्तनपान या कुछ दवाओं के कारण हो सकता है। यह आमतौर पर मेनोपॉज़ से जुड़ा होता है। योनि के सूखेपन के लिए इलाज विकल्प आमतौर पर इसके कारण पर निर्भर करते हैं। मेनोपॉज की उम्र में पहुंचने के बाद महिलाओं में यह समस्या अधिक होती है। हालांकि, हार्मोन के उतार-चढ़ाव के कारण कम उम्र की महिलाएं भी इससे ग्रसित हो सकती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, गर्भाशय में मौजूद सर्वाइकल ग्रंथि वेजाइना में प्राकृतिक लुब्रिकेशन यानी नमी पैदा करने के लिए जिम्मेदार होती है। यह वजाइना को नम और साफ रखने में मदद करती है।
लेकिन, कुछ खास दवाओं के सेवन या मेनोपॉज की उम्र में जाने के बाद शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम होने लगता है, जिससे वजाइना में रूखेपन की समस्या उत्पन्न होती है। इसे मेडिकल टर्म में वजाइनल एट्रोफी कहा जाता है। वजाइनल ड्राईनेस से ग्रसित महिलाओं के वजाइना के टिशू रूखे, कमजोर और सख्त हो जाते हैं। इससे वजाइना में खुजली, बाहरी द्वार पर सूजन, पेशाब के दौरान जलन और यौन संबंध के दौरान दर्द महसूस हो सकता है। रूखेपन के कारण वजाइना के आस-पास मौजूद स्वस्थ बैक्टीरिया भी प्रभावित हो जाते हैं, जिससे फंगल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
कैसे वजाइनल ड्राईनेस महिलाओं को प्रभावित करता है
जिस तरह किशोरियों को अक्सर पीरियड्स को लेकर सही जानकारी नहीं रहती, ठीक उसी तरह अमूमन पोस्ट मेनोपॉज से गुजर रही महिलाओं को, इस दौर के बाद होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं की जानकारी और जागरूकता नहीं होती। अक्सर 51 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं, जो पोस्ट मेनोपॉज से गुजर रही हैं, वजाइनल ड्राईनेस यानी योनि में सूखेपन की समस्या का सामना करती हैं। इस दौरान, 50-59 वर्ष की 16 फीसद महिलाएं यौन संबंध के दौरान दर्द का अनुभव कर सकती हैं। वहीं, 18-50 वर्ष की प्री-मेनोपॉज से गुजर रही लगभग 17 फीसद महिलाएं वजाइनल ड्राईनेस के कारण यौन संबंध के दौरान दर्द का सामना करती हैं।
हार्मोनल बदलाव के अलावा अन्य कारण
वजाइनल ड्राईनेस मूल रूप से हार्मोनल बदलाव के कारण होती है। यह बदलाव चाहे बढ़ती उम्र के कारण हो, या फिर किसी दवा के सेवन से। उदाहरण के लिए, गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन या प्रसव के बाद ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं में भी इस तरह की समस्या देखी जा सकती है। साथ ही, एंटी-एस्ट्रोजन दवाओं का सेवन या डायबिटीज से जूझ रही महिलाएं भी इससे प्रभावित हो सकती हैं। कैंसर रोगी जो कीमोथेरेपी या हार्मोन थेरेपी की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं, उन्हें भी यह समस्या हो सकती है। वहीं, वजाइनल एरिया में ज्यादा सुगंधित प्रसाधनों जैसे साबुन, जेल, पाउडर या स्प्रे का उपयोग करना वजाइनल ड्राईनेस के अलावा अन्य बीमारियों को भी न्योता दे सकता है।
प्रसाधनों के उपयोग से जुड़े जोखिम
साल 2018 में ब्रिटिश अखबार ‘द गार्जियन’ में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, वजाइनल एरिया में जॉनसन एंड जॉनसन बेबी पाउडर का उपयोग करने से 22 महिलाओं को ओवेरियन कैंसर हुआ था, जिसके बाद महिलाओं ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। अदालत में सुनवाई के बाद महिलाओं के पक्ष में फैसला आया और कंपनी को महिलाओं को मुआवजे के तौर पर 4.14 बिलियन राशि देनी पड़ी। यह पाया गया कि पाउडर में मिला ‘एस्बेस्टस’ कैंसर का कारण बना था। भारत में साल 2012-13 के आस-पास वजाइनल वॉश या इंटीमेट वॉश जैसे उत्पाद बाजार में आए, जिनके बड़े-बड़े विज्ञापन टीवी और शहरों के होर्डिंग में नज़र आने लगे।
बॉलीवुड की चर्चित अभिनेत्रियां ऐसे विभिन्न उत्पादों के विज्ञापन करती नजर आईं। इन उत्पादों के विज्ञापनों ने महिलाओं को यह विश्वास दिलाया कि उनके इंटीमेट एरिया की स्वच्छता के लिए ऐसे उत्पाद आवश्यक हैं। वेबएमडी में छपे एक लेख के अनुसार, वजाइनल एरिया का पीएच 3.8 और 4.5 के बीच होता है, जो बढ़ती उम्र के साथ पीएच 5 के करीब चला जाता है। ऐसे में साबुन, जेल या स्प्रे को वजाइना के अंदर डालने से वहां का पीएच बढ़ सकता है, जिससे जलन, रूखापन और खुजली हो सकती है।
वजाइना और उसके ड्राईनेस के देखभाल के लिए क्या करें
वजाइना को बाहरी किसी भी प्रसाधनों से साफ करने की जरूरत नहीं होती है। वजाइना स्वयं ही खुद को साफ रखने की क्षमता रखता है। हमारे वजाइनल एरिया में दो हिस्से होते हैं, जिनमें ऊपरी हिस्से को वल्वा और भीतरी हिस्से को वजाइना कहते हैं। वल्वा का अर्थ है किसी महिला के गुप्तानगों का ऊपरी हिस्सा। नहाते वक्त साफ पानी से स्नान ही वजाइना को सुरक्षित रखने के लिए सही है। वजाइनल ड्राईनेस से बचने के लिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि बिना किसी जानकारी के विभिन्न तरह के प्रसाधनों के उपयोग से बचना चाहिए। साथ ही, अपने शरीर को हाइड्रेटेड (नमी युक्त) रखना चाहिए। पर्याप्त मात्रा में पानी पीना, त्वचा और शरीर के अन्य अंगों की तरह, वजाइना के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है।
हार्वर्ड हेल्थ पब्लिशिंग ने वजाइनल ड्राईनेस से परेशान महिलाओं के लिए कुछ घरेलू उपाय बताए हैं। इनके अनुसार, महिलाएं वजाइनल एरिया में नारियल का तेल, जैतून का तेल या एलोवेरा जेल लगा सकती हैं। इससे भी रूखेपन से आराम मिल सकता है। साथ ही, एस्ट्रोजन क्रीम का भी उपयोग किया जा सकता है। वजाइनल ड्राईनेस के प्रभाव को एक्सरसाइज के द्वारा भी कम किया जा सकता है। वेबएमडी की रिपोर्ट के अनुसार, अगर केगल्स एक्सरसाइज रोजाना की जाए, तो यह पेल्विक फ्लोर और वजाइना के बीच रक्त संचार को बढ़ाता है, जिससे लुब्रिकेशन बढ़ सकता है।
डॉक्टर से सलाह लेना है जरूरी
हो सकता है कि घरेलू उपायों से महिलाओं को कोई मदद न मिले। अगर वजाइनल ड्राईनेस की परेशानी इन उपायों से ठीक नहीं हो रही, तो डॉक्टर से सलाह लेने में संकोच न करें। सबसे बेहतर यह है कि किसी भी घरेलू उपचार से पहले अपने डॉक्टर से अवश्य मिलें। वजाइनल ड्राईनेस की समस्या का समाधान शर्माने से नहीं, बल्कि खुलकर चर्चा करने और उचित इलाज से ही मिल सकता है। वजाइनल ड्राईनेस एक गंभीर समस्या है, जिसे नजरंदाज करना नहीं चाहिए। सही जानकारी और उपचार से ही इस समस्या का समाधान संभव है। महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना चाहिए और किसी भी समस्या को पितृसत्ता के चादर से बाहर निकलकर उसपर बातचीत और चिकित्सकीय मदद लेनी चाहिए।