दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में स्थित राउज आईएएस स्टडी सर्कल के कोचिंग सेंटर में बीते शनिवार बारिश का पानी घुस गया। बेसमेंट में बनी लाइब्रेरी में घुसे पानी का बहाव इतना तेज था वहां मौजूद तीन छात्र बाहर नहीं निकल सके और उनकी मौत हो गई। देश की राजधानी दिल्ली में प्रत्येक वर्ष लाखों छात्र पढ़ाई करने आते हैं ताकि वे भविष्य में कलेक्टर, इंजीनियर, डॉक्टर या फिर सरकारी नौकरियां हासिल कर सके। इन सुनहरे सपनों को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में कोचिंग सेंटर्स खुले हैं या यू कहे कि पूरा कोचिंग बिजनेस मॉडल खड़ा है। कोचिंग के लिए छात्र बड़ी मोटी फीस चुकाते हैं। नियमों की ताक पर रखकर जिन बेसमेंट में सिर्फ गोदाम की परमिशन मिली होती है वहां लाइब्रेरी चल रही होती है और जिसका परिणाम ओल्ड राजेंद्र नगर में हुआ हादसा है।
हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़ राउज आईएस स्टडी सर्कल कोचिंग सेंटर में शनिवार को बेसमेंट में स्थित लाइब्रेरी में अचानक से बारिश के बाद पानी भर गया, उस वक्त लाइब्रेरी में कुछ छात्र मौजूद थे। जिस समय बेसमेंट की लाइब्रेरी में पानी भरा उस समय वहां लगभग 30 छात्र थे, जिनमें से 12 से 14 छात्रों को बचाया गया और अस्पताल ले जाया गया, जबकि अन्य वहां से निकलने में सफल रहे। बेसमेंट में बनी लाइब्रेरी में कई फीट तक पानी भरने के बाद रेस्क्यू में एनडीआरएफ और स्थानीय पुलिस की बचाव टीमों ने तीनों छात्रों की मुत्यु की पुष्टि की। मरने वाले तीनोंं छात्र यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे जो राउज आईएएस कोचिंग सेंटर में पढ़ रहे थे। मरने वाले छात्रों की पहचान उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर की श्रेया यादव, तेलंगाना की तान्या सोनी, और केरल के एर्नाकुलम के निविन डल्विन के रूप में की गई है।
निशी का कहना है, “मैं जिस लाइब्रेरी में जाती हूं वह भी बेसमेंट में है, एक ही एक्जिट है। मुखर्जी नगर में आग के मामले के बाद कुछ दिन कार्रवाई और जांच हुई उसके बाद फिर से सब ऐसा ही है। अगर उस घटना के बाद कोचिंग सेंटर, लाइब्रेरी के नियमों, पीजी के मालिकों पर नियमों को पालन करने का दवाब होता तो हमारे तीन साथियों की जान नहीं गंवानी पड़ती।”
जलभराव की सूचना मिलते ही दमकल विभाग ने पानी पंप करने वाली पांच गाड़ियां भेजी गई। इस मामले में कोचिंग मालिक और कोरर्डिनेटर के खिलाफ़ अपराधिक मामला दर्ज कर दिया गया है। उनके ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए गए है। इस घटना के बाद छात्रों के विरोध प्रदर्शन लगातार चल रहा है। वे इस मामले में निष्पक्ष जांच और इंसाफ की मांग कर रहे हैं। राजेंद्र नगर की इस घटना के बाद राजनीति भी शुरू हो गई है। भाजपा और आप का एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप और बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है।
मीडिया में आ रही अलग-अलग ख़बरों के मुताबिक दिल्ली में बेसमेंट में इस तरह की लाइब्रेरी बड़ी संख्या में नियमों से ऊपर होकर चल रही है। लाइब्रेरी से अलग पीजी तक बेसमेंट में है और जिनमें छात्र रहते हैं। दिल्ली में कोचिंग सेंटर या पढ़ाई के लिए दिल्ली आए छात्रों के साथ हुई यह बीते हफ्ते में यह दूसरी घटना है जब किसी छात्र की जान गई। दिल्ली के साउथ पटेल नगर इलाके में बारिश के दौरान पीजी के पास लोहे के गेट में कंरट आने से यूपीएससी की तैयारी कर रहे एक युवक की मौत हो गई। वह चाय पीकर अपने पीजी लौट रहे थे तब गली के गेट पर पहुंचा तो गेट में करंट लगने से उनकी मौके पर ही मौत हो गई। मृतक 26 वर्षीय नीलेश राय बीते तीन साल से पटेल नगर में रहकर सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे थे।
बीते वर्ष जून में दिल्ली के मुखर्जी नगर में स्थिति ज्ञान बिल्डिंग में आग लगने की घटना हुई। इस बिल्डिंग में कई कोचिंग सेंटर चलते हैं। यह घटना जिस वक्त हुई थी उस वक्त बिल्डिंग में 300 छात्र मौजूद थे। आग लगने के बाद छात्रों ने बिल्डिंग से रस्सियों के सहारे कूदकर अपनी जान बचायी। इस घटना के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए तय मानकों को ताक पर रखते हुए चलाये जा रहे कोचिंग सेंटर के ख़िलाफ़ कार्रवाई के निर्देश दिए थे। दिल्ली में कोचिंग इंस्टीट्यूट की खराब व्यवस्था के चलते छात्रों की जान गंवाने के कई मामले सामने आ चुके हैं। छात्रों के जीवन के साथ लाहपरवाही के ये मामले सरकार, एमसीडी, गवर्नर और कोचिंग सेंटर्स के मालिकों पर सवाल खड़े करता है।
ओल्ड राजेंद्र नगर की घटना के बाद इलाके में पुलिस और एमसीडी की तरफ से कार्रवाई चल रही है। मेरठ की रहने प्रिंसी शर्मा दिल्ली में रहकर सिविल सर्विस की तैयारी कर रही है। दिल्ली में कोचिंग सेंटर में हुए हादसे पर उनका कहना है, “दिल्ली में कोचिंग सेटर्स और पीजी मालिकों का पूरा जाल है जहां पर हम जैसे छात्रों के सारे अधिकारों को ताक पर रख दिया जाता है। बेहद तंग स्थिति में हम यहां रहकर पढ़ते है। हर तरह से कोचिंग सेंटर्स वालों की मनमानी होती है ये मोटी फीस लेते है और बदले में हमें सुरक्षित जगह तक नहीं दे पाते हैं। इस तरह की घटनाएं मन में एक खौफ तो लाती है। इस तरह की घटनाएं होंगी तो फिर हम लोग कैसे तैयारी करेंगे और कैसे पेपर दे पाएंगे। हमारी तो एक ही मांग है कि जितने भी लाइब्रेरी ऑनर्स है, कोचिंग मालिक है उनके ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई हो।”
छात्रों को कम से कम बेसिक सुविधाएं मिलनी चाहिए
यूपीएससी की तैयारी कर रही अंशिका का कहना है, “मैं इस पूरी घटना को सिस्टम के फेलियर के तौर पर देखती हूं। सिस्टम का फेलियर ऐसे कि कोचिंग माफिया, ब्रोकर, मकान मालिक, प्रशासन और सरकार जितने भी स्टेक होल्डर इसमें शामिल है उन लोगों ने अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं की है और यह लाहपरवाही का नतीजा है जिसकी वजह से स्टूडेंट्स को अपनी जान गंवानी पड़ी। छात्रों की मजबूरी है कि उन्हें जर्जर बिल्ड़िग्स में चल रहे कोचिंग, पीजी या लाइब्रेरी में जाना पड़ता है क्योंकि उनके पास कोई विकल्प नहीं है। यह सब इसलिए चल रहा है क्योंकि कोचिंग मालिकों या पीजी ऑर्नर्स के ऊपर किसी का डर नहीं है, कोई जुर्माना नहीं है, तंत्र की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं है तो बेफ्रिक है। ये लोग छात्रों को सिर्फ अपने फायदे, मुनाफे के लिए इस्तेमाल करते है। इनके अंदर न किसी तरह की कोई भावना होती है न अपनापन।”
वह आगे कहती है, “छात्रों की सुरक्षा को लेकर शायद तंत्र को महसूस हो रहा होगा कि हमें बहुत कुछ चाहिए तो ऐसा कुछ नहीं है। दिल्ली में पढ़ाई कर रहे छात्रों की बस बेसिक ज़रूरतें पूरी हो जाए। बिल्कुल वैसे जो दिल्ली की सरकार अपने क्षेत्र के नागरिकों को देता है वही सेम चीजें अगर छात्रों को भी दी जाए जैसे पानी, बिजली की सुरक्षा, इमारते बहुत जर्जर न हो, साफ माहौल में भोजन, सुरक्षित जगह आदि। दिल्ली में छात्रों को रहने के लिए बहुत खर्च करना पड़ता है तब जाकर वे यहां सर्वाइव कर पाते हैं। एक तय किराया कानून होना चाहिए जिससे छात्रों को बड़ी राहत मिल सकती है। सरकार, अथॉरिटी से यही मांग है कि जो-जो उनके हक में आता है उसको बेहतरी से करे। किसी ज्यादा चीज की मांग नहीं है केवल जो बेसिक सुविधाएं और अधिकार एक छात्र के बतौर नागरिक है उनको सुनिश्चित किया जाए।”
कोचिंग सेंटर्स और पीजी मालिकों की मनमानी को रोकना होगा
दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी कर निशि का कोचिंग सेंटर और पीजी मालिकों के नियमों को दरकिनार रखने के चलन पर कहना है, “दिल्ली में कोचिंग सेटंर्स और पीजी मालिकों के सामने आप कुछ नहीं कह सकते है। आपको उनकी बताई डील पसंद है तो आपकी एंट्री है वरना आप दूसरी जगह जा सकते हैं। हम लाखों में फीस देते हैं उसके बाद हर महीने का अलग से रहने का खर्च लेकिन सवाल नहीं पूछ सकते हैं। हम जहां रहते है वहां हवा नहीं है, बारिश होते ही सड़कों पर पानी भर जाता है। एक छोटे से बेड के 15-20 हजार रूपये चुकाने होते है। बिजली का बिल, पानी सब देना होता है लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ नहीं होता है। मैं जिस लाइब्रेरी में जाती हूं वह भी बेसमेंट में है, एक ही एक्जिट है। मुखर्जी नगर में आग के मामले के बाद कुछ दिन कार्रवाई और जांच हुई उसके बाद फिर से सब ऐसा ही है। अगर उस घटना के बाद कोचिंग सेंटर, लाइब्रेरी के नियमों, पीजी के मालिकों पर नियमों को पालन करने का दवाब होता तो हमारे तीन साथियों की जान नहीं गंवानी पड़ती। अभी भी कोचिंग वाली जगहों की बदहाली पर ध्यान नहीं दिया तो इस तरह की घटनाओं के होने की गुंजाइश बनी रहेगी।”
दिल्ली में सिविल सर्विस की तैयारी करने वाले प्रिंस कुमार का कहना है, “हम अपने सपनों के साथ इस शहर में आते हैं। ये इस देश की राजधानी है। बड़ी मोटी फीस हम कोचिंग के लिए चुकाते हैं। कम से कम हमें सुविधाएं तो मिले लेकिन बदले में क्या मिलता है वह किसी से छिपा नहीं है। कम से कम ऐसी तो जगह हो जो हमें जिंदा रख सके।” दिल्ली में इस घटना के बाद छात्रों में आक्रोश है। रविवार को उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहा। छात्रों के सड़क को ब्लॉक करने के बाद क्षेत्र में भारी ट्रैफिक जाम के बाद पुलिस करोल बाग मेट्रो स्टेशन पर छात्रों को वहां से भगाती भी नज़र आई। इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़ कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया और एक बस में ले जाया गया। डीसीपी (सेंट्रल) एम हर्षवर्धन ने इस मामले में कहा है, “हम प्रदर्शनकारियों की भावनाओं को समझते हैं और उनके साथ रचनात्मक तरीके से बातचीत कर रहे हैं।”