इतिहास चित्रलेखाः केरल की दलित महिला ऑटो चालक जिन्होंने लेफ्ट के जातिगत उत्पीड़न के ख़िलाफ़ लड़ी लड़ाई #IndiaWomenInHistory

चित्रलेखाः केरल की दलित महिला ऑटो चालक जिन्होंने लेफ्ट के जातिगत उत्पीड़न के ख़िलाफ़ लड़ी लड़ाई #IndiaWomenInHistory

केरल की रहने वाली चित्रलेखा ने लंबे समय तक लेफ्ट की नीतियों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई और धरने प्रदर्शन किये। हालांकि आजीविका और सुरक्षा के लिए उनके 20 साल के संघर्ष को मुख्यधारा के राजनीतिक दलों और तथाकथित प्रगतिशील बुद्धिजीवियों द्वारा बड़े पैमाने पर नज़रअंदाज किया गया।

भारत एक लोकतांत्रिक देश है। भारतीय संविधान के अनुसार यहां देश के प्रत्येक नागरिक को अपनी पसंद से काम करने, कही जाकर बसने और पसंद से विवाह करने का अधिकार है। वहीं एक वास्तविकता यह है कि देश में जाति व्यवस्था के चलते दलितों के मौलिक अधिकारों का हनन किया जाता आ रहा है। उनके साथ जातिगत पहचान के आधार पर भेदभाव और हिंसा की जाती है। असमानता को खत्म करने की इस लड़ाई में हर दौर में समुदाय के कुछ लोग मुखर होकर अपनी बात कह रहे हैं। ब्राह्मणवादी व्यवस्था के ख़िलाफ़ संघर्ष करने वालों और मुखर होकर बोलने वालों में से एक नाम दलित एक्टिविस्ट चंद्रलेखा का हैं। केरल की रहने वाली चित्रलेखा ने लंबे समय तक लेफ्ट की नीतियों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई और धरने प्रदर्शन किये। हालांकि आजीविका और सुरक्षा के लिए उनके 20 साल के संघर्ष को मुख्यधारा के राजनीतिक दलों और तथाकथित प्रगतिशील बुद्धिजीवियों द्वारा बड़े पैमाने पर नज़रअंदाज किया गया।

ई. चित्रलेखा केरल के कन्नूर जिले के पयन्नूर के पास कट्टमपल्ली में रहने वाली दलित ऑटोरिक्शा चालक थी। वह पुलया समुदाय से ताल्लुक रखती थीं जो केरल के एक दलित जाति समूह से है। उन्होंने लगभग दो दशकों तक सीपीआई (एम) ट्रेड यूनियन की मनमानी के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी। ट्रेड यूनियन के साथ उनका संघर्ष लगभग 2004 साल में शुरू हुआ था। कमजोर आर्थिक स्थिति की वजह से वह अपनी नर्सिंग की पढ़ाई पूरी नहीं कर सकी। इस वजह से उन्हें बीच में ही नर्सिंग की ड्रिगी छोड़नी पड़ी। इसके बाद कन्नूर जिले के पयानूर के पास एडाट ऑटो स्टैंड पर एक ऑटोरिक्शा चालक के रूप में काम करना शुरू कर दिया। 

सीपीएम के गढ़ वाले इलाके में दलित महिला के ख़िलाफ़ सामाजिक बहिष्कार तब शुरू हुआ था जब उन्होंने थिय्या समुदाय के श्रीशांत से शादी की।

इस जातिवादी समाज में अपने इन प्रयासों की वजह से उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा। एक दलित महिला को रिक्शा स्टैंड पर अन्य ड्राइवरों ने अलग तरीके से देखा। अन्य ऑटोरिक्शा ड्राइवर्स का समूह सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियन (सीआईटीयू) से जुड़ा था जो उस समय सत्तारूढ़ (सीपीआई-एम) से जुड़े थे। ड्राइवरों के इस समूह ने उनके कामकाजी जीवन में हस्तक्षेप करना शुरू किया। वह उनके दैनिक काम में बाधा पहुंचाने लगे। उन्हें जातिसूचक अपशब्दों से संबोधित करने लगे। यहां तक की उनके परिवार पर भी महिला विरोधी हमले किए गए। हालांकि पुलिस में औपचारिक शिकायत दर्ज कराने के बाद कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया लेकिन कथित तौर पर उनका उत्पीड़न जारी रहा। 

चंद्रलेखा के विरोध करने वाले मौखिक उत्पीड़न तक ही नहीं रूके बल्कि उन्होंने उनके काम को रोकने के लिए उन पर कई तरह के हमले किए। उन्हें ऑटो स्टैंड में ट्रैक पर अपना वाहन पार्क करने या यात्रियों को ले जाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। जबकि चित्रलेखा किसी भी स्थिति में अपना काम चलाने की कोशिश करती रही। उनके विरोधी हर स्तर पर उनका काम रोकना चाहते थे। 31 दिसंबर 2005 में कुछ सीआईटीयू के सदस्यों द्वारा उनके ऑटो रिक्शा को आग के हवाले कर दिया गया था।  इस पूरी घटना में उनका ऑटो जलाकर खाक कर दिया गया। इस घटना से पूरे राज्य में व्यापक ध्यान आकर्षित किया। 

तस्वीर साभारः The News Minute

बाद में कुछ स्वयंसेवी संगठनों ने चित्रलेखा को एक नया ऑटो दिया। लेकिन सीपीएम कार्यकर्ताओं ने उन्हें एडट्ट में भी काम करने की अनुमति नहीं दी। साल 2014 में उन्होंने कन्नूर कलेक्ट्रेट के सामने 122 दिनों का विरोध प्रदर्शन किया जिसमें उन्होंने अपने साथ हुए भेदभाव को उजागर किया। उन्होंने सचिवालय के सामने 47 दिनों तक हड़ताल की और मांग की कि उन्हें आजीविका कमाने की अनुमति दी जाए। धरना प्रदर्शन के दौरान एक इंटरव्यू के दौरान चित्रलेखा कहती है, “मेरा परिवार सुसाइड की कगार पर है क्योंकि सीपीएम गिरोह ऑटो को जला देने के बाद हमने अपनी आजीविका खो दी है। मेरे घर के सामने ख़ड़े वाहन को खत्म किए हुए तीन दिन हो गए हैं लेकिन पुलिस मामले की जांच बिल्कुल नहीं कर पा रही हैं।”

सीपीएम के गढ़ वाले इलाके में दलित महिला के ख़िलाफ़ सामाजिक बहिष्कार तब शुरू हुआ था जब उन्होंने थिय्या समुदाय के श्रीशांत से शादी की। बता दें कि हिंदूवादी जातिवादी व्यवस्था के तहत थिय्या सुमदाय खुद को तथाकथित ऊंची जाति बताता है। अंतरजातीय प्रेम विवाह करने के कारण स्थानीय वामपंथी नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा उनके ख़िलाफ़ की जाने वाली जातिवादी हिंसा का प्रमुख कारण था। शादी के बाद जब आजीविका के लिए उन्होंने ऑटो चलाने का फैसला किया था। उनके इस फैसले का अन्य ऑटो चालकों ने विरोध किया क्योंकि कथित तौर पर वे थिय्या समुदाय से थे और सीपीएम की ओर झुकाव रखते थे। 

तस्वीर साभारः Hans India

इस संगठन का इतना दबदबा था कि ग्वाही देने को भी कोई तैयार नहीं होता था। उनके ख़िलाफ़ अपराध करने वाले आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया लेकिन गवाहों के मुकर जाने पर वे रिहा हो गए। चित्रलेखा के ऑटो को जलाने का हमला उन पर दोबारा साल 2023 में भी किया गया था। इतना ही नहीं संघर्ष के इसी दौरान चित्रलेखा और उनके पति का नाम एक संदिग्ध पुलिस केस में भी दर्ज किया गया था। उन्हें और उनके पति को एक मामले में गिरफ्तार भी किया गया था। साल 2014 में कन्नूर जिले की उप-जेल में उन्हें 20 दिन बिताने पड़े थे। 

उनके विरोधी हर स्तर पर उनका काम रोकना चाहते थे। 31 दिसंबर 2005 में कुछ सीआईटीयू के सदस्यों द्वारा उनके ऑटो रिक्शा को आग के हवाले कर दिया गया था।  इस पूरी घटना में उनका ऑटो जलाकर खाक कर दिया गया।

चित्रलेखा को दबाने के लिए उनके विरोधियों ने हर स्तर पर उनके रास्ते में बाधा उत्पन्न की। 2016 में जब केरल में कांग्रेस की सरकार बनी तो तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमन चाड़ी ने घर बनाने के लिए जमीन और पाँच लाख रूपये आवंटित किए थे। लेकिन बाद में राज्य में चुनाव में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार के सत्ता में आने पर आदेश रद्द कर दिया गया था। इसके लिए भी चंद्रलेखा को न्यायालय का दरवाज खटखटकाना पड़ा। यह केस वर्तमान में भी केरल हाई कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहा है। 

चित्रलेखा ऑटोरिक्शा स्टैंड पर काम करने वाली अकेली महिला थी। पार्किंग के क्षेत्र में मनियानी जाति के ऑटो चालकों का वर्चस्व था। वे उन पर जातिसूचक फब्तियां कसते थे। दलित महिला के तौर पर उनकी उपस्थित को बर्दाशत नहीं कर पाते थे। लेकिन चित्रलेखा जातिगत उत्पीड़न और भेदभाव के ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई लड़ती रही।दलित अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ने वाली चित्रलेखा लंबे समय से कैंसर से जूझ रही थी। उनका कोझिकोड के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। 5 अक्टूबर 2024 को महज 48 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।

सोर्सः

  1. Maktoob Media
  2. The News Minute
  3. Onmanorama 

Leave a Reply

संबंधित लेख

Skip to content