हम 2024 को पीछे छोड़कर 2025 में कदम रखने की ओर है। देश को आजाद हुए 77 साल पूरे हो गए है लेकिन आज भी समाज से जातिगत भेदभाव की रूढ़िवादी, ब्राह्मणवादी जड़ें खत्म नहीं हो पाई हैं। इस वजह से आज भी दलित समुदाय के लोगों के संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है। दलितों को बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की तरह अपनी बुनियादी और अधिकारिक चीजों के लिए संघर्ष करना पड़ता है। नैशनल टीवी और अखबारों में हम रोज़ जाति आधारित बहस और ख़बरें देखते हैं, जिसकी जड़ें सीधा मनुस्मृति की जाति व्यवस्था में मिलती हैं। इस सामाजिक पदानुक्रम के कारण तथाकथित उच्च जातियों ने हाशिये की जातियों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया था।
आज भी भारत में जाति के आधार पर कभी हिंसा तो कभी भेदभाव की घटनाएं लगातार होती रहती है। दलित समुदाय के लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन किया जाता है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भारत में पिछले चार सालों में तथाकथित उच्च जाति के लोगों द्वारा दलितों के ख़िलाफ़ किए गए अपराधों की संख्या 47,000 है। ये तो केवल वो घटनाएं हैं जिन्हें पुलिस ने दर्ज़ किया है। आज भी बड़ी संख्या में दलितों के ख़िलाफ़ होने वाले अपराध सामने नहीं आ पाते हैं। पुलिस में कार्रवाई न करने की उन्हें धमकी दी जाती है। प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने आरटीआई कर पता लगाया कि 2020 से 21 में 11,917, 2021 से 22 में 13,964, 2022 से 23 में 12,402 और 2023 से 24 (अक्टूबर महीने तक) में 9,550 घटनाएं हुई हैं। इस लेख में हम 2024 में हुई ऐसी ही कुछ घटनाओं की बात करेंगे जहां हाशिये पर रह रहे समुदायों के साथ भेदभाव और हिंसा हुई। संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन हुआ।
1. सरपंच और उसके परिवार द्वारा दलित युवक की हत्या
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मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले के इंदरगढ़ में बोरवेल को लेकर एक विवाद हुआ जिसमें 30 वर्षीय दलित युवक नारद जाटव की कथित तौर पर सरपंच पदम धाकड़ और उसके साथियों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी। इंडियन एक्सप्रेस में छपी जानकारी के मुताबिक़ घटना का कारण बोरवेल का पानी था, जिसे नारद के चाचा अपनी जमीन की सिंचाई के लिए इस्तेमाल करते थे, जबकि सरपंच का परिवार अपने होटल के लिए पानी का उपयोग करता था। विवाद बढ़ा जब सरपंच ने जमीन के पीछे से होटल तक रास्ता बना लिया। घटना के दिन नारद ने बोरवेल की पाइपलाइन उखाड़ दी, जिससे सरपंच और उसके परिवार के साथ हिंसक झड़प हुई। इसके बाद दलित नारद को बेरहमी से पीटा गया। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मृत्यु हो गई।
2. नाबालिग दलित की पिटाई के बाद उसे मानव मूत्र पिलाने की कोशिश
उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले में एक 15 वर्षीय साउंड मिक्सर तकनीशियन के साथ जातिगत आधार पर उत्पीड़न की घटना सामने आई। दलित नाबालिग जब काम से लौट रहा था उस समय किशन तिवारी, दिलीप मिश्रा और सत्यम तिवारी नामक तीन लोगों ने उसे परेशान किया। एनडीटीवी.कॉम में छपी खबर के मुताबिक़ पुलिस के अनुसार, यह घटना उस विवाद से जुड़ी थी, जिसमें सर्वाइवर पर तीनों आरोपियों के यहां एक कार्यक्रम में डीजे सेवा देने और उसके भुगतान को लेकर तनाव था। दिलीप मिश्रा ने शराब की बोतल में पेशाब किया, जबकि किशन और सत्यम ने दलित नाबालिग को नीचे गिराकर बोतल उसके मुंह में लगा दी। उन लोगों ने दलित नाबालिग की पिटाई की और इस अमानवीय घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर भी डाला। घटना के बाद, सर्वाइवर ने घर पहुंचकर अपने बड़े भाई को सब कुछ बताया, जिसके बाद परिवार ने अगले दिन पुलिस में शिकायत दर्ज़ की। पुलिस ने जाँच के आधार पर तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
3. दलित युवक के नाई ने बाल काटने से इंकार, युवक की हत्या
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कर्नाटक के येलबुर्गा तालुका में 17 अगस्त 2024 को एक नाई, मुदक्कप्पा हडापद ने संगनल गांव में 26 साल के मदीगा दलित जाति के लड़के यमनुरस्वामी बंदिहाल की बाल काटने वाली कैंची मार कर हत्या कर दी। न्यूजमिनट में छपी ख़बर के अनुसार यमनूरस्वामी मदिगा जाति (अनुसूचित जाति, एससी) से था, जबकि मुदक्कप्पा लिंगायतों की उपजाति हडापद जाति से ताल्लुक रखता है। जब यमनुरस्वामी बाल कटवाने सैलून गया, जहां का मालिक मुदकप्पा हडपद ने बाल काटने से पहले भुगतान की मांग की। यमनुरस्वामी के आश्वासन के बावजूद, मुदकप्पा ने उसकी जाति पर भड़काऊ टिप्पणी की, जिस कारण दोनों में बहस बढ़ गई। गुस्से में मुदकप्पा ने कई कैंची यमनुरस्वामी के पेट में घोप दी। घटना के बाद घाव से काफ़ी खून बहने के कारण उसकी मौत हो गई। येलबुर्गा पुलिस ने मुदकप्पा के ख़िलाफ़ हत्या (बीएनएस धारा 103) और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज़ कर लिया।
4. दक्षिण कन्नड़ में दलित बुजुर्ग पर हमला
कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के बेलथांगडी तालुक के कोक्कडा में एक 67 वर्षीय दलित बुजुर्ग मंचा मोगेरा पर हमले की घटना सामने आई। भारी बारिश से बचने के लिए मोगेरा ने रमन्ना गौड़ा नामक दुकानदार से उसकी दुकान के पास आश्रय मांगा। लेकिन गौड़ा ने मदद करने के बजाय मोगेरा को जातिवादी अपशब्द कहें और लकड़ी के डंडे से हमला कर दिया। इस हमले में मोगेरा के सिर और पीठ पर गंभीर चोटें आईं। घायल मोगेरा को पहले कोक्कडा सरकारी अस्पताल ले जाया गया और बाद में बेहतर इलाज के लिए बेलथांगडी सरकारी अस्पताल में स्थानांतरित किया गया। धर्मस्थल पुलिस ने मोगेरा का बयान दर्ज़ करने के बाद मामले की जांच शुरू की।
5. दलित के द्वारा पारंपरिक टोपी पहने को लेकर युवक पर हमला
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उत्तरी गुजरात के साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर तालुका के सय्यबापुर गांव में 24 वर्षीय दलित युवक अजय परमार पर तथाकथित ऊंची जाति के लोगों के एक समूह ने हिंसक हमला किया। घटना की शुरुआत परमार की इंस्टाग्राम प्रोफाइल तस्वीर से होती है, जहां वो पारंपरिक टोपी और धूप का चश्मा पहने हुआ था। द वॉयर में छपी ख़बर के मुताबिक एफआईआर के अनुसार ऑटो रिक्शा चालक परमार का सामना नवानगर बस स्टैंड के पास दरबार समुदाय के दो लोगों से हुआ। उन्होंने उसकी तस्वीर पर आपत्ति जताते हुए इसे हटाने को कहा। विवाद ने जल्दी ही हिंसक रूप ले लिया। उन लोगों ने परमार को पीटा। हालांकि, वह किसी तरह वहां से भागने में सफल रहा। बाद में, परमार को पता चला कि दरबार समुदाय के 20-25 लोग उस पर हमला करने के लिए इकट्ठा हो गए। अपनी जान बचाने के लिए उसने अपने पिता और भाई को बुलाया। जब वे पहुंचे, तो समूह ने उन पर हमला किया, थप्पड़ मारे और अपशब्द कहे। पुलिस को मदद के लिए बुलाने पर वह एक घंटे बाद पहुंची। सोशल मीडिया पर महज तस्वीर लगाने की वजह से दलित युवक पर हमला किया गया।
6. पेड़ पर चढ़कर फल न तोड़ने पर शिक्षिका ने दलित छात्र को पीटा
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जुलाई में उत्तरप्रदेश के बरेली जिले में जातिवाद भेदभाव की घटना सामने आई, जहां स्कूल शिक्षिका ने छठीं कक्षा के दलित छात्र को बेहरमी से पीटा। शिक्षिका रानी गंगवर फल खाने के लिए अपनी कक्षा के नौ साल के दलित लड़के को पेड़ पर चढ़ कर फल तोड़ने को कहती है, जिस पर वो लड़का मना कर देता। इस पर गुस्सा हो कर वो उस दलित छात्र को क्लास में बंद कर के दो घण्टे तक बुरी तरह पिटती है। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी ख़बर लड़के की माँ का कहना है कि गाँव के कुछ प्रतिष्ठा लोगों ने उन्हें कंप्लेंट करने से ज़बरदस्ती रोकने की कोशिश भी की।
7. उत्तर प्रदेश में दलित महिला का उत्पीड़न
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25 जुलाई को उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के सिकौहुला गाँव में एक दलित महिला पर दो व्यक्तियों ने कथित तौर पर हमला किया और जातिवादी अपशब्द कहें। द प्रिंट की ख़बर के मुताबिक़ 36 वर्षीय महिला, जो एक खेतिहर मजदूर के रूप में काम करती है, गाँव के अपने परिवार के ट्यूबवेल से पानी इकट्ठा करने के लिए गई थी। राजेंद्र सिंह और उसके बेटे जितेंद्र प्रताप सिंह ने महिला को ट्यूबवेल का उपयोग करने से मना किया और जातिवादी अपशब्द कहते हुए उसका यौन हिंसा करने की कोशिश की। महिला किसी तरह से वहां से भागने में सफल रही और उसने घटना की सूचना स्थानीय पुलिस को दी। पुलिस ने शिकायत के आधार पर बीएनएस और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज़ की।
8. मंदिर से पानी पीने पर दलित को पीटा
उत्तरप्रदेश के भदोही जिले में दलित को हैंडपंप से पानी पीने पर बुरी तरह पीटा। 24 वर्षीय अभिषेक गौतम ने मंदिर के हैंडपंप से प्यास लगने पर पानी पिया, जिस कारण उसको सात लोगों ने जातिवादी अपशब्द कहे और बुरी तरह पीटा। पुलिस में दर्ज एफआईआर के मुताबिक़ उसकी गर्दन को पैरों से दबाया। पुलिस अधीक्षक मीनाक्षी कात्यायन ने बताया कि हमलावरों ने उसे और उसके परिवार को धमकी भी दी कि अगर उसने घटना की सूचना पुलिस को दी तो वे उसे और उसके परिवार को नुकसान पहुंचाएंगे।
9. मुजफ्फरपुर में दलित व्यक्ति पर मजदूरी मांगने पर हमला
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द हिंदू में छपी ख़बर के मुताबिक़ बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में एक दलित व्यक्ति रिंकू मांझी को उसके बकाया मजदूरी मांगने पर एक पिता-पुत्र ने बेरहमी से पीटा और जातिवादी अपशब्द कहें। इसी वर्ष अक्टूबर के माह को रिंकू ने रमेश पटेल के पोल्ट्री फार्म पर काम किए दो दिनों की मजदूरी मांगी, जिससे नाराज होकर रमेश, उसके भाई अरुण पटेल और बेटे गौरव कुमार ने रिंकू की पिटाई की। इसके अलावा, रमेश और गौरव ने रिंकू पर पेशाब किया और उसके चेहरे पर थूका। इस घटना का एक वीडियो रिंकू ने आठ अक्टूबर को पुलिस के पास जमा किया। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (बीएनएस) और एससी/एसटी अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज़ किया है।
10. दलित होने के कारण बेटी की शादी के लिए हॉल न मिलना
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उत्तरप्रदेश के बदायूं जिले के सहसवान क्षेत्र में एक दलित किसान को चार मैरिज हॉल मालिकों ने जातिवाद के आधार पर उसकी बेटी की शादी के लिए हॉल किराये पर देने से इनकार कर दिया। 24 वर्षीय बेटी की शादी 4 फरवरी, 2025 को तय है, लेकिन बार-बार प्रयास करने के बावजूद कोई भी मैरिज हॉल मालिक हॉल देने को तैयार नहीं था। किसान अच्छन लाल ने एसडीएम से मदद की अपील की। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें इस भेदभाव का सामना करना पड़ा क्योंकि वह दलित समुदाय से हैं। हॉल मालिकों ने इस आरोप का खंडन किया, दावा किया कि उन्होंने दलित समुदाय के सदस्यों के लिए समारोह आयोजित किए हैं और भेदभाव नहीं किया। हालांकि, उन्होंने यह शर्त रखी कि आयोजन स्थल पर मांस पकाने की अनुमति नहीं होगी। किसान के परिवार ने कानून के तहत कार्रवाई करने की धमकी दी है, जबकि एक हॉल मालिक ने शादी की तारीख के कारण हॉल उपलब्ध नहीं होने की बात कही।
यह तो केवल कुछ घटनाएं हैं। दलित समुदाय के लोगों को महज जाति की पहचान की वजह से अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में ऐसी अनेकों परेशानी से गुज़रना पड़ता है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अनुसार भारत में दलित के ख़िलाफ़ होने वाली घटनाओं में से 23.78 प्रतिशत घटनाएं तो केवल उत्तरप्रदेश में होती हैं। उसके बाद 16.75 और 14.98 प्रतिशत घटनाएं राजस्थान और मध्यप्रदेश में हुई हैं। जाति आधारित अपराधों को कम करने के लिए हम सब को मिल कर आगे बढ़ना पड़ेगा।