हाल ही में लोकप्रिय सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर अंकुश बहुगुणा ने डिजिटल अरेस्ट की घटना के बारे में बताया जिसमें उन्हें 40 घंटे तक स्कैमर्स ने बंधक बनाकर रखा था। इंस्टाग्राम पर एक वीडियो में कंटेंट क्रिएटर ने विस्तार से बताया कि कैसे उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट’ में डाल दिया गया, दोस्तों और परिवार से अलग कर दिया गया और इस दौरान न सिर्फ उन्होंने पैसे का नुकसान झेल बल्कि उनकी मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हुई। भले ही डिजिटल अरेस्ट जैसा भारीभरकम शब्द आपने सुना हो या नहीं, आजके विज्ञान और प्रौद्योगिकी के ज़माने में स्कैमर्स के लिए यह शब्द नया नहीं है। 27 अक्टूबर 2024 को अपने ‘मन की बात’ के एक एपिसोड के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ या ‘डिजिटल अरेस्ट’ की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित कर इसके लिए आगाह किया था।
उन्होंने कहा कि डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी से सावधान रहें। कानून के तहत डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई व्यवस्था नहीं है। कोई भी सरकारी एजेंसी ऐसी जांच के लिए आपसे कभी भी फोन या वीडियो कॉल के ज़रिए संपर्क नहीं करेगी। इंडियन एक्स्प्रेस की एक रिपोर्ट अनुसार कानून प्रवर्तन अधिकारियों के रूप में साइबर अपराधियों द्वारा ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ की बढ़ती रिपोर्टों के बाद, केंद्र सरकार ने ऑनलाइन धमकी, ब्लैकमेल और जबरन वसूली के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले 1,000 से अधिक स्काइप आईडी को ब्लॉक करने के लिए माइक्रोसॉफ्ट के साथ सहयोग भी किया है। सरकार ने लोगों को किसी घटना के तुरंत बाद शिकायत दर्ज करने की सलाह दी है।
ऐसी न जाने कितनी ही घटनाएं हमारे आस-पास होती हैं और ये सोचने वाली बात है कि आखिर इनसे हम खुदको कैसे सुरक्षित रख सकते हैं और इसके लिए क्या कानून मौजूद हैं। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (14C), केंद्रीय गृह मंत्रालय के साइबर और सूचना सुरक्षा प्रभाग के अंतर्गत एक समर्पित शाखा है, जिसका काम बढ़ते साइबर अपराध मामलों से निपटना है। जनवरी से अप्रैल 2024 तक देखे गए रुझानों के अपने विश्लेषण में, 14C ने पाया कि इस तरह के घोटाले के कारण भारतीयों को 120.30 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
क्या होता है डिजिटल अरेस्ट
‘डिजिटल अरेस्ट’ घोटाले में स्कैमर वीडियो कॉल के माध्यम से कानून प्रवर्तन होने की ऐक्टिंग करते हैं, पैसे ऐंठने के लिए फर्जी गिरफ्तारी की धमकी देते हैं। अधिकांश मामलों में, ऑनलाइन धोखाधड़ी करने वाले और अपराधी आमतौर पर संभावित टारगेट व्यक्ति को कॉल करते हैं और उन्हें बताते हैं कि उन्होंने अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या किसी अन्य प्रतिबंधित वस्तु वाले पार्सल को भेजा है या वे ऐसे पैकेट/ पार्सल के प्राप्तकर्ता हैं। कुछ मामलों में, अपराधी टारगेट व्यक्ति के रिश्तेदारों या दोस्तों से संपर्क करते हैं और उन्हें बताते हैं कि वे किसी अपराध या दुर्घटना में शामिल पाए गए हैं और उनकी हिरासत में हैं।
हर साल, देश भर में दर्ज किए जाने वाले साइबर अपराधों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि जारी है। साइबर अपराध में पहचान की चोरी, ऑनलाइन धोखाधड़ी, वित्तीय धोखाधड़ी, हैकिंग, साइबरस्टॉकिंग और हानिकारक सॉफ़्टवेयर का वितरण सहित कई तरह की गतिविधियां शामिल हैं। डिजिटल अरेस्ट ऑनलाइन धोखाधड़ी का एक रूप है। साइबर अपराधी पुलिस स्टेशन या सरकारी दफ्तरों जैसे दिखने वाले स्टूडियो का उपयोग करते हैं। साथ ही कानून प्रवर्तन एजेंसियों (लॉ एन्फोर्स्मन्ट) जैसी वर्दी पहनते हैं।
कैसे और कब शुरू हुआ डिजिटल अरेस्ट घोटाले
इंडियन एक्स्प्रेस की रिपोर्ट अनुसार डिजिटल अरेस्ट घोटाले भारत में 2023 की शुरुआत में कूरियर घोटालों के एक प्रकार के रूप में शुरू हुए, जहां एक स्कैमर ‘फेडएक्स’ जैसी कूरियर सेवा के कर्मचारी के रूप में टारगेट व्यक्ति को बताता है कि उनके नाम से एक पैकेज हवाई अड्डे पर फंस गया है क्योंकि इसमें कुछ अवैध है। फिर वो उस व्यक्ति को फर्जी कस्टम या साइबर सेल अधिकारी से जोड़ते हैं। डिजिटल अरेस्ट में भी स्कैमर कुछ इसी तरह प्लैनिंग करते हैं और ऐसा ही तरीका अपनाते हैं। वे कानून प्रवर्तन एजेंसियों या भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) जैसे नियामक निकायों के अधिकारी बनकर टारगेट व्यक्ति को फोन या वीडियो कॉल करते हैं। कई बार, स्कैमर ने इस प्रक्रिया को न्यायाधीशों के रूप में भी किया है और अदालती सुनवाई का नाटक किया।
साइबर अपराध और भारत की स्थिति
देश में पिछले कुछ सालों में साइबर धोखाधड़ी एक चिंता का विषय रहा है, जिसमें लोग सालाना करोड़ों रुपये का वित्तीय नुकसान झेल रहे हैं। कुछ रिपोर्ट बताती है कि आईटी, स्वास्थ्य सेवा, विनिर्माण और वित्त जैसे क्षेत्र साइबर अपराध के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील हैं। वहीं, कुछ रिपोर्ट के अनुसार भारत में छोटे पैमाने के व्यवसाय साइबर अपराधियों के निशाने पर थे, क्योंकि 2024 में सभी भारतीय कंपनियों में से सिर्फ 41 प्रतिशत ही साइबर सुरक्षा तत्परता के प्रगतिशील और उससे ऊपर के चरणों में थीं। साल 2024 में भारतीयों ने विभिन्न प्रकार के साइबर धोखाधड़ी के शिकार होकर 19,888.42 करोड़ रुपये की ठगी की सूचना दी थी, जो 2023 में 921.59 करोड़ रुपये से अधिक है।
14C के अनुसार, अधिकारियों ने बीते साल राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर (1930) पर लगभग 14.41 लाख कॉल प्राप्त की थी। द हिन्दू की रिपोर्ट अनुसार भारत पर साइबर हमलों के 2033 तक प्रति वर्ष 1 ट्रिलियन तक बढ़ने का अनुमान है, जो 2047 तक 17 ट्रिलियन तक पहुंच जाएगा, जब देश 100 साल का हो जाएगा। यह रिपोर्ट गैर-लाभकारी संगठन PRAHAR (पब्लिक रिस्पांस अगेंस्ट हेल्पलेसनेस एंड एक्शन फॉर रिड्रेसल) के किए गए एक अध्ययन में कहा गया है। द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट अनुसार दुनिया भर के साइबर अपराध विशेषज्ञों के बीच किए गए एक नए सर्वेक्षण बताती है कि साइबर अपराध के मामले में भारत 10वें स्थान पर है, जहां अड्वान्स पेमेंट के नाम पर धोखाधड़ी सबसे आम प्रकार है।
14C के अनुसार, जनवरी से अप्रैल 2024 तक, भारत को साइबर घोटालों के कारण महत्वपूर्ण वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा। इसमें 62,587 निवेश घोटालों से लगभग 16.96 मिलियन अमेरिकी डॉलर, 20,043 ट्रेडिंग घोटालों से 2.65 मिलियन अमेरिकी डॉलर, 4,600 डिजिटल गिरफ्तारी घोटालों से 1.43 मिलियन अमेरिकी डॉलर और 1,725 डेटिंग घोटालों से 0.16 मिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान शामिल है। वहीं साल 2023 में, राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल पर 1 लाख से अधिक निवेश घोटाले और 10 हजार संबंधित एफआईआर दर्ज की गईं, जिससे देश में बढ़ते साइबर अपराध का अंदाजा लगाया जा सकता है।
साइबर अपराध से कैसे बचें
साइबर अपराध धोखाधरी वर्क फर्म होम घोटाला, आपातकालीन कॉल घोटाला, शेयर बाजार निवेश घोटाला, केवाईसी घोटाला, अवैध पार्सल घोटाला के रूप में हो सकता है। अगर आपको कोई कॉल आती है जिसमें दावा किया जाता है कि आप डिजिटल अरेस्ट हैं, तो तुरंत लॉ एन्फोर्स्मन्ट को नंबर की रिपोर्ट करें। सर्च इंजन के बजाय आधिकारिक वेबसाइट से संदिग्ध कॉल और क्रेडेंशियल की जांच करें, क्योंकि स्कैमर्स अक्सर ऑनलाइन फ़र्जी नंबर अपलोड करते हैं। याद रखें कि सरकार या अन्य अधिकारी आपसे ऑनलाइन पैसों की या अन्य दस्तावेजों की मांग नहीं करेगी। अगर आपको लगता है कि आप इस तरह के घोटाले का शिकार हो गए हैं, तो ट्रांसफ़र को रोकने के लिए 15-20 मिनट के भीतर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें। साथ ही, अपने स्थानीय साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज करना भी जरूरी है। आप www.cybercrime.gov.in पर जा कर भी मदद ले सकते हैं।
भारत सरकार ने पिछले कुछ समय में आईटी अधिनियम की धारा 69ए के तहत लगभग 325,000 म्यूल अकाउंट, 3,000 यूआरएल और 595 एप्लीकेशन को ब्लॉक किया है। इसके अलावा, आईटी अधिनियम की धारा 79(3)(बी) के तहत 530,000 सिम कार्ड और 80,848 IMEI नंबर रद्द किए गए हैं। ओआरएफ की एक रिपोर्ट अनुसार भारतीय अधिकारियों ने अवैध भर्ती गतिविधियों से संबंधित कई गिरफ्तारियां की हैं। मई में, विशाखापत्तनम साइबर अपराध पुलिस ने व्यक्तियों को साइबर अपराध केंद्रों में भेजने में शामिल तीन एजेंटों को गिरफ्तार किया गया था। वहीं ओडिशा में भी इसी तरह की गिरफ्तारियां हुई थी। गुजरात, हरियाणा और चंडीगढ़ से पांच और गिरफ़्तारियां की गई थी। लेकिन, साइबर अपराध की बढ़ती घटनाएं और उससे निपटना एक जटिल चुनौती है। यह सिर्फ कानून और तकनीकी विशेषज्ञता से ही संभव नहीं है, बल्कि जनता की जागरूकता और भागीदारी भी महत्वपूर्ण है। साइबर सुरक्षा को एक प्राथमिकता के रूप में अपनाने से ही एक सुरक्षित डिजिटल भविष्य संभव हो पाएगी।