नारीवाद मेरा फेमिनिस्ट जॉय: गरीबी और संघर्ष से विश्वविद्यालय तक का मेरा सफर

मेरा फेमिनिस्ट जॉय: गरीबी और संघर्ष से विश्वविद्यालय तक का मेरा सफर

जब मुझे यह एहसास हुआ कि मेरा दाखिला एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में हो गया है, तो वह पल मेरे जीवन का सबसे खास और यादगार था। मैं अपने परिवार और समुदाय की पहली लड़की बनी, जिसने इस तरह का सपना पूरा किया। यह केवल मेरी जीत नहीं थी, बल्कि पूरे समुदाय के लिए प्रेरणा का क्षण था।

मेरा बचपन गरीबी, भूख, लैंगिक भेदभाव और जातिगत अन्याय के साये में गुजरा। ये सब मेरी जिंदगी के हिस्से नहीं, बल्कि हर दिन की हकीकत थे। हमारे घर और समुदाय में बच्चों की शिक्षा एक सपना था, जो हकीकत से बहुत दूर लगता था। हमारे परिवार के लिए पेट भर खाना जुटाना ही बड़ी चुनौती थी। कभी घर में खाना बनता, तो कभी नहीं। ऐसे दिनों में माँ आंगनवाड़ी से लाए सत्तू का घोल बनाकर हमें पिलाती थीं, जिससे हमारी भूख कुछ समय के लिए शांत हो जाती।

मैं रोज़ भगवान से प्रार्थना करती कि पापा को काम मिल जाए, ताकि रात का खाना मिल सके। मेरा भाई पास के सरकारी स्कूल में पढ़ता था, और मैं घर के पास की बालवाड़ी जाती थी। वहां एक दीदी हमें पढ़ाती थीं। हर दिन, मैं एक वैन को बस्ती में आते देखती, जिसमें बड़े बच्चे बैठकर स्कूल जाते थे। बाद में मुझे पता चला कि यह स्कूल एक संस्था द्वारा चलाया जाता है।

कुछ समय बाद, माँ ने मेरा भी दाखिला उसी सरकारी स्कूल में करा दिया, जहां मेरा भाई पढ़ता था। लेकिन घर की हालत ऐसी थी कि हम दोनों बिना खाना खाए या टिफिन के स्कूल जाते थे। मैं पूरे दिन स्कूल के मिड-डे मील का इंतजार करती थी।

शिक्षा की शुरुआत और स्कूल छोड़ने की मजबूरी

कुछ समय बाद, माँ ने मेरा भी दाखिला उसी सरकारी स्कूल में करा दिया, जहां मेरा भाई पढ़ता था। लेकिन घर की हालत ऐसी थी कि हम दोनों बिना खाना खाए या टिफिन के स्कूल जाते थे। मैं पूरे दिन स्कूल के मिड-डे मील का इंतजार करती थी। बिना नहाए स्कूल जाने पर ताने और मार पड़ती थी। आखिरकार, मैंने वह स्कूल छोड़ दिया और मुस्कान संस्था के स्कूल में पढ़ाई शुरू की।

फेमिनिज़म इन इंडिया के लिए रितिका बैनर्जी

यहीं से मेरी जिंदगी बदलनी शुरू हुई। मैंने वहां पढ़ना, लिखना और सपने देखना सीखा। मेरा बचपन से सपना था कि मैं बड़े स्कूल या विश्वविद्यालय में पढ़ाई करूँ। मुझे लगता था कि वहां पढ़ने वाले बच्चों को समाज में ज्यादा सम्मान मिलता है। यही सम्मान पाने की ललक ने मुझे हर मुश्किल से लड़ने की ताकत दी।

जब मुझे यह एहसास हुआ कि मेरा दाखिला एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में हो गया है, तो वह पल मेरे जीवन का सबसे खास और यादगार था। मैं अपने परिवार और समुदाय की पहली लड़की बनी, जिसने इस तरह का सपना पूरा किया।

सपनों की ओर कदम और कठिनाइयां

संस्था की मदद से मैंने 10वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी की। अपने सपनों को सच करने के लिए मैंने मेहनत और संघर्ष का दामन थामा। आखिरकार मैंने अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय का प्रवेश परीक्षा और इंटरव्यू पास कर लिया। इस सफर में संस्था के सहयोग और मेरी दीदी के समर्थन ने मुझे हौंसला दिया।

फेमिनिज़म इन इंडिया के लिए रितिका बैनर्जी

जब मुझे यह एहसास हुआ कि मेरा दाखिला एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में हो गया है, तो वह पल मेरे जीवन का सबसे खास और यादगार था। मैं अपने परिवार और समुदाय की पहली लड़की बनी, जिसने इस तरह का सपना पूरा किया। यह केवल मेरी जीत नहीं थी, बल्कि पूरे समुदाय के लिए प्रेरणा का क्षण था।

विश्वविद्यालय में कदम रखते ही, मुझे नई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। अलग भाषा, नया परिवेश और अनजान दुनिया में खुद को ढालना आसान नहीं था। कई बार निराशा हुई, लेकिन मैंने खुद से कहा, “तूने अब तक इतनी मुश्किलों का सामना किया है, तो यह सब भी पार कर लेगी।”

नई चुनौतियाँ और आत्मविश्वास

विश्वविद्यालय में कदम रखते ही, मुझे नई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। अलग भाषा, नया परिवेश और अनजान दुनिया में खुद को ढालना आसान नहीं था। कई बार निराशा हुई, लेकिन मैंने खुद से कहा, “तूने अब तक इतनी मुश्किलों का सामना किया है, तो यह सब भी पार कर लेगी।” यही सोचकर मैंने खुद को प्रेरित किया और आगे बढ़ती रही। इस सफर ने मुझे सिखाया कि कोई भी मुश्किल, चाहे वह कितनी भी बड़ी क्यों न हो, आत्मविश्वास और मेहनत से पार की जा सकती है। बचपन के जो सपने कभी दूर लगते थे, वे अब मेरी हकीकत हैं।

शिक्षा ने मेरी जिंदगी बदल दी और मेरे परिवार और समाज को यह संदेश दिया कि हालात चाहे जैसे भी हों, मेहनत से सब बदला जा सकता है। मेरा विश्वविद्यालय में प्रवेश केवल मेरी सफलता नहीं, बल्कि उन लड़कियों और समुदायों के लिए प्रेरणा है, जो सोचते हैं कि उनकी मुश्किलें उन्हें आगे नहीं बढ़ने देंगी। हर कठिनाई ने मुझे मजबूत बनाया और अब मैं उन सभी के लिए एक उदाहरण हूँ, जो संघर्ष के बावजूद सफलता की ओर बढ़ना चाहते हैं।

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