समाजखेल मान कौरः 101 साल की उम्र में वर्ल्ड मास्टर्स गेम्स में मेडल जीतने वाली भारतीय एथलीट| #IndianWomenInHistory

मान कौरः 101 साल की उम्र में वर्ल्ड मास्टर्स गेम्स में मेडल जीतने वाली भारतीय एथलीट| #IndianWomenInHistory

साल 2017 के इन विश्व मास्टर्स खेलों के बाद मान कौर की भारत और विदेशों में भी अपनी उम्र और प्रतिभा को लेकर चर्चा में रहने लगी। वर्ष 2019 में पोलैंड में विश्व मास्टर्स एथलेटिक्स (WMA) चैंपियनशिप में ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धा में चार गोल्ड मेडल अपने नाम कर विश्व रिकॉर्ड बनाया।

मान कौर प्रसिद्ध भारतीय महिला धाविका थीं जो ट्रैक एंड फील्ड की एथलीट थीं। मान कौर का जन्म ब्रिटिश राज के समय में 1 मार्च 1916 को हुआ। इनका पूरा नाम सरदारनी मान कौर हैं। उन्होंने 93 वर्ष की उम्र में दौड़ना शुरू किया। वह युवाओं की तरह तेज़ दौड़ने वाली स्प्रिंटर थीं। उनकी इस प्रतिभा से चकित होकर न्यूज़ीलैंड की मीडिया ने उन्हें ‘चंडीगढ़ की करिश्मा’ के रूप में बुलाया तो वहीं भारतियों ने ‘चंडीगढ़ की चमत्कारी माँ’ के रूप में बुलाना शुरू किया। उन्हें एथलीट बनने की प्रेरणा उनके बड़े बेटे गुरुदेव सिंह से मिली जो कि 79 वर्ष के थे। वही उनके कोच थे। गुरुदेव सिंह दौड़ प्रतियोगिताओं में भाग लेते थे जिसे देख मान कौर की भी दौड़ने की इच्छा जाहिर की।

बेटे के साथ बनाया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड

पटियाला प्रतियोगिता में गुरुदेव सिंह को भाग लेता देख मान कौर अपने भीतर एथलीट बनने का उत्साह भरने लगी। इसी उत्साह को देख कर उनके बेटे ने भरपूर साथ दिया। साल 2017 में 101 साल की उम्र में न्यूज़ीलैंड के ऑकलैंड में स्काई टावर पर ‘स्काई वाक’ कर नया विश्व रिकॉर्ड बनाया था। यह स्काई टावर शहर से 192 मीटर की ऊंचाई पर था। इस रिकॉर्ड को तोड़ने में उनके बेटे गुरुदेव सिंह की मुख्य भूमिका थी चूंकि उन्होंने मान कौर का हाथ पकड़ पर यह स्काई वाक कराई थी जिसकी वजह से ‘गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में उनके साथ-साथ उनके बेटे गुरुदेव सिंह का भी नाम दर्ज है। इसी साल उन्होंने ऑकलैंड में ही 100 मीटर स्प्रिंट में स्वर्ण पदक जीत सुर्ख़ियों में आई। उन्होंने यह रेस मात्र एक मिनट 14 सेकंड में पूरी कर ली थी। यह रिकॉर्ड ख़ास इसलिए भी था क्योंकि इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाली उनकी उम्र की वह अकेली प्रतिभागी थीं।

साल 2017 में पहली बार धाविका के रूप में 91 वर्ष की अवस्था में चंडीगढ़ मास्टर्स एथलेटिक्स मीट में जीत हासिल कर पदक अपने नाम किया। यह सब मान कौर के लिए आसान नहीं था। उनके बड़े बेटे गुरुदेव सिंह इस यात्रा में उनके सबसे बड़े प्रेरक और सहायक साबित हुए।

साल 2017 के इन विश्व मास्टर्स खेलों के बाद मान कौर की भारत और विदेशों में भी अपनी उम्र और प्रतिभा को लेकर चर्चा में रहने लगी। वर्ष 2019 में पोलैंड में विश्व मास्टर्स एथलेटिक्स (WMA) चैंपियनशिप में ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धा में चार गोल्ड मेडल अपने नाम कर विश्व रिकॉर्ड बनाया। मान कौर ने न केवल रेस चैंपियनशिप में रिकॉर्ड बनाया बल्कि गोला फेंक, जेवलिन थ्रो जैसे खेलों में मेधावी प्रतियोगी के रूप में अपना नाम दर्ज कराया और कई पदक भी जीत कर लाई। वर्ष 2013 में कनाडा में आयोजित मास्टर्स चैंपियनशिप में 100 मीटर रेस में स्वर्ण पदक जीती ही थीं, साथ ही साथ गोला फेंकने और जेवलिन थ्रो दोनों में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। कनाडा के इस प्रतियोगिता में कुल पांच गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। 2013 में ही हंट्समैन वर्ल्ड सीनियर गेम्स में पांच और गोल्ड मेडल की हक़दार बनी। इसी साल अमेरिका में आयोजित हुए वर्ल्ड सिरीज में 100 मीटर की रेस और जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीती। जिस उम्र के पड़ाव पर आकर मान कौर लगातार स्वर्ण पदक अपने नाम कर रही थीं निसंदेह ये रिकॉर्ड चौकाने वाले है। साल 2013 के इन सब रिकॉर्ड से पहले ताइवान में वर्ष 2012 में हुई एशियन मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप के 100 मीटर रेस में गोल्ड हासिल किया।

तस्वीर साभारः The Hindu

एथलीट ऑफ द ईयर का ख़िताब किया अपने नाम

मान कौर ने अपने ज़ज्बे को बरकरार रखा और बड़ी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर और सफल प्रदर्शन करते हुए दुनिया में नाम कमाना शुरू किया। साल 2011 का समय मान कौर के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ जब अमेरिका में खेलते हुए उन्होंने वर्ल्ड मास्टर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 100 मीटर और 200 मीटर की रेस में दो स्वर्ण पदक अपने नाम किए। उनका यह हौसला वाक़ई बुलंद साबित हुआ और 2011 की ‘एथलीट ऑफ़ द ईयर’ का ख़िताब अपने नाम किया। वह पहली भारतीय वेटरन खिलाड़ी थीं जिन्होंने यह ख़िताब अपने नाम किया।

साल 2016 में 100 वर्ष के वर्ग में अमेरिका मास्टर गेम्स में चार स्वर्ण पदक अपने नाम किए। मान कौर के लिए उम्र बस एक नंबर बन कर रह गया था। उन्होंने कभी भी उनके फुर्तिलेपन में कमी नहीं आने दी वह हमेशा खिलाड़ी जज्बे को भीतर बनाकर रखे रखीं।। उन्हें रिकॉर्ड बनाने और तोड़ने दोनों में सफलता हासिल थी। वर्ष 2017 का समय था जब भारत में आयोजित हुए मास्टर गेम्स में 100 मीटर रेस और जैवेलिन थ्रो में जीत हासिल कर पुराने रिकॉर्ड को तोड़ा और नया रिकॉर्ड दर्ज किया। उम्र के इस पड़ाव पर उनके हौसले और ज़ज्बे को देख कर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ के उद्घाटन के समय अतिथि के रूप में बुलाया था।

तस्वीर साभारः Your Story

सफलता जो समंदर की सतह पर किसी तरल वस्तु की भांति आसानी से दिखाई दी जाती है असल में उतनी सरल नहीं होती है, उसके पीछे कई परत की कई सतह होती है। मान कौर जिस उम्र में आकर अपने आपको निखार रही थीं वह इस बात का सबूत है कि किसी भी व्यक्ति का सफल होना उसके स्त्री या पुरुष होने पर निर्भर नहीं करता है। इस मामले में उन्होंने उम्र को भी पीछे छोड़ दिया था। साल 2017 में पहली बार धाविका के रूप में 91 वर्ष की अवस्था में चंडीगढ़ मास्टर्स एथलेटिक्स मीट में जीत हासिल कर पदक अपने नाम किया। यह सब मान कौर के लिए आसान नहीं था। उनके बड़े बेटे गुरुदेव सिंह इस यात्रा में उनके सबसे बड़े प्रेरक और सहायक साबित हुए। गुरदेव सिंह के अलावा उनकी एक बेटी अमृता सिंह और एक बेटा भी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच पाने में उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी फिर भी मान कौर ने ग़रीबी को रुकावट नहीं माना और खेलने का जोश बरकरार रखा। बाद में उन्हें पंजाब सरकार की ओर से पांच लाख रूपए का चेक डीसी पटियाला के मध्याम से मिला था। मास्टर्स एथलेटिक्स एसोसिएशन ने भी उनकी आर्थिक मदद की थी। 

साल 2011 का समय मान कौर के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ जब अमेरिका में खेलते हुए उन्होंने वर्ल्ड मास्टर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 100 मीटर और 200 मीटर की रेस में दो स्वर्ण पदक अपने नाम किए। उनका यह हौसला वाक़ई बुलंद साबित हुआ और 2011 की ‘एथलीट ऑफ़ द ईयर’ का ख़िताब अपने नाम किया।

मान कौर की प्रतिभा उम्र के आखिरी पड़ाव में देख कर उनके फुर्तीले अंदाज़ और उर्जा से प्रसन्न होकर भारत सरकार के द्वारा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने साल 2019 में 103 साल की अवस्था में उन्हें ‘नारी शक्ति पुरुस्कार’ से सम्मानित किया। मान कौर के जीवन का आख़िरी क्षण बीमारी से जूझते गुजरा। जुलाई 2021 में उनका इलाज पंजाब मोहाली के डेराबस्सी में शुद्दी आयुर्वेदिक अस्पताल में चल रहा था। उन्हें पेट दर्द की शिकायत महसूस होने लगी थी, जिसके बाद जांच कराने पर पता चला उन्हें गॉलब्लेडर में कैंसर है। हालांकि उचित उपचार की पूरी कोशिश की गयी थी लेकिन उम्र की वजह से मात खा गई। उन्हें पीजीआई ले जाया गया और वहां उम्र अधिक होने के नाते परिजनों ने कीमोथेरेपी कराने से मना कर दिया। मध्यप्रदेश की आयुर्वेदिक अस्पताल में भी उनका इलाज जारी रहा लेकिन वहां भी कोई सुधार नज़र नहीं आया। 31 जुलाई 2021 को मान कौर ने मोहाली में अपनी अंतिम सांस ली और हमेशा की लिए संसार से अलविदा कह दिया।


सोर्स-

  1. Ndtv.in
  2. BBC
  3. bharatdiscovery.org
  4. Wikipedia

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