प्लूटो का नाम आपने सुना ही होगा। वही छोटा-सा सौर-मण्डल का सबसे आख़िरी ग्रह। हम सबने अपनी विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में इसके बारे में पढ़ा है। कुछ दिनों पहले मैं इसपर एक लेख को पढ़ और अनुवाद कर रही थी। लेख प्लूटो ग्रह की खोज में शामिल खगोलशास्त्रियों और अब इसे ग्रह न माने जाने के पीछे की वजहों के बारे में था। एलिज़ाबेथ लैंगडन विलियम्स एक अमेरिकी अट्रॉनोमर यानी खगोलशास्त्री थीं, जो नेपच्यून के पार स्थित प्लूटो ग्रह की खोज में अपनी महत्वपूर्ण गणनाओं के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने अपनी गणनाओं के माध्यम से प्लूटो की स्थिति निर्धारित करने में क्लाइड टॉम्बॉ की मदद की। लेकिन, उनकी मेहनत और प्रतिभा के बावजूद, इतिहास में उनका नाम लगभग अनसुना रह गया। हालांकि एलिज़ाबेथ लैंगडन विलियम्स का योगदान प्लूटो की खोज में बेहद अहम था, लेकिन उनके काम का श्रेय बहुत हद तक पर्सीवल लोवेल और क्लाइड टॉम्बॉ को ही दिया गया।
यह वैज्ञानिक इतिहास में महिलाओं की उपेक्षा का एक और उदाहरण है। उनकी प्रतिभा और योगदान लंबे समय तक इतिहास के पन्नों में दबे रहे। थोड़ी बहुत जानकारी हमें लोवेल ऑबज़र्वेटरी की वेबसाइट से मिली। सोचिए जिस ऑबज़र्वेटरी में वे काम करती थीं, जिस जगह को उन्होंने अपनी ज़िन्दगी के कई साल दिए उस जगह की वेबसाइट पर भी उनके बारे में ज़्यादा जानकारी मौजूद नहीं। कहा जाता है कि उन्होंने अपनी ज़िन्दगी के लगभग सोलह से सत्रह साल लोवेल ऑबज़र्वेटरी को दिए। बाद में 1922 में लोवेल की पत्नी ने उन्हें काम से निकाल दिया था क्योंकि विलियम्स ने शादी कर ली थी और लोवेल की पत्नी को लगता था कि शादीशुदा महिला को काम पर रखना सही नहीं है। यही नहीं इंटरनेट पर उनकी केवल एक ही तस्वीर मिलती है।
एलिज़ाबेथ लैंगडन विलियम्स एक अमेरिकी अट्रॉनोमर यानी खगोलशास्त्री थीं, जो नेपच्यून के पार स्थित प्लूटो ग्रह की खोज में अपनी महत्वपूर्ण गणनाओं के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने अपनी गणनाओं के माध्यम से प्लूटो की स्थिति निर्धारित करने में क्लाइड टॉम्बॉ की मदद की।
कौन थीं एलिज़ाबेथ लैंगडन विलियम्स?
एलिज़ाबेथ लैंगडन विलियम्स का जन्म 8 फरवरी, 1879 को पटनम, कनेक्टिकट में हुआ था। वह अमरीकी मानव कम्प्यूटर और गणितज्ञ थीं और मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान से पढ़ाई करनेवाली पहली महिलाओं में से एक थीं। उनके योगदान के बिना शायद प्लूटो ग्रह की खोज संभव नहीं होती। विलियम्स को सबसे पहले पर्सीवल लोवेल ने 1905 में अपने बोस्टन स्थित कार्यालय से काम करने के लिए काम पर रखा। शुरू में वे लोवेल की लिखी हुई सामग्रियों के सम्पादन का काम करती थीं। लेकिन बाद में उन्होंने लोवेल से अनुरोध किया कि वे X ग्रह (जिसका नाम बाद में प्लूटो रखा गया, प्लूटो को यह नाम 11 साल की एक अँग्रेज़ी बच्ची वेनेशिया बर्नी ने दिया था) की अपनी खोज में मदद के लिए उन्हें मानव कम्प्यूटर का काम दे दें और लोवेल ने उनका यह आग्रह स्वीकार कर लिया। वे X ग्रह की खोज में मदद के लिए गणनाएं करने लगीं, ताकि आसमान की उन जगहों का पता लगाया जा सके, जहां X ग्रह यानी प्लूटो के मिलने की गुंजाइश थी।

बात यह थी कि उस समय आज की तरह कम्प्यूटर नहीं हुआ करते थे इसलिए कम्प्यूटर की तरह गणनाएं करने का काम इंसान ही करते थे। गणित की गणनाओं के लिए लोवेल ने मानव कम्प्यूटरों को काम पर रखा था। इन मानव कम्प्यूटरों की टीम में आधी महिलाएं थीं और एलिज़ाबेथ उन सभी की लीडर थीं। मानव कम्प्यूटरों में काफी महिलाएं थीं। लेकिन, इस काम के लिए काफ़ी कम वेतन मिलता था। दूसरा यह बहुत बोरिंग-सा काम था और आमतौर पर लोग इसे करना पसंद नहीं करते थे। यह ज़रूर है कि गणित को महिलाओं का विषय नहीं माना जाता और सोचिए आज से कितने सालों पहले कितनी सारी महिलाएं गणित की गणनाएं कर रही थीं।
वह अमरीकी मानव कम्प्यूटर और गणितज्ञ थीं और मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान से पढ़ाई करनेवाली पहली महिलाओं में से एक थीं। उनके योगदान के बिना शायद प्लूटो ग्रह की खोज संभव नहीं होती।
अब बात अगर प्लूटो की खोज की कहानी की करें और उसमें विलियम्स के योगदान को पहचाने जाने की करें तो हमें क्लाइड टॉमबॉ और पर्सीवल लोवेल के बारे में तो इंटरनेट पर बहुत कुछ मिल जाएगा, लेकिन विलियम्स के बारे में उतना नहीं मिलता। यही नहीं मानव कम्प्यूटर का काम कर रही वे महिलाएं, जो हर रोज़ गणित के कठिन हिसाब-किताब लगाने का काम करती थीं, वे कौन थीं, कुछ पता नहीं। ये मानव कम्प्यूटर घण्टों काम करते थे। आज के समय में जब ये काम चुटकियों में हो जाते हैं, हमें यह समझना चाहिए कि पहले के समय में खगोलशास्त्री कैसे काम करते थे और उनका और एलिज़ाबेथ लैंगडन विलियम्स और उनकी टीम की उन महिलाओं का शुक्रगुज़ार होना चाहिए, जो गणित की गणनाएँ करती थीं।
बाद में लोवेल के गुज़रने के बाद भी विलियम्स अपनी गणनाएं करती रहीं और उनके कार्यालय की देखभाल भी करती रहीं। एक दूसरे खगोलशास्त्री क्लाइड टॉमबॉ ने X ग्रह को खोजने का ज़िम्मा संभाला और विलियम्स की गणनाओं की मदद से वे 1930 में X ग्रह को खोजने में कामयाब हुए। लेकिन अफ़सोस कि जब यह खोज हुई तो विलियम्स वहां नहीं थीं क्योंकि लोवेल की पत्नी उन्हें उनके शादीशुदा होने की वजह से काम से निकाल चुकी थीं। इस प्रकार एलिज़ाबेथ लैंगडन विलियम्स की गणनाओं से लोवेल और टॉमबॉ दोनों को मदद मिली।
बाद में लोवेल के गुज़रने के बाद भी विलियम्स अपनी गणनाएं करती रहीं और उनके कार्यालय की देखभाल भी करती रहीं। एक दूसरे खगोलशास्त्री क्लाइड टॉमबॉ ने X ग्रह को खोजने का ज़िम्मा संभाला और विलियम्स की गणनाओं की मदद से वे 1930 में X ग्रह को खोजने में कामयाब हुए।
लीक से हटकर चलीं विलियम्स
विलियम्स ने जिस समय गणित और खगोलशास्त्र जैसे क्षेत्र में कदम रखा उस समय तो इन क्षेत्रों में महिलाओं की संख्या और भी कम थी। यहां तक कि आज भी इन क्षेत्रों में पुरुषों का वर्चस्व है। वैज्ञानिक, खगोलशास्त्री इस जैसे शब्द सुनते ही आमतौर पर लोगों के मन में जो सबसे पहली छवि बनती है, वह एक पुरुष की बनती है। ऐसे में विलियम्स हमारे लिए एक मिसाल की तरह हैं कि आज से कई साल पहले भी महिलाएं ऐसे विषयों और क्षेत्रों में रुचि लेती थीं, जो लीक से हटकर थे। हम उनमें से कइयों के नाम से इसलिए नहीं वाक़िफ़ हैं क्योंकि इतिहास में उनके योगदान को उस तरह से जगह नहीं दी गई, जैसी दी जानी चाहिए थी।
बहुमुखी प्रतिभा की धनी थीं विलियम्स
विलियम्स में कुछ असाधारण क्षमताएं थीं। वे अपने दोनों हाथों से एक साथ लिख लेती थीं और दोनों हाथों से अलग-अलग ढंग से लिखती थीं। यानी दाएं हाथ से कर्सिव ढंग से और बाएं हाथ से छपाई वाले अन्दाज़ में। वे ऑबज़र्वेटरी की रोज़मर्रा की देख-रेख भी बहुत सब्र और मन से करती थीं। उनमें अपने काम को लेकर एक क़िस्म का जुनून था। कहा जाता है कि लोवेल ऑबज़र्वेटरी के बाद उन्होंने और उनके पति ने हार्वर्ड ऑबज़र्वेटरी में काम किया। साल 1935 में वे विधवा हो गईं और न्यू हैम्पशायर चली गईं और वहां गरीबी में जीवन व्यतीत करते हुए उनकी मृत्यु हो गई। इतनी प्रतिभाशाली स्त्री को अपने जीवन में गरीबी का सामना करना पड़ा इसके लिए हम विलियम्स के कर्ज़दार रहेंगे।
विलियम्स में कुछ असाधारण क्षमताएं थीं। वे अपने दोनों हाथों से एक साथ लिख लेती थीं और दोनों हाथों से अलग-अलग ढंग से लिखती थीं। यानी दाएं हाथ से कर्सिव ढंग से और बाएं हाथ से छपाई वाले अन्दाज़ में।
एलिज़ाबेथ लैंगडन विलियम्स ने यह साबित कर दिया कि विज्ञान और गणित के क्षेत्र में महिलाएँ भी उतनी ही सक्षम हैं जितने पुरुष। उनका जीवन हमें याद दिलाता है कि विज्ञान के इतिहास में कई महिलाओं का योगदान छुपा हुआ है, जिसे पहचानने और स्वीकार करने की आवश्यकता है। आज के दौर में, जब विज्ञान और तकनीक में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने की बात हो रही है, एलिज़ाबेथ लैंगडन विलियम्स जैसी वैज्ञानिकों की कहानियां हमें प्रेरित करती हैं। उनकी उपलब्धियों को उजागर करना न केवल इतिहास को न्याय दिलाने का एक प्रयास है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों की महिला वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने का भी एक माध्यम है।
Source: https://www.space.com/human-computer-elizabeth-williams-pluto-discovery.html
https://lowell.edu/wp-content/uploads/2021/06/Lowell-Observer-Issue-106-Spring-2016-Web.pdf
https://ui.adsabs.harvard.edu/abs/2020AAS…23518104C/abstract