डब्बा कार्टेल हाल ही में 28 फरवरी को नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई एक थ्रिलर क्राइम ड्रामा सीरीज़ है, जिसे हितेश भाटिया द्वारा निर्देशित किया गया है। यह सीरीज़ अपनी जबरदस्त थ्रिलर और ड्रामा स्टोरीलाइन की वजह से खूब चर्चा में है। इसकी कहानी भावना खारे और विष्णु मेनन ने लिखी है। इस सीरीज़ की सबसे खास बात यह है कि इसमें शबाना आज़मी जैसी बेहतरीन और प्रतिष्ठित कलाकार लीड रोल में हैं। उनके अलावा अन्य महिला कलाकारों ने भी इस क्राइम ड्रामा को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया है।
सीरीज़ का मुख्य उद्देश्य ड्रग्स के काले व्यापार, क्राइम में पांच मिडिल क्लास महिलाओं की सक्रिय भागीदारी और एक फार्मा कंपनी विवा लाइफ़ की दवाओं की आड़ में अवैध दवा मोडेला मेडिसिन (जो एक तरह का ड्रग है) बनाने की असलियत, भ्रष्टाचार आदि को उजागर करना है। इस सीरीज़ की कहानी मुख्य रूप से पांच मिडिल क्लास महिलाओं – राजी (शालिनी पाण्डेय), माला (निमिषा सजयन), वरुणा (ज्योतिका), सहिदा (अंजली आनंद) और शीला (शबाना आज़मी) के इर्द-गिर्द घूमती है।
सीरीज़ का मुख्य उद्देश्य ड्रग्स के काले व्यापार, क्राइम में पांच मिडिल क्लास महिलाओं की सक्रिय भागीदारी और एक फार्मा कंपनी विवा लाइफ़ की दवाओं की आड़ में अवैध दवा मोडेला मेडिसिन (जो एक तरह का ड्रग है) बनाने की असलियत, भ्रष्टाचार आदि को उजागर करना है।
एक टिफिन सर्विस से ड्रग कार्टेल तक का सफर
कहानी में मुख्य रूप से थाणे की विवा लाइफ़ सोसाइटी के एक घर की किचन से शुरू हुई होम टिफिन सर्विस को दिखाया गया है, जिसे राजी और माला मिलकर चलाती हैं। यह छोटी-सी टिफिन सर्विस धीरे-धीरे एक बड़े ड्रग कार्टेल में बदल जाती है, जो थाणे से लेकर मुंबई तक फैलता है। इस पूरे क्राइम सिंडिकेट को खड़ा करने में इन पांच महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सीरीज़ यह दिखाने की कोशिश करती है कि अलग-अलग सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि से आने वाली ये महिलाएं कैसे अपनी कुछ मजबूरियों और सपनों के कारण खाने के डब्बे के बिजनेस के ज़रिए ड्रग्स के धंधे में उतर जाती हैं।

फार्मा कंपनी विवा लाइफ और इन पांच महिलाओं के टिफिन सर्विस से ड्रग सप्लाई को मोडेला मेडिसिन (एक अवैध ड्रग) जोड़ता है। सीरीज़ में दो अलग-अलग कहानियों को मोडेला मेडिसिन से इंटरकनेक्ट किया गया है। कहानी में कई किरदार मौजूद हैं, लेकिन निर्देशक ने सभी किरदारों को बेहद सरल तरीके से पर्दे पर उतारा है, जिससे कोई भी किरदार कहानी में खोता नहीं है।
मोडेला मेडिसिन और क्राइम की शुरुआत

सीरीज़ की शुरुआत पंजाब में एक कार दुर्घटना में एक महिला की मौत से होती है। इस दुर्घटना की जांच में यह सामने आता है कि महिला की मौत मोडेला मेडिसिन (एक अवैध ड्रग) के सेवन के कारण हुई थी। इसी के बाद एफडीएससीओ (फूड एंड ड्रग्स सेफ्टी कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन) का ड्रग सेफ्टी ऑफिसर अजीत पाठक जिसकी भूमिका गजराज राव ने निभाई है, पुलिस अधिकारी प्रीति जिसे साई ताम्हणकर ने निभाई है, के साथ विवा लाइफ फार्मा कंपनी की जांच के लिए आता है। वहीं, दूसरी तरफ विवा लाइफ सोसाइटी में रहने वाली राजी और उसकी हाउस हेल्पर माला एक होम टिफिन डिलीवरी सर्विस चलाती हैं। ये मिडिल क्लास महिलाएं अपनी जिम्मेदारियों और सपनों को पूरा करने के लिए यह काम शुरू करती हैं।
सीरीज़ की शुरुआत पंजाब में एक कार दुर्घटना में एक महिला की मौत से होती है। इस दुर्घटना की जांच में यह सामने आता है कि महिला की मौत मोडेला मेडिसिन (एक अवैध ड्रग) के सेवन के कारण हुई थी।
ब्लैकमेलिंग और ड्रग सप्लाई में फंसने की कहानी
राजी और माला की टिफिन सर्विस में ड्रग्स की एंट्री तब होती है, जब माला का बॉयफ्रेंड संतोष जिसकी भूमिका प्रतीक पचौरी ने निभाई है, माला का निजी वीडियो बनाकर उसे ब्लैकमेल करना शुरू करता है। वह राजी और माला को टिफिन के डब्बों में पहले गांजा, फिर एमडीएमए (MDMA, एक प्रचलित ड्रग) सप्लाई करने को मजबूर कर देता है। यहीं से इन पांचों महिलाओं का ड्रग कार्टेल बनना शुरू होता है। राजी और माला के साथ सहिदा, शीला और वरुणा भी अलग-अलग कारणों से इस कारोबार में शामिल हो जाती हैं।
राजी अपने पति हरि (भूपेंद्र जादावत), जो विवा लाइफ़ कंपनी में काम करता है, के जर्मनी जाने के सपने को पूरा करने के लिए पैसे जुटाने के मकसद से यह काम करती है। वहीं माला अपने बेटी की अच्छी शिक्षा के लिए इस धंधे में उतरती है। वरूणा, जिसका बुटिक का बिजनेस पैसों की कमी के कारण बंद होने की कगार पर है, वह इसे दोबारा खड़ा करने के लिए इस कार्टेल का हिस्सा बनती है। शीला इस ड्रग कार्टेल की लीडर बन जाती है और अपने पुराने क्राइम थ्रिलर अनुभव को फिर से जीने लगती है।
राजी अपने पति हरि (भूपेंद्र जादावत), जो विवा लाइफ़ कंपनी में काम करता है, के जर्मनी जाने के सपने को पूरा करने के लिए पैसे जुटाने के मकसद से यह काम करती है। वहीं माला अपने बेटी की अच्छी शिक्षा के लिए इस धंधे में उतरती है।
क्राइम, समाज और महिलाओं की एजेंसी
सीरीज़ सिर्फ ड्रग्स, क्राइम और सस्पेंस को ही नहीं दिखाती, बल्कि इसमें जेंडर, वर्ग, जाति और सामाजिक भेदभाव के पहलुओं को भी बारीकी से दिखाने की कोशिश की गई है। माला का किरदार यह दिखाता है कि घरेलू कामगार होने के कारण उसे समाज में वह सम्मान नहीं मिलता, जो समाज की बाकी कामकाजी या घरेलू महिलाओं को मिलता है। वरुणा की कहानी बताती है कि कैसे उसका पति और विवा लाइफ कंपनी का सीईओ शंकर दासगुप्ता जिसकी भूमिका जिशु सेनगुप्ता ने बेहतरीन तरीके से निभाई है, बिना उसे बताए उसकी ज़िंदगी के फैसले लेता है। पति पत्नी के नोक-झोंक में समझ आता है कि कैसे घरों में कामकाजी और पैसे कमाने वाली महिलाओं की भी भूमिका सीमित कर दी जाती है। पितृसत्ता में पावर डाइनैमिक्स और समाज में एक महिला को आर्थिक तौर पर स्वतंत्र होने में कितनी चुनौतियाँ हैं, इस सीरीज़ ने दिखाने की कोशिश की है। सीरीज़ में सहिदा और प्रीति एक होमोसेक्शुअल कपल हैं जिसे लोगों से छिपने और बचने की जरूरत होती है।
सस्पेंस और निर्देशन की खासियत

डब्बा कार्टेल में हिंसा और क्राइम को ग्लोरिफाई नहीं किया गया है। इसमें महिला किरदारों को शीर्ष में रखकर एक नई तरह की क्राइम ड्रामा स्टोरी दिखाई गई है। सीरीज़ को अश्लीलता और न्यूडिटी से दूर रखते हुए, इसके सस्पेंस को बनाए रखने की कोशिश की गई है। इसके निर्देशन और कास्टिंग की भी तारीफ की जानी चाहिए। शबाना आज़मी, शालिनी पाण्डेय, निमिषा सजयन, अंजली आनंद और ज्योतिका ने अपने दमदार अभिनय से कहानी को जीवंत कर दिया है। गजराज राव, साई ताम्हणकर, लिलेट दुबे, जिशु सेनगुप्ता जैसे कलाकारों ने भी अपने किरदारों को बेहतरीन तरीके से निभाया है।
सीरीज़ सिर्फ ड्रग्स, क्राइम और सस्पेंस को ही नहीं दिखाती, बल्कि इसमें जेंडर, वर्ग, जाति और सामाजिक भेदभाव के पहलुओं को भी बारीकी से दिखाने की कोशिश की गई है। माला का किरदार यह दिखाता है कि घरेलू कामगार होने के कारण उसे समाज में वह सम्मान नहीं मिलता, जो समाज की बाकी कामकाजी या घरेलू महिलाओं को मिलता है।
शबाना आज़मी ने अपने सस्पेंस से भरे हुए किरदार को एक अच्छे कलाकार की तरह निभाया है। गजराज राव ने इस सीरीज़ में एक ड्रग सेफ्टी आफिसर के रुप में अपने किरदार को पूरी ईमानदारी से कहानी में उतारा है। साईं ताम्हणकर, लिलेट दुबे से लेकर जिशु सेनगुप्ता सभी कलाकारों ने सीरीज़ की कहानी को अपनी दमदार अभिनय से मजबूत किया है। हालांकि बैगराउंड म्यूजिक और सस्पेंस वाले सीन और मजबूत हो सकते थे। सीरीज़ ने कहानी के दौरान बैकग्राउंड स्कोर और म्यूजिक से सस्पेंस वाले सीनों को मजबूत करने की भरपूर कोशिश की है। गणेश चतुर्थी के दौरान बच्चों का ‘मैं हूं डॉन’ गाने पर परफॉर्मेंस का सीन काफी प्रभावशाली है। उसी सीन में सहिदा और माला गणेश चतुर्थी कार्यक्रम की भीड़ के बीच मोडेला मेडिसिन को विवा लाइफ़ सोसाइटी से चुराती हैं जहां दोनों घटनाओं में समानता दिखाने की कोशिश की गई है।
लेकिन, दर्शकों को सीरीज़ के एक मजबूत अंत की उम्मीद होने के बावजूद, सीरीज़ एक रोमांचक मोड़ पर खत्म हो जाती है। यह सीरीज़ क्राइम, सस्पेंस और ड्रग्स व्यापार की जटिलताओं को सरल लेकिन प्रभावी तरीके से दिखाती है और अपने दर्शकों को अगले सीजन के लिए उत्सुकता से छोड़ देती है। बहरहाल यह सीरीज़ कहानी को खूबसूरत और रोमांचक तरीके से दिखाए जाने, उम्दा कलाकारों का अभिनय और मेनस्ट्रीम बॉलीवुड की घिसीपिटी कहानियों से हटकर कोशिश के लिए देखी जानी चाहिए।