टेढ़ी लकीर: लड़कियों का लड़कियों से इश्क़ करना और फूल देना इस्मत चुग़ताई के लिखे में कितना सहज थाBy Sadaf Khan 5 min read | Mar 16, 2023
बेबी हलदरः हिंसा की बंदिशों को तोड़, घरेलू कामगार से लेखिका बनने तक का सफरBy Sarala Asthana 4 min read | Mar 3, 2023
फिरदौसः एक औरत के सेक्स वर्कर होने की तकलीफों से बेचैन करता उपन्यासBy Pooja Rathi 5 min read | Feb 24, 2023
अनुपम सिंह की किताब ‘मैंने गढ़ा है अपना पुरुष’ पूर्व निर्धारित नियमों को उलट देने की खूबसूरत ज़िद!By Rupam Mishra 6 min read | Feb 6, 2023
एक कोशिश, माया एंजेलो और सुशीला टाकभौरे की कविताओं में समानता ढूंढने कीBy Aashika Shivangi Singh 6 min read | Jan 31, 2023
‘प्रेमाश्रम’ की नज़रों से देखें तो क्या यह हमारी विफलता है कि प्रेमचंद आज भी प्रासंगिक हैं?By Rupam Mishra 7 min read | Dec 15, 2022
टिकटशुदा रुक्का: ब्राह्मणवादी और पूंजीवादी व्यवस्था के भयावह स्वरूप का ज़रूरी दस्तावेज़By Rupam Mishra 8 min read | Nov 24, 2022
जाति और जेंडर की परतों को उकेरती उमा चक्रवर्ती की किताब ‘जेंडरिंग कास्ट: थ्रू ए फेमिनिस्ट लेंस’By Shweta Singh 5 min read | Nov 14, 2022
सुकीरथरानीः जातिवादी समाज की हकीकत को अपनी कविताओं में दर्ज करने वाली दलित कवयित्रीBy Heena Sonker 5 min read | Nov 9, 2022
बाबा साहब आंबेडकर की वे पांच किताबें जो सभी को पढ़नी चाहिएBy Aashika Shivangi Singh 5 min read | Oct 26, 2022
गरीबी, जातिवाद और सामंतवाद की परतों को उधेड़ती है प्रेमचंद की कहानी ‘कफ़न’By Saurabh Khare 5 min read | Sep 19, 2022