टिकटशुदा रुक्का: ब्राह्मणवादी और पूंजीवादी व्यवस्था के भयावह स्वरूप का ज़रूरी दस्तावेज़By Rupam Mishra 8 min read | Nov 24, 2022
तारक मेहता का उल्टा चश्मा हमारे जातिवादी समाज के चश्मे की तरह उल्टा क्यों? By Heena Sonker 5 min read | Nov 23, 2022
मौजूदा दौर में क्यों प्रासंगिक है जातिवादी समाज के चेहरे को उधेड़ती फ़िल्म ‘दामुल’By Aashika Shivangi Singh 6 min read | Nov 21, 2022
जाति और जेंडर की परतों को उकेरती उमा चक्रवर्ती की किताब ‘जेंडरिंग कास्ट: थ्रू ए फेमिनिस्ट लेंस’By Shweta Singh 5 min read | Nov 14, 2022
सुकीरथरानीः जातिवादी समाज की हकीकत को अपनी कविताओं में दर्ज करने वाली दलित कवयित्रीBy Heena Sonker 5 min read | Nov 9, 2022
बुढ़न थियेटर: छारा समुदाय के प्रति रूढ़िवादी धारणा को तोड़ रहा है युवाओं का यह समूहBy Aashika Shivangi Singh 6 min read | Oct 27, 2022
बाबा साहब आंबेडकर की वे पांच किताबें जो सभी को पढ़नी चाहिएBy Aashika Shivangi Singh 5 min read | Oct 26, 2022
उषा खन्ना: 17 साल की उम्र में संगीत निर्देशक बन दी थी, इस पुरुष प्रधान क्षेत्र में दख़लBy Shweta Singh 3 min read | Oct 21, 2022
रेशमा पठान: अभिनेत्रियों के खतरनाक स्टंट कर उन्हें प्रसिद्धि दिलाने वाली पहली स्टंट वुमनBy Renu Kumari 6 min read | Oct 14, 2022
आशा पारेखः दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित होने जा रही अदाकारा के फिल्मी सफ़र पर एक नज़रBy Pooja Rathi 6 min read | Sep 30, 2022
मज़दूरों के संघर्ष और जीवन के सफ़र को दिखाती है फिल्म ‘मट्टो की साइकिल’By Aashika Shivangi Singh and Saurabh Khare 7 min read | Sep 27, 2022
गरीबी, जातिवाद और सामंतवाद की परतों को उधेड़ती है प्रेमचंद की कहानी ‘कफ़न’By Saurabh Khare 5 min read | Sep 19, 2022
एक नज़र रामचंद्र मांझी, ‘नाच’ और उनके कलाकारों की सामाजिक स्थिति परBy Aishwarya Raj 10 min read | Sep 12, 2022