संस्कृतिसिनेमा सुनो! तुमने मेरी मर्जी पूछी?

सुनो! तुमने मेरी मर्जी पूछी?

सुनो!’ करीब बारह मिनट की इस वीडियो में मेरिटल रेप की समस्या को जिस तरह उजागर किया गया है, वो जीवंत, बेबाक, संवेदनशील और प्रभावी है|

चेतावनी – हिंसा पर केंद्रित यह लेख आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है|

महिमा और उसके पति रवि ने लव मैरिज की थी| उनको देखकर सभी कहते रहते – ‘इनकी जोड़ी तो ऊपर वाले ने बनाई है|’ दोनों साथ ऑफिस जाते| साथ में मिलकर खाना बनाते और घर का काम करते| दो-तीन साल तक सब अच्छा चल रहा था या ये कह सकते हैं कि सब अच्छा दिख रहा था| धीरे-धीरे महिमा डिप्रेशन का शिकार होती गयी| महिमा की गिरती मानसिक स्थिति को देखकर सबके मन में यही सवाल था आखिर दिक्कत कहाँ हैं| महिमा का पति भी उसका बेहद ख्याल रखता, उससे बेहद प्यार करता| जब मनोवैज्ञानिक ने महिमा की काउंसलिंग करना शुरू किया तो पता चला कि महिमा लंबे समय से ‘मेरिटल रेप’ का शिकार हो रही थी, जिससे उसका मानसिक स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हो चुका था|

मेरिटल रेप यानी कि शादी के बाद होने वाला बलात्कार| जहाँ बलात्कारी कोई दूसरा नहीं बल्कि महिला का अपना पार्टनर होता है| माफ़ करें ‘पार्टनर’ नहीं ‘पति’| अब आप सोचेंगें कि पार्टनर और पति में क्या फ़र्क है भला| तो आपको बताते चलूं कि ‘पति’ शब्द हमेशा एक सत्ताधारी को संबोधित करता है, जिसकी सत्ता होती है – उसकी पत्नी| गौरतलब है कि उस सत्ता की परिभाषा, किसी इंसान की तरह नहीं होती, जिसके पास सोचने-समझने की क्षमता हो या जिसकी कुछ इच्छाएं, मान-सम्मान और सहमति हो| वो सिर्फ एक वस्तु की तरह होती है – निर्जीव, गुलाम, ज़रूरत पूरी करने का साधन और शोभा बढ़ाने वाली, जिसपर पति का एकाधिकार होता है| वहीं, पार्टनर यानी कि साथी शब्द का सीधा सा मतलब है कि वो इंसान जो अपने साथ रहने वाले को इंसान समझें| माने बराबरी| इच्छाओं का सम्मान| सहमति|

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इतने विश्लेषण के बाद आप समझ सकते हैं कि शादी के बाद बलात्कार करने वाला पति होगा| वो पति जो पितृसत्तामक विचारों का समर्थक है और जिसके लिए पत्नी सिर्फ उसकी ज़रूरत पूरी करने का साधन होती है और उस ज़रूरत में पत्नी की सहमति हो या न हो, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता है|

‘पति’ शब्द हमेशा एक सत्ताधारी को संबोधित करता है, जिसकी सत्ता होती है – उसकी पत्नी|

यों तो मेरिटल रेप को हमारा समाज आमतौर पर अपराध के रूप में देखने-समझने को तैयार नहीं होता है, तब तक, जब तक महिला की जान पर न बन आये| मगर ऐसा क्यों? क्योंकि ये बात समाज अच्छे से जानता है कि जिस दिन से मेरिटल रेप को अपराध की नज़र से देखना शुरू करेगा, उस दिन से हर तीसरे घर में हम एक बलात्कारी देखेंगें| सवाल ये है कि आखिर क्यों हमारा समाज मेरिटल रेप को अपराध के रूप में स्वीकारने से कतराता है| इसका सीधा जवाब है पितृसत्ता में शादी की जटिल परिभाषा, जिसका उद्देश्य को इंसान की यौनिक इच्छाओं को सामाजिक रूप से मान्यता दिलाना है| लेकिन यौनिक इच्छा के मसले पर केंद्र में हमेशा पुरुष होता है| पुरुष का मन| उसकी मर्जी| उसकी ज़रूरत| उसकी सहमति| यहाँ महिला की इच्छा और सहमति पूरी तरह से अस्वीकार्य रहती है| ऐसा नहीं कि महिला अपनी इच्छा जाहिर नहीं करती, दिक्कत ये है कि उसकी इच्छा कोई मायने ही नहीं रखती|

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हो सकता है आपको ये बात, ये मुद्दा काफी टेढ़ा लगे| पल्ले न पड़े| ये कोई समस्या नहीं बल्कि सामान्य ज़िन्दगी का हिस्सा लगे, तो आपको बेहद कम समय में मेरिटल रेप की जटिल समस्या-हिंसा को समझाने के लिए है ये वीडियो – ‘सुनो!’ करीब बारह मिनट की इस वीडियो में मेरिटल रेप की समस्या को जिस तरह उजागर किया गया है, वो जीवंत, बेबाक, संवेदनशील और प्रभावी है| बाकी आप खुद ही देख लीजिये –

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तस्वीर साभार : scroll

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