इंटरसेक्शनल औरत के पास भी होती है फैंटेसी की दुनिया

औरत के पास भी होती है फैंटेसी की दुनिया

टीनएज में लड़की फैंटेसी की दुनिया की सैर करने लगती है। जिस तरह कोई लड़का किसी लड़की के शरीर को लेकर कल्पनाएँ करता है उसी तरह एक लड़की भी चाहती है।

मनीषा श्रीवास्तव

‘लिपिस्टिक अंडर माइ बुर्का’ कैसी फिल्म है, मुझे मालूम नहीं! लेकिन इस फिल्म ने हमारा ध्यान कुछ ऐसी बातों की तरफ खींचा है, जो बेहद बुनियादी हैं, मगर उन्हें पुरूष प्रधान समाज मानना ही नहीं चाहता।

महिलाएं फैंटेसी की दुनिया में जीती हों या ना जीती हों… पुरूष ज़रूर जीते हैं। पुरूष अगर ये सोचता है कि एक महिला ख्यालों में भी किसी और के बारे में नहीं सोचती या रोमांचक कल्पनाएँ नहीं करती तो वो एक तिलिस्मी दुनिया में जी रहे हैं जो उनकी ख़ुद की बनाई है। लड़की जब टीनएज में कदम रखती है तो कल्पनाओं की दुनिया की सैर करने लगती है। जिस तरह कोई लड़का किसी लड़की के शरीर को लेकर कल्पनाएँ करता है, जानना चाहता है, साथ चाहता है… ठीक उसी तरह एक लड़की भी चाहती है।

लड़के खुलकर बोल लेते हैं उनको कई प्रकार की अतिरिक्‍त सुविधाएं मिली हुई हैं। वहीं लड़कियां खुलकर भले ना बोलें… पर अपनी हम-उम्र सहेलियों के साथ खूब खुलकर बोल लेती हैं (हर तरह की बात)।

किसी दिन लड़की को प्रेम भी हो जाता है। पर परिवार के दबाव में शादी कहीं और हो गई तो आपको क्या लगता है कि वो हिन्दी फिल्मों की तर्ज़ पर एक झटके में अपने प्रेमी को भूल कर पति परमेश्वर वाली फ़ीलिंग में आ जाती है? जी नहीं, हो सकता है वो अपने पति के साथ सदेह होने के बावजूद उसके साथ ना हो…|

महिलाओं की फैंटेसी की दुनिया आपके बुने तिलस्म को चकनाचूर कर सकती है।

किसी कम उम्र लड़की की शादी ज़बरदस्ती किसी अधेड़ से कर दी जाय और वो मूर्ख ये सोचे कि ख्यालों में भी उसकी बीवी उसी के साथ है तो फैंटेसी में तो वो अधेड़ हुआ। इसी तरह कोई अधेड़ औरत भी ख्यालों में ख़ुद को किसी नौजवान के साथ रोमांस करते संबंध बनाते देख सकती है। एक बूढ़ा आदमी कम उम्र लड़की से शादी कर सकता है, ख़रीद-फरोख़्त कर सकता है और एक बूढ़ी औरत ख़्यालों में भी किसी नौजवान के बारे में नहीं सोच सकती?

ऐसा मानने वाले फैंटसी में ही तो हैं… जहाँ उन्हें लगता है कि एक औरत अपनी ख्यालों की दुनिया में भी वही देखती सोचती है जो वो चाहते हैं। आप लिपस्टिक को घूँघट या बुर्के में कैद कर सकते हैं पर वही बुर्का या घूँघट फैंटसी की दुनिया में बिकनी के साथ लिपिस्टिक लगाकर किसी के साथ भी घूम सकता है।

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आप औरत को लेकर फैंटसी की दुनिया में तैरते रहिए कि वो आपके चश्मे से खुद को देखती है। पर वो एक सामान्य मनुष्य की तरह ही व्यवहार करेगी… और वही देखेगी जो वो देखना चाहती है। महिलाओं की फैंटेसी की दुनिया आपके बुने तिलस्म को चकनाचूर कर सकती है। इसलिए आप उसकी फैंटसी की दुनिया के ख्याल से भी डरते हैं।

जिस तरह औरतों पर अपने संस्कारों का ठीकरा फोड़ रखा है सबने, जो उसका अपनी मर्ज़ी से हँसना-बोलना तक दूभर कर रखा है, बिना फैंटसी के झेल सकती है क्या वो ये सब?

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यह लेख मनीषा श्रीवास्तव ने लिखा है, जिसे इससे पहले मेरा रंग नामक वेबसाइट में प्रकाशित किया जा चुका है|

तस्वीर साभार : desktopbackground

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