समाजख़बर अनुप्रिया मधुमिता लाकड़ा : कहानी पहली आदिवासी महिला के कमर्शियल पायलट बनने की !

अनुप्रिया मधुमिता लाकड़ा : कहानी पहली आदिवासी महिला के कमर्शियल पायलट बनने की !

अनुप्रिया का सफर बहुत मायने रखता है क्योंकि आदिवासी महिलाएँ आज भी समाज में अपने अधिकारों और मुख्यधारा में आने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

भारतीय राज्य ओडिशा की जनसंख्या 4.2 करोड़ है। इस जनसंख्या में 22.95 फ़ीसद आदिवासी हैं। वहीं अगर साक्षरता दर की बात करें तो ओडिशा में साक्षरता दर 73 फ़ीसद है लेकिन इस 73 फ़ीसद में आदिवासी समुदाय की महिलाओं में केवल 41.20 फ़ीसद महिलाएँ ही साक्षर हैं और इन्हीं 41.20 फ़ीसद में से एक लड़की आसमान में उड़ान भरने का सपना सिर्फ देखती ही नहीं, बल्कि उस सपने को पूरा भी करती है। मज़बूत हौसले वाली इस लड़की का नाम है – अनुप्रिया मधुमिता लाकड़ा।

मलकानगिरी में रहने वाली अनुप्रिया मधुमिता ने शहर के एक मिशनरी स्कूल से अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद उन्होंने कोरापुट जिले से अपनी आगे की स्कूली शिक्षा को पूरा किया। साल 2012 में अनुप्रिया का चयन एक सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में हुआ था। लेकिन जल्द ही उन्हें यह एहसास हुआ कि उनका सपना कुछ और है। इसके बाद, उसी सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने गर्वमेंट एविएशन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में दाखिला ले लिया।

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उनके पिता मरिनियास लाकड़ा एक पुलिस कांस्टेबल हैं। उनके मुताबिक, उनके लिए अनुप्रिया की पढ़ाई का खर्च उठाना बहुत मुश्किल था। इसके लिए उन्हें सात साल से अधिक का लोन भी लेना पड़ा। लेकिन उन्होंने अपनी बेटी को प्रोत्साहन देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब 27 वर्षीय अनुप्रिया इंडिगो एयरलाइंस में सह-पायलेट के तौर पर जल्द ही अपनी उड़ान भरेंगी !

एक ऐसे जिले में जहाँ अब तक रेलवे लाइन भी नहीं है, वहाँ की स्थानीय महिला अब एक प्लेन उड़ाएगी – यह बात ही आदिवासियों के लिए गौरव का विषय है।

लाखों लड़कियों के लिए प्रेरणा है अनुप्रिया का सफर

साल 2018 में इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ वीमेन एयरलाइन पायलट्स द्वारा पेश किए गए डेटा के अनुसार, पूरी दुनिया में केवल 5.4 फ़ीसद महिलाएँ कमर्शियल पायलट हैं। भारत में ही 12.4 फ़ीसद महिलाएँ कमर्शियल पायलेट हैं, जिनमें 1,092 महिलाएँ पायलेट्स हैं और उनमें से भी 385 महिलाएँ बकायदा कप्तान हैं। अंजना सिंह, श्रुति लाजु, जस्सी कपूर, रश्मि शर्मा, आदि कमर्शियल पायलट्स ने पारम्परिक खांचों को तोड़कर आसमान तक पहुंच बनाई है।

लेकिन अनुप्रिया का सफर इसीलिए भी बहुत मायने रखता है क्योंकि आदिवासी समुदाय और खासकर आदिवासी महिलाएँ आज भी समाज में अपने अधिकारों और मुख्यधारा में आने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जैसा कि ओडिशा के आदिवासी नेता और आदिवासी कल्याण महासंघ के अध्यक्ष निरंजन बिसि ने अनुप्रिया की तारीफ करते हुए कहा, ‘एक ऐसे जिले में जहाँ अब तक रेलवे लाइन भी नहीं है, वहाँ की स्थानीय महिला अब एक प्लेन उड़ाएगी – यह बात ही आदिवासियों के लिए गौरव का विषय है।’

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वाकई, यह गौरव का विषय तो है ही। साथ ही साथ लड़कियों के लिए उम्मीद की रोशनी की तरह भी है। अनुप्रिया मधुमिता की माँ जिमाज के मुताबिक, अनुप्रिया और उनके परिवार के लिए इस सपने को पूरा करना बिल्कुल आसान नहीं था। उन्होंने कई परीक्षाएँ दीं और एक लंबे रास्ते को तय करते हुए अपनी मंज़िल तक पहुंची।

जिमाज कहतीं हैं कि, ‘हम बहुत खुश हैं। उसने (अनुप्रिया) जो बनने का सपना देखा था, वह आज बन चुकी है। मैं चाहती हूँ कि मेरी बेटी सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बने। मैं यह सभी अभिभावकों से कहना चाहूंगी कि वे अपनी बेटियों को उनके सपने पूरे करने में भरपूर सहयोग और प्रोत्साहन दें।’

Also read in English: Anupriya Madhumita Lakra Is Odisha’s First Tribal Woman To Become A Commercial Pilot


तस्वीर साभार : Ommcomnews

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