समाजख़बर माहवारी जागरूकता के लिए गांव-गांव जाती हैं मौसम कुमारी जैसी लड़कियाँ

माहवारी जागरूकता के लिए गांव-गांव जाती हैं मौसम कुमारी जैसी लड़कियाँ

मौसम कुमारी रजौली प्रखंड गांव की एक आम लड़की है। मौसम एक यूथ लीडर है जो पिछले तीन सालों से महिला स्वास्थ्य पर चर्चा करती है।

रजौली प्रखंड गांव की मौसम कुमारी बिहार के गांवो की अन्य लड़कियों की तरह थी , उन्हें बाहर निकलने के लिए घरवालों से पूछना पड़ता था । लेकिन वो अब दूसरों को शिक्षित करने गांव-गांव जा रही है । मौसम एक दिन अपने घर थी जब एक महिला ने उनसे मिलने की इच्छा व्यक्त की । मौसम की माँ ने साफ़ मना कर दिया और मौसम उस बारे में भूल गयी । कोई नहीं जनता था के वह महिला क्या बात करने आयी थी लेकिन वह बार-बार आती रही और मौसम जैसी अन्य लड़कियां सोचने लगी कि मिल ही लेते हैं । मौसम हाल ही में दिल्ली आयी और अपने काम के अनुभव को लोगों के बीच रखा ।

कौन है मौसम कुमारी?

मौसम कुमारी रजौली प्रखंड गांव की एक आम लड़की है। मौसम एक यूथ लीडर है जो पिछले तीन सालों से महिला स्वास्थ्य पर चर्चा करती है। पिछले पाँच महीनो में मौसम सोलह गाँवों में यह कार्यशाला ले जा चुकी है। मौसम ग्राम मंडल के राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम का हिस्सा है जो घर-घर जाकर गाँवों और कस्बों की महिलाओं को स्वास्थ्य के लिए शिक्षित करता है । 

मौसम ने फेमिनिज्म इन इंडिया से हुयी चर्चा में अपने अनुभवों का वर्णन किया। मौसम महिलाओं को स्वास्थ्य के बारे में बताती है। वह पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया से जुड़ी हुई है। गाँवों की महिलाओं के लिए स्वास्थ्य एक ज़रूरी मुद्दा है,  अक्सर वह समय पर अपना इलाज नहीं करा पाती थी।

जब मौसम को कार्यशाला दी गयी तब वह हैरान थी और उनके मन में झिझक थी कि माहवारी, बाल-विवाह, लिंग आधारित हिंसा और परिवार नियोजन जैसे विषयों पर बात की जा रही है।

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दिल्ली में लोगों को संबोधित करती मौसम

कैसे मिली मौसम को प्रेरणा?

जब मौसम ने कार्यशाला में हिस्सा लिया तब सबसे पहला विषय था – परिवार नियोजन। तब मौसम ने पूछा के हमें इस विषय को जानने की क्या ज़रुरत है?

न सिर्फ मौसम बल्कि गांव की काफी लड़कियों को लगा कि यह विषय गन्दा है और अभी वह उस अवस्था में नहीं कि उन्हें यह सब जानने की ज़रुरत है।  इसी सवाल का जवाब देने उनके गांव  की यूथ लीडर उन्हें एक घर लेकर गयी जहां एक सोलह  साल की लड़की की मृत्यु हो गयी थी क्योंकि उनका शरीर दो साल के अंदर दो बच्चे पैदा कर पाना नहीं सह पाया था। मौसम को यह भी समझ आया कि बाल विवाह नहीं करवाना चाहिए। मौसम बाल विवाह के विरुद्ध भी कार्यशाला देती है। मौसम के पिता ट्रक चलाते है। उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा उनकी माँ है जिन्होंने उन्हें प्रेरित किया कि उन्हें बाहर जाकर कार्यशालाएं देनी चाहिए।

‘बाल विवाह नहीं होना चाहिए। परिवार का बोझ लड़कियों के सिर आ जाता है और वह पढ़ भी नहीं पाती है और  न उनको पोषण मिल पता है।’ – मौसम 

चुनौतियों का सामना करती आ रही है मौसम 

जब भी लड़कियों से बात करने जाना होता है तो पहले लड़कियों की माँ आकर पता करती है। एक बारी एक महिला ने मौसम के मुँह पर दरवाजा बंद कर दिया। एक़बार एक लड़की की माँ ने उनसे और बाकी यूथ लीडर्स से कहासुनी की जब उन्होंने बताया कि वह माहवारी और परिवार नियोजन की बात करने आये है तो उन्हें आवारा कहा और बोला कि उन्हें शर्म करनी चाहिए । 

अक्सर ऐसे चर्चाओं का विरोध होता है और जागरूकता कर रहे लोगों को बुरा-भला सुनना पड़ता है। मौसम बहुत से बाल विवाह भी रुकवा चुकी है।

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क्यों है जागरूकता की ज़रुरत ?

मौसम ने एक और घटना बताई जिससे उन्हें एहसास हुआ कि परिवारों का जागरूक होना कितना ज़रूरी है। एक लड़की को तीन महीने से माहवारी नहीं हो रही थी और उसके परिवारवाले उसे कही नहीं जाने दे रहे थे। वह लड़की मौसम से मदद मांग रही थी और मौसम ने आशा वर्कर्स को संपर्क किया और जाँच से पता चला कि वह लड़की को कमजोरी थी और पोषण न मिल पाने के कारण उसे चक्कर आने लगा और उसकी माहवारी अनियमित हो गयी थी।  

जागरूकता से महिलाओं को समय पर मदद मिल पाती है और अपना ध्यान रख पाती है। अक्सर लड़कियां कुपोषण का शिकार होती है क्योंकि उनके पोषण का ध्यान नहीं रखा जाता। मौसम ने अपने ज़िले में एक यूथ क्लिनिक भी खुलवाया है ताकि लड़कियाँ आसानी से स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का इलाज करवा सकती है।

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तस्वीर साभार : मौसम कुमारी

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