समाजख़बर ऐसी है चीन में ‘कोरोना’ से लड़ती ‘नर्सों की हालत’

ऐसी है चीन में ‘कोरोना’ से लड़ती ‘नर्सों की हालत’

शायद यह महामारियां इंसानों को एक जगह खड़ा करके यह बताना चाहती हैं कि प्रकृति के साथ बढ़ती छेड़छाड़ हमें केवल पतन की ओर ही ले जा रही है।

चीन के वुहान क्षेत्र से शुरू हुए कोरोना वायरस या कोविड – 19 ने आज विश्वभर के अधिकांश देशों को अपनी चपेट में ले लिया है। यह संक्रमण तेज़ी से फैलता हुआ 156 राष्ट्रों में इस समय तक क़रीब 8,419 लोगो की जान ले चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे महामारी घोषित कर दिया है। चीन ने कोरोना से निपटने के लिए बहुत से रास्ते अपनाएं, जैसे कुछ ही दिनों में नए अस्पताल खड़े कर देना, कोविड -19 की मुफ्त जांच, ट्रेन का वुहान स्टेशन पर न रुकना आदि इत्यादि। पर इन्हीं सब उपायों के बीच यह देखने को मिला कि वहां कोरोना वायरस के मरीजों की देखभाल करने वाली नर्सें किस प्रकार की समस्याओं का सामना कर रहीं हैं।

वुहान मेडिकल कॉलेज के वेस्टर्न हॉस्पिटल की 31 नर्सों ने अपने बाल कटवा लिए। उनका कहना था कि कोरोना के बढ़ते हुए मामलों की संख्या पर काम करते हुए उन्हें अपने बाल बनाने, धोने या नहाने का भी समय नहीं मिलता। अपने लंबे बाल कटवाकर नर्सें संक्रमण से खुद की सुरक्षा करने की कोशिश तो कर ही रहीं हैं, साथ ही अपना समय बचाकर मरीजों के लिए हर पल उपलब्ध भी हैं।

जहंग वेंदन की कहानी

ज़हंग वेंदन, 27 वर्षीय नर्स, अपने परिवार की साथ लूनर नववर्ष मना रहीं थीं, जब उन्हें अस्पताल से काम पर वापस आने का नोटिस आया। संक्रमण की गंभीर स्थिति में उनके जाने की बात को लेकर उनकी मां चिंतित होकर रोने लगीं। पर उन्हें अपने परिवार को छोड़कर कोरोना की जंग लड़ने के लिए जाना ही पड़ा। ज़हंग के अनुसार जब वो अस्पताल पहुंची, वहां का माहौल बहुत ही तनाव भरा था। महिला कर्मचारियों की स्थिति और भी ज्यादा मुश्किलों से गुज़र रही थी।

अपने सूट के अंदर उनके कपड़े हमेशा पसीने में भीग रहे होते थे। वह सूट शरीर की बनावट के हिसाब से बहुत ही असुविधाजनक था। सूट को एकबार पहनने के बाद उसे आसानी से नहीं उतारा जा सकता था। सभी कर्मचारियों के लिए मास्क की उपलब्धता नहीं थी। ज़हंग ने भी व्यक्तिगत स्वच्छता और सुविधा के लिए अपने बाल कटवाए। इसके अलावा एक और बड़ी समस्या थीं कि महिला कर्मचारियों के लिए पीरियड्स के दौरान पैड्स भी मौजूद नहीं थे। उन्होंने इसकी मांग उच्च अधिकारियों से की, पर उन्हें यह सुनने के लिए मिला कि उनके अंदर अनुशासन और समर्पण की कमी है। ज़हंग ने बताया कि उन्हें ऐसा लग रहा था, जैसे वो अंदर से टूट रही हों।

वुहान मेडिकल कॉलेज के वेस्टर्न हॉस्पिटल की 31 नर्सों ने अपने बाल कटवा लिए। उनका कहना था कि कोरोना के बढ़ते हुए मामलों की संख्या पर काम करते हुए उन्हें अपने बाल बनाने, धोने या नहाने का भी समय नहीं मिलता।

स्वयंसेवकों के एक समूह ने 500 महिला कर्मचारियों के लिए 2000 वयस्क डायपर की व्यवस्था करी। मास्क, पैड्स, टेंपोंस आदि बहुत सी मूलभूत चीज़ों की कमी से जूझते डॉक्टर और नर्सें भी कोविड-19 से संक्रमित हो रहे हैं। ज़हंग ने बताया कि वो भी इस संक्रमण की चपेट में आने से भयभीत है। और जब यह सब खत्म हो जाएगा तब वो अपने घर वापस जाकर अपनी मां के साथ समय बिताना चाहतीं हैं। अप्रैल 24 को उनकी शादी भी होनी थी, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि वो उस दिन विग पहनेंगी और उम्मीद करती हैं कि शादी की तारीख को बदलना ना पड़े।

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एक कहर जो वक़्त में याद रखा जाएगा।पर क्या महिलाएं भी?

कोरोना वायरस के सामने आज बहुत से महाशक्ति देश धाराशायी हो गए हैं। हज़ारों लोग इसकी चपेट में आकर अपनी जान खो बैठे। पर जैसे हर जंग में औरतों की कहानी मूक हो जाती है, जिस तरह की परेशानियां उन्हें झेलनी पड़ती है, कुछ वैसा ही नज़ारा इस महामारी के दौरान भी उभर रहा है।

सबसे बड़ी बात तो यह है कि इतना सब कुछ देखते हुए भी लोगो और सरकार के मन में समस्या का निदान करने के लिए कोई विशेष विकल्प या उपाय नहीं है। सभी जानते हैं कि पीरियड्स के दौरान स्वच्छता कितनी ज़रूरी है पर फिर भी महिलाएं संक्रमण की गंभीरता को देखकर, स्थिति से समझौता कर रहीं है। इन सबके बावजूद उन पर अनुशासित और समर्पित ना होने का आरोप लगता है। चीन के राजकीय मीडिया ने बाल कटवाने वाली नर्सें को ‘खूबसूरत योद्धा’ कहा। पर क्या यह काफी है?

महामारी को लेकर लोगो में मानसिक दबाव बढ़ रहा है। ऐसे में उन महिलाओं की स्थिति के बारे में सोचना, जो मरीजों के साथ हर पल संक्रमित होने के खतरे में है, बहुत ही तनाव भरा है। यह कहानी और हालात तो केवल चीन की नर्सें व बाकी महिला कर्मचारियो के हैं। इसके अलावा न जाने विश्व के अन्य भागों में अन्य औरतों, महिला कर्मचारियों, नर्सें और महिला चिकित्सको की स्थिति कैसी होगी? क्या इन महिलाओं को कभी इनका उचित श्रेय मिलेगा या इनका नाम वक़्त में छुप जाएगा?

कोरोना वायरस भी अतीत में फैली अनेकों महामारियों के साथ अपना नाम दर्ज़ करवा चुका है। शायद यह महामारियां हर कोने में बिखरे इंसानों को एक जगह खड़ा करके यह बताना चाहती हैं कि प्रकृति के साथ बढ़ती छेड़छाड़ हमें केवल पतन की ओर ही ले जा रही है। इसलिए हर पाठक से अनुरोध है कि वो अपने हाथ 20 सेकंड तक ज़रूर धोएं, भीड़ भरे क्षेत्रों में जाने से बचें, खांसी होने पर अपना मुंह रुमाल से ढकें और संक्रमण की शंका होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। क्योंकि इस वक़्त सावधानी ही एक मात्र इलाज है।

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तस्वीर साभार : ft.com

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