यह कोई नई बात नहीं है कि हमारे समाज में महिलाओं की यौनिक ज़रूरतों और इच्छाओं को उतनी अहमियत नहीं दी जाती जितनी पुरुषों के शरीर और उसकी ज़रूरतों को दी जाती है। हमारे यौन संबंध आमतौर पर पुरुषों पर, उनके सुख और उनकी इच्छाओं पर ही केंद्रित रहते हैं। महिलाओं से उम्मीद यह की जाती है कि वे इन इच्छाओं को पूरी करती रहें। पुरुषों को संतुष्ट रखने के चक्कर में अगर महिला को पीड़ा भी पहुंचे तो इसे स्वाभाविक मान लिया जाता है। बल्कि अगर सेक्स करते वक़्त महिला को किसी तरह की तकलीफ़ हो तो इसे उसके कौमार्य और तथाकथित ‘पवित्रता’ की निशानी ही माना जाता है। ऐसे में हाल यह है कि अमेरिकन कॉलेज ऑफ़ ऑबस्टेट्रिक्स ऐंड गाइनकालजिस्टस के मुताबिक लगभग 75 प्रतिशत महिलाओं को सेक्शुअल इंटरकोर्स के दौरान शारीरिक तकलीफ़ महसूस होती है और 70 से 90 प्रतिशत महिलाओं को सेक्स से बिल्कुल आनंद ही नहीं मिल पाता। यह हमारे लिए चिंता की बात होनी चाहिए क्योंकि एक यौन संबंध में दोनों लोगों का बराबर उत्साह न हो तो ये शोषण से कम नहीं है। अधिक चिंताजनक बात यह है कि महिलाओं की इतनी बड़ी संख्या के साथ ये शोषण रोज़ होता है पर वे सिर्फ़ अपने साथी का दिल रखने के लिए अपनी तकलीफ़ व्यक्त नहीं करती, और समझती हैं कि उनमें कोई कमी है। यौन संबंध बनाने के दौरान दर्द महसूस करने के इस अनुभव का एक नाम है: वैजीनिस्मस।
वैजीनिस्मस एक शारीरिक स्थिति है जिसमें यौन संबंध के दौरान लिंग के यौनी में प्रवेश पर महिला की योनि संकुचित हो जाती है, जिसकी वजह से शारीरिक तकलीफ़ होती है। सिर्फ़ लिंग ही नहीं बल्कि योनि में किसी भी बाहरी वस्तु का प्रवेश हो, जैसे टैंपन, मेंसट्रुअल कप या उंगली, तो भी असहनीय तकलीफ़ होती है। इसके पीछे का कारण मनोवैज्ञानिक है। अक्सर डर या सदमे की वजह से योनि की मांसपेशियों में तनाव महसूस होता है, जिसके कारण महिला को पीड़ा या शारीरिक असहजता महसूस होते हैं। वैजीनिस्मस दो तरह का होता है: प्राइमरी और सेकेंडरी। सेकेंडरी वैजीनिस्मस यौन शोषण, बलात्कार या किसी अन्य शारीरिक दुर्घटना की सर्वाइवर्स को होता है। ये वो महिलाएं हैं जो अपने सदमे से पूरी तरह उभर न पाने के कारण यौन संबंधों में सहज नहीं हो पाती। प्राइमरी वैजीनिस्मस का सामना वे महिलाएं करती हैं जिनके साथ ऐसी कोई घटना नहीं हुई है और जिनकी तकलीफ़ के पीछे का कारण अस्पष्ट है।
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यौन शिक्षा इसीलिए ज़रूरी है ताकि महिलाएं अपने शरीर और उसकी परेशानियों के बारे में जान सकें और अपनी शारीरिक सीमाएं खुद निर्धारित कर अपने साथी के साथ साझा कर सकें।
दर्द के अलावा वैजीनिस्मस के कुछ और लक्षण हैं जैसे यौनांग में जलन, सेक्स के दौरान डर या मानसिक तनाव महसूस होना और सेक्स में रुचि न रहना। शारीरिक लक्षणों को वैजीनिस्मस तब माना जा सकता है जब यौनांग में किसी भी तरह का विकार नज़र नहीं आता और ये तय हो जाता है कि इस तकलीफ़ के पीछे का कारण कोई शारीरिक बीमारी या समस्या नहीं है। वैजीनिस्मस के इलाज के लिए डॉक्टर ज़्यादातर साईकोथेरपी और शारीरिक व्यायाम की सलाह देते हैं। भारत जैसे समाज में जहां सेक्स के बारे में खुलकर चर्चा ही नहीं होती, महिलाओं के लिए इस तरह की परेशानियां व्यक्त करना और उनका समाधान ढूंढना बहुत मुश्किल हो जाता है। यह मुसीबत और भी बढ़ जाती है जब सेक्स को एक पत्नी के कर्तव्य की तरह ही देखा जाता है और उसके शरीर की सीमाओं और इच्छाओं को महत्व नहीं दिया जाता। ऐसे में उन्हें वैजीनिस्मस जैसी कई यौन-संबंधित कठिनाइयों का सामना अकेले करना पड़ता है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।
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यौन शिक्षा इसीलिए ज़रूरी है ताकि महिलाएं अपने शरीर और उसकी परेशानियों के बारे में जान सकें और अपनी शारीरिक सीमाएं खुद निर्धारित कर अपने साथी के साथ साझा कर सकें। यौन संबंध उनके लिए एक असहनीय पीड़ा बनी रहे ये उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है। महिलाओं को अपने शरीर से संबंधित उचित जानकारी मिले और अपनी यौनिकता पर नियंत्रण हो तभी ऐसी समस्याओं का सामना किया जा सकता है।
पुरुषों को भी ज़रूरत है कि वे महिलाओं के प्रति अपनी संवेदनशीलता और सहानुभूति बढ़ाएं। उनके दोस्त बनकर उनकी शारीरिक और मानसिक कठिनाइयों का सामना करने में उनका साथ दें। यौन संबंध बनाते समय सिर्फ़ अपनी ही नहीं, अपने पार्टनर की संतुष्टि पर भी खास ध्यान दें। और अगर वे मानसिक रूप से तैयार न हों तो उन पर सेक्स के लिए दबाव न डालें। ऐसी समस्याओं से अकेले निपटना आसान नहीं है और पार्टनर की सहानुभूति ऐसी स्थिति में सबसे ज़्यादा ज़रूरी होती है। ऐसे मुद्दों पर जितनी अधिक जागरूकता फैलेगी, महिलाओं के लिए इनका सामना करना उतना ही सहज होता रहेगा।
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तस्वीर साभार : outfront magazine