हिंदी के कई ऐसे बेहतरीन उपन्यास हैं जो जेंडर, पितृसत्ता, औरतों की जिंदगी, सशक्त औरतों के किरदार पर लिखे गए हैं। आज इस लेख में हम ऐसे ही 6 मशहूर उपन्यासों की चर्चा कर रहे हैं।
1. हम गुनेहगार औरतें
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‘हम गुनेहगार औरतें’ वाणी से प्रकाशित एक ऐसी किताब है, जो कि औरतों के एहसासों के इर्द-गिर्द घुमती है। जो औरतों की आवाज़ को गरिमा और हिम्मत देती है। जिसका मरकज़ उनकी ज़िन्दगी से जुड़े हर पहलु हैं। ये किताब बेबाक़ है। बेख़ौफ़ है।
2. लिहाफ़
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हिंदी/उर्दू साहित्य में समलैंगिक संबंधों का वर्णन शायद पहली बार इस्मत चुग़ताई ने ‘लिहाफ़’ में किया हो। दो समलैंगिक औरतों की यौनिक इच्छाओं और ज़रूरतों को इस कहानी में ख़ूबसूरती दर्शाया गया है। ये भी दिखाया गया है किस तरह पितृसत्ता औरतों की यौनिकता को दबाकर रखता है।
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3. लज्जा
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तस्लीमा नसरीन का उपन्यास ‘लज्जा’ सांप्रदायिक हिंसा का ख़ौफ़नाक चेहरा सामने लाता है। ये दिखाता है किस तरह दो समुदायों के बीच पनपती नफ़रत एक समाज को खा जाती है। कैसे ये इंसान को राक्षस बना देती है। और औरतों पर इसका क्या प्रभाव होता है।
4. ऐ लड़की
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‘ऐ लड़की’ लेखिका की अपनी कहानी है। बचपन, किशोरावस्था, और शादी के अपने अनुभव वे हमसे मृत्युशय्या पर लेटी एक बूढ़ी औरत के ज़रिए साझा करतीं हैं।
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5. आग का दरिया
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आग का दरिया एक ऐतिहासिक उपन्यास है जो चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल (4 ई. पू.) से लेकर 1947 के बंटवारे तक भारत और पाकिस्तान की कहानी सुनाता है। यह दक्षिण एशिया पर आधारित सबसे महत्वपूर्ण किताबों में से एक है।
6. मित्रो मरजानी
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कृष्णा सोबती का लिखा उपन्यास ‘मित्रो मरजानी’ स्त्री-यौनिकता को रेखांकित करता है। मित्रो के माध्यम से एक ऐसी मध्यमवर्गीय परिवार की महिला की बात की गई है जो अपने अधिकारों के लिए बोलना जानती है अपने आप से प्रेम करना जानती है और अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में कभी कोई संकोच नहीं करती है।
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तस्वीर साभार : NST