1- नारीवादी तो मर्दों से नफ़रत करते हैं!
नहीं। मर्दानगी और पितृसत्ता की आलोचना का मकसद मर्दों के खिलाफ़ नफ़रत फैलाना नहीं है। नारीवादी आंदोलन का मकसद है सबके लिए बराबरी लाना। और हमारे समाज में लैंगिक असमानता एक पितृसत्तात्मक व्यवस्था के कारण है, जिसके तहत मर्दों के पास औरतों से ज़्यादा सत्ता और विशेषाधिकार हैं। नारीवाद इसी व्यवस्था को बदलने की कोशिश करता है और इसका मतलब यह नहीं कि हम मर्दों के खिलाफ़ नफ़रत या हिंसा के पक्ष में हों। एक ऐसे सामाजिक व्यवस्था की कामना है जिसमें लिंग के आधार पर गैर-बराबरी न हो।
2- मैं नारीवादी नहीं हूं। मुझे तो बस बराबरी चाहिए।
आपसे ऐसा किसने कहा कि नारीवाद का लक्ष्य बराबरी नहीं है? नारीवाद यह नहीं चाहता कि महिलाएं पुरुषों का शोषण करें। इस विचारधारा का उद्देश्य यही है कि समाज के सभी पीड़ित तबकों को शोषण से मुक्ति मिले और सबको बराबर अधिकार और अवसर मिले। नारीवाद में ‘नारी’ शब्द इसलिए है क्योंकि यह महिलाओं के सशक्तिकरण के ज़रिए समाज को बदलना चाहता है। इसका यह मतलब नहीं कि महिलाएं पुरुषों से श्रेष्ठ हैं।
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3- नारीवाद को राजनीति से अलग रखना चाहिए।
समाज की स्थिति और सत्ता के बारे में बात किए बिना नारीवाद पर बात करना असंभव है। समकालीन राजनीतिक गतिविधियां आम समाज से परे नहीं हैं। सरकारी नीतियां, राजनीतिक विचारधाराएं और सत्ता के बदलते समीकरण सबसे अधिक आम जनता को ही प्रभावित करते हैं। ऐसे में एक ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते हम सभी को इन मुद्दों के बारे में जागरूक रहना चाहिए और इनकी आलोचना करते रहना चाहिए क्योंकि नारीवादी कार्यकर्ता भी साधारण समाज का ही हिस्सा हैं।
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4- नारीवाद ने महिलाओं में समानता स्थापित कर दी है और अब नारीवाद की ज़रूरत नहीं है।
बराबरी के समाज और समान अधिकार पाने की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। असमानता एक व्यवस्थित समस्या है जो समान अधिकारों की वकालत करने और समाज में हो रहे पक्षपात को समझने के लिए निरंतर प्रयास की मांग करती है।
5-जो नारीवादी होता है वह पुरुष विरोधी होता है।
नारीवादी होने का मतलब है पुरुष और महिला के बीच समानता की बात करना। नारीवाद में पुरुषों के विरोध जैसी कोई बात नहीं है। नारीवाद के अनुसार मर्द और औरत समान हैं। नारीवाद उस लैंगिक भेदभाव का विरोध करता है जिसका सामना एक औरत बचपन से करती है। महिलाएं किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं हैं, इसके बावजूद उन्हें अवसरों से वंचित कर दिया जाता है। नारीवाद ऐसी तमाम परिस्थितियों के विषय में बताता है।
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