एडिटर्स नोट : यह लेख फेमिनिज़म इन इंडिया हिंदी और DW हिंदी की सहभागिता के तहत प्रकाशित किया गया है। इसके तहत हम DW हिंदी की नई पॉडकास्ट सीरीज़ ‘वो कौन थी’ के अलग-अलग एपिसोड्स को फीचर करेंगे। इस सीरीज़ के तहत पॉडकास्ट की होस्ट और DW हिंदी की डेप्युटी हेड ईशा भाटिया सानन उन महिलाओं की जीवनी और योगदान को अपने श्रोताओं तक पहुंचा रही हैं जिन्होंने लीक से हटकर काम किया और सपने देखने की हिमाकत की। वो कौन थी के तीसरे एपिसोड में आज सुनिए हाईपेशिया की कहानी।
लड़कियां तो विज्ञान और गणित जैसे विषयों में कमज़ोर होती हैं, लड़कियों को तो आर्ट्स जैसे विषय ही लेने चाहिए। अक्सर ये बातें सुनने को मिलती हैं न! हमारे समाज में ये गलतफ़हमी बहुत से लोगों को आज भी है कि गणित और विज्ञान जैसे विषय लड़कियों के बस की बात नहीं हैं। नासा से लेकर इसरो तक, तकनीक से लेकर चिकित्सा तक हर जगह महिलाएं आज अपनी मौजूदगी दर्ज करवा रही हैं, लेकिन भला हो! पितृसत्ता का जिसके कारण आज भी हमारे समाज में यह गलतफ़हमी मौजूद है। ऐसा नहीं कि है कि महिलाएं सिर्फ आज इन क्षेत्रों में अपना लोहा मनवा रही हैं। क्या हो, अगर हम आपको यह बताएं कि आज से 1600 साल पहले एक महिला की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी गई थी क्योंकि वह इकलौती महिला थी जो विज्ञान, गणित और दर्शनशास्त्र इन तीनों ही विषयों में पारंगत थी। वह सितारों की दुनिया में जीना चाहती थी, वैज्ञानिक उपकरण बनाती थी। आज से 1600 साल पहले एक महिला जो इन विषयों में विद्वान थी, उसके बारे में सोचकर आप भी यही सोच रहे होंगे न, ‘वो कौन थी।’
आपके इसी सवाल का जवाब देने DW हिंदी के पॉडकास्ट वो कौन थी के तीसरे एपिसोड में होस्ट ईशा भाटिया सानन इस महिला की कहानी अपने श्रोताओं के लिए लेकर आई हैं। इस पॉडकास्ट की शुरुआत ईशा एक बेहद दर्दनाक वाकये से करती हैं। वह बताती हैं कि कैसे उस दिन बीच रास्ते में एक महिला को बग्घी से उतारकर भीड़ उसे पीटते हुए चर्च की तरफ ले जाती है। सनद रहे कि इस भीड़ में सिर्फ और सिर्फ मर्द ही शामिल थे। आखिरकार ये भीड़ उस महिला की पीट-पीटकर हत्या कर देती है। लेकिन उस महिला का जुर्म क्या था जो उसे इतनी बेरहमी से मारा गया। हाईपेशिया की कहानी शुरू करने से पहले ईशा सिकंदर (Alexander the Great) और उनके नाम पर बसाए गए मिस्र के एक शहर एलेक्सज़ैंड्रिया ले जाती हैं जिसे खुद सिकंदर ने ही बसाया था। इसी शहर में एक म्यूज़िम था और म्यूज़ियम में थी एक बड़ी लाइब्रेरी। इस लाइब्रेरी में करीब 5 लाख किताबें थी, ये कौन-सी किताबें थी इसे पॉडकास्ट में बेहद रोचक तरीके से बताया गया है।
एलेक्सज़ैड्रिया शहर अपनी कला-संस्कृति और विरासत के कारण बेहद अहम होता जा रहा था। लेकिन फिर यहां जूलियस सीज़र के साथ आया रोमन साम्राज्य और हालात बदलने लगे। ये हालात क्यों बदलने लगे, इसे जानने के लिए पॉडकास्ट ज़रूर सुनें। आगे ईशा बताती हैं कि साम्राज्य बदलने के साथ यहां की लाइब्रेरी भी जला दी गई। एलेक्सज़ैंड्रिया के तनाव भरे माहौल से पॉडकास्ट का संगीत धीरे-धीरे सन् 350 के एक खुशनुमा माहौल में ले जाता है। खुशनुमा माहौल इसलिए क्योंकि यह साल था जब हाईपेशिया का जन्म हुआ। यहां से शुरू होती है हाईपेशिया की दास्तान। एलेक्सज़ैंड्रिया में रहते थे थियोन जिन्हें पढ़ने-लिखने और तारों की दुनिया को जानने का शौक था, इन्हीं की इकलौती बेटी थी हाईपेशिया। वह थियोन ही थे जिन्होंने अपनी बेटी का परिचय किताबों की दुनिया से करवाया। हाईपेशिया के मन में हमेशा कोई न कोई सवाल घूमता रहता था। ईशा बताती हैं कि हाईपेशिया अब अपने पिता से भी बड़ी विद्वान बन चुकी थी। साथ ही वह पहली और इकलौती महिला थीं जिन्होंने एलेक्सज़ैंड्रिया की यूनिवर्सिटी में पढ़ाना शुरू किया था। हाईपेशिया उस ज़माने की सबसे बेहतरीन गणितज्ञ मानी जाती थी। साथ ही उन्हें वैज्ञानिक उपकरण बनाने भी आते थे। सुनकर आश्चर्य हो रहा है न। वे कौन से उपकरण बनाना जानती थी इसे ईशा ने बेहद अच्छे से बताया है। अपने पिता की तरह ही हाईपेशिया को तारों की दुनिया में बेहद दिलचस्पी थी। गणित के मुश्किल से मुश्किल सिद्धातों को वह बेहद आसानी से समझाती थी। वह दौर था जब अलग-अलग सिद्धांतों में विश्वास करने वाले लोग भी बस हाईपेशिया के लेक्चर सुनने आते थे।
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धर्म के आधार पर बंटे हुए समाज में हाईपेशिया ईसाइयों को खटकने लगी थी। बदलता राजनीतिक माहौल हाईपेशिया के लिए चुनौतीपूर्ण बनता जा रहा था। फिर वह दौर आया जब रूढ़िवादी विचारों ने हाईपेशिया की जान ले ली। वह दौर था मार्च 415 का जब हाईपेशिया की बग्घी पर हमला किया गया। उनके आखिरी दिन को इस पॉडकास्ट में ईशा ने बेहद विस्तार से बताया है। विज्ञान और गणित से अपने प्रेम के कारण हाईपेशिया को अपनी जान गंवानी पड़ी। वैज्ञानिक सोच वाली एक इकलौती महिला उस दौर के समाज की आंखों में इस कदर खटक रही थी कि उसके शरीर के उस भीड़ ने टुकड़े-टुकड़े कर डाले।
DW हिंदी के पॉडकास्ट का यह एपिसोड बेहद ख़ास हैं। यहां ईशा एक ऐसी महिला की कहानी सुना रही हैं जो शायद ही कभी किसी ने सुनी होगी। इतिहास की इस घटना को 18 मिनट लंबे इस पॉडकास्ट में बेहद खूबसूरती से समेटा गया है। होस्ट ईशा ने हर कड़ी को बेहतरीन तरीके से जोड़ते हुए हाईपेशिया की कहानी सुनाई है। वह बेहद आसानी से श्रोताओं को सिकंदर, जूलियस सीज़र से होते हुए हाईपेशिया तक ले जाती हैं। हाईपेशिया के साथ-साथ इतिहास के इस अनछुए पहलू को जानने के लिए ‘वो कौन थी’ का यह एपिसोड ज़रूर सुनें।
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तस्वीर : फेमिनिज़म इन इंडिया