स्वास्थ्यशारीरिक स्वास्थ्य आइए, जानते हैं मास्टरबेशन से जुड़े पांच मिथ्यों के बारे में

आइए, जानते हैं मास्टरबेशन से जुड़े पांच मिथ्यों के बारे में

पिछले कुछ दशकों में मास्टरबेशन यानि हस्तमैथुन के बारे में समाज की सोच में बहुत कुछ बदला तो है लेकिन जब भी बात महिलाओं के आत्मसुख की आती है तो पितृसत्तात्मक समाज की आंखें और कान दोनों खड़े हो जाते हैं। अभी भी महिलाओं के लिए एक लंबा सफर तय करना बाकी है। आज भी समाज में सेक्स और महिलाओं की यौनिकता को लेकर कई पूर्वाग्रह हैं और उससे संबंधित कई मिथ्य मौजूद हैं। जैसे महिलाएं मास्टरबेशन यानि हस्तमैथुन नहीं करती हैं जबकि मास्टरबेशन एक सामान्य शारीरिक क्रिया है, जिससे व्यक्ति को आत्मसुख मिलता है। लोगों को मास्टरबेशन नहीं करना चाहिए, इसका कोई ठोस चिकित्सीय कारण मौजूद नहीं है। हालांकि इसको लेकर पितृसत्ता की पुरानी सांस्कृतिक धारणाएं और मिथ्य अभी भी मौजूद हैं। आइए जानते हैं मास्टरबेशन यानि हस्तमैथुन से जुड़े ऐसे ही मिथ्यों के बारे में।

पिछले कुछ दशकों में मास्टरबेशन यानि हस्तमैथुन के बारे में समाज की सोच में बहुत कुछ बदला तो है लेकिन जब भी बात महिलाओं के आत्मसुख की आती है तो पितृसत्तात्मक समाज की आंखें और कान दोनों खड़े हो जाते हैं। अभी भी महिलाओं के लिए एक लंबा सफर तय करना बाकी है। आज भी समाज में सेक्स और महिलाओं की यौनिकता को लेकर कई पूर्वाग्रह हैं और उससे संबंधित कई मिथ्य मौजूद हैं। जैसे महिलाएं मास्टरबेशन यानि हस्तमैथुन नहीं करती हैं जबकि मास्टरबेशन एक सामान्य शारीरिक क्रिया है, जिससे व्यक्ति को आत्मसुख मिलता है। लोगों को मास्टरबेशन नहीं करना चाहिए, इसका कोई ठोस चिकित्सीय कारण मौजूद नहीं है। हालांकि इसको लेकर पितृसत्ता की पुरानी सांस्कृतिक धारणाएं और मिथ्य अभी भी मौजूद हैं। आइए जानते हैं मास्टरबेशन यानि हस्तमैथुन से जुड़े ऐसे ही मिथ्यों के बारे में।

1- जो लोग रिलेशनलिप में होते है वे मास्टरबेशन नहीं करते हैं

मास्टरबेशन को लेकर एक बड़ा मिथ्य यह है कि सिर्फ सिंगल लोग ही मास्टरबेशन करते हैं। आत्मसुख पर अक्सर ऐसे ही लेबल लगा दिए जाते हैं लेकिन यह सच नहीं है। लोग मास्टरबेशन करते हैं भले ही वे किसी के साथ रिलेशनलिप में हो या सिंगल हो।

2- मास्टरबेशन करने से सेक्स करने की इच्छा कम होने लगती है

मास्टरबेशन करने से सेक्स करने की इच्छा कम नहीं होती है बल्कि इससे सेक्स करने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसकी मदद से आप अपने शरीर के आत्मसुख के बिंदुओं को और बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। साथ ही संस्कृति के नाम पर महिलाओं के आत्मसुख को नजरअंदाज़ किया जाता रहा है। अध्ययनों से पता चला है कि मास्टरबेशन करने से वास्तव में, आत्मविश्वास और बेहतर सेक्स की संभावना बढ़ सकती है। 

और पढ़ें : महिलाओं के ‘चरमसुख’ यानी ऑर्गेज़म पर चुप्पी नहीं बात करना ज़रूरी है

3- मास्टरबेशन (हस्तमैथुन) से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं

लोगों को आत्मसुख से दूर रखने के लिए अक्सर यह प्रचारित किया जाता है कि मास्टरबेशन से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। यह बिल्कुल गलत है। इसके उलट मास्टरबेशन के कई फायदे बताए जाते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि मास्टरबेशन आपके मस्तिष्क में डोपामाइन, सेरोटोनिन, ऑक्सीटोसिन और दूसरे हैप्पी हार्मोन जैसे रसायनों को पैदा करता है। ये बदले में आपको तनाव दूर करने, बेहतर नींद लेने, आपके आत्मविश्वास को बढ़ाने और आपको केंद्रित रहने में मदद करते हैं।

4- मास्टरबेशन करने से महिलाएं गर्भवती हो सकती हैं

यह मिथ्य युवा पीढ़ी के बीच काफी प्रचलित है, जिन्होंने अभी-अभी आत्मसुख की दुनिया की खोज की है। इसका प्रमुख कारण हमारे देश में व्यापक रूप से हर स्तर पर सेक्स एजुकेशन की कमी है। किसी भी महिला को गर्भवती होने के लिए शुक्राणु को अपनी योनि के माध्यम से आपके शरीर में प्रवेश करना होता है तभी वह गर्भवती होती है। महिलाओं में शुक्राणुओं का विकास नहीं होता है तो, जब तक कोई शुक्राणु नहीं है तो ऐसे में गर्भवती होने की कोई आंशका ही नहीं है।

5- मास्टरबेशन (हस्तमैथुन) करने वाली महिलाएं ‘चरित्रहीन’ होती हैं।

इतिहास में पहले से ही महिलाओं की यौन इच्छाओं को दबाया गया है और इसे असामान्य माना गया है। औरत की यौनिकता से पितृसत्तात्मक समाज डरता है, इसमें कोई शक नहीं है। 19वीं शताब्दी में, महिलाओं की यौनिक इच्छाओं को भी ‘हिस्टीरिया’ बीमारी का नाम दे दिया था। महिलाओं की यौनिकता को नियंत्रित करने के लिए सदियों से महिलाओं को नैतिकता का पाठ पढ़ाया गया है।

सबसे अधिक पोर्न देखने वाले देशों की सूची में भारत तीसरे स्थान पर है। इसके अलावा, भारत में पोर्नहब के कुल ट्रैफिक में से 30 फ़ीसद भारतीय महिलाओं की हिस्सेदारी होती है। यहां तक ​​​​कि भारत की पोर्न खपत की संख्या आसमान छू रही है, महिला का मास्टरबेशन करना अभी भी कुछ ऐसा है जो बंद दरवाजे में कैद है। इतना ही नहीं कई मुख्यधारा के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को अपने वाइब्रेटर को बॉडी पेन मसाजर के रूप में बेचने का सहारा लेना पड़ रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पितृसत्तात्मक समाज महिला कामुकता को तभी वैध मनाता है जब वह पुरुष की इच्छानुसार हो। पितृसत्तात्मक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए महिलाओं की कामुकता का दमन हमेशा से होता रहा है। मास्टरबेशन के बारे में जागरूकता फैलाने का प्रयास जारी है और धीरे-धीरे सामाजिक बाधाओं के बावजूद मास्टरबेशन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण भी जन्म ले रही है। इन सब कुछ के बावजूद भी, हमेशा ऐसे लोग होंगे जो यह सोचते हैं कि मास्टरबेशन गलत और गंदा है लेकिन याद रखें कि आत्म-सुख सामान्य और स्वाभाविक है और इसे अपनाना चाहिए।

और पढ़ें : मूल रूप से अंग्रेज़ी में लिखे गए इस लेख को पढ़ने के लिए क्लिक करें


तस्वीर : रितिका बनर्जी फेमिनिज़म इन इंडिया के लिए

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