समाज की उदासीनता और पूर्वाग्रह एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के लोगों के लिए अभी भी बने हुए हैं। तमाम चुनौतियों के बीच ट्रांस समुदाय लगातार अपनी पहचान के साथ आगे बढ़ रहा है। अलग-अलग क्षेत्रों में ट्रांस समुदाय के लोग रूढ़ियों से लड़ते हुए अपने लिए बेहतर मुकाम तलाश कर अपनी पहचान बना रहे हैं। अपने हुनर के माध्यम से न केवल देश में बल्कि दुनिया में अपने वर्ग की पहचान को सशक्त कर रहे हैं। यह लेख ऐसी ही बेहतरीन ट्रांस महिलाओं के बारे में हैं, जिन्होंने इस साल न केवल देश में बल्कि दुनिया में सम्मान हासिल किया। आइए जानते हैं उन पांच ट्रांस महिलाओं के बारे में जिन्होंने साल 2021 में सुर्खियां में अपना नाम शामिल किया।
1- मंजम्मा जोगती
मंजम्मा जोगती को कला में उनके विशिष्ट योगदान के लिए इस साल भारत सरकार की ओर पद्मश्री से सम्मानित किया गया। वह साल 2021 में पद्मश्री पानेवाली इकलौती ट्रांस कलाकार हैं। मंजम्मा जोगती, जिनका जन्म मंजूनाथ शेट्टी के रूप में कर्नाटक के बेल्लारी जिले में कल्लुकंब गांव में हुआ था। पंद्रह साल की उम्र आते-आते मंजूनाथ को अपने भीतर कुछ बदलाव महसूस होने लगा। उनके लड़कियों जैसे व्यवहार करने के कारण उनके घरवाले उन पर किसी दैवीय शक्ति का प्रकोप मानकर उन्हें मंदिर ले गए। होसपेट के मंदिर में जोगप्पा की रीति के बाद मंजूनाथ मंजम्मा जोगती बन गए। इसके बाद मंजम्मा का उनके घर-परिवार से सारे नाते खत्म हो गए और उनके जीवन के संघर्ष शुरू हो गए।
मंजम्मा ने अपनी जीवन की दूसरी नई शुरुआत सड़कों पर भीख मांगने से की। इसी दौरान इन्हें यौन हिंसा का भी सामना करना पड़ा। बाद में उनका परिचय काल्लवा जोगती से हुआ, जहां मंजम्मा ने जोगती नृत्य सीखा। कला सीखने के बाद उन्होंने राज्य में घूम-घूमकर कला प्रस्तुति देनी शुरू कर दी। काल्लवा जोगाती की मौत के बाद उन्होंने नृत्य मंडली को भी संभाला और अपने नृत्य को और अधिक लोकप्रिय किया। देशभर में लोक नृत्य जोगती की लोकप्रियता में मंजम्मा का विशेष योगदान है। उन्होंने इस कला से आम लोगों को परिचय कराया। जोगती नृत्य से अपना नाम कमाने वाली मंजम्मा जोगती ने कई सम्मान अपने नाम किए हुए हैं। साल 2006 में मंजम्मा जोगती को कर्नाटक जनपद अकादमी अवॉर्ड दिया गया। साल 2010 में कर्नाटक राज्योत्सव सम्मान मिला। मंजम्मा कर्नाटक जनपद अकादमी की पहली ट्रांस अध्यक्ष बनीं। यही नहीं उनकी आत्मकथा ‘नाडुवे सुलिवा हेन्त्रु’ कर्नाटक में बहुत लोकप्रिय है कि वह स्कूल और विश्वविद्यालय स्तर पर पढ़ाई भी जाती है। संघर्ष के बाद इस मुकाम पर पहुंची मंजम्मा जोगती प्रेरणा का एक जीता जागता उदाहरण है।
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2- अलीशा पटेल
गुजरात की रहनेवाली अलीशा पटेल गुजरात सरकार के बनाए नए नियमों के अनुसार जारी प्रमाण पत्रप्राप्त करने वाली राज्य की पहली ट्रांस महिला बन गई हैं। अलीशा पटेल को सरकार ने ट्रांसजेंडर पहचान कार्ड जारी किया है। चार दशकों से ‘संदीप’ को आखिरकार उसकी वह पहचान मिल गई जिसकी उन्हें मांग थी। जेंडर रीअफर्मेशन सर्जरी के बाद इन्होंने अपनी नई पहचान महिला होना चुना है। इस प्रक्रिया में उन्होंने लगभग तीन साल और आठ लाख की बड़ी रकम खर्च की है। अलीशा पटेल को स्कूल, कॉलेज और दफ्तर में अपनी ट्रांस पहचान के कारण भेदभाव का भी सामना करना पड़ा है। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार गुजरात राज्य में ट्रांसजेंडर या ट्रांस महिला का पहचान प्राप्त करना एक लंबी प्रक्रिया थी। लेकिन वर्तमान में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराकर इसे जल्दी और आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। अलीशा पटेल इस प्रमाणपत्र को प्राप्त करने वाली राज्य की पहली ट्रांस महिला हैं।
3- नाज़ जोशी
भारत की पहली ट्रांसजेंडर इंटरनैशनल ब्यूटी क्वीन होने का खिताब इस साल नाज़ जोशी ने अपने नाम किया है। नाज़ एक मॉडल हैं। उन्होंने जून में इस साल इम्प्रेस अर्थ 2021-22 का टाइटल जीता है। कोविड-19 महामारी की वजह से वर्चुअली हुई इस प्रतियोगिता में दुनिया के 15 देशों के प्रतिभागियों ने भाग लिया था। प्रतियोगिता के शीर्ष पांच में पहुंचने वाले देशों में कोलम्बिया, स्पेन, ब्राजील, मैक्सिको और इंडिया शामिल थे। इन पांच फाइनलिस्ट से जो सवाल सबसे आखिर में पूछा गया था वह था, “क्या आपको लगता है कि लॉकडाउन इस महामारी का हल है?” नाज़ ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि लॉकडाउन केवल मरीजों की संख्या में कमी कर सकता है। हर इंसान का कर्तव्य है कि वह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा बताए गए सुरक्षा नियमों का पालन करे। इससे पहले नाज़ अपने नाम कई खिताब कर चुकी हैं। 2020 में इन्होंने मिस यूनिवर्स डाइवर्सिटी, मिल वर्ल्ड डाइवर्सिटी, मिस रिपब्लिक इंटरनेशनल ब्यूटी एंबेसेडर और मिस यूनाइटेड नेशन्स एंबेसेडर भी रह चुकी हैं। आज नाज मॉडलिंग की दुनिया में एक जाना पहचाना नाम बन चुकी हैं। नाज़ अपने जैसी महिलाओं को समाज में सम्मान दिलाना चाहती हैं। नाज नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टैक्नॉलजी से ग्रेजुएट हैं।
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4- श्रुति सितारा
साल के अंत में एक और ट्रांस महिला जिन्होंने विश्वपटल पर प्रतियोगिता जीतकर एक नया मुकाम हासिल किया है। श्रुति सितारा ने इस साल मिस ट्रांस ग्लोबल 2021 प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और इस खिताब को अपने नाम भी किया। कोविड प्रोटोकाल की वजह से इस प्रतियोगिता के विजेता की घोषणा ऑनलाइन इवेंट में की गई। केरल की रहनेवाली श्रुति एक मॉडल हैं। श्रुति सितारा उन चार ट्रांस व्यक्तियों में से एक हैं जिन्हें केरल सरकार द्वारा सरकारी नौकरी मिली थी। वह केरल सरकार के ट्रांसजेंडर सेल मे प्रोजेक्ट अस्सिटेंट के पद पर कार्यरत हैं। अपने परिवार को अपनी सबसे बड़ी ताकत मानने वाली श्रुति सितारा का कहना है कि मेरे परिवार और मित्रों की वजह से आज मैं यहां हूं। द वीक से बातचीत करते हुए श्रुति कहती हैं कि एक लड़के प्रवीन से श्रुति बनने के सफर में उनके परिवार का सबसे ज्यादा सहयोग रहा है। अपनी इस सफलता पर उनका कहना है कि वह इस कामयाबी के माध्यम से अपने ट्रांस समुदाय के अन्य लोगों के जीवन को बेहतर करना चाहती हैं। वह यह साबित करने के लिए तैयार हैं कि वह किसी महिला व पुरुष से कम नहीं हैं। एक्टिंग और मॉडलिंग में करियर बनाने की इच्छुक श्रुति के आदर्श देश के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आज़ाद है।
5- ज़ोया थॉमस लोबो
ज़ोया थॉमस लोबो देश की पहली महिला ट्रांस फोटोजर्नलिस्ट हैं। ज़ोया का जन्म मुंबई के एक बेहद साधारण परिवार में हुआ था। जल्द ही पिता की मौत के बाद इनकी मां ने परिवार की ज़िम्मेदारी उठाई। पहले से ही जीवन कठिन होने के कारण 18 वर्ष की उम्र में अपनी जेंडर पहचान की बात सबके सामने रखने पर उनकी जिंदगी और कठिन हो गई। ट्रांस समुदाय को लेकर बने सामाजिक रूढिवाद के कारण उन्हें अपनी पहचान स्वीकारने के बाद घर छोड़ना पड़ा। इस संघर्ष में उन्हें लोकल ट्रेन में भीख मांगकर अपनी जीवन चलाया। इसी दौरान उन्हें एक ट्रस्ट की शार्ट फिल्म में काम करने अवसर मिला। इस फिल्म और उनकी भूमिका को खूब सराहना मिली। इस फिल्म की सफलता के बाद वह कई सार्वजनिक इंवेंट्स में जाने लगीं। वहां कॉलेज टाइम्स के को-एडिटर से उनकी मुलाकात हुई। जहां इन्हें एक रिपोर्टर के रूप में नियुक्त किया गया। इसी दौरान उनकी पहुंच कैमरे तक पहुंची। जहां उन्हें तस्वीरें खींचने में बहुत दिलचस्पी महसूस की। इसके बाद इन्होंने अपनी जमा पूंजी से एक सेकेंड-हैंड कैमरा खरीदा। कोविड-19 तालाबंदी के दौरान ट्रेनों के बंद होने के कारण लोग सड़को पर थे, अपने घर जाने के लिए कोशिश कर रहे थे। ज़ोया ने इस दौरान लोगों की परेशानियों की तस्वीरों को अपने कैमरे में कैद किया। उनकी तस्वीरें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्तेमाल की गईं। इस घटनाक्रम के बाद वह भारत की पहली ट्रांस महिला फोटोग्राफर बनीं। इसके बाद ज़ोया को बॉम्बे न्यूज़ असोसिएशन ने सम्मानित किया। भारत की पहली ट्रांस फोटोजर्नलिस्ट ट्रांस समुदाय के बेहतर भविष्य के लिए काम करना चाहती हैं।
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