जोखिम भरे काम मर्दों के ही क्यों होते हैं? क्या औरतें सबसे विपरीत स्थितियों में सबसे अच्छी कहानियां लेकर नहीं आ सकतीं? इन सभी सवालों से आगे निकलकर आई सिक्किम की पहली महिला पत्रकार संतोष निरश। इन्होंने अपने आत्मविश्वास, लगन और साहस के दम पर न सिर्फ अपने लिए उपलब्धियां हासिल की बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणास्रोत बनीं। जिस वक़्त औरतों के लिए पत्रकारिता एक जोखिम भरा काम माना जाता था, उस समय उन्होंने इस क्षेत्र में अपने कदम बढ़ाए। उस दौर में तमाम रूढ़िवादी सोच को पीछे छोड़कर वह आगे बढ़ीं। अपने दृढ़ हौसले के साथ संतोष निरश को सिक्किम राज्य की पहली महिला पत्रकार बनने का गौरव प्राप्त हुआ। उन्हें सब ‘मां जी’ के नाम से पुकारते थे।
संतोष निरश का जन्म 3 अक्टूबर 1928 को पिंड दादन खान, पंजाब (वर्तमान में पाकिस्तान) में हुआ था। साल 1959 में वेस्ट पॉइंट स्कूल की हेड मिस्ट्रेस के रूप में सिक्किम आई थीं। 1978 में सिक्किम राज्य में उन्होनें पहला प्राइवेट नर्सरी स्कूल खोला था। सिक्किम में प्राइवेट स्कूल खोलने वाली वह पहली महिला थीं। सामजिक मुद्दों पर उनकी समझ और रुचि शुरू से ही थी, जिसके बाद उन्होंने पत्रकारिता की ओर रुख़ किया। इनका विवाह प्रेम सागर निरश के साथ हुआ था। इनके पति आर्मी में अफसर थे। रिटायर्ड होने के बाद वह लंदन के ‘टेलिग्राफ’ अखबार के साथ पत्रकार के तौर पर जुड़ गए थे। संतोष निरश ने अपने पति के साथ मिलकर साल 1976 में सिक्किम की पहली अंग्रेज़ी मासिक पत्रिका निकली थी, जिसका नाम ‘ब्रॉर्डर न्यूज़ एंड व्यूज’ था।
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जब वह देहरादून डीएवी कॉलेज से स्नातक कर रही थीं तब उन्होनें ‘वैनगार्ड’ नाम की एक मैगज़ीन एडिट की थी। इसके बाद से उनके मन में पत्रकारिता के ख्याल ने जन्म लिया था। सिक्किम में रहते हुए संतोष ने जाना कि वहां हिंदी अखबारों की बहुत कमी है। इसके बाद उन्होंने साल 1987 में हिंदी का एक अखबार निकाला। उनके हिंदी अखबार का नाम ‘ज़माना सदाबहार’ था। वह अपने क्षेत्र के हर तरह के सामाजिक मुद्दों और घटनाओं को कवर किया करती थीं। इतना ही नहीं पत्रकार के आलावा वह एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थीं। वह हर संभव तरीके से लोगों की मदद की कोशिश किया करती थीं।
जोखिम भरे काम मर्दों के ही क्यों होते हैं? क्या औरतें सबसे विपरीत स्थितियों में सबसे अच्छी कहानियां लेकर नहीं आ सकतीं? इन सभी सवालों से आगे निकलकर आई सिक्किम की पहली महिला पत्रकार संतोष निरश। इन्होंने अपने आत्मविश्वास, लगन और साहस के दम पर न सिर्फ अपने लिए उपलब्धियां हासिल की बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणस्रोत बनीं।
पत्रकारिता से उनका लगाव
पत्रकारिता के क्षेत्र में उन्होंने हमेशा ही बहुत मेहनत, लगन और साहस के साथ काम किया। वह सिर्फ सिक्किम तक ही सीमित नहीं रही बल्कि उसके बाहर के क्षेत्र के मुद्दों पर भी काम किया करती थी। वह एक महिला पत्रकार थीं और उन्होंने पत्रकारिता को हमेशा ऊपर रखा। वह कभी-कभी देर रात तक काम किया करती थीं। उनके काम और पत्रकारिता को हमेशा उनके परिवार का साथ मिला। संतोष निरश अपने जीवन में हिंसा के हमेशा खिलाफ रहीं। इसका अंदाजा इस घटना से लगाया जा सकता है कि एक बार जब वह एक राजनितिक कार्यक्रम को कवर करने गई थीं तब उन्होंने वहां भाषण देने वाले नेता को अपने भाषण में किसी भी तरह के अपशब्द से बचने की सलाह दे दी थी।
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एक रिपोर्ट के मुताबिक जब दिल कुमारी भंडारी सिक्किम राज्य से संसद की पहली महिला सदस्य बनीं, तब संतोष निरश बेहद खुश हुई थी। पूछे जाने पर उन्होंने यह भी कहा था कि यह कदम देश में महिला सशक्तिकरण की राह में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने महिलाओं की समस्याओं और उनके सशक्तिकरण के बारे भी लिखा और खुलकर कई मुद्दों पर आवाज़ उठाई।
पत्रकारिता के अलावा अन्य उपलब्धियां
पत्रकारिता के आलावा संतोष निरश ने और भी कई क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। उन्होंने पारिवारिक न्यायालयों में काउंसलर के रूप में काम किया। सिक्किम सेंट्रल यूनिवर्सिटी सेक्सुअल हैरेसमेंट कमिटी की सदस्य भी रहीं। साथ ही ‘सिक्किम एड्स कंट्रोल सोसाइटी’ की अम्बैसडर रहीं। इसके अलावा संतोष निरश सिक्किम प्रेस क्लब और वीमन काउंसिल की सदस्य भी रहीं।
संतोष निरश के परोपकार, शिक्षा और पत्रकारिता के क्षेत्र में किए गए उनके योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। संतोष को उनके काम के लिए सिक्किम सरकार की ओर से कई सम्मान से सम्मानित किया गया। इनमें खांगचेंदज़ोंगा कलाम पुरस्कार (2009), पत्रकारिता में सिक्किम सेवा सम्मान (2012), निर्माण पुरस्कार और काशीराज प्रधान लाइफटाइम जर्नलिज़म अवार्ड (2018) में सिक्किम सरकार की ओर से दिया गया।
10 जून, साल 2020 को 92 वर्ष की उम्र में उन्होंने इस संसार को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। उनके बाद पत्रकारिता की धरोहर को उनकी अगली पीढ़ी संभाल रही है। उनकी बेटी नीता निरश सिक्किम में ही काम कर रही हैं। वहीं उनके बेटे नीरज निरश दिल्ली में ब्रिटिश ब्राडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) के साथ काम करते हैं। अपनी हिम्मत और बेबाकी के साथ पत्रकारिता के क्षेत्र में आगे आने वाली संतोष निरश सदा ही महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत रहेंगी।
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तस्वीर साभारः Northeast Now