स्वास्थ्य सर्वाइकल कैंसर और एचपीवी वैक्सीन के बारे में जानना ज़रूरी क्यों है?| नारीवादी चश्मा

सर्वाइकल कैंसर और एचपीवी वैक्सीन के बारे में जानना ज़रूरी क्यों है?| नारीवादी चश्मा

सर्वाइकल कैंसर भारत जैसे विकासशील देशों में कैंसर से संबंधित मौतों के प्रमुख कारणों में से एक है। ये दुनिया भर की महिलाओं में तीसरा सबसे आम कैंसर है।

ललिता को पिछले कई सालों से सफ़ेद पानी की समस्या थी। तीसरे बच्चे के जन्म के बाद से ही उसे लगातार ये दिक़्क़त थी। कई डॉक्टर को दिखाया लेकिन कुछ पता नहीं चला। इसके बाद जब शहर जाकर डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि ललिता तो सर्वाइकल कैंसर है और दूसरी स्टेज पर। ललिता अब नहीं रही। लंबे संघर्ष के बाद उसे सर्वाइकल कैंसर की बीमारी निगल ले गयी।ललिता जैसी कई महिलाएँ हर साल-हर दिन जानकारी, और सही इलाज के अभाव में सर्वाइकल कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का शिकार होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी कि डब्लयूएचओ के अनुसार सर्वाइकल कैंसर विश्व में महिलाओं में होने वाला चौथा आम कैंसर है और आकलन के मुताबिक साल 2020 में इस कैंसर के 6,04,000 नए मामले सामने आए थे और इससे 3,42,000 महिलाओं की मौत हुई थी। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी सफ़ेद पानी या यूरिन में इंफ़ेक्शन की समस्या का महिलाएँ सामना करती है, जिनमें कई सर्वाइकल कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का शिकार भी होती है। पर जब तब उनकी इस बीमारी की पहचान होती है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। भारत में धीरे-धीरे सर्वाइकल कैंसर के केस बढ़ने लगे है, जिसकी प्रमुख वजह है – जानकारी का अभाव।

क्या है ये सर्वाइकल कैंसर ?

सर्वाइकल कैंसर या जिसे आम भाषा में ‘बच्चेदानी का कैंसर’ के नाम से जाना से जाता है। सर्वाइकल कैंसर भारत जैसे विकासशील देशों में कैंसर से संबंधित मौतों के प्रमुख कारणों में से एक है। ये दुनिया भर की महिलाओं में तीसरा सबसे आम कैंसर है। ये कैंसर सर्विक्स की सेल्स को इफ़ेक्ट करता है। सर्विक्स यूटर्स यानी की बच्चेदानी का निचला हिस्सा होता है जो वजाइना से जुड़ा होता है। चूँकि ये वजाइना से जुड़ा कैंसर है, इसलिए बहुत बार संकोचवश महिलाएँ अपनी दिक़्क़तों को बताने में हिचकती है, क्योंकि आज भी हमारा समाज महिलाओं को उनके शरीर पर बात करने और अपनी समस्याओं को ज़ाहिर करने के लिए उन्हें सेफ़ स्पेस नहीं देता है, जिससे कई बार वे सर्वाइकल कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का शिकार भी होती है।

तस्वीर साभार : www.cancer.gov

 सर्वाइकल कैंसर, सर्विक्स में होने वाला कैंसर है ये तब होता है जब सर्विक्स की सेल्स इफ़ेक्ट होने लगती है, जो वजाइना से जुड़ा होता है और फिर वजाइनल एरिया में इंफ़ेक्शन शुरू होने लगता है, जो धीरे-धीरे कैंसर का रूप लेता है। डब्लयूएचओ के मुताबिक सर्वाइकल कैंसर के 95 परसेंट से ज्यादा मामलों का कारण ह्यूमन पेपिलोमा वायरस या एचपीवी होता है।एचपीवी वायरस का एक समूह है जो दुनिया भर में बेहद आम है। एचपीवी के 100 से अधिक प्रकार हैं, जिनमें से कम से कम 14 कैंसर पैदा करने वाले हैं (जिन्हें उच्च जोखिम वाले प्रकार भी कहा जाता है)।

सर्वाइकल कैंसर भारत जैसे विकासशील देशों में कैंसर से संबंधित मौतों के प्रमुख कारणों में से एक है।

सर्वाइकल कैंसर के क्या है लक्षण?

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण जल्दी सामने आने लगते है ऐसे में अगर इन शुरुआती लक्षणों पर ध्यान दिया जाए तो इससे जल्द निजात पाने की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन वहीं अगर हम इन शुरुआती लक्षणों को नज़रंदाज़ करते है सर्वाइकल कैंसर होने और इसके गंभीर रूप होने के ख़तरे भी बढ़ जाते है। सर्वाइकल कैंसर के लक्षण है –

  • पीरियड के दौरान ज़्यादा ब्लीडिंग होना या कई बार पीरियड न होने पर भी  (ब्लड स्पॉटिंग) होना 
  • बार-बार वजाइनल इन्फेक्शन या संक्रमण
  • मैनोपोज़ के बाद स्पॉटिंग या रक्तस्राव बार-बार यूरिन इन्फेक्शन, जलन होना
  • यौन संबंध बनाने के बाद रक्तस्राव
  • सफ़ेद पानी या वजाइनल डिसचार्ज, कभी कभार बदबू देने वाला हो
  • और अगर सर्वाइकल कैंसर एडवांस स्टेज पर पहुंचता है तो ज्यादा गंभीर लक्षण दिखाई देने लगते हैं जैसे लगातार कमर, पैरों या पेल्विक (पेड़ू) में दर्द

कहते है कि ‘प्रेविनशन इज़ बेटर देन क्यूर’ यानी इलाज से बेहतर इसकी रोकथाम है। सर्वाइकल कैंसर के संदर्भ में ये बात एकदम सटीक बैठती है। चूँकि सर्वाइकल कैंसर के लक्षण शुरुआती दौर से ही सामने आने लगते है, ऐसे में अगर इन्हें हम शुरुआत से ही गंभीरता से तो हम इसके सफ़ल इलाज की तरफ़ आगे बढ़ सकते है।

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सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के बाद होने वाला दूसरा कैंसर है। डब्लयूएचओ के अनुसार साल 2018 में कुल 570000 सर्वाइकल कैंसर के केस डायगनोस किए गए जिनमें कुल 311000 लोगों की मौत हो गयी। ग़ौर करने वाली बात ये भी है कि विश्व में सर्वाइकल कैंसर के केस सबसे ज़्यादा वहाँ देखे जाते है जहां नियमित जांच और टीकाकरण कार्यक्रम लागू नहीं किए गए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, हर महिला को हर पांच साल में पेपस्मीयर और एचपीवी टेस्ट करवाना चाहिए और अगर किसी महिला की सेक्शुएल एक्टिविटी शुरू हो जाती है तो ऐसे में उन्हें इस एक्टिवीटी के दो साल बाद ये जांच करवाना शुरू कर देना चाहिए। बता दें, सर्वाइकल कैंसर का इलाज संभव है और अगर सही समय पर इसका ट्रीटमेंट शुरू हुआ तो इसका सफ़ल इलाज भी संभव है। इसके साथ ही, हमें कभी सर्वाइकल कैंसर की समस्या न हो इसके लिए वैक्सीन भी उपलब्ध है, जिसे एचपीवी वैक्सीन कहते है।

सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए एचपीवी वैक्सीन

साल 2008 में एचपीवी वैक्सीन को स्वीकृति मिली थी लेकिन इसे राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान का हिस्सा नहीं बनाया गया है। बीबीसी में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, कुछ राज्यों जैसे दिल्ली, सिक्किम और पंजाब में सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत स्कूल जाने वाली लड़कियों को एचपीवी के टीके देने का प्रावधान शुरू किया गया है।

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यों तो बचाव के दृष्टिकोण से सभी को अपने डॉक्टर की सलाह से ये वैक्सीन लेनी चाहिए। पर कुछ ऐसे लोग ज़रूर हैं, जिन्हें ये वैक्सीन ज़रूर लेनी चाहिए, क्योंकि कहीं न कहीं किन्हीं कारणों से उनमें सर्वाइकल कैंसर होने की संभावना अन्य की अपेक्षा ज़्यादा होती है, जैसे –  

1.    अगर आपके वजाइना से असामान्य ब्लीडिंग होती है।

2.    अगर आपको पोस्ट-कोइटल ब्लीडिंग यानी कि संभोग के बाद ब्लीडिंग होती है।

3.    अगर आपको वजाइनल डिस्चार्ज की समस्या है, जिसमें आपको स्मेल और ब्लीडिंग की समस्या है और साथ ही पेट के निचले हिस्से में दर्द भी होता है।

4.    अगर आपको यूरिन में ब्लीडिंग जैसी समस्या हो रही है।

 

 भारतीय पितृसत्तात्मक समाज में हमेशा से महिलाओं के शरीर एक रहस्य बनाए रखना ही सुरक्षित बताया गया, जिसकी वजह से बचपन से ही उनकी कंडिशनिंग इस तरह की जाती है कि वे अपने प्राइवेट पार्ट के बारे में बात न करें।

इस वैक्सीन की एक डोज़ की क़ीमत क़रीब 2500-3000 रुपए होती है, जो आमलोगों के लिए काफ़ी महँगी भी है। लेकिन इसके बावजूद भारत सरकार इस वैक्सीन पर किसी तरफ़ की कोई सब्सिटी नहीं देती है। सर्वाइकल कैंसर (एचपीवी वैक्सीन) वर्तमान में भारत में दो कंपनियों – गार्डासिल और जीएसके (ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन) इसे बेचती है। ये वैक्सीन तब पेसेंट को मिलती है जब उनके डॉक्टर उन्हें इसकी सलाह देते है।  

भारतीय पितृसत्तात्मक समाज में हमेशा से महिलाओं के शरीर एक रहस्य बनाए रखना ही सुरक्षित बताया गया, जिसकी वजह से बचपन से ही उनकी कंडिशनिंग इस तरह की जाती है कि वे अपने प्राइवेट पार्ट के बारे में बात न करें, जितना हो इसे छुपा कर रखें। ये कंडिशनिंग कई बार जानलेवा भी साबित होती है, जब हम अपने प्राइवेट पार्ट से जुड़ी जगहों के बारे में ज़्यादा बात नहीं करते और इससे जुड़ी परेशानियों को साझा नहीं करते,  जिसकी वजह से बहुत बार महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होती है। सर्वाइकल कैंसर यूँ तो एक ऐसा कैंसर है जिसका सफ़ल इलाज का स्तर अन्य कैंसर की अपेक्षा ज़्यादा है। लेकिन ये सिर्फ़ तभी संभव है, जब हम खुद अपनी सेहत को लेकर जागरूक रहें और इस गंभीर बीमारी के बचाव के लिए सही समय पर सही कदम उठाए – और ये सब सिर्फ़ तभी संभव है जब हम पितृसत्ता की कंडिशनिंग को चुनौती दें और अपने शरीर पर बात करें, इसके प्रति जागरूक बनेंगे।

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तस्वीर साभार : herzindagi.com

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