संस्कृतिसिनेमा रोशन कुमारीः एक मशहूर कथक कलाकार जिनके अलग अंदाज़ ने बनाया उन्हें ख़ास| #IndianWomenInHistory

रोशन कुमारीः एक मशहूर कथक कलाकार जिनके अलग अंदाज़ ने बनाया उन्हें ख़ास| #IndianWomenInHistory

साल 1953 में बिमल रॉय ने रोशन कुमारी को अपनी फिल्म ‘परणीता’ में काम करने के लिए चुना। इसके बाद फिल्मों में काम करने का सिलसिला शुरू हो गया। रोशन कुमारी को एक के बाद एक फिल्मों में काम करने का न्यौता मिला।

रोशन कुमारी एक भारतीय अदाकारा, शास्त्रीय नृत्यांगना और कोरियोग्राफर हैं। वह भारत की सबसे प्रसिद्ध कथक कलाकारों में से एक हैं। वह कथक के जयपुर घराने से ताल्लुक रखती हैं। रोशन कुमारी, कथक में अपने अलग अंदाज़ के लिए जानी जाती हैं। वह कथक को प्रचारित करनेवाली अकादमी नृत्य कला केंद्र, मुंबई की स्थापक भी हैं। अपनी कला के माध्यम से उन्होंने भारतीय कला जगत और शास्त्रीय नृत्य की परंपरा को बहुत धनी किया है। कला में अतुल्य योगदान के लिए वह कई सम्मान भी अपने नाम कर चुकी हैं।

प्रांरभिक परिचय

रोशन कुमारी का जन्म हरियाणा के अंबाला शहर में हुआ था। इनके पिता का नाम चौधरी फ़क़ीर मोहम्मद हैं जो एक मशहूर तबला वादक थे। इनकी माँ का नाम जोराबाई अम्बालेवाली है। इनकी माँ एक शास्त्रीय संगीत गायिका थीं, वह 1940 के दशक के मध्य में भारतीय सिनेमा की मशहूर गायिका भी रही हैं। रोशन कुमारी अपने पिता के बहुत करीब थीं। उनका परिवार संगीत से संबंध रखनेवाला परिवार था। रोशन कुमारी का बचपन से ही सुर और ताल से परिचय हो गया था। उनकी माँ उन्हें गायक बनाना चाहती थीं और उन्हें संगीत की शिक्षा देना चाहती थी। लेकिन रोशन कुमारी ने नृत्य को चुना और उन्होंने कथक की शिक्षा ली।

रोशन कुमारी ने बहुत छोटी उम्र में कथक सीखना शुरू कर दिया था। उन्होंने प्रारंभिक कथक की शिक्षा के.एस. मोरे से ली थी। के.एस. मोरे हिंदी फिल्मों में डांस डॉयरेक्टर थे। उसके बाद उन्होंने महाराज बिंदादीन से कथक की शिक्षा ली थी। रोशन कुमारी ने सुंदर प्रसाद से भी कथक की तामील हासिल की हैं। कथक के अलावा उन्होंने गोविंद पिल्लई और महालिंगम पिल्लैई से भरतनाट्यम भी सीखा था।

साल 1953 में बिमल रॉय ने रोशन कुमारी को अपनी फिल्म ‘परणीता’ में काम करने के लिए चुना। इसके बाद फिल्मों में काम करने का सिलसिला शुरू हो गया। रोशन कुमारी को एक के बाद एक फिल्मों में काम करने का न्यौता मिला।

और पढ़ेंः सुरैया: बॉलीवुड की मशहूर गायिका और अदाकारा

रोशन कुमारी अपने पिता के साथ कथक की प्रैक्टिस किया करती थीं। उनके पिता तबला बजाते थे और वह नाचती थी। उन दिनों महिलाओं के डांस करने को सम्मान की नज़रों से नहीं देखा जाता था लेकिन उनके पिता ने उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया। समाज के नज़रिये से अलग वह अपनी बेटी को आगे बढ़ने के लिए हमेशा खड़े रहे। उन्होंने बहुत छोटी उम्र में पहली बार एक बड़े मंच पर अपनी कला की प्रस्तुति दी थी। रोशन कुमारी ने इसके बाद देश के कई अलग-अलग राज्यों में जाकर कथक की प्रस्तुति देनी शुरू कर दी थी और वह अपनी कला के बल पर जल्द ही प्रसिद्ध भी हो गई थीं।

फिल्म सफ़र

साल 1953 में बिमल रॉय ने रोशन कुमारी को अपनी फिल्म ‘परणीता’ में काम करने के लिए चुना। इसके बाद फिल्मों में काम करने का सिलसिला शुरू हो गया। रोशन कुमारी को एक के बाद एक फिल्मों में काम करने का न्यौता मिला। ‘परणीता’ के बाद अगले साल उन्हें नितिन बोस निर्देशित ‘वारिस’ में काम करने को मिला। इसी के साथ उन्होंने सोराब मोदी की ‘मिर्ज़ा गालिब’ में भी प्रस्तुति दीं। 1956 में उन्होंने राजा नवाथे की फिल्म ‘बसंत बहार’ में काम किया। 

रोशन कुमारी में फिल्मों में बतौर डांसर करियर तेजी से बढ़ रहा था। साल 1958 में उन्होंने सत्याजीत रे की निर्देशित फिल्म ‘जलसाघर’ में कथक की एक प्रस्तुति दी थी। रोशन कुमारी ने हिंदी फिल्मों में बतौर कोरियोग्राफर भी काम किया है। उन्होंने चेताली (1975), सरदारी बेगम (1996), लेकिन (1990) जैसी फिल्मों में काम किया। 1970 में भारत सरकार के फिल्म डिवीजन ने भारत में कथक के इतिहास और चलन पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाई थी जिसमें देश के मशहूर कथक कलाकारों ने प्रस्तुति दी थी। इस डॉक्यूमेंट्री में दमयंती जोशी, उमा शर्मा, शंभू महाराज और रोशन कुमारी की भी प्रस्तुति थी। 

1971 में उन्होंने नृत्य कला केंद्र, बांद्रा, मुंबई में स्थापित किया था। जहां उन्होंने बहुत से विद्यार्थियों को कथक सिखाया। भारत में कथक की एक पूरी पीढ़ी को तैयार करने में रोशन कुमारी का बहुत बड़ा योगदान हैं।

और पढ़ेंः दुर्गा खोटे : सिनेमा जगत के शुरुआती दौर की एक बेहतरीन अदाकारा| #IndiaWomenInHistory

रोशन कुमारी ने देश के कोने-कोने जाकर कथक की प्रस्तुति दी है। वह राष्ट्रपति भवन में भी कई बार कथक की प्रस्तुति दे चुकी हैं। 1971 में उन्होंने नृत्य कला केंद्र, बांद्रा, मुंबई में स्थापित किया था, जहां उन्होंने बहुत से विद्यार्थियों को कथक सिखाया। भारत में कथक की एक पूरी पीढ़ी को तैयार करने में रोशन कुमारी का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कथक को नई पीढ़ी तक प्रचारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायई।

सम्मान

रोशन कुमारी को कथक की कला में योगदान देने के लिए अनेक सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका हैं। साल 1963 में रोशन कुमारी को 12वें ऑल इंडिया म्यूज़िक कॉन्फ्रेंस में प्रयाग संगीत समिती द्वारा ‘नृत्य शिरोमणि’ की उपाधि से नवाज़ा गया था। 1976 में संगीत नाटक अकादमी ने पुरस्कार से सम्मानित किया था। साल 1984 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था। वह 1989 में बंगाल सरकार की ओर से ‘विश्व उन्नयन पुरस्कार’ हासिल कर चुकी हैं। साल 1990 में महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें ‘महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार’ से सम्मानित किया था। 1993 में उन्हें जयपुर के कथक केंद्र ने ‘मान पत्र’ से नवाज़ा था। रोशन कुमारी भारत सरकार की ओर से ‘एमेरिटस फेलो’ भी रह चुकी हैं। रोशन कुमारी वर्तमान में मुंबई में रहती हैं। 

और पढ़ेंः बेगम कुदसिआ जै़दी : जिन्होंने हिंदुस्तानी थियेटर की नींव रखी| #IndianWomenInHistory


तस्वीर साभारः Cinema Nritya

स्रोतः

  1. Wikipedia
  2. Peoplepill.com

Leave a Reply

संबंधित लेख

Skip to content