समाजखेल कुश्ती खिलाड़ियों का धरना संदेश देता है ‘हिंसा के ख़िलाफ़ एकजुट होकर आवाज़ उठाने का’

कुश्ती खिलाड़ियों का धरना संदेश देता है ‘हिंसा के ख़िलाफ़ एकजुट होकर आवाज़ उठाने का’

बीते शुक्रवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर कुछ दिनों से भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के ख़िलाफ़ धरने पर बैठे कुश्ती खिलाड़ियों ने सरकार से आश्वासन मिलने के बाद कुछ दिनों के धरना समाप्त कर दिया है। धरने पर बैठी महिला कुश्ती खिलाड़ियों ने महासंघ के प्रेसिडेंट व भाजपा नेता बृज भूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं। 

एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली महिला भारतीय पहलवान विनेश फोगाट अपने साथियों के साथ दिल्ली की कड़ाके की सर्दी में खुले आसमान के नीचे बैठी इंसाफ़ की माँग कर रही थी। वो अपनी जैसी तमाम महिला कुश्ती खिलाड़ियों के लिए न्याय की माँग कर रही थी जिन्हें भारतीय कुश्ती संघ में दुर्व्यवहार और यौन उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा। विनेश फोगाट ने मीडिया को बताया कि, “कोच महिलाओं को परेशान कर रहे हैं और फ़ेडरेशन के चहेते कुछ कोच तो महिला कोचों के साथ भी अभद्रता करते हैं। वे लड़कियों को परेशान करते हैं। भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रेसीडेंट ने कई लड़कियों का यौन उत्पीड़न किया है।” फोगाट आगे कहती हैं कि, “वे हमारी निजी ज़िंदगी में दखल देते हैं और परेशान करते हैं। वे हमारा शोषण कर रहे हैं। जब हम ओलंपिक खेलने जाते हैं तो न तो हमारे पास फीजियो होता है न कोई कोच। जब हमने अपनी आवाज़ उठाई तो उहोंने हमें धमकाना शुरू कर दिया।”

विनेश फोगाट 2022 के कॉमन वेल्थ गेम्स में 53 किलोग्राम भार वर्ग में गोल्ड मेडलिस्ट रही हैं। फोगाट ने बताया कि एक दौर ऐसा भी आया कि इतना मेंटल टॉर्चर हुआ कि मैं खुदकुशी करने की सोचने लगी थी। मैं हर दिन खुदकुशी करने की सोचने लगी थी। हर एथलीट को पता है कि हमारे साथ क्या गुजर रही है।

उन्होंने कहा कि अगर मुझे कुछ हो जाता तो मेरा परिवार क्या करता उसके बाद और कौन लेता इसकी ज़िम्मेदारी। उन्होंने कहा कि अगर हमारे किसी भी खिलाड़ी को कुछ भी होता है तो उसकी ज़िम्मेदारी हमारे फ़ेडरेशन की होगी। हमारा इतना मेंटल टॉर्चर होता है। मुझे कहा जाता है कि मैं मानसिक रूप से कमज़ोर हूं।

कुश्ती खिलाड़ियों का धरना संदेश देता है ‘हिंसा के ख़िलाफ़ एकजुट होकर आवाज़ उठाने का’

आज भी जब सड़कों पर या मैदानों में महिला खिलाड़ी खेल के अभ्यास के लिए निकलती है तो उन्हें अश्लील कमेंट और यौन हिंसा का सामना करना पड़ता है। राह में आते-जाते उन्हें भला-बुरा कहने से भी लोग बाज नहीं आते। कई बार घरवाले भी उनपर पाबंदियाँ लगाते है। ऐसे में जब एक महिला खिलाड़ी अपने लिए खेल के मैदान में अपनी जगह बनाती है और राज्य, राष्ट्र और फिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाती है तो उसका सफ़र आसान नहीं होता है। उसे हर कदम को खुद को साबित करना होता है और हर कदम पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और जब इसके बाद एक मुक़ाम पर पहुँच कर भी अगर हिंसा और अन्याय का सामना करना पड़े तो ये दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है।

जंतर-मंतर पर धरने में बैठी ये महिला खिलाड़ी न जाने कितनी महिलाओं-लड़कियों के लिए प्रेरणास्रोत है। कितनी लड़कियाँ इनकी तरह खेल जगत में आगे बढ़ना चाहती है, लेकिन इन सबके बीच जब हिंसा की ऐसी खबरें सामने आती है तो एक़बार में निराशाजनक तो लगती है। ये खबरें इसबात पर सोचने को मजबूर कर देती है कि आख़िर महिलाएँ कहाँ सुरक्षित हैं? महिलाओं का यौन हिंसा के ख़िलाफ़ संघर्ष कब ज़ारी रहेगा? ये सवाल परेशान करते है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ़ ये एक ऊर्जा भी देती है – डटे रहने और हिंसा के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने की।

महिला कुश्ती खिलाड़ियों का साथ सभी कुश्ती खिलाड़ियों ने दिया और वे भी उनके साथ धरने पर बैठे। पहलवानों की तरफ से ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया ने मीडिया को बताया कि ‘वह विरोध का रास्ता नहीं अपनाना चाहते थे, लेकिन उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया। टोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता बजरंग ने कहा, ‘हमारा विरोध प्रदर्शन समाप्त हो गया है। हम धरने पर नहीं बैठना चाहते थे, लेकिन पानी सर से ऊपर चला गया था। सरकार ने हमें सुरक्षा का आश्वासन भी दिया है, क्योंकि कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष से हमें अतीत में भी धमकी मिलती रही है।’

धरने का असर : कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष हुए अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारियों से अलग

राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों का एकजुट होकर हिंसा के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने का नतीजा ये हुआ कि सरकार की तरफ़ से सबसे पहले कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष भाजपा नेता बृज भूषण शरण सिंह को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारियों से अलग कर दिया है और सरकार ने महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पर लगाए गए आरोपों की जांच के लिए एक निगरानी समिति गठित करने का फैसला किया है। समिति के सदस्यों के नामों की घोषणा अभी नहीं की गई है। यह समिति महासंघ के रोजमर्रा के काम को भी देखेगी।

इतना ही नहीं महिला पहलवानों की तरफ़ से भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष और कोचों पर यौन उत्पीड़न और महासंघ के कामकाज में कुप्रबंधन के गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद दिल्ली में ओलंपिक और राष्ट्रमंडल खेलों (सीडब्ल्यूजी) के पदक विजेताओं सहित पहलवानों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन का संज्ञान लेते हुए खेल मंत्रालय ने कुश्ती महासंघ से स्पष्टीकरण मांगा है और आरोपों पर अगले 72 घंटों के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मंत्रालय ने डब्ल्यूएफआई को भेजे अपने पत्र में कहा है, ‘चूंकि मामला एथलीटों से जुड़ा है, इसलिए मंत्रालय ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया है।’ मंत्रालय ने आगे कहा है कि अगर डब्ल्यूएफआई अगले 72 घंटों के भीतर जवाब देने में विफल रहता है तो मंत्रालय राष्ट्रीय खेल विकास संहिता, 2011 के प्रावधानों के अनुसार महासंघ के खिलाफ कार्रवाई शुरू करेगा।

कुश्ती खिलाड़ियों के इस धरना-प्रदर्शन ने महिला हिंसा के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने के रास्ते खोले है, जिसे आमतौर पर एक मुक़ाम पर पहुँचने के बाद कर पाना असंभव ही लगता है। कई बार डर अपनी छवि का होता है तो कई बार डर अपने करियर का होता है। लेकिन कुश्ती खिलाड़ियों का इस डर को चुनौती देते हुए एकसाथ हिंसा के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना हर उस इंसान के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनेगा जो आज भी किसी मुक़ाम पर पहुँचने के बाद हिंसा का शिकार होने को मजबूर है।


तस्वीर साभार : indianexpress

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