इतिहास नस्लभेद पर चुप्पी के बीच बात फ्रांसिस विलार्ड के काम की

नस्लभेद पर चुप्पी के बीच बात फ्रांसिस विलार्ड के काम की

फ्रांसिस विलार्ड नागरिक सुधारों के लिए काम करने वाली एक प्रमुख आवाज़ थी लेकिन उन्होंने सामाजिक बुराईयों के लिए काले लोगों को सार्वजनिक तौर पर जिम्मेदार भी ठहराया।

फ्रांसिस विलार्ड अमेरिका में उन्नसीवीं सदी की सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली महिलाओं में से एक रही हैं। फ्रांसिस विलार्ड का पूरा नाम फ्रांसिस एलिजाबेथ कैरोलीन विलार्ड था। वह एक शिक्षक होने के साथ एक समाज सुधाकर भी थीं। उन्होने शराबबंदी के साथ-साथ महिलाओं के अधिकारों के लिए काम किया। महिलाओं को मताधिकार के आंदोलन में भी वह सक्रिय रूप से शामिल थी।

शुरुआती जीवन और शिक्षा

फ्रांसिस विलार्ड का जन्म 28 सितंबर, 1839 को रोचेस्टर, न्यूयॉर्क के पास चर्चविले में हुआ था। इनके पिता का नाम जोशिया फ्लिंट विलार्ड और माता का नाम मैरी थॉम्पसन हिल विलार्ड था। 1841 तक वह अपने माता-पिता के साथ वहीं रही उसके बाद उनका परिवार ओबेरिन ओहियो चला गया था। 1846 में उनका परिवार दक्षिणपूर्वी विस्कॉन्सिन में जेम्सविले के पास रहने चला आ गया था जहां उनका अधिकांश बचपन बीता। उनके दो अन्य भाई-बहन थे। फ्रांसिस ने नॉर्थ वेस्टर्न फीमेल कॉलेज में पढ़ाई की थी।

ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद विलार्ड ने 1868 तक अलग-अलग पढ़ाया, जिसमें पिट्सबर्ग फीमेल कॉलेज और न्यूयॉर्क में जेनेसी वेस्लीयन सेमिनरी में विज्ञान पढ़ाना शामिल था। साल 1871 में विलार्ड को इवान्स्टन कॉलेज फॉर लेडीज़ की अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद जब उस स्कूल का नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में विलय हुआ, तो उन्हें नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के वीमन कॉलेज की डीन नियुक्त किया गया। उन्होंने यूनिवर्सिटी के लिबरल आर्ट्स में एस्थेटिक्स की प्रोफेसर के पद पर भी नियुक्त किया गया। 

उन्होंने कहा था कि ब्लैक पुरुषों ने गौरी महिलाओं के साथ बलात्कार किया था और गोरे लोगों ने बदले में उन्हें मार डाला था। उन्होंने ब्लैक लोगों के लिए अपमानित भाषा का इस्तेमाल किया था। विलार्ड ने ऐसी टिप्पणियां की थी जो ब्लैक लोगों, अप्रवासियों के लिए अपमानजनक थी। वह अपने समय के नस्लवादी व्यवहार को सही मानती थी। उन्होंने लिचिंग के ख़िलाफ़ कभी कुछ नहीं कहा था।

सामाजिक आंदोलनों में हुई शामिल

अपने जीवन के कई साल शिक्षण को देने के बाद विलॉर्ड पूरी तरह सामाजिक आंदोलनों में शामिल हुई। साल 1874 में वीमंस क्रिश्चन टेम्पेरेंस यूनियन (डब्ल्यूसीटीयू) से जुड़ीं। उन्होंने यूनियन के संस्थापक सम्मेलन में भाग लिया। वह यूनियन की पहली कॉरस्पॉडिंग सचिव चुनी गई थीं। संयुक्त राज्य अमेरिका में महिलाओं के अधिकारों के लिए डब्ल्यूसीटीयू सबसे बड़ा और सबसे प्रभावी बल बन गया था। साल 1876 में वह डब्ल्यूसीटीयू प्रकाशन विभाग की प्रमुख बनीं। उन्होंने यूनियन के साप्ताहिक समाचार पत्र, द यूनियन सिग्नल के लिए राष्ट्रीय दर्शकों को बढ़ाने पर जोर दिया। 1885 में कई अन्य महिलाओं के साथ मिलकर विलार्ड ने एक वीमन प्रेस एसोसिएशन की स्थापना भी की थी।

तस्वीर साभारः Britannica

साल 1879 में विलार्ड डब्ल्यूसीटीयू की अध्यक्ष चुनी गई। वह इस पद पर अपनी मृत्यु तक बनी रही थीं। डब्ल्यूसीटीयू को सामाजिक सुधारों को करने के लिए और महिलाओं की सार्वजनिक भूमिका को विस्तार करने के तौर पर देखा गया। महिलाओं की अगली पीढ़ी के नेताओं के निर्माण करने में इस यूनियन का बड़ा योगदान था। उन्होंने शराब की बिक्री पर रोक लगाने को महत्वपूर्ण काम किया। उस समय शराब की मादक मात्रा पर कोई कानूनी सीमा नहीं हुआ करती थी, जो कि महिलाओं और बच्चों के लिए घातक साबित हो रही थी। विलार्ड इसके अंजाम से पहले से परिचित थी क्योंकि उनका अपना भाई और दोनों भतीजे शराब के आदि हो चुके थे। विलार्ड के भाई की ज्यादा शराब पीने के कारण मृत्यु हो गई, जिसे लोगों ने शराब द्वारा नष्ट किए गए परिवार के एक उदाहरण में लिया। 

इस दौरान विलार्ड ने महिलाओं और बच्चों पर बढ़ते शराब के प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करने का काम किया। उन्होंने बताया कि शराब लोगों के आर्थिक संसाधनों को खत्म कर देती है और शराब निर्माता गरीबों के खर्च से मुनाफा कमाते हैं। उन्होंने दुनिया के सामने यह तर्क रखा कि शराब पर खर्च किए गए पैसे ने न केवल परिवारों से बुनियादी संसाधनों को छीना है, बल्कि इसके कारण नशे में धुत पुरुष बलात्कार, घरेलू हिंसा जैसे अपराध को अंजाम देते हैं और अपने बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं। वह आर्थिक रूप से गैर-जिम्मेदार होते जाते हैं और अपने परिवारों को छोड़ देते हैं।

मताधिकार आंदोलन में दिया योगदान

विलार्ड के नेतृत्व में, डब्ल्यूसीटीयू महिलाओं के सबसे बड़े संगठनों में से एक बन गया जिसमें वैश्विक स्तर पर दो लाख से अधिक सदस्य जुड़े हुए थे। प्रत्येक वर्ष वह एक संबोधन प्रकाशित करती थी जिसमें वह समाज की भलाई के लिए कार्य योजना और विचारों का प्रस्ताव रखती थी। उनका मकसद महिलाओं को किसी की पारंपरिक भूमिका पत्नी और माँ से परे एक अलग पहचान हासिल करने पर जोर देना था।

विलार्ड का मताधिकार आंदोलन में भी योगदान रहा। उन्होंने मताधिकारियों से संवैधानिक संशोधन पर अपना ध्यान केन्द्रित करने के बजाय वोट प्राप्त करने के लिए स्थानीय स्तर पर काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कई अनिच्छुक महिलाओं को मताधिकार आंदोलन का समर्थन करने के लिए राजी किया, ताकि वे अपने शहरों और अमेरिका के नैतिक ताने-बाने में सुधार करने के लिए वोट की शक्ति का उपयोग कर सकें। 

साल 1874 में वीमंस क्रिश्चन टेम्पेरेंस यूनियन (डब्ल्यूसीटीयू) से जुड़ीं। उन्होंने यूनियन के संस्थापक सम्मेलन में भाग लिया। वह यूनियन की पहली कॉरस्पॉडिंग सचिव चुनी गई थीं। संयुक्त राज्य अमेरिका में महिलाओं के अधिकारों के लिए डब्ल्यूसीटीयू सबसे बड़ा और सबसे प्रभावी बल बन गया था।

टेम्पेरेंस और मताधिकार आंदोलन के अलावा विलार्ड के नेतृत्व में डब्ल्यूसीटीयू ने समान काम के लिए समान वेतन, आठ घंटे का कार्य दिवस, विश्व शांति, कार्यस्थल में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा, किंडरगार्डन, ड्रेस सुधार, जेल सुधार, समान विवाह, तलाक कानून जैसे व्यापक सामाजिक सुधारों का समर्थन किया। इसके अलावा डब्ल्यूसीटीयू ने कामकाजी लड़कियों के लिए घर, प्रताड़ित महिलाओं और बच्चों के लिए आश्रम और मुफ्त किंडरगार्डन की स्थापना की। 

रंगभेद पर हमेशा बनाई रखी चुप्पी

फ्रांसिस विलार्ड नागरिक सुधारों के लिए काम करने वाली एक प्रमुख आवाज़ थी लेकिन उन्होंने सामाजिक बुराईयों के लिए ब्लैक लोगों को सार्वजनिक तौर जिम्मेदार भी ठहराया। 1890 में विलार्ड डब्ल्यूसीटीयू के वार्षिक अधिवेशन के लिए अटलांटा की यात्रा पर थी। संघ ने अपनी योजनाओं के तहत राष्ट्रीय स्तर पर दक्षिणी गौरी महिलाओं की भर्ती के लिए एक बैठक आयोजित की थी। इसके बाद विलार्ड ने एक इंटरव्यू दिया था। उन्होंने मतदान पर शैक्षिक प्रतिबंधों के लिए समर्थन व्यक्त किया था और उन्होंने सुझाव दिया था कि दक्षिण में निषेध बिलों की हार के लिए ब्लैक मतदाता जिम्मेदार हैं।

तस्वीर साभारः Scalar

उन्होंने उसी बात को दोहराया था जो दक्षिणी व्हाइट लोगों द्वारा प्रचलित थी। उन्होंने कहा था कि ब्लैक पुरुषों ने गौरी महिलाओं के साथ बलात्कार किया था। उन्होंने ब्लैक लोगों के लिए अपमानित भाषा का इस्तेमाल किया था। विलार्ड ने ऐसी टिप्पणियां की थी जो ब्लैक लोगों, अप्रवासियों के लिए अपमानजनक थीं। वह अपने समय के नस्लवादी व्यवहार को सही मानती थी। उन्होंने लिचिंग के ख़िलाफ़ कभी कुछ नहीं कहा था। उन्होंने यह इंटरव्यू इडा बी. वेल्स को दिया था जो उस समय न्यूयॉर्क वॉयस में प्रकाशित हुआ था।

बीमारी की वजह से वह अपना ज्यादातर समय विदेश में बिताने लगी थी जिसके कारण संयुक्त राष्ट्र में उनकी अनुपस्थिति और डब्ल्यूसीटीयू के नेतृत्व को लेकर लोगों के मन में कई सवाल खड़े होने लगे, लेकिन उनकी अगुआई के लिए समर्थन कभी फीका नहीं पड़ा। फरवरी 1898 में, जब वह इंगलैंड जाने की तैयारी कर रही थी तब वह इन्फ्लूएंजा वायरस की चपेट में आकर बीमार पड़ गई और 17 फरवरी, 1898 को न्यूयॉर्क के एम्पायर होटल में उनकी मृत्यु हो गई। उन्नीसवीं शताबदी के अंत तक फ्रांसिस विलार्ड दुनिया की सबसे प्रसिद्ध महिलाओं में से एक थीं। उनके माध्यम से, डब्ल्यूसीटीयू महिलाओं को जुटाने और पुरुषों का समर्थन हासिल करने में सक्षम था। उस समय तक डब्ल्यूसीटीयू की सदस्यता में लाखों लोग थे और इसे सामाजिक सुधार की एक शक्तिशाली सेना माना जाता था।


सोर्सः

  1. Wikipedia
  2. Franceswillardhouse.org
  3. scalar.usc.edu

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