समाजमीडिया वॉच इंटरनेट का इस्तेमाल कर कैसे लघु उद्योग को मज़बूती दे रही हैं औरतें

इंटरनेट का इस्तेमाल कर कैसे लघु उद्योग को मज़बूती दे रही हैं औरतें

डिजिटल दुनिया से महिलाओं को बाहर रखने की वजह से पिछले दशक में निम्न और मध्यम देशों के सकल घरेलू उत्पाद से एक ट्रिलियन यूएस डॉलर कम कर दिया। बिना कोई कदम उठाए यह नुकसान 2025 तक 1.5 ट्रिलियन यूएस डॉलर होने की संभावना है।

उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाली शैली सिलाई-कढ़ाई, बुनाई और घर में रखकर कपड़ों की ब्रिक्री का काम करती हैं। पिछले दो सालों में अपने कौशल और व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने इंटरनेट का इस्तेमाल किया है। शैली इकलौती उदाहरण नहीं है जो डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल करके अपने ई-कॉमर्स के क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं और अर्थव्यवस्था में योगदान दे रही है। 

संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन “डिजिटऑलः इनोवेशन फॉर जेंडर इक्विलिटी” शीर्षक के तहत किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य डिजिटल बदलाव में महिलाओं और लड़कियों की भागीदारी सुनिश्चित करना है। आधुनिक कम्प्यूटर युग में दुनिया तेजी से डिजिटल होती जा रही है। इंटरनेट, मोबाइल डिवाइस और अन्य नेटवर्किंग माध्यमों से लोग बड़ी संख्या में जुड़ रहे हैं और व्यक्तिगत तौर पर ताकतवर बन रहे हैं। इस क्रम में महिलाओं भी डिजिटली माध्यमों का उपयोग करके खुद को आर्थिक रूप से सबल करे और अर्थव्यवस्था में योगदान दे। 

संयुक्त राष्ट्र की जेंडर स्नैपशॉट 2022 की रिपोर्ट के अनुसार डिजिटल दुनिया से महिलाओं को बाहर रखने की वजह से पिछले दशक में निम्न और मध्यम देशों के सकल घरेलू उत्पाद से एक ट्रिलियन यूएस डॉलर कम कर दिया। बिना कोई कदम उठाए यह नुकसान 2025 तक 1.5 ट्रिलियन यूएस डॉलर होने की संभावना है। इस स्थिति से निपटने के लिए महिलाओं के लिए असुरक्षित ऑनलाइन स्पेस को बदलना होगा।

डिजिटल अर्थव्यवस्था बहुत व्यापक श्रेणी है। अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम के अनुसार साल 2025 से 2030 के बीच महिलाएं अकेले अफ्रीका और दक्षिण-ईस्ट एशिया के ई-कॉमर्स बाजार में 300 यूएस डॉलर जोड़ सकती हैं।

डिजिटल इकॉनमी क्या है?

डिजिटल इकॉनमी वह आर्थिक गतिविधि है जो लोगों, व्यवसायों, उपकरणों, डेटा और प्रतिक्रियाओं के बीच प्रतिदिन होने वाले अरबों ऑनलाइन कनेक्शनों से बनती है। डिजिटल अर्थव्यवस्था की रीढ़ हाइपरकनैक्टिवटी है जिसका मतलब है कि लोगों, संस्थानों और मशीनों के बीच इंटरकनैक्शन बने जो इंटरनेट, मोबाइल टेक्नोलॉजी से उत्पन्न होता है। एशियन डेवलपमेंट बैंक के अनुसार डिजिटल अर्थव्यवस्था आर्थिक गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला है जो उत्पादन के प्रमुख कारकों के रूप में डिजिटल सूचना और ज्ञान का उपयोग करती है।  

वर्ल्ड इकॉनमी फोरम के अनुसार डिजिटल अर्थव्यवस्था बहुत व्यापक श्रेणी है। अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम के अनुसार साल 2025 से 2030 के बीच महिलाएं अकेले अफ्रीका और दक्षिण-ईस्ट एशिया के ई-कॉमर्स बाजार में 300 यूएस डॉलर जोड़ सकती हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार डिजिटल सेक्टर में अधिक महिलाओं की उपस्थिति से यूरोपीय यूनियन के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 16 बिलियन यूरो की सालाना वृद्धि हो सकती है। महिलाओं के लिए पेशेवर संभावनाओं और सामाजिक जीवन मे उनकी भागीदारी के लाभ के लिए डिजिटल परिवर्तन में शामिल होना बहुत आवश्यक है। महिलाओं के आगे बढ़ने के लिए डिजिटल जेंडर गैप, महिला कर्मचारियों और एंटरप्रौन्योरशिप का पक्ष और  श्रम बाजार की असमानता मिटाना बहुत आवश्यक है। 

अपने काम को डिजिटल माध्यमों से कैसे आगे बढ़ा रही हैं महिलाएं

उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के एक गांव की रहने वाली शैली घर में रहकर ही इंटरनेट के माध्यम से काम करती हैं। डिजिटल अपने व्यापार को जोड़ने पर उनका कहना है, “ये होते-होते हो गया। मैंने सिर्फ शुरुआत की थी इंटरनेट की मदद से काम आसान हो गया। न कही जाना है न कही आना है इंटरनेट से सारा काम हो जाता है। मुझे सिलाई, कढ़ाई और बुनाई का जीवन के शुरुआती समय से ही बहुत शौक था। फोन, इंटरनेट ने सीखने की चाह बढ़ाई और फिर यही से खुद की बनाई चीजों को ऑनलाइन ब्रिकी का विकल्प भी दिखा दिया। मुझे अपने काम के लिए बाहर नहीं जाना पड़ा, सच कहूं तो बाहर जाकर काम करने की मनाही थी जिस वजह से मैंने घर में ही कुछ करना सोचा था। आज ऑनलाइन ही सारे ऑर्डर मिलते हैं, उसी से पेमेंट होता है। अब काम चल निकला है तो एक के बाद एक नये ऑर्डर मिलते रहते है, कभी–कभी ये सोचकर करिश्मे के समान लगता है।”

तस्वीर साभारः Idea For India

ऑनलाइन सामान खरीदती हूं और ऑनलाइन ही बेचती हूं

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर जिले के रोहाना की रहने वाली रिंकी इंटरनेट की मदद से अपनी कला के ज़रिये पैसा कमाने वाली अपने परिवार की पहली महिला है। रिंकी पिछले एक साल से ऑनलाइन अपना बिजनेस कर रही हैं। वह मूर्तियों की पोशाक बनाने का काम करती है। उनका कहना है, “मुझे काम करना था कुछ भी। ऑनलाइन सर्च करने के दौरान लगा कि मार्किट में इन पोशाकों की काफी डिमांड है तो बस पहले ऑनलाइन ही सिलाई सीखी और फिर उसके बाद ब्रिकी करनी भी शुरू कर दी। मेरी परिस्थितियां ये रही हैं कि मैं घर से बाहर जाकर कुछ नहीं कर सकती थी तो मैंने इंटरनेट की मदद से ही आगे बढ़ना सोचा। शुरुआत में काम शुरू किया था तो घर में किसी को साफ-साफ बताया भी नहीं था कि मैं यह करने का सोच रही हूं। ऑनलाइन ही कपड़ा और ज़रूरी सामान मंगा लेती हूं और पेमेंट भी वहीं से होता है। गुजरात, हरियाणा से सामान खरीदा है और ऑर्डर भी अलग-अलग जगहों से मिलते हैं और सारा पैसा बैंक में खाते में आ जाता है। ऑनलाइन होने का यही फायदा है कि तमाम बंदिशों के बाद भी आज मेरे जैसी बहुत सी महिलाएं काम कर पा रही हैं। अपने मन को तसल्ली दे पाती हैं कि वे अपना पैसा खुद कमाती है।”    

आम महिलाओं को उद्यमी बनाता ई-कामर्स

वर्ल्ड इकॉनमी फोरम के अनुसार ई-कॉमर्स महिलाओं को तीन प्रमुख लाभ प्रदान करता है। सबसे पहले यह पांरपरिक ब्रिक एंड मोर्टार बिजनेस की तुलना में प्रवेश के लिए कम बाधाएं प्रदान करता है। कहने का मतलब है कि महिला उद्यमी अपना व्यवसाय कम लागत में और  बिना किसी भौतिक स्टोरफ्रंट की आवश्कता के शुरू कर सकती है। दूसरा यह महिला उद्यमियोंं को पूरी दुनिया के ग्राहकों तक पहुंच बनाने में सक्षम बनाता है। महिला उद्यमी अपने क्षेत्रीय बाजार से आगे निकलकर वैश्विक स्तर पर अपने ग्राहकों का विस्तार कर सकती है। तीसरा यह महिलाओं के काम के समय और स्थान में सहूलियत देता है। जिन महिला उद्यमियों पर देखभाल की जिम्मेदारियों का भार और गतिशीलता की कमी होती है उनके लिए डिजिटल तकनीक बहुत लाभान्वित हो सकती हैं। 

रिंकी पिछले एक साल से ऑनलाइन अपना बिजनेस कर रही हैं। वह मूर्तियों की पोशाक बनाने का काम करती है। उनका कहना है, “मुझे काम करना था कुछ भी। ऑनलाइन सर्च करने के दौरान लगा कि मार्किट में इन पोशाकों की काफी डिमांड है तो बस पहले ऑनलाइन ही सिलाई सीखी और फिर उसके बाद ब्रिकी करनी भी शुरू कर दी।”

तमाम तरह के अवसरों के बावजूद डिजिटल अर्थव्यवस्था में पुरुषों के मुकाबले महिला उद्यमियों का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। यह अंतर छूटे हुए आर्थिक अवसरों में तब्दील हो जाता है और मौजूदा लैंगिक असमानताओं को और अधिक बढ़ाता है। ई-कॉमर्स और डिजिटल अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए हमें डिजिटल जेंडर गैप को सबसे पहले खत्म करना है। मोबाइल फोन और इंटरनेट तक उनकी पहुंच सुनिश्चित करनी होगी। आंकड़ों के मुताबिक़ वैश्विक स्तर पर केवल 48 फीसदी महिलाओं के पास इंटरनेट की सुविधा है जबकि यह दर पुरुषों में 58 फीसदी है। दक्षिण एशिया में 68 फीसदी पुरुषों के मुकाबले 27 फीसदी महिलाएं मोबाइल इंटरनेट का इस्तेमाल कर पाती है। यह अंतर स्मार्टफोन और इंटरनेट की ऑनरशिप रखने में बहुत अधिक बढ़ जाता है।

महिला का व्यवसाय में योगदान न केवल उनका निजी विकास है बल्कि यह एक मुल्क की अर्थव्यवस्था को भी आगे बढ़ाने का काम करता है। महिलाओं के बढ़ते कदम डिजिटल अर्थव्यवस्था का भविष्य है इसलिए महिला उद्यमियों को आगे बढ़ाने के लिए नीतियों का निर्माण होना भी बहुत आवश्यक है। सरकारों को धरातल के स्तर से बाधाओं को खत्म कर महिला को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाने के लिए योजना बनानी होगी। डिजिटल अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी में निवेश करके ही हम एक अधिक समावेशी और न्यायसंगत वैश्विक अर्थव्यवस्था का निर्माण कर सकते हैं।


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