समाजविज्ञान और तकनीक डॉ. टेसी थॉमसः ‘मिसाइल वुमन ऑफ इंडिया’

डॉ. टेसी थॉमसः ‘मिसाइल वुमन ऑफ इंडिया’

1988 में डिफेंस रिसर्च एंड डेवेलवमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) के साथ जुड़ी। जहां उन्होंने नई पीढ़ी की बैलिस्टिक मिसाइल और अग्नि के डिजाइन और विकास पर काम किया। उन्हें अग्नि परियोजना के लिए ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा नियुक्त किया गया था।

रक्षा क्षेत्र में अपने प्रतिष्ठित कार्यों के लिए जानी जाने वाली डॉ. टेसी थॉमस, ‘मिसाइल वुमन ऑफ इंडिया’, एक प्रेरणास्त्रोत हैं। उन्होंने अपने योगदान से भारतीय मिसाइल प्रोग्राम को महत्वपूर्ण दिशा में बढ़ावा दिया और रक्षा तंत्र में महिलाओं के प्रति समर्पण को प्रकट किया। उनका योगदान भारतीय रक्षा शास्त्र में एक महत्वपूर्ण स्तर की पहुंच बनाने में रहा है। उनकी मेहनत, समर्पण और निष्ठा ने उन्हें एक श्रेष्ठ वैज्ञानिक और रोल मॉडल बनाया हैं। उन्होंने अपने उन्नत तकनीकी ज्ञान और मेहनत से भारत को विभिन्न प्रकार के मिसाइलों की तकनीकी विकसित करने में मदद की है, जिससे देश की सुरक्षा में योगदान किया जा सका है।

प्रारंभिक जीवन 

टेसी थॉमस का जन्म अप्रैल 1963 में अलाप्पुझा, केरल में हुआ था। जब वह 13 साल की उम्र में थी उनके पिता की तबीयत खराब हुई और शरीर लकवाग्रस्त हो गया था। उनकी माता एक शिक्षिका थी और स्कूल में पढ़ाती थी। उन्होंने केरल के एक छोटे से गाँव से अपनी शिक्षा की शुरुआत की थी और उन्हें खुद को सिद्ध करने के लिए कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उनके परिवार में वित्तीय समस्याएं भी थी, लेकिन उन्होंने अपने सपनों को पूरा करने के लिए कभी हार नहीं मानी। अपनी मेहनत और प्रतिबद्धता से शिक्षा में प्रगति की और अंत में विज्ञान में अपना करियर बनाने का निर्णय लिया।

अलाप्पुझा से ही उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की। उनकी गणित और भौतिक विज्ञान में बचपन से ही रुचि थी। स्कूल के समय में वह गणित में सबसे अधिक नंबर लाती थी। स्कूल के बाद वह कॉलेज पहुंची और साल 1985 में कालीकट यूनिवर्सिटी से इलैक्ट्रानिक इंजीनियरिंग में बीटेक की। इसके बाद पुणे के इंस्टीट्यूट ऑफ आर्मामेंट टेक्नोलॉजी (वर्तमान में डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस टेक्नोलॉजी) से गाइडेड मिसाइलों में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पोस्टग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने ऑपरेशन मैनेजमेंट में एमबीए की डिग्री इग्नू से प्राप्त की। बाद में उन्होंने पीएचडी भी की। 

तीन दशकों से अधिक के करियर में इसरो के वैज्ञानिक से लेकर साल 2012 तक फिजिक्स रिसर्च लैबोरिटी के निदेशक के तौर पर सेवा दी। उन्हें मिसाइल कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए रक्षा मंत्री के सलाहकार के रूप में भी नियुक्त किया गया।   

“मिसाइल वुमन” बनने तक का सफ़र 

लगातार मेहनत, संघर्ष और समर्पण ने उन्हें वहां तक पहुंचाया जहाँ उन्होंने अपने क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने का मौका पाया। टेसी थॉमस का “मिसाइल वुमन” बनने तक का सफर बेहद प्रेरणास्त्रोत है। साल 1984 में थॉमस ने अपने करियर की शुरुआत बतौर इंटर्न की थी। इसरो में उन्होंने सैटेलाइट और लॉन्च व्हीकल के डिजाइन पर काम किया। अबतक के सफ़र में वह अलग-अलग कई महत्वपूर्ण संस्थानों में अपनी सेवा दे चुकी हैं। तीन दशकों से अधिक के करियर में इसरो के वैज्ञानिक से लेकर साल 2012 तक फिजिक्स रिसर्च लैबोरिटी के निदेशक के तौर पर सेवा दी। उन्हें मिसाइल कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए रक्षा मंत्री के सलाहकार के रूप में भी नियुक्त किया गया। साल 1986 में वह पुणे में स्थित आईएटी से फैक्लटी मेंबर के तौर पर जुड़ी। इसके इर्नशल नेविगेशन ग्रुप में साइंटिस्ट के तौर पर काम किया। 1988 में डिफेंस रिसर्च एंड डेवेलवमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) के साथ जुड़ी। जहां उन्होंने नई पीढ़ी की बैलिस्टिक मिसाइल और अग्नि के डिजाइन और विकास पर काम किया। उन्हें अग्नि परियोजना के लिए ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा नियुक्त किया गया था।  

अग्नि-V  दूरस्थ बैलिस्टिक मिसाइल का विकास 

तस्वीर साभारः Fortune

टेसी थॉमस 3000 किलोमीटर रेंज वाली अग्नि-III मिसाइल परियोजना के एसोसिएट प्रोजेक्ट डायरेक्टर रही। इसके बाद वह अग्नि-IV मिशन से बतौर प्रोजेक्ट डॉयरेक्टर के तौर पर जुड़ीं जिसका सफल परीक्षण 2011 में किया गया था। बाद में वह अग्नि-V की परियोजना से निदेशक के रूप में नियुक्त की गई। अग्नि-V का 19 अप्रैल 2012 में सफल परिक्षण किया गया। 2018 में वह डीआरडीओ के एयरोनॉटिकल सिस्टम की डायरेक्टर जनरल बनीं।

अग्नि-V जैसे प्रमुख दूरस्थ बैलिस्टिक मिसाइल से भारत की रक्षा क्षमता को मजबूती प्रदान करते हैं। इस क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए योगदान ने भारत को अपनी रक्षा प्रणाली में स्वायत्तता प्राप्त करने में मदद की है। एक वैज्ञानिक से लेकर निदेशक के रूप में उन्होंने अलग-अलग संस्थाओं में काम किया हैं। उन्होंने अग्नि-V के साथ ही अन्य महत्वपूर्ण मिसाइल प्रोजेक्ट्स में भी अद्वितीय योगदान दिया है, जिसने भारत को दुनिया में एक महत्वपूर्ण मिसाइल नेशन के रूप में पहचान दिलाई है। थॉमस ने केवल रॉकेट डिजाइन ही नहीं किए उन्होंने जीपीएस तकनीक पर भी शोध किया। वह रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेटिफिकेशन टैग को विकसित करने वाली भारत में पहली इंजीनियर बनीं। उन्होंने वैज्ञानिक अनुसंधान, मिसाइल के तकनीकी और तकनीकी पहलु का प्रबंधन, और उनकी प्रोजेक्ट्स की संचालन में नेतृत्व किया।

अग्नि अवॉर्ड समेत अनेक पुरस्कार से सम्मानित

तस्वीर साभारः Quora

टेसी थॉमस न केवल एक बहु-प्रतिभाशाली इंजीनियर हैं बल्कि तकनीक के क्षेत्र में महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने वाली शख्सियत भी हैं। भारतीय रक्षा विज्ञान के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें कई सम्मानों से नवाज़ा जा चुका हैं। साल 2014 में थॉमस एयरोनॉटिकल सोसाइटी के स्पेस पायनियर हॉल ऑफ फेम में शामिल होने वाली पहली महिला बनीं। इससे पहले यह सम्मान केवल अन्य पांच भारतीयों को दिया गया। उनके योगदान ने उन्हें भारतीय विज्ञान और रक्षा समुदाय में महत्वपूर्ण पहचान दिलाई जो उनके योगदान के प्रति प्रेरित करने वाला है। मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके योगदान ने भारत की रक्षा स्थिति को मजबूत बनाया है और उन्हें एक प्रमुख वैज्ञानिक के रूप में पहचान दिलाई। इसके अलावा, उन्होंने अनेक अन्य अवार्ड्स और प्रतिष्ठा प्राप्त की हैं, जो उनके योगदान की मान्यता करते हैं और उन्हें भारतीय रक्षा और विज्ञान समुदाय में प्रमुख व्यक्तित्व बनाते हैं। 

वह नैशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग, तेलगांना एकेडमी ऑफ साइंस, इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियरिंग ऑफ इंजीनिययर्स की फेलो भी रह चुकी हैं। साथ ही वह विज्ञान सी जुड़ी अनेक संस्थानों की सीनियर मेंबर और लाइफ मेंबर भी हैं। डीआरडीओ के कई प्रतिष्ठित सम्मान के साथ उन्हें ‘अग्नि अवार्ड’ से भी सम्मानित किया जा चुका हैं। मिसाइल तकनीक के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने में उनके योगदान के लिए टेसी थॉमस को लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाज़ा जा चुका है। साल 2022 में उन्हें एपीजे अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था।

साल 2014 में थॉमस एयरोनॉटिकल सोसाइटी के स्पेस पायनियर हॉल ऑफ फेम में शामिल होने वाली पहली महिला बनीं। इससे पहले यह सम्मान केवल अन्य पांच भारतीयों को दिया गया।

इतना ही नहीं उन्हें कई तकनीक संस्थान और विश्वविद्यालयों ने मानक उपाधि भी दी गई हैं। कर्नाटक केंद्रीय विश्वविद्यालय और अन्य विश्वविद्यालयों ने उन्हें मानक डिग्री दी। साल 2019 में आईआईटी कानपुर ने भी अपनी मानक डिग्री से सम्मानित किया। देश को मिसाइल तकनीक के क्षेत्र में स्वाबलंबी बनाने में डॉ. टेसी थॉमस का बड़ा योगदान है। वह भारत ही नहीं पूरी दुनिया में मिसाइल वुमन के तौर पर मशहूर हैं। भारत में महिलाओं को किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए एक रोल मॉडल हैं।


स्रोतः

  1. Wikipedia
  2. IIT Kanpur
  3. Hindustan Aeronautics Limited
  4. NewsOnAir
  5. Just For Women

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