इंटरसेक्शनलLGBTQIA+ दिल्ली क्वीयर प्राइड परेड: समानता, न्याय और अधिकारों की मांग करता आज़ादी और प्यार का एक जश्न

दिल्ली क्वीयर प्राइड परेड: समानता, न्याय और अधिकारों की मांग करता आज़ादी और प्यार का एक जश्न

दिल्ली क्वीयर प्राइड परेड के आयोजकों ने जंतर-मंतर पर सबको संबोधित करते हुए कहा कि रंगों से गुलज़ार यह मार्च सिर्फ एक उत्सव भर नहीं है, बल्कि यह LGBTQAI+ समुदाय के साथ होने वाले भेदभाव के खिलाफ़ एक विरोध प्रदर्शन भी है।

नवंबर की एक सर्द गुलाबी दुपहरी में दिल्ली की सड़कों पर सतरंगी झंडे लहराते हुए LGBTQIA+ समुदाय के हजारों लोग जश्न मना रहे थे और यह जश्न था 14वीं दिल्ली क्वीयर प्राइड का। सभी के लिए समानता, न्याय और सम्मान से जीने के अधिकार की मांग करता हुआ यह परेड रविवार, 26 नवंबर को बाराखंभा रोड से शुरू होकर टॉलस्टॉय मार्ग होते हुए जंतर-मंतर पर समाप्त हुआ। लव इज़ लव (Love Is Love), इक्वालिटी फॉर ऑल (Equality for all), क्वीयर एंड प्राउड (Queer and Proud) जैसे नारे लिखी तख्तियां हाथों में लिए लोग अपनी आज़ादी का उत्सव मना रहे थे। ‘प्यार’ और ‘समानता’ का संदेश देते हुए लोग फिल्मी गानों पर थिरक रहे थे।

आज़ादी और प्यार का जश्न

‘दिल्ली क्वीयर प्राइड परेड’ में शामिल होने का यह मेरा पहला अनुभव था। एक साथ इतने खुश चेहरे, ढेर सारे रंग और प्यार में झूमते लोग मैंने इससे पहले कभी नहीं देखे थे। वहां मौजूद लोग एक-दूसरे से प्यार का इज़हार करते हुए गले लग रहे थे। सबके चेहरे पर मुस्कान और एक गर्व था। यह गर्व खुद के होने का गर्व है, आप जो हैं, जैसे हैं वैसे होने का गर्व, खुद को स्वीकारने का गर्व-जश्न, आज़ादी, प्यार!

14वीं दिल्ली प्राइड परेड का एक दृश्य

हम अपने मौलिक अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे

दिल्ली क्वीयर प्राइड परेड के आयोजकों ने जंतर-मंतर पर सबको संबोधित करते हुए कहा कि रंगों से गुलज़ार यह मार्च सिर्फ एक उत्सव भर नहीं है, बल्कि यह LGBTQIA+ समुदाय के साथ होने वाले भेदभाव के खिलाफ़ एक विरोध प्रदर्शन भी है। यह मार्च एक ऐसे कल्चर, एक ऐसे समाज के निर्माण की बात करता है, जहां व्यक्तिगत अभिव्यक्ति और प्रेम को लिंग, जाति, वर्ग, धर्म, भाषा आदि की बाधाओं से परे सभी रूपों में स्वीकार किया जाए।

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने मैरिज़ इक्विलिटी को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला LGBTQIA+ समुदाय और समानता में विश्वास रखने वाले सभी लोगों के लिए बेहद निराशाजनक और समानता के ख़िलाफ़ है। ऐसे में 26 नवंबर यानी संविधान दिवस के दिन आयोजित यह मार्च बदलाव की मांग करता हुआ ऐसे सभी निर्णयों के ख़िलाफ़ एक विरोध प्रदर्शन है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बारे में हमसे बात करते हुए परेड में शामिल नॉन बाइनरी इंडिविजुअल वैंकटेश कहते हैं, “यह बेहद निराशाजनक है। लेकिन हमारी जर्नी यहां नहीं रुकेगी। हम अपने मौलिक अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे।”

हम सब एक आज़ाद पंछी हैं

14वीं दिल्ली प्राइड परेड का एक दृश्य

परेड में शामिल हितेन नूनवाल कहते हैं, “हम सब एक आज़ाद पंछी हैं, हम अपने पंख फैला कर उड़ सकते हैं। हमें भी पूरा हक़ है उड़ने का, जीने का, अपनी मर्जी से रहने का।” हितेन एक फैशन डिजाइनर, परफॉर्मर और मॉडल भी हैं। वहीं परेड में शामिल आशीष गुप्ता जो खुद को नॉन बाइनरी क्वीयर के रूप में आइडेंटिफाई करते हैं, कहते हैं कि यह प्राइड परेड मेरे लिए बेसिकली फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन है। आप जो हैं, जैसे हैं, वैसे होने की आज़ादी का जश्न है।

“सब अपने प्यार और आजादी का जश्न मना रहे हैं”

तस्वीर में हिमाचल क्वीयर फाउंडेशन के संस्थापक शशांक और डॉन

इस परेड में शामिल होने के लिए लोग देश के अलग-अलग राज्यों और हिस्सों से आए थे। ‘हिमाचल क्वीयर फाउंडेशन’ नाम की एक संस्था चलाने वाले शशांक और उनके पार्टनर डॉन हसर हमें बताते हैं कि वे दिल्ली प्राइड परेड में हिस्सा लेने के लिए हिमाचल से आए हैं। यहां बहुत खूबसूरत लोग हैं, सब बहुत खुश हैं, सब अपनी आज़ादी का, अपने प्यार का जश्न मना रहे हैं। इस जश्न में सभी को शामिल होना चाहिए। वहीं मैरिज इक्विलिटी पर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर बात करते हुए शशांक कहते हैं, “हमसे हमारे संवैधानिक हक़ छीने जा रहे हैं और हम वो नहीं होने देंगे। सुप्रीम कोर्ट को और सरकारों को हम कहना चाहते हैं कि हम भी आप ही की तरह नागरिक हैं और हमारे अधिकार भी आप जैसे हैं, हमें भी सारे अधिकार मिलने चाहिए।”

आगे इस बारे में बात करते हुए उनके पार्टनर डॉन बताते हैं, “प्राइड की खूबसूरत बात है कि यह सिर्फ क्वीयर, ट्रांस मुद्दा नहीं है। यहां पर हम बहुत सारे मुद्दों को लेकर काम कर रहे हैं। यहां प्रांशु के बारे में बात हो रही है, जिसकी पिछले दिनों सोशल मीडिया पर अपने लैंगिक पहचान के कारण ट्रोलिंग की वजह से सुसाइड से मौत हुई। यहां फिलिस्तीन के बारे में बात हो रही है। जातिवाद के बारे में भी बात हो रही है, धर्म के बारे में भी बात हो रही है और हक़ों के बारे में भी बात हो रही है और यही प्राइड की खूबसूरती है।”

समुदाय की रक्षा के लिए नीतिगत बदलाव की मांग

14वीं दिल्ली प्राइड परेड का एक दृश्य

दिल्ली क्वीयर प्राइड की ओर से जारी किए गए एक आधिकारिक पर्चे में कहा गया कि हम कोथी, ट्रांस व्यक्तियों, समलैंगिक, बाइसेक्शुअल, पैनसेक्सुअल, असेक्सुअल व्यक्तियों, जेंडर नॉन कन्फर्मिंग और इंटरसेक्स लोगों के ख़िलाफ़ हमलों और भेदभाव के ख़िलाफ़ मार्च कर रहे हैं। हम ट्रांस और इंटरसेक्स व्यक्तियों को निशाना बनाने वाले दकियानूसी कानून के ख़िलाफ़ मार्च कर रहे हैं। हम संस्थानों में ट्रांस लोगों के लिए आरक्षण, समुदाय की रक्षा के लिए नीतिगत बदलाव और सरकार द्वारा इन सिद्धांतों को लागू करने की मांग करते हैं। पूरा LGBTQAI+ समुदाय एक साथ खड़ा होकर सरकार द्वारा इस तरह के भेदभाव और लोगों को अलग करने वाली प्रथाओं की निंदा करता है।

दिल्ली क्वीयर प्राइड द्वारा जारी इस पर्चे के अनुसार, “हम यह मार्च क्वीयर समुदाय को सुरक्षा और उनके अधिकारों को मान्यता दिलाने के साथ-साथ देश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार, यौन हिंसा को समाप्त करने और सर्वाइवर्स के हक़ के लिए, विकलांग व्यक्तियों और दीर्घकालिक बीमारियों के साथ जी रहे लोगों के लिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग के लिए, पर्यावरण अन्याय, जंगलों और रिजर्व की कॉर्पोरेट द्वारा लूट, शिक्षण संस्थानों में होने वाले भेदभाव, हिंसा, लिंचिंग, दैनिक जीवन में सेंसरशिप के ख़िलाफ़, प्रर्दशन करने के अधिकार और संविधान की सुरक्षा और सम्मान के लिए कर रहे हैं। यह मार्च उन लोगों की याद में है जिन्हें हमने कोविड महामारी के दौरान खो दिया और उन क्वीयर लोगों के लिए हैं जिन्हें हमें सुसाइड से हुई मौत की वजह से खोना पड़ा।”

आगे अपने उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए इस पर्चे में जोड़ा गया है, “हम देश भर में गैरकानूनी गिरफ्तारी और कार्यकर्ताओं पर हमलों के खिलाफ़ मार्च कर रहे हैं जो दमनकारी शासन के हाथों मारे गए हैं। हम अपने सांस लेने के अधिकार के लिए मार्च कर रहे हैं। हम मार्च कर रहे हैं क्योंकि जब तक सब आज़ाद नहीं, तब तक कोई आज़ाद नहीं। हम मार्च करते हैं क्योंकि प्राइड एक उत्सव है और प्राइड एक विद्रोह भी है। हम उन सभी के साथ खड़े हैं जो सत्ता के सामने सच बोलते हैं और सच बोलते आए हैं। हम आज़ादी के लिए मार्च करते हैं और हम प्यार के लिए मार्च करते हैं।”

न्याय की मांग के लिए प्रदर्शन

कुछ ही दिनों पहले मध्य प्रदेश के उज्जैन के एक 16 वर्षीय क्वीयर बच्चे प्रांशु की इंटरनेट पर सोशल बुलिंग की वजह से सुसाइड से मौत की ख़बर सामने आई। प्रांशु एक मेकअप आर्टिस्ट थे जो रील्स बनाकर इंस्टाग्राम पर डालते थे। इंस्टाग्राम पर हजारों नफ़रत भरे कमेंट और बुलिंग की वजह से प्रांशु की मौत हुई है। वहीं पिछले साल जून महीने में दिल्ली के फरीदाबाद के एक क्वीयर छात्र आर्वी मल्होत्रा ने स्कूल में गंभीर बुलिंग की वजह से मौत की ख़बर सामने आई थी। आर्वी मल्होत्रा दिल्ली पब्लिक स्कूल में 10वीं का स्टूडेंट था।

शशांक कहते हैं, “हमसे हमारे संवैधानिक हक़ छीने जा रहे हैं और हम वो नहीं होने देंगे। सुप्रीम कोर्ट को और सरकारों को हम कहना चाहते हैं कि हम भी आप ही की तरह नागरिक हैं और हमारे अधिकार भी आप जैसे हैं, हमें भी सारे अधिकार मिलने चाहिए।”

जेंडर आइडेंटिटी की वजह से हिंसा हो बंद

दिल्ली क्वीयर प्राइड परेड में आर्वी की मां आरती मल्होत्रा भी शामिल थीं जो अपने बेटे के लिए न्याय की मांग कर रहीं थीं। परेड में शामिल लोग प्रांशु और आर्वी के लिए न्याय की मांग करते हुए समाज की ऐसी हरकतों के ख़िलाफ़ नारे लगा रहे थे। एक समाज के तौर पर हमारे लिए यह कितना शर्मनाक है कि किसी व्यक्ति को केवल अपनी जेंडर आइडेंटिटी की वजह से हिंसा सहनी पड़े। क्या हम एक ऐसे समाज में रहते हैं या एक ऐसे समाज का निर्माण कर रहे हैं जहां हमारे ही बीच का एक समुदाय अपनी जेंडर आइडेंटिटी की वजह से बेसिक चीज़ों के लिए लड़ रहा है, जद्दोजहद कर रहा है?

बीबीसी की ख़बर के मुताबिक़ मैरिज़ इक्विलिटी पर फैसला सुनाते हुए चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था कि होमो सेक्सुअलिटी अपराध नहीं है। होमोसेक्सुअल लोगों के भी वही मूल अधिकार हैं जो किसी अन्य सामान्य नागरिक के हैं। सबको सम्मान से जीने का अधिकार है। लेकिन न्याय, समानता और अधिकारों की ये बातें अभी हकीक़त से कोसों दूर है।


नोटः लेख में शामिल सारी तस्वीरें सौम्या ने उपलब्ध करवाई हैं।

Leave a Reply

संबंधित लेख

Skip to content