समाजकैंपस साल 2023 में कैंपस में हुए विरोध प्रदर्शन और आंदोलन

साल 2023 में कैंपस में हुए विरोध प्रदर्शन और आंदोलन

भारतीय लोकतंत्र, राजनीति और समाज में कैंपस आंदोलन एक महत्वपूर्ण भूमिका में रहा है। आइए नज़र डालते हैं साल 2023 के कैंपस में होने वाले कुछ आंदोलनों पर।

विद्यार्थी शक्ति, समाज को सुधारने और उसे मजबूत करने वाली घटकों में से एक है। इसलिए कहा जाता है कि युवा देश के रीढ़ हैं, जिसके कंधे पर देश का भविष्य टिका होता है। कैंपस आंदोलन ने देश की राजनीति को दिशा देने में और लोकतंत्र को नए आयाम तक ले जाने में हमेशा से सक्रिय भूमिका निभाई है। देश के हर कोने के शिक्षा संस्थानों में विद्यार्थी आंदोलन या कैंपस आंदोलन के स्वर बुलंद रहे हैं। कैंपस में घटित हुई समस्याओं से लेकर देश-विदेश से जुड़ी समस्याओं तक, सबके लिए विद्यार्थी आगे आए हैं, प्रदर्शन किया है और अपने सुझाव व मांगे आगे रखी हैं। भारतीय लोकतंत्र, राजनीति और समाज में कैंपस आंदोलन एक महत्वपूर्ण भूमिका में रहा है। आइए नज़र डालते हैं साल 2023 के कैंपस में होने वाले कुछ आंदोलनों पर।

1. आईआईटी बीएचयू में छात्रा से हुई छेड़छाड़ के खिलाफ विद्यार्धियों का प्रदर्शन, अधिक सुरक्षा की मांग

तस्वीर साभारः The Indian Express

बीते नवंबर में भारत के प्रसिद्ध इंजीनियरिंग संस्थान आईआईटी बीएचयू के परिसर में अध्ययनरत बीटेक द्वितीय वर्ष की एक छात्रा के साथ परिसर में हुए यौन उत्पीड़न के मामले के बाद विरोध में हजारों विद्यार्थी धरने पर बैठ गए। विद्यार्थियों ने आरोपियों के जल्द से जल्द गिरफ्तारी के लिए शांतिपूर्ण धरना किया। कैंपस में पोस्टर हाथ में लिए विद्यार्थियों ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम को बढ़ाने की मांग रखी। साथ ही आईआईटी बीएचयू और बीएचयू के बीच बनाई गई दीवार के ऊपर भी प्रदर्शन हुए क्योंकि प्रदर्शनकारियों का मानना था इससे सुरक्षा में सेंधमारी हो रही है। कैंपस में बाहरी विद्यार्थियों के आवागमन पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी रखी गई। आंदोलन की गहमागहमी पूरे महीने बरकार रही। शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन के साथ विद्यार्थियों ने आईआईटी डायरेक्टर ऑफिस से तीन किलोमीटर तक जस्टिस रैली निकाली और आरोपियों के जल्द से जल्द पकड़े जाने की मांग रखी।

2. मिजोरम: छात्रवृत्ति वितरण में देरी को लेकर छात्रों का विरोध 

तस्वीर साभारः India Today NE

मिजोरम में चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद लगभग 19000 से अधिक विद्यार्थियों को उनकी छात्रवृत्ति नहीं मिल सकी थी। शीर्ष छात्र संगठन मिज़ो ज़िरलाई पावल (एमजेडपी) के नेतृत्व में तीन दिवसीय आंदोलन चला एमजेडपी के अध्यक्ष एच लालथिआंघलीमा ने दावा किया कि राज्य सरकार को 25 सितंबर को छात्रवृत्ति के वितरण के लिए 17.87 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि प्राप्त हुई थी। आंदोलनकारियों विद्यार्थियों का कहना था कि अधिकारियों ने छात्रवृत्ति राशि जारी करने के लिए ईमानदार प्रयास नहीं किए और उनकी ओर से लापरवाही का असर हजारों छात्रों पर पड़ा। छात्रवृत्ति बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार सात नवंबर को हुए राज्य विधानसभा चुनावों के मद्देनजर आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण धन का वितरण नहीं किया गया था। राज्य सरकार द्वारा चुनाव आयोग की मंजूरी के बाद छात्रवृत्ति के वितरण का आश्वासन दिए जाने के बाद 16 नवंबर को आंदोलन थमा।

3. आईआईटी-बॉम्बे में ‘शाकाहारी भोजन नीति’ का विरोध

तस्वीर साभारः Moneycontrol

अक्टूबर महीने  में आईआईटी-बॉम्बे में कुछ छात्रों द्वारा शाकाहारी “आरक्षित” टेबलों में से एक पर मांस खाकर कुछ टेबलों को “केवल शाकाहारी भोजन” के लिए आरक्षित करने के नियम का विरोध करने के कुछ दिनों बाद, छात्रावास प्रशासकों ने विरोध करने वाले छात्रों पर ₹10,000 का जुर्माना लगाया गया। कैंपस में विद्यार्थी शाकाहारी और मांसाहारी भोजन को लेकर किए जा रहे वैचारिक भेदभाव का विरोध कर रहे थे। विरोध की प्रक्रिया में ही कॉलेज प्रशासन द्वारा बनाई हुए नियम का उल्लघंन करके अपनी असहमति प्रकट की जिसके बाद काफी भरी जुर्माना भी लगा। 

4.हैदराबाद इफलू विश्वविद्यालय में यौन उत्पीड़न का मामला,

तस्वीर साभारः The News Minute

हैदराबाद स्थित इंग्लिश एंड फॉरेन लैंग्वेजेस यूनिवर्सिटी की एक छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न का मामला सामने आने के बाद से विश्वविद्यालय में छात्रों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया। सर्वाइवर के लिए न्याय की मांगें रखी गई, साथ में कैंपस में उचित सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम की मांग रखी गई। लेकिन छात्रों के अनुसार विश्वविद्यालय प्रशासन इस मामले में असंवेदनशीलता और गैर जिम्मेदारी रहा। इंग्लिश एंड फॉरेन लैंग्वेजेस यूनिवर्सिटी (इफलू) में अक्टूबर माह यह घटना हुई। इफलू के विद्यार्थी काफी समय से विश्वविद्यालय में यौन उत्पीड़न की संवेदनशीलता, रोकथाम और निवारण (स्पर्श) समिति के पुनर्गठन की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे जिसमें अधिकतर तादाद में महिला छात्राएं मौजूद थीं। जिनमें से एक छात्रा के साथ जो इन प्रदर्शनों में सक्रियता से शामिल थीं लगभग रात के दस बजे दो लड़कों द्वारा प्रदर्शन को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां की गईं और छात्रा पर शारीरिक हमला भी किया गया। जिसके बाद से यूनिवर्सिटी कैंपस में सर्वाइवर के साथ हुए बर्ताव के ख़िलाफ़ प्रदर्शन होने शुरू हो गए और सुरक्षा की मांग रखी गई ।

5.हॉस्टल में खराब गुणवत्ता वाले खाने को लेकर बीयू के छात्रों का विरोध प्रदर्शन

तस्वीर साभारः Tribune India

बेंगलुरु विश्वविद्यालय (बीयू) छात्रावास में रहने वाले स्नातकोत्तर छात्रों ने छात्रावास कैंटीन में गुणवत्तापूर्ण भोजन परोसने की मांग को लेकर 21 नवंबर को विरोध प्रदर्शन किया। खाने में रात को परोसे गए चावल में कीड़े निकलने के बाद छात्रों ने हॉस्टल वार्डन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की और बताया कि इस तरह की घटनाएं कोई नई बात नहीं है और यह कई महीनों से चल रहा है। लगातार कई बार खराब गुणवत्ता वाले भोजन मिलने के कारण छात्रों ने प्रदर्शन किया और कुलपति, रजिस्ट्रार और अन्य अधिकारियों से स्थिति में सुधार लाने की मांग रखी। 

6.परीक्षा में शामिल होने से रोके जाने के बाद एमबीबीएस छात्रों ने किया विरोध प्रदर्शन 

तस्वीर साभारः Edexlive

चुराचांदपुर मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) के तैंतीस एमबीबीएस छात्रों को 21 नवम्बर को शुरू हुई प्रथम वर्ष की परीक्षा में शामिल होने से रोक दिया गया था, जिसके बाद उन्‍होंने विरोध प्रदर्शन किया। 33 एमबीबीएस छात्रों में से 27 मणिपुर में हुई हिंसा के कारण विस्थापित हैं और छह गैर-विस्थापित हैं। एमबीबीएस छात्रों ने मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके को संबोधित ज्ञापन चुराचांदपुर के अतिरिक्त उपायुक्त थांगबोई गंगटे को सौंपा। इनमें से 27 विस्थापित आदिवासी एमबीबीएस छात्रों ने बताया कि उन्होंने अपने परीक्षा फॉर्म भरे और अपनी उचित परीक्षा फीस जमा की और अन्य औपचारिकताएं पूरी की, फिर भी उन्‍हें परीक्षा में शामिल नहीं होने दिया गया। ज्ञापन में कहा गया कि उन्हें सूचित किया गया कि प्रवेशपत्र और अन्य परीक्षा सामग्री केवल छह एमबीबीएस छात्रों के लिए भेजी गई थी, इसलिए बाकी विस्थापित छात्रों को बाहर कर दिया गया। छात्र बहुत परेशान हो गए, क्योंकि चुराचांदपुर मेडिकल कॉलेज के उनके साथी विस्थापित छात्रों को इंफाल के जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (जेएनआईएमएस) में अपनी पढ़ाई निर्बाध रूप से जारी रखने की अनुमति दी गई थी, लेकिन उनके खिलाफ ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया था। छात्रों ने राज्यपाल से उनके मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया, ताकि वे एमबीबीएस चरण-1 परीक्षा में बैठ सकें।


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