क्या कानून प्यार का दुश्मन है? आपको क्या लगता है? अगर आपका जवाब ‘हां या ‘पता नहीं’ जैसा कुछ है, तो ये लेख आपके लिए ही है। इस लेख में हम प्यार से जुड़ी ऐसी पांच बातों या कानून पर बात करेंगे, जो बतौर भारतीय आपको पता होना चाहिए।
1. क्या धर्म और जाति की परवाह किए बिना भी दो लोग शादी कर सकते हैं?
विशेष विवाह अधिनियम, 1954 यानि स्पेशल मेरिज एक्ट एक भारतीय कानून है जो विभिन्न धर्मों और जातियों के लोगों के विवाह के लिए एक कानूनी ढाँचा प्रदान करता है। विशेष विवाह अधिनियम के तहत कोई भी दो लोग शादी कर सकते हैं, अगर वो निमलिखित कुछ शर्तों को पूरी करते हों। जैसे-
- किसी भी पक्ष का कोई जीवित जीवनसाथी न हो।
- शादी के लिए आदमी की उम्र कम से कम 21 साल और औरत की उम्र कम से कम 18 साल होनी चाहिए।
- शादी करने वाले दोनों लोगों में से किसी को ऐसी कोई मानसिक समस्या नहीं हो, जिसके कारण विवाह के लिए वैध सहमति देना उनके लिए मुश्किल हो।
- या वैध सहमति देने में सक्षम होते हुए भी, इस प्रकार या इस हद तक मानसिक समस्याओं से पीड़ित हैं कि विवाह और बच्चों की सुरक्षा के लिए अयोग्य हो; या बार-बार इनसैनिटी के अटैक का शिकार रहे हो
- शादी करने वाले लोगों में रक्त संबंध नहीं होना चाहिए। कुछ मामलों में इस तरह की शादी को भी मान्य माना जाता है, अगर बात किसी समुदाय में चले आ रहे रीति रिवाज की हो तो।
2. क्या पब्लिक डिस्प्ले ऑफ अफेक्शन कोई अपराध हो सकता है?
भारत में प्यार का का पब्लिक डिस्प्ले ऑफ अफेक्शन (पीडीए) करना कोई अपराध नहीं है। हालांकि पुलिस प्रशासन अक्सर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 294 का इस्तेमाल करती है, जो कहती है कि कानून किसी को भी दंडित कर सकता है जो दूसरे लोगों को परेशान करता है, जैसे-
- किसी पब्लिक प्लेस में कोई अश्लील हरकत करना, या
- किसी पब्लिक प्लेस में या उसके आस-पास कोई अश्लील गीत, गाथागीत या शब्द गाना, सुनाना या बोलना। इसके लिए कुछ सजा का प्रावधान भी है। जैसे-
- अगर आप इस तरह का कोई काम करते हैं, तो आपको तीन महीने तक की कैद और जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
इसलिए, अपने प्यार का प्रदर्शन (पीडीए)) करते समय ध्यान रखें कि कहीं गलती से आप कानूनी दायरे के बाहर कुछ न कर रहे हो।
3. क्या लिव इन रिलेशनशिप कानूनी तौर पर वैध है?
भारत के संविधान, 1950 के अनुच्छेद 21 के तहत, अठारह साल से ज्यादा उम्र के किसी भी लिंग के लोग आपसी सहमति से लिव-इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं। माता-पिता सहित किसी को भी एक साथ रहने वाले इस जोड़े के जीवन में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। आपको बता दें कि 1978 में बद्री प्रसाद बनाम डायरेक्टर ऑफ कंसॉलिडेशन केस में सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार लिव-इन रिलेशन को कानूनी मान्यता दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने शादी की उम्र वाले लोगों के बीच लिव-इन रिलेशन को किसी भारतीय कानून का उल्लंघन नहीं बताया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई जोड़ा लम्बे समय से साथ रह रहे हैं, तो उस रिश्ते को शादी ही माना जाएगा।
इस तरह कोर्ट ने 50 साल के लिव-इन रिलेशन को वैध ठहराया था। हालांकि हाल ही में लाए गए यूनिफॉर्म सिविल कोड के अनुसार अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नियम दिखाई पड़ रहे हैं। उत्तराखंड में यूसीसी प्रस्ताव के तहत, जोड़ों को- एक पुरुष और एक महिला को रजिस्ट्रार को लिव-इन रिलेशनशिप स्टेटमेंट जमा करना होगा, जो 30 दिनों के भीतर जांच करेगा। इस जांच के दौरान, यदि आवश्यक हो तो भागीदारों से ‘अतिरिक्त जानकारी या साक्ष्य प्रदान करने’ के लिए कहा जा सकता है। यदि दोनों में से किसी का भी उम्र 21 वर्ष से कम है, तो रजिस्ट्रार स्थानीय पुलिस को लिव-इन रिलेशनशिप स्टेटमेंट भी भेज सकता है और माता-पिता को सूचित कर सकता है।
4. क्या किसी सार्वजनिक जगह में किसी इंसान के लिए ऐसा गीत गाना जो यौन संबंधों के बारे में हो, कोई अपराध है?
किसी भी सार्वजनिक जगह यानि पब्लिक प्लेस में किसी इंसान के लिए कोई ऐसा गीत गाना जो यौन संबंध यानि सेक्स के बारे में हो, तो यह अपराध है। भारतीय दंड संहिता की धारा 294 के अनुसार, किसी भी सार्वजनिक जगह पर या उसके आसपास कोई अश्लील गाना, अश्लील गाथागीत या अश्लील शब्द गाना, सुनाना या बोलना अपराध है। इसके लिए सजा का प्रावधान भी है। ऐसा करने पर तीन महीने तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
- अगर कोई इंसान किसी दूसरे इंसान को यौन धमकियां देता है, तो क्या धमकी देने वाले इंसान के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है?
धमकी देने वाले इंसान के खिलाफ बिल्कुल कार्रवाई की जा सकती है। भारतीय दंड संहिला की धारा 354 के तहत यह एक अपराध है। भारतीय दंड संहिता की धारा 354 बताती है कि महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर आपराधिक बल का हमला कानूनन अपराध है। जो कोई किसी महिला को अपमानित करने के इरादे से या यह जानते हुए कि वह उसकी गरिमा भंग करेगा, उस पर हमला करेगा या आपराधिक बल का प्रयोग करेगा, उसे किसी भी अवधि के लिए कारावास की सजा दी जा सकती है जो एक वर्ष से कम नहीं होगी। यह अवधि पांच साल तक बढ़ाई जा सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। हम उम्मीद करते हैं कि दी गई जानकारी से अब आप ये तो जान ही गए होंगे कि कानून के दायरे में क्या अपराध कहलाता है और किसको कानून का संरक्षण मिल सकता है। देश के नागरिक होने के नाते जागरूक रहना और कानूनों की जानकारी बेहद जरूरी है।