समाजराजनीति एक बार फिर चुनावी मैदान में समाजवादी पार्टी का दारोमदार संभालती डिंपल यादव

एक बार फिर चुनावी मैदान में समाजवादी पार्टी का दारोमदार संभालती डिंपल यादव

डिंपल ने सदन में एससी, एसटी और ओबीसी तथा अल्पसंख्यकों की महिलाओं के लिए आरक्षण की मांग की थी। उन्होंने राज्यों और केंद्र में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की मांग भी की। उन्होंने यह भी कहा कि ओबीसी आरक्षण को एससी/एसटी समुदायों की महिलाओं के लिए आरक्षण के साथ शामिल किया जाना चाहिए।

डिंपल यादव एक भारतीय राजनेत्री है। वह समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी हैं। वह कन्नौज में लगातार 2 बार सांसद रह चुकी हैं और वर्तमान में 2022 से मैनपुरी में लोकसभा सदस्य हैं। समाजवादी पार्टी के सर्वेसर्वा और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं। डिंपल ने मैनपुरी से नामांकन दायर किया, जिस सीट का वह 2022 से प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

हालांकि वंशवाद की राजनीति या आम तौर राजनीति में भी आना महिलाओं के लिए आसान नहीं। पर डिंपल ने पुरुषों के वर्चस्व के बीच अपना नाम और स्थान बनाया है। राजनीति में आज डिंपल यादव भी एक जानी-मानी नाम बन गई हैं। आज उत्तर प्रदेश ही नहीं देश की राजनीति में बतौर महिला डिंपल यादव किसी परिचय की मोहताज नहीं है।

डिंपल ने सदन में एससी, एसटी और ओबीसी तथा अल्पसंख्यकों की महिलाओं के लिए आरक्षण की मांग की थी। उन्होंने राज्यों और केंद्र में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की मांग भी की।

जन्म और शिक्षा

तस्वीर साभार: Mint

डिंपल यादव का जन्म 15 जनवरी 1978 को पुणे, महाराष्ट्र में हुआ था। वह भारतीय सेना के सेवानिवृत्त कर्नल राम चंद्र सिंह रावत और चंपा रावत की तीन बेटियों में से दूसरी हैं। उनका परिवार मूल रूप से उत्तराखंड का रहने वाला है। उनकी शिक्षा पुणे, बठिंडा और अंडमान निकोबार द्वीप और आर्मी पब्लिक स्कूल, नेहरू रोड, लखनऊ में हुई। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इनका विवाह अखिलेश यादव के साथ 1999 में हुआ था।  

राजनीतिक जीवन में प्रवेश और लोकप्रियता

डिंपल साल 2009 में फिरोजाबाद के लोकसभा क्षेत्र के लिए उपचुनाव लड़ीं। लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की दो सीटों फिरोजाबाद और कन्नौज से चुनाव लड़ा। बाद में अखिलेश ने फिरोजबाद सीट छोड़ दी और उपचुनाव में डिंपल ने वहां से उम्मीदवारी संभाली। लेकिन, डिंपल कांग्रेस नेता राज बब्बर से चुनाव हार गईं।

2012 में अखिलेश यादव द्वारा उत्तर प्रदेश विधान परिषद में प्रवेश के लिए सीट खाली करके एक और उपचुनाव कराने के बाद, उन्हें लोकसभा के लिए कन्नौज निर्वाचन क्षेत्र से निर्विरोध चुना गया था। हालांकि अपनी पहली हार के बाद भी उन्होंने अपना आत्मविश्वास बनाए रखा। उनके भाषण हमेशा काफी सराहनीय रहते हैं। यही वजह है कि उन्होंने काफी कम समय में ही लोगों के दिलों में अपनी जगह बन ली है। डिंपल ने 2017 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा के चुनाव में समाजवादी पार्टी के लिए कई चुनाव प्रचार किए थे। 

भारत की आजादी के बाद से डिंपल निर्विरोध चुने जाने वाली देश की 44वें और उत्तर प्रदेश के चौथी व्यक्ति बनी। यह स्थिति तब उत्पन्न हुई जब दो उम्मीदवारों, दशरथ सिंह शंखवार (संयुक्त समाजवादी दल) और संजू कटियार (निर्दलीय) ने अपना नामांकन वापस ले लिया।

डिंपल निर्विरोध चुने जाने वाली देश की 44वें व्यक्ति बनीं

भारत की आजादी के बाद से डिंपल निर्विरोध चुने जाने वाली देश की 44वें और उत्तर प्रदेश के चौथी व्यक्ति बनी। यह स्थिति तब उत्पन्न हुई जब दो उम्मीदवारों, दशरथ सिंह शंखवार (संयुक्त समाजवादी दल) और संजू कटियार (निर्दलीय) ने अपना नामांकन वापस ले लिया। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने उपचुनाव के लिए किसी भी उम्मीदवार को नामांकित नहीं किया था। वह एकमात्र ऐसी महिला सांसद बनीं जिनके पति मुख्यमंत्री थे और उनके ससुर भी उसी सदन के सदस्य थे।

2019 के चुनाव में हार और वापसी

तस्वीर साभार: NDTV

2014 के भारतीय आम चुनाव में यादव ने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 19,907 मतों से हराकर कन्नौज लोकसभा सीट बरकरार रखी। 2019 के भारतीय आम चुनाव में, उन्होंने समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ी। लेकिन भाजपा के सुब्रत पाठक से 10,000 से अधिक वोटों के अंतर से हार गईं। डिंपल का यहां से चुनाव  हारना सपा के लिए निराशाजनक था क्योंकि यादव बाहुल्य सीट दशकों से सपा का गढ़ रही है। अपने ससुर मुलायम सिंह यादव की मृत्यु के बाद डिंपल को खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट से मैदान में उतारा गया, जिसे उन्होंने 2.8 लाख से ज्यादा वोटों से बीजेपी के उम्मीदवार को हराकर जीत हासिल की और तीसरी बार लोकसभा में पुहंची।

मुलायम सिंह यादव की मृत्यु के बाद डिंपल को खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट से मैदान में उतारा गया, जिसे उन्होंने 2.8 लाख से ज्यादा वोटों से बीजेपी के उम्मीदवार को हराकर जीत हासिल की और तीसरी बार लोकसभा में पुहंची।

डिंपल का राजनीतिक करियर का कार्यकाल

  • पहला कार्यकाल: 2012 से 2014 तक 15वीं लोकसभा में कन्नौज (उपचुनाव) से सांसद के रूप में उनका राजनीति में पहला कार्यकाल रहा है।
  • दूसरा कार्यकाल: 2014 से 2019 तक कन्नौज में ही 16वीं लोकसभा में सांसद में उनका दूसरा कार्यकाल रहा है। 
  • तीसरा कार्यकाल: 2022 से वर्तमान में मैनपुरी से 17वीं लोकसभा में सांसद हैं और ये इनका राजनीति में तीसरा कार्यकाल है।

सदन में कैसा रहा प्रदर्शन और चुनाव की तैयारी

तस्वीर साभार: ANI

डिंपल ने सदन में एससी, एसटी और ओबीसी तथा अल्पसंख्यकों की महिलाओं के लिए आरक्षण की मांग की थी। उन्होंने राज्यों और केंद्र में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की मांग भी की। उन्होंने यह भी कहा कि ओबीसी आरक्षण को एससी/एसटी समुदायों की महिलाओं के लिए आरक्षण के साथ शामिल किया जाना चाहिए। सितंबर 2023 में सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर डिंपल के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी पोस्ट करने के आरोप में एक युवक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। डिंपल मैनिपुर में समाजवादी पार्टी की जगह बनाने के लिए जोरो-शोरों से प्रचार कर रही हैं। वह सपा में महिला उम्मीदवार के रूप में अपनी अहम एक नई भूमिका निभाने जा रही हैं। आने वाले समय में पता चलेगा कि वह आगे अपना क्या स्थान बनाती हैं और अपनी कैसी भूमिका निभाती हैं।

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