इंटरसेक्शनलLGBTQIA+ पारंपरिक परिवार से अलग क्वीयर व्यक्तियों के लिए ‘चयनित परिवार’ का महत्व क्यों है अधिक

पारंपरिक परिवार से अलग क्वीयर व्यक्तियों के लिए ‘चयनित परिवार’ का महत्व क्यों है अधिक

द ट्रेवर प्रोजेक्ट के हालिया रिसर्च के अनुसार एलजीबीटीक्यू+ युवाओं में से सिर्फ 37 प्रतिशत को लगता है कि उनका घर उनके लिए अनुकूल जगह है। इसके अलावा, विशेष रूप से ट्रांसजेंडर और नॉन बाइनरी युवाओं में, तीन में से एक से भी कम लोग मानते हैं कि उनका घर उनके लिए अनुकूल जगह है।

हमारे समाज में परिवार, खून, खानदान को बहुत अधिक वरीयता दी जाती है। इसे प्यार, सम्मान और सहयोग से लेकर जोड़ा जाता है लेकिन कुछ स्थिति में पारंपरिक परिवार का मायने बदल जाते हैं। ऐसे में चयनित परिवार वो स्पेस बनता है। चुना हुआ परिवार एक ऐसी जगह है जिसे आप खुद चुनते हैं, यानी आप अपने जीवन में ऐसे लोगों को चुनते हैं जो आपको प्यार, समर्थन और स्वीकृति देते हैं। यह परिवार आपके जैविक रिश्तों से अलग हो सकता है जिसमें आपके खून के रिश्तेदार नहीं होते हैं। चुना हुआ परिवार अक्सर उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण होता है जिन्हें अपने जैविक परिवार से हिंसा या भेदभाव का सामना करना पड़ता है जैसे कि क्वीयर या ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग। लेकिन यह किसी के लिए भी उपलब्ध हो सकता है जो अपने जैविक परिवार से प्यार और समर्थन नहीं पाते हैं। यह स्पेस एक सुरक्षित और स्वीकार्य माहौल देता है जहां आप खुद को व्यक्त कर सकते हैं और अपने जीवन को पूरी तरह से जी सकते हैं।

एलजीबीटीक्यू+ समुदाय में से कई लोगों को खुद को स्वीकार करने पर परिवार का साथ मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है। ऐसे में क्वीयर लोग यह सवाल पूछते हैं कि क्या अपने परिवार को इसके बारे में बताना सुरक्षित है? कुछ लोग अपने परिवार से इस बारे में बताने की जहमत उठाते हैं और उनके लिए चीज़े ठीक हो भी जाती है लेकिन हर किसी का संघर्ष और अनुभव समान नहीं है। कई अध्ययन और रिपोर्ट में यह बात सामने लाती है कि एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के लोगों को अपने परिवार और परिचित से ही सबसे पहले हिंसा या अपमान का सामना करना पड़ता है। हमारे समाज में जानकारी के अभाव और सामाजिक दबाव की जगह से समुदाय के लोगों में परिवार के सामने खुद की बात रखने में एक डर और अविश्वास देखने को मिलता है। 

“चुना हुआ परिवार” की अवधारणा जो कुछ समय से ज्यादा चर्चा या चलन में है, लेकिन क्वीयर और ट्रांसजेंडर लोगों के लिए यह पूरे इतिहास में मौजूद रही है। इसकी शुरुआत 1860 के दशक में हुई थी, जब हार्लेम में ड्रैग बॉल्स नामक एक सीक्रेट क्लब था, जहां क्वीयर और ट्रांसजेंडर लोग सुरक्षित रूप से एकत्र हो सकते थे।

“परिवार के लोग समझ नहीं पाएंगे”

बिहार के नालंदा जिले के रहने वाले सनी कुमार का कहना है, “मैंने दो कारणों से अभी तक अपनी सेक्सुअलिटी के बारे में अपने परिवार को नहीं बताया पहला मेरे घरवाले बहुत धार्मिक हैं और मुझे डर है कि अगर मैंने घरवालों के सामने अपनी सेक्सुअलिटी की बात की तो वे लोग इसे साया या बीमारी करार देंगे और बाबा, ओझा या डॉक्टर के पास ले जाने लगेंगे। दूसरा, अभी मैं इतना सक्षम नहीं हूं जहां उन्हें ये समझा या बता सकूं इसलिए सही समय आने पर मैं बताऊंगा और उसके बाद अपना फैसला लूंगा।”

चुने हुए परिवार की अवधारणा एलजीबीटीक्यू+ समुदाय से आती है क्योंकि समुदाय के प्रति रूढ़िवाद के कारण समाज में लोग इसे बीमारी मानते हैं और ज्यादातर उनके जैविक परिवारों द्वारा उन्हें अपनाया नहीं जाता है। द ट्रेवर प्रोजेक्ट के हालिया रिसर्च के अनुसार एलजीबीटीक्यू+ युवाओं में से सिर्फ 37 प्रतिशत को लगता है कि उनका घर उनके लिए अनुकूल जगह है। इसके अलावा, विशेष रूप से ट्रांसजेंडर और नॉन बाइनरी युवाओं में, तीन में से एक से भी कम लोग मानते हैं कि उनका घर उनके लिए अनुकूल जगह है और यह मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकता है।

तस्वीर साभारः फेमिनिज़म इन इंडिया के लिए रितिका बनर्जी

“चुना हुआ परिवार” की अवधारणा जो कुछ समय से ज्यादा चर्चा या चलन में है, लेकिन क्वीयर और ट्रांसजेंडर लोगों के लिए यह पूरे इतिहास में मौजूद रही है। इसकी शुरुआत 1860 के दशक में हुई थी, जब हार्लेम में ड्रैग बॉल्स नामक एक सीक्रेट क्लब था, जहां क्वीयर और ट्रांसजेंडर लोग सुरक्षित रूप से एकत्र हो सकते थे। इन बॉल्स में, प्रतिभागी खुद को “हाउस” में व्यवस्थित करते थे और वैसे समूह जो नृत्य, ड्रैग और प्रदर्शनों के माध्यम से प्रतिस्पर्धा करते थे। ये बॉल बाद में 1980 और 90 के दशक की वोग बॉल्स में विकसित हुई, जो आज भी जारी हैं और अच्छी खासी इसकी पहचान बन चुकी हैं। यह संस्कृति अक्सर ब्लैक, लैटिन और एशियाई लोगों को खुद को सशक्त बनाने और सामाजिक समर्थन प्राप्त करने का अवसर देती है।

“चुने हुए परिवार” का अर्थ अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग हो सकता है। यह जैविक या कानूनी परिवार की कमी के कारण नहीं है, और न ही यह किसी विशेष सेक्सुअल ओरिएंटेशन से जुड़ा है। यह एक ऐसा समूह है जो एक-दूसरे का साथ और प्यार देता है जैसे कि परंपरागत परिवार की परिभाषा में तय किया गया है। कुछ लोगों के लिए, चुना हुआ परिवार एक सामाजिक समर्थन प्रणाली हो सकती है, जबकि अन्य के लिए यह एक कलात्मक अभिव्यक्ति या सांस्कृतिक पहचान हो सकती है। कुछ शहरों में, कानूनी अधिकार हैं जो चुने हुए परिवारों को मान्यता देते हैं और उनकी रक्षा करते हैं। उदाहरण के लिए, सिएटल में स्थित पंक बैंड एक चुने हुए परिवार के रूप में काम करता है, जबकि न्यू ऑरलियंस में एक ड्रैग किंग परिवार है जो एक साथ काम करता है और क्वीयर समुदाय के उत्थान में योगदान देता है। यह दिखाता है कि चुने हुए परिवार विभिन्न रूपों में आ सकते हैं और विभिन्न उद्देश्यों को पूरा कर सकते हैं।

जैविक परिवार में हिंसा और क्वीयर  

परिवार बच्चों के लिए पहला और सबसे महत्वपूर्ण संबंध होता है, लेकिन जब बच्चे होमोसेक्सुअल होते हैं तो अक्सर परिवार उन्हें अस्वीकार कर देता है। माता-पिता को लगता हैं कि उनके बच्चे को कोई बीमारी हो गई है जो ठीक हो जाएगी, इसलिए वे उन्हें डॉक्टर या मनोचिकित्सक के पास ले जाते हैं। अगर परिवार लचीला होता तो वे बच्चों की मन:स्थिति को समझने की कोशिश करते और उनके यौनिक रुझान के बारे में बात करते। अधिकांश परिवार पितृसत्तात्मक सोच से ग्रस्त होते हैं और बच्चों को वैसे ही बनने के लिए मजबूर करते हैं जैसे वे बनाना चाहते हैं। इसलिए, क्वीयर बच्चे अक्सर घुटन महसूस करते हैं और घर छोड़ देते हैं या अपनी जान ले लेते हैं। वहीं, कुछ लचीले परिवार भी होते हैं जो बच्चों का समर्थन करते हैं, पर ज्यादातर मामलों में क्वीयर व्यक्ति अपने माता-पिता से इसके बारे में बात नहीं कर पाते है और जिसकी वजह डर और उनको न समझने का ख्याल हैं।

तस्वीर साभारः फेमिनिज़म इन इंडिया के लिए रितिका बनर्जी

पितृसत्तात्मक समाज में, पुरुष और महिला को ही मुख्य जेंडर माना जाता है और अन्य जेंडर या यौनिक रुझान वाले लोगों को असामान्य माना जाता है। उन्हें अक्सर हिंसा और भेदभाव का सामना करना पड़ता है, खासकर परिवार और समाज की तरफ से। एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के लोगों को अक्सर अपने परिवार से अलगाव का सामना करना पड़ता है, और उन्हें जन्मजात पारिवारिक हिंसा झेलनी पड़ती है। उन्हें यह महसूस कराया जाता है कि वे “शर्म” की बात हैं, और उन्हें अपने जेंडर या यौनिक रुझान के लिए दोषी ठहराया जाता है। इस प्रकार, पारिवारिक स्थान जो कि आराम और सुरक्षा का स्थान होना चाहिए, खतरे और परित्याग का स्थान बन जाता है।

अमेरिका में प्यू रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के 39 प्रतिशत वयस्कों का कहना है कि अपने जीवन में किसी बिंदु पर उन्हें उनके यौनिक रुझान या लैंगिक पहचान के कारण किसी परिवार के सदस्य या करीबी दोस्त द्वारा अस्वीकार कर दिया गया। 30 प्रतिशत ने माना है कि उन पर शारीरिक रूप से हमला किया गया या धमकी दी गई। 29 प्रतिशत कहते हैं कि उन्हें पूजा स्थल में अवांछित महसूस कराया गया। लगभग छह में से दस (58 प्रतिशत) कहते हैं कि वे अपशब्दों या चुटकुलों के निशाने पर रहे हैं। वांशिगठन पोस्ट में प्रकाशित लेख में छपी जानकारी के अनुसार 40% बेघर युवाओं ने अपने परिवार या दोस्तों से अस्वीकृति का सामना किया है। समुदाय के लोगों को अपने परिवार में ही होमोफोबिया का सामना करना पड़ता है। 

प्यू रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के 39 प्रतिशत वयस्कों का कहना है कि अपने जीवन में किसी बिंदु पर उन्हें उनके यौनिक रुझान या लैंगिक पहचान के कारण किसी परिवार के सदस्य या करीबी दोस्त द्वारा अस्वीकार कर दिया गया।

एलजीबीटीक्यू+ समुदाय में चुना हुआ परिवार क्यों मायने रखता है

कई एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के लोगों के लिए चुना हुआ परिवार बहुत महत्वपूर्ण है, जो होमोफोबिया और यौन हिंसा का सामना करते हैं। वे अपने पारंपरिक परिवार में अपनी पहचान बताने से बचते हैं। सिर्फ 56 प्रतिशत का कहना हैं कि उन्होंने अपनी माँ के सामने अपनी सच्चाई बताई है और 39 फीसदी ने अपने पिता के सामने अपनी यौनिक पहचान के बारे में बताया है। यौनिकता के बारे में बताने पर जैविक परिवार में लोगों को डर और असुरक्षा महसूस होती है, जबकि चुने हुए परिवार के बारे में लोगों को भरोसा, समझ, प्यार और स्वागत महसूस होता है। क्वीयर समुदाय में पारिवारिक रिश्तों को 1970 के दशक में बॉलरूम दृश्य द्वारा औपचारिक रूप दिया गया, जहां लोग एक साथ रहते हैं और एक-दूसरे को पारिवारिक शब्दों का उपयोग करके संबोधित करते हैं। इस तरह, चुना हुआ परिवार क्वीयर समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण समर्थन प्रणाली है जो उन्हें स्वीकृति, प्यार और सुरक्षा प्रदान करता है।

जब परिवार क्वीयर व्यक्तियों को स्वीकारता है, तो वे महसूस करते हैं कि वे अपने परिवार के साथ खुलकर बात कर सकते हैं और अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं। परिवार की स्वीकृति और समर्थन उन्हें सुरक्षित और आत्मविश्वास से भरा महसूस करा सकती है। इससे क्वीयर व्यक्ति अपने परिवार के साथ जुड़ाव महसूस कर सकते हैं और अपनी यौनिकता की वजह से अलगाव महसूस नहीं करेंगे। ऐसे में होमोसेक्सुअल लोगों ने अपने परिवार या दोस्तों से मिलने वाले समर्थन और प्यार को पाने के लिए “चुने हुए परिवार” बनाए हैं। इस तरह, वे अपने जीवन में सकारात्मकता और सुरक्षा महसूस कर पाते हैं, भले ही उन्हें अपने जैविक परिवार से अस्वीकृति मिली हो। यह दिखाता है कि एलजीबीटीक्यू+ समुदाय में एक-दूसरे के प्रति प्यार और समर्थन की भावना बहुत मजबूत है।


स्रोत:

  1. Vice
  2. Recovery.com
  3. charliehealth.com
  4. ncadv.org
  5. galop.org

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