जलवायु परिवर्तन का असर समाज में प्रत्येक व्यक्ति को अलग तरह से प्रभावित करता है। हाशिये के समुदाय से ताल्लुक रखने वाले वे लोग जिन्होंने जलवायु परिवर्तन संकट में सबसे कम योगदान दिया है, इसके प्रभावों का उन्हें सबसे अधिक खामिजाया भुगतान पड रहा है। पुरुषों की तुलना में महिलाएं जलवायु परिवर्तन में कम योगदान देती है लेकिन इसके प्रभावों का ज्यादा सामना करना पड़ता है। जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान के असर को समझते हुए प्रकृति आधारित समाधानों में लैंगिक और सामाजिक असमानताओं को शामिल करना सबसे ज्यादा ज़रूरी है।
जेंडर संवेदनशील नेचर बेस्ड सलूशंस क्या है?
जेंडर संवेदनशील नेचर बेस्ड सलूशंस न केवल पारिस्थिकी स्थिरता और सामुदायिक कल्याण को प्राथमिकता देते हैं बल्कि लैंगिक समानता को भी बढ़ावा देते हैं। वे सभी लिंग के व्यक्तियों की विविध ज़रूरतों, चुनौतियों, आकांक्षाओं और दृष्टिकोणों को सक्रिय रूप से स्वीकार करते हैं और उनका समाधान करते हैं। जेंडर संवेदनशील नेचर बेस्ड सलूशंस हाशिये पर रहने वाले लोगों में महिलाओं, पुरुषों, युवाओं और क्वीयर समुदाय की आवाज़ों के साथ उनके प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देकर प्रकृति संरक्षण सुनिश्चित करते है ताकि समाधान समावेशी और न्यायसंगत हो। ग्रामीण महिलाएं अक्सर प्रकृति आधारित समाधान के प्रबंधन में केंद्रीय भूमिका निभाती हैं और दुनिया भर के ग्रामीण समुदायों की आजीविका को बनाए रखने में भी उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है।
प्रकृति के माध्यम से ही प्राकृतिक आपदाओं से होनेवाले नुकसान को कम करना नेचर बेस्ड सलूशंस कहलाता है। इस प्रक्रिया में लैंगिक और सामाजिक असमानताओं को शामिल करना आवश्यक है। महिलाओं और आदिवासी समुदायों जैसे समूह, जो स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र पर निर्भर हैं, इन संकटों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं।
नेचर बेस्ड सलूशंस में महिलाओं की भागीदारी क्यों है ज़रूरी
प्रकृति के माध्यम से ही प्राकृतिक आपदाओं से होनेवाले नुकसान को कम करना नेचर बेस्ड सलूशंस कहलाता है। इस प्रक्रिया में लैंगिक और सामाजिक असमानताओं को शामिल करना आवश्यक है। महिलाओं और आदिवासी समुदायों जैसे समूह, जो स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र पर निर्भर हैं, इन संकटों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं। इन समाधानों का प्रभावी और टिकाऊ होना आवश्यक है और इसके लिए उन्हें अलग-अलग भूमिकाओं, जिम्मेदारियों और जानकारियों के अंतर को ध्यान में रखते हुए योजनाओं को डिजाइन किया जाना चाहिए। इतना ही नहीं साथ में भेदभावपूर्ण मानदंडों और प्रथाओं का समाधान भी करना चाहिए।
महिलाओं के नेतृत्व वाले क्लाइमेट एक्शन और नेचर बेस्ड सलूशन, क्लाइमेट मिटिगेश और अनुकूलन के लिए बदलाव का रास्ता सामने रखते हैं। महिलाओं के नेतृत्व वाले समाधानों के प्रमाण यह दिखाते हैं कि किस तरह से जलवायु संकट के लिए इस तरह की नीतियां फायदेमंद रही है। विशेष तौर पर 2015 के पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं। साथ ही 2030 तक संयुक्त राष्ट्र के कई सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को भी पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। महिला स्मॉल होल्डर किसान, जब पुरुषों के बराबर समय, फाइनेंस, भूमि स्वामित्व और विस्तार समर्थन जैसे संसाधनों तक पहंचुने में सक्षम होती हैं तो वे खेती पैदावार को 20 से 30 फीसदी तक बढ़ाने में कामयाब होती है। इससे कुल खेती की पैदावार में 2.5 से 5 फीसदी की वृद्धि होती है। 2050 तक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में 2.1 गीगाटन की अनुमानित कमी आती है। इसके अलावा आदिवासी महिलाएं और उनके समुदाय दुनिया की शेष जैव विविधता के 80 फीसदी हिस्से में रहते है और उनके तौर-तरीके पारिस्थितिकी तंत्रों के लिए सकारात्मक है। साथ ही महिलाओं के नेतृत्व वाली तकनीक जैसे इको वेव पावर और ओरिजन एयर क्लाइमेट मिटीगेशन और अनुकूलन के लिए नए अवसर पैदा कर रही हैं।
महिला केंद्रित क्लाइमेट फाइनेंस की है अधिक ज़रूरत

जलवायु परिवर्तन से प्रभावी तरीकों से निपटने के लिए समाज के सभी स्तरों पर और सभी क्षेत्रों में लैंगिक दृष्टिकोण से नेचर बेस्ड सलूशंस सहित क्लाइमेट एक्शन पर ध्यान केंद्रित करना बहुत महत्वपूर्ण है। बीते कुछ समय से जलवायु परिवर्तन की लड़ाई के लड़ने के लिए क्लाइमेट फाइनेंस के सही वितरण पर बहुत जोर है। कॉप सम्मेलनों समेत अन्य जलवायु सम्मेलनों में इसकी मांग उठ रही है। आज विदेशी क्लामेट फाइनेंस का केवल 0.2 फीसदी ही महिला नेतृत्व वाले प्रयासों तक पहुंचता है जबकि नेचर बेस्ड सलूशंस को प्राथमिकता नहीं दी जाती है और इनका फंड बहुत कम होता है। दुनियाभर के नेताओं ने कॉप-26 में नेचर बेस्ड सलूशंस में निवेश बढ़ाने की औपचारिक रूप से प्रतिबद्धता जाहिर की। साल 2022 में नेचर बेस्ड सलूशंस का फाइनेंस केवल 154 बिलियन डॉलर ही रहा जो 2030 तक क्लाइमेट एक्शन को पूरा करने के लिए ज़रूरी हर साल के 484 बिलियन डॉलर के निवेश से बहुत कम है।
क्रॉस-कटिंग रिसर्च से पता चलता है कि महिलाएं ऐसे इनोवेशन को अपनाती हैं जो दूसरो की मदद करते हैं और सामाजिक प्रभाव पैदा करते है। वे अपने घरों और समुदायों में निवेशक के रूप में काम करती है और अपने स्थानीय माहौल से गहराई से जुड़ी होती है। स्थानीय वातावरण को लेकर उनकी समझ अधिक होती है और प्रभावी तरीके से प्राकृतिक संसाधनों का लाभ उठाती है और उनकी सुरक्षा करती हैं। क्लाइमेट मिटीगेशन में उनकी भूमिका के अलावा, रणनीतिक रूप से महिलाओं के नेतृत्व वाले नेचर बेस्ड सलूशंस स्वास्थ्य, लैंगिक समानता संबंधी एसडीजी को भी बढ़ाने में मददगार है और आर्थिक विकास में योगदान देते हैं।
जेंडर संवेदनशील नेचर बेस्ड सलूशंस न केवल पारिस्थिकी स्थिरता और सामुदायिक कल्याण को प्राथमिकता देते हैं बल्कि लैंगिक समानता को भी बढ़ावा देते हैं। वे सभी लिंग के व्यक्तियों की विविध ज़रूरतों, चुनौतियों, आकांक्षाओं और दृष्टिकोणों को सक्रिय रूप से स्वीकार करते हैं और उनका समाधान करते हैं।
जैसे-जैसे राष्ट्रीय सरकारें जलवायु नीतियों और एजेंडों को प्राथमिकता देती हैं, उनका जलवायु कार्रवाई में समान नेतृत्व और भागीदारी को बढ़ावा देने में, विशेष रूप से महिला नेतृत्व वाले एनबीएस में एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। साल 2021 में इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर ने पाया कि उपलब्ध 89 राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान योजनाओं में से 78 प्रतिशत ने स्पष्ट रूप से लिंग का एक या अधिक उल्लेख किया है, जो 2016 में केवल 40 प्रतिशत एनडीसीएस से अधिक है। यह प्रगति आशाजनक है। लैंगिक संवेदनशील क्लाइमेट एक्शन को बढ़ावा देकर जलवायु संकट की लड़ाई को मजबूती से लड़ा जा सकता है। वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट के साल्सेडो-ला-विना अल द्वारा लिखे पेपर के मुताबिक़ नेचर बेस्ड सलूशन के कार्यान्वयन में ग्रामीण महिलाओं द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका को उजागर किया है। अध्ययन के अनुसार उनकी भागीदारी आर्थिक समर्थन की मांग करती है इस बात पर जोर दिया है कि एनबीएस की सफलता महत्वपूर्ण विशेष रूप से महिलाओं को शामिल करने निर्भर करती है। इस पेपर में जलवायु परिवर्तन समाधानों में लिंग को एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में पहचानते हुए महिलाओं के नेतृत्व और उनकी भागीदारी के संभावित सकारात्मक परिणामों पर बात की गई है।
स्रोतः