स्वास्थ्यशारीरिक स्वास्थ्य बर्नआउट: कारण, लक्षण और इससे बचाव के उपाय

बर्नआउट: कारण, लक्षण और इससे बचाव के उपाय

अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, जब व्यक्ति मल्टीटास्किंग करता है, तो उसकी उत्पादकता 40 फीसद तक कम हो सकती है, जिससे दीर्घकालिक तनाव और बर्नआउट के लक्षण उत्पन्न होते हैं। महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अधिक बर्नआउट का सामना करना पड़ता है।

हम सभी ने कभी न कभी अपने या अपने किसी करीबी के जीवन में अचानक से व्यवहार में बदलाव देखा होगा। व्यक्ति चिड़चिड़ा हो जाता है, तनाव बढ़ने लगता है, छोटी-छोटी बातों पर झगड़े होने लगते हैं, और धीरे-धीरे मिलना-जुलना भी बंद हो जाता है। इसके साथ ही थकान और वजन में कमी जैसी शारीरिक समस्याएँ भी जुड़ जाती हैं। ऑफिस के तनाव को लेकर दिनभर चिंता बनी रहती है, और ऑफिस पहुंचते ही तुरंत तनाव महसूस होने लगता है। इसके कारण ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और दिल की धड़कनें तेज हो जाती हैं। इस समस्या को ‘बर्नआउट’ कहा जाता है। आइए जानते हैं कि बर्नआउट क्या है, इसके लक्षण क्या हैं, और इससे कैसे बचा जा सकता है।

क्या है बर्नआउट?

तस्वीर साभार: Freepik

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) ने 2022 में बर्नआउट को एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में मान्यता दी है। यह एक सिंड्रोम है जो काम के दौरान मानसिक और भावनात्मक थकावट से होता है। आजकल यह समस्या बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी में देखने को मिलती है। बर्नआउट तब होता है जब व्यक्ति अपने काम में लंबे समय तक व्यस्त रहता है। दिन-रात काम करते हुए 14, 15 या 20 घंटे बिताने से मानसिक थकावट बढ़ती जाती है। इस थकावट के चलते व्यक्ति काम में रुचि खो देता है और उसकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है। सरल शब्दों में, जब कोई व्यक्ति मजबूरी या दबाव में काम करता है और उसे थकान, चिंता, डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन होने लगता है, तब उसे बर्नआउट कहा जाता है। यह न केवल एक मानसिक समस्या है, बल्कि एक सामाजिक समस्या भी है, जिसे आज की भागती-दौड़ती जिंदगी में देखा जा सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) ने 2022 में बर्नआउट को एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में मान्यता दी है। यह एक सिंड्रोम है जो काम के दौरान मानसिक और भावनात्मक थकावट से होता है।

बर्नआउट के लक्षण

बर्नआउट के कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं:

  • शारीरिक और मानसिक थकावट: लगातार थकान महसूस करना और ऊर्जा की कमी।
  • प्रेरणा में कमी: काम में उत्साह और रुचि की कमी।
  • चिड़चिड़ापन और निराशा: छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना या हताश महसूस करना।
  • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई: काम या अन्य गतिविधियों में ध्यान लगाने में समस्या होना।
  • नकारात्मक सोच: खुद या काम के बारे में निरंतर नकारात्मक विचार आना।
  • नींद की समस्या: नींद न आना या गहरी नींद न ले पाना।
  • शारीरिक स्वास्थ्य पर असर: वजन में कमी, विटामिन की कमी और थकान महसूस होना।
  • क्रॉनिक थकान: दिनभर थकान महसूस होना और हड्डियों में दर्द जैसा महसूस होना।
  • सामाजिक दूरी: लोगों से मिलने-जुलने की इच्छा न होना, बाहर न जाना।
  • ब्लड प्रेशर और दिल की धड़कन पर असर: तनाव के कारण रक्तचाप बढ़ना और दिल की धड़कनें तेज हो जाना।

बर्नआउट एक गंभीर मानसिक और शारीरिक समस्या है, जो अत्यधिक काम के दबाव, तनाव और असंतुलित जीवनशैली के कारण होती है।

बर्नआउट और महिलाओं पर इसका असर

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अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, जब व्यक्ति मल्टीटास्किंग करता है, तो उसकी उत्पादकता 40 फीसद तक कम हो सकती है, जिससे दीर्घकालिक तनाव और बर्नआउट के लक्षण उत्पन्न होते हैं। महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अधिक बर्नआउट का सामना करना पड़ता है, जिसके पीछे कई कारण होते हैं:

  • मल्टीटास्किंग का दबाव: महिलाएं अक्सर घर और काम दोनों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करती हैं। उन्हें एक साथ घर के काम, बच्चों की देखभाल और अन्य काम करने पड़ते हैं, जिससे शारीरिक और मानसिक थकान होती है। जबकि पुरुष अक्सर एक ही काम पर ध्यान देते हैं।
  • जिम्मेदारियों का दबाव: समाज में महिलाओं पर घर संभालने और काम में कुशलता दिखाने का दबाव अधिक होता है। इस दबाव के कारण महिलाएं अधिक तनाव का सामना करती हैं।
  • तनाव प्रबंधन का अभाव: महिलाओं को तनाव प्रबंधन के लिए पर्याप्त समर्थन नहीं मिलता। मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव और सहायक प्रणाली की कमी तनाव को बढ़ाती है।
  • हार्मोनल बदलाव: महिलाओं में हार्मोनल बदलाव के कारण बर्नआउट के मामले अधिक होते हैं, खासकर कामकाजी महिलाओं में। अध्ययन के अनुसार, 84 फीसद महिलाओं ने बताया कि उनकी कार्यक्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा जब उन्हें कार्यस्थल पर उचित समर्थन नहीं मिला।
  • गर्भावस्था और पीरियड्स: गर्भावस्था और पीरियड्स के दौरान काम का तनाव और अधिक बढ़ जाता है, जिससे बर्नआउट की समस्या और गंभीर हो जाती है।

बर्नआउट से बचाव के उपाय

बर्नआउट से बचने के लिए कुछ कारगर उपाय अपनाए जा सकते हैं:

  • आराम और अच्छी नींद: नियमित रूप से आराम करना और पर्याप्त नींद लेना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है।
  • योग और ध्यान: योग और ध्यान तनाव को कम करने और मानसिक स्पष्टता बढ़ाने में मदद करते हैं। ये मन को शांत रखने के लिए कारगर उपाय हैं।
  • समय प्रबंधन: अपने कामों को प्राथमिकता दें और समय का सही प्रबंधन करें। इससे आप अधिक व्यवस्थित रहेंगे और तनाव कम होगा।
  • सकारात्मक सामाजिक समर्थन: परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। सामाजिक संबंधों से मिलने वाला सकारात्मक समर्थन तनाव को कम करता है।
  • काउंसलिंग: यदि बर्नआउट के लक्षण गंभीर हों, तो मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लें। काउंसलिंग से आप अपने लक्षणों को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं और उन्हें प्रबंधित कर सकते हैं।

महिलाएं अक्सर घर और काम दोनों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करती हैं। उन्हें एक साथ घर के काम, बच्चों की देखभाल और अन्य काम करने पड़ते हैं, जिससे शारीरिक और मानसिक थकान होती है।

बर्नआउट एक गंभीर मानसिक और शारीरिक समस्या है, जो अत्यधिक काम के दबाव, तनाव और असंतुलित जीवनशैली के कारण होती है। इसके लक्षणों में शारीरिक और मानसिक थकान, काम के प्रति उदासीनता, और व्यक्तिगत जीवन में असंतुलन शामिल हैं। इसे रोकने के लिए यह जरूरी है कि व्यक्ति अपने काम और निजी जीवन के बीच संतुलन बनाए रखे। मल्टीटास्किंग से बचें, और समय-समय पर मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लें। नियमित रूप से योग, ध्यान और सही समय प्रबंधन के जरिए बर्नआउट से निपटा जा सकता है। सामाजिक समर्थन भी बेहद जरूरी है। खुली हवा में थोड़ा समय बिताएं और अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

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