समाजख़बर 4बी आंदोलनः दक्षिण कोरिया के बाद अमेरिकी महिलाएं क्यों जुड़ रही हैं?

4बी आंदोलनः दक्षिण कोरिया के बाद अमेरिकी महिलाएं क्यों जुड़ रही हैं?

यह आंदोलन दक्षिण कोरिया में साल 2016 के आसपास शुरू हुआ था जब एक युवा महिला की सियोल के मेट्रो स्टेशन पर हत्या कर दी गई। हत्यारे ने कहा कि उसे ‘महिला द्वारा नज़रअंदाज़ किए जाने’ का अनुभव हुआ था। इसी दौरान दक्षिण कोरिया में कई महिलाओं ने यह बताया कि उन्हें शौचालयों में, सेक्स के दौरान या अजनबियों और परिचित पुरुषों द्वारा सीक्रेट कैमरों से फिल्माया गया।

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में डॉनल्ड ट्रंप की जीत के बात अमेरिकी सोशल मीडिया पर 4बी आंदोलन उभर रहा है। महिलाएं पितृसत्तात्मक और स्त्रीविरोधी संस्थानों, प्रथाओं का विरोध कर रही हैं। अमेरिकी महिलाएं, दक्षिण कोरिया में शुरू हुए 4बी आंदोलन को आगे बढ़ा रही हैं। वे पुरुषों के साथ यौन संबंध और विवाह से दूरी बनाने का संकल्प ले रही हैं। कई अमेरिकी महिलाओं ने सोशल मीडिया पर घोषणा की कि वे इसे अपने जीवन में अपनाने जा रही हैं। यह एक क्रांतिकारी दृष्टिकोण है, लेकिन शायद अब इसका समय आ गया है, खासकर पिछले कुछ वर्षों में अमेरिकी महिलाओं द्वारा अपनी शारीरिक स्वायत्तता के लिए लड़ी गई कठिन लड़ाई को देखते हुए।  

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप की जीत के बाद 4बी मूवमेंट यूनाइटेड स्टेट में फेसबुक, टिकटॉक वीडियो और गूगल सर्च में टॉप सर्च किया जा रहा है। इस चुनाव में ट्रंप की सुप्रीम कोर्ट में तीन नियुक्तियों और उसके परिणामस्वरूप अबॉर्शन अधिकारों के हनन को लेकर चिंताएं प्रमुख थीं। परिणाम के बाद अमेरिकी महिलाएं समाज में अपनी भूमिकाओं और लैंगिक समानता पर सवाल उठा रही है।

4बी आंदोलन रेडिकल (कट्टर) नारीवाद के उस रूप से संबंधित है जो मानता है कि हेट्रोसेक्सुअल संबंध मूल रूप से दमन की संरचनाएं हैं। उनके अनुसार महिलाओं को वास्तव में स्वतंत्र और खुश रहने के लिए इनसे बाहर निकलने की आवश्यकता है।

4B आंदोलन क्या है?

तस्वीर साभारः NBC News

पितृसत्ता और लैंगिक भेदभाव के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाती दक्षिण कोरिया की महिलाओं ने 4बी आंदोलन की शुरुआत की थी। इस आंदोलन की शुरुआत ट्विटर वर्तमान में एक्स और वोमेड जैसे सोशल मीडिया वेबसाइट पर हुई। 4बी का अर्थ कोरियन भाषा में ‘नहीं’ है। इन चार बी के रूप में बिहोन (हेट्रोसेक्सुअल विवाह से इनकार), बिचुलसान (बच्चे पैदा करने से इनकार), बियोने (डेटिंग से इनकार) और बिसेक्सु (हेट्रोसेक्सुअल सेक्स संबंधों से इनकार) है। 4बी आंदोलन रेडिकल (कट्टर) नारीवाद के उस रूप से संबंधित है जो मानता है कि हेट्रोसेक्सुअल संबंध मूल रूप से दमन की संरचनाएं हैं। उनके अनुसार महिलाओं को वास्तव में स्वतंत्र और खुश रहने के लिए इनसे बाहर निकलने की आवश्यकता है। 4बी आंदोलन के समर्थकों का मानना है कि जब तक पुरुष लैंगिक न्यायपूर्ण समाज के लिए सक्रिय रूप से काम नहीं करते, तब तक महिलाओं को उन्हें बच्चे, प्रेम, और भावनात्मक या अन्य प्रकार का श्रम देकर किसी तरह से सहयोग नहीं करना चाहिए। 

यह आंदोलन दक्षिण कोरिया में साल 2016 के आसपास शुरू हुआ था जब एक युवा महिला की सियोल के मेट्रो स्टेशन पर हत्या कर दी गई। हत्यारे ने कहा कि उसे ‘महिला द्वारा नज़रअंदाज़ किए जाने’ का अनुभव हुआ था। इसी दौरान दक्षिण कोरिया में कई महिलाओं ने यह बताया कि उन्हें शौचालयों में, सेक्स के दौरान या अजनबियों और परिचित पुरुषों द्वारा सीक्रेट कैमरों से फिल्माया गया। इन मामलों में, पुलिस अक्सर सर्वाइवरों के प्रति सहयोग करने वाली नहीं थीं। साल 2018 में आंदोलन को काफी लोकप्रियता मिली। कोरियाई महिलाओं ने समाज द्वारा थोपे गए सौंदर्य मानकों को सार्वजनिक रूप से अस्वीकार करते हुए छोटे बाल कटवाने और बिना मेकअप के रहना शुरू किया। 

इस अभियान को शुरू करने वालो में जिऑन बोरा शामिल थीं जिन्होंने विद्रोह के प्रतीक के रूप में अपने बाल कटवाएं। वहीं समर ली ने खुद को बिना मेकअप के और ढीले कपड़ों में फिल्माया। इस तरह के कदम दक्षिण कोरियाई महिलाओं के पुरुष प्रभुत्व से मुक्त होने के प्रयासों को दिखाते हैं। इस आंदोलन को आगे बढ़ाने वालों में यूट्यूबर्स लीना बे (एक ब्यूटी इन्फ्लुएंसर, जो अवास्तविक सौंदर्य मानकों पर अपने अनुभव साझा करती हैं), बैक हा-ना, और जंग से-यंग शामिल हैं। ये सभी आंदोलन के उद्देश्यों और प्रगति पर लगातार अपडेट पोस्ट करती हैं। 

4बी आंदोलन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों स्तरों पर विकसित हुआ है। द कट.कॉम में प्रकाशित लेख में छपी जानकारी के अनुसार आंदोलन के अनुयायियों की संख्या 50,000 तक बताई गई हैं। साल 2014 और 2015 के आसपास, ‘इल्बे’ (Ilbe) नामक एक कट्टर महिला विरोधी और नारीवाद विरोधी समुदाय की प्रसिद्धि बढ़ने लगी। इस समुदाय के मुताबिक़ कोरियन महिलाएं पहले से ही देश की अनिवार्य सैन्य सेवा से बचकर विशेष अधिकार प्राप्त किए थे। नौकरियों और लैंगिक वेतन में समानता में वे अतिरिक्त अधिकारों और विशेषाधिकारों की मांग कर रही थीं। इल्बे समुदाय के लिए, पूरी महिला आबादी गोल्डडिगर थीं। इस समय के दौरान, ‘मेगालिया’ (Megalia) जैसे प्रमुख नारीवादी साइटों के सदस्यों ने ‘हन्नामचुंग’ (Korean male-bug) शब्द गढ़ा। इस शब्द ने कोरियाई पुरुषों को ‘बदसूरत, लिंगभेदी और सेक्स खरीदने के जुनून में डूबे हुए’ के रूप में वर्णित किया। 

तस्वीर साभारः ABC News

पुरुषों के साथ दीर्घकालिक संबंधों को त्यागने के अन्य कारण भी हैं। दक्षिण कोरिया विकसित देशों में महिला और पुरुष के बीच सबसे बड़ा लैंगिक वेतन अंतर वाला देश है, जहां महिलाएं पुरुषों की तुलना में 31 प्रतिशत कम कमाती हैं। इसके अलावा, महिलाएं अब भी श्रम बाजार में बड़े पैमाने पर भेदभाव का सामना करती हैं, जिसे यह आंदोलन स्वीकार करता है। साल 2018 में बड़े स्तर पर प्रचलित ट्वीट ने 4बी आंदोलन के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित किया। जिसमें संदेश दिया गया था कि वे खुद की सजावट के श्रम पर खर्च होने वाले पैसे को बचाए और स्वतंत्र जीने के लिए उन्हें इस्तेमाल करें। 

दक्षिण कोरिया में सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी महिलाओं को अनेक तरह के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। महिलाओं के आरक्षण को खत्म करने की मांग, जेंडर इक्वालिटी एंड फैमिली मंत्रालय को खत्म करने का राजनीति पार्टियों की तरफ से वादा, स्त्रीद्वेष, नारीवादियों के ख़िलाफ़ अपशब्द, ऑनलाइन ट्रोलिंग जैसी प्रतिक्रियाएं बीते कुछ समय में देखने को मिल रही हैं। 4बी आंदोलन जब और आगे बढ़ा तब दक्षिण कोरियाई महिलाओं ने #मीटू आंदोलन के तहत अपने साथ हुए दुर्व्यवहार की घटनाओं के बारे में खुलकर बात करनी शुरू की। इस समय के दौरान, महिलाओं ने सार्वजनिक रूप से उन उत्पीड़न और हिंसा के अनुभवों को साझा किया, जिनका सामना उन्होंने अपने कामकाजी जीवन या व्यक्तिगत संबंधों में किया था।

अमेरिका में 4बी आंदोलन और ट्रंप की जीत

तस्वीर साभारः Euronews

अमेरिका में नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और रिपब्लिकन पार्टी की महिला अधिकारों के बारे जो स्थिति है उसके बाद अमेरिकी महिलाएं 4बी मूवमेंट से जुड़ती नज़र आ रही हैं। अपने पिछले राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान ट्रंप की नीतियो ने यह स्पष्ट कर दिया था। ट्रंप द्वारा नियुक्त किए गए सुप्रीम कोर्ट जजों की वजह से साल 2022 में ‘रो बनाम वेड’ फैसले को पलटा गया। जिसके बाद अमेरिका में महिलाओं के पास अबॉर्शन एक संघीय अधिकार नहीं रहा है। देश भर में महिलाओं की अबॉर्शन तक पहुंच को सीमित करना उनकी नीति का प्रमुख हिस्सा बना। ट्रंप की जीत उस व्यक्ति को वैधता देती है जिस पर कई महिलाओं ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए और जिसे यौन उत्पीड़न का दोषी पाया गया। चुनावी परिणामों से यह भी साफ हो गया है कि ट्रंप की महिलाओं के प्रति सोच कई अन्य अमेरिकी पुरुषों में भी परिलक्षित होती है। सीएनएन के एग्जिट पोल के मुताबिक ट्रंप ने महिलाओं के 46 फीसदी वोट हासिल किए हैं जबकि हैरिस को 54 फीसदी महिलाओं का समर्थन मिला है। वहीं पुरुषों के बीच हैरिस को केवल 43.5 फीसदी वोट मिले, जबकि ट्रंप को 56.5 फीसदी पुरुषों का समर्थन मिला हैं।

सोशल मीडिया पर युवा महिलाओं ने इस बात पर निराशा व्यक्त की कि युवा पुरुषों ने ऐसे उम्मीदवार को वोट दिया, जो उनकी शारीरिक स्वायत्तता का सम्मान नहीं करता। इतना ही नहीं ट्रंप की जीत के बाद कुछ समर्थक सोशल मीडिया पर स्त्री विरोधी संदेश पोस्ट कर रहे है। “तुम्हारा शरीर, मेरा चुनाव”, “तुम्हारा शरीर, मेरी पसंद.. हमेशा” जैसे बयान दे रहे हैं। ट्रंप के सत्ता में आने के बाद अबॉर्शन के अधिकार का क्या होगा इस पर सबकी निगाह है। ट्रंप ने कहा है कि वह फेडरल अबॉर्शन बिल को वीटो देंगे, क्योंकि अबॉर्शन के अधिकार से जुड़े कानूनों को तय करने का अधिकार व्यक्तिगत राज्यों को देना पसंद करते हैं। इसके अलावा यह भी डर है कि ट्रंप का प्रशासन 1873 के कॉमस्टॉक एक्ट की व्याख्या को लागू कर सकता है। यह कानून अबॉर्शन से जुड़ी दवाओं या अन्य सामग्रियों की बिक्री, प्राप्ति को संघीय अपराध मानता है। यह कानून दशकों से लागू नहीं किया गया है, लेकिन ट्रंप प्रशासन इसे लागू करने की ताकत हासिल कर सकता है। ट्रंप को लेकर महिलाओं में नाराजगी कई स्तर पर है। कई महिलाओं का कहना है कि ट्रंप के बयान महिलाओं के प्रति असम्मान और स्त्री विरोधी मानसिकता को दिखाते हैं। महिलाओं में इससे गुस्सा और निराशा बढ़ी है।

क्या 4B एक नई अवधारणा है?  

तस्वीर साभारः Rolling Stone

दक्षिण कोरिया और वर्तमान में अमेरिका में 4बी की अवधारणा नई नहीं है। इससे पहले अमेरिकी सोशल मीडिया पर ‘बॉयसोबर’ नाम से एक ट्रेंड चला था जिसमें महिलाएं अपनी खुशी, भलाई और सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए पुरुषों के साथ रोमांटिक रिश्तों से दूर रहने की बात की गई। 1960 से 1980 के दशक में, सेकेंड वेव ऑफ फेमिनिज़म में कुछ समूह ने पॉलिटिकल लेस्बिनियजम और सेपरेटिस्ट फेमिनिज़म का समर्थन किया जो मूल रूप से मानता था कि महिलाओं को उस जेंडर से दूर रहना चाहिए जो उसे दबाता है। ठीक इसी तरह इन विचारों को व्यक्त करने के लिए लेख लिखे गए जिनमें हेट्रोसेक्सुअल कपल्स, पुरुषों के वर्चस्व की राजनीति, महिलाओं पर नियंत्रण को लेकर बात की गई। लेखों में महिलाओं को ऐसे संबंधों से दूर रहने का आह्वान किया गया। इसके अलावा, 1960 के दशक के अंत और 1970 के दशक की शुरुआत में अमेरिका में ‘सेल 16 आंदोलन’ भी था, जिसने महिलाओं को ब्रह्मचारी रहने, पुरुषों से दूर रहने और कराटे जैसे आत्मरक्षा के मार्शल फॉर्म सीखने की वकालत की। 6B4T आंदोलन, जो 4B आंदोलन से प्रेरित है, ने चीन में विशेष ध्यान आकर्षित किया है। इस संस्करण में अतिरिक्त सिद्धांत शामिल हैं, जैसे उपभोक्तावाद का विरोध और अविवाहित महिलाओं के बीच आपसी सहायता को बढ़ावा देना।

बढ़ते प्रभाव के बावजूद, 4बी आंदोलन को कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।  इसके कट्टरपंथी (रेडिकल) सिद्धांतों ने आलोचनाओं को जन्म दिया है, जिसमें प्रतिभागियों को स्वार्थी या असामाजिक करार दिया जाता है। पितृसत्तात्मक संरचनाओं और पारंपरिक वैवाहिक मानदंडों के खिलाफ विरोध स्वरूप पुरुषों से दूर रहने को कभी-कभी (गलत तरीके से) होमोसेक्सुअलिटी को प्रोत्साहित करने के रूप में देखा जाता है, क्योंकि यह हेट्रोसेक्सुअल संबंधों का विरोध करता है। बावजूद इसके 4बी आंदोलन से जुड़ी नारीवादी अपने उस विचार पर अडिग है जिसमें महिलाएं अपनी शर्तों पर जीवन जी सकें। पारंपरिक जीवन मार्गों को अस्वीकार करना उनके लिए एकांत में पलायन नहीं है, बल्कि पितृसत्तात्मक बंधनों से मुक्त होकर नए तरीके से जीवन जीने का प्रयास है।  

4बी आंदोलन के समर्थकों का मानना है कि जब तक पुरुष लैंगिक न्यायपूर्ण समाज के लिए सक्रिय रूप से काम नहीं करते, तब तक महिलाओं को उन्हें बच्चे, प्रेम, और भावनात्मक या अन्य प्रकार का श्रम देकर किसी तरह से सहयोग नहीं करना चाहिए। 

आंदोलन का मकसद असमानता और भेदभाव को उजागर करना होता है और 4बी आंदोलन व्यापक असंतोष को दिखाता है। चाहे दक्षिण कोरिया की महिलाएं हो या अमेरिकी महिलाएं। यह आंदोलन मुख्य रूप से महिलाओं के ऑनलाइन समुदायों के माध्यम से फैला है। ये महिलाएं न केवल तथाकथित सौंदर्य मानकों को बल्कि पितृसत्ता को बनाए रखने वाले संस्थानों पर भी सवाल करती हैं। वे सामूहिक रूप से उस धारणा को चुनौती देती है कि महिलाओं का मूल्य पुरुषों का समर्थन करने और पारिवारिक संरचना को बनाए रखने की उनकी क्षमता में निहित है। 

सोर्सः

  1. The Conversation
  2. aljazeera.com
  3. Indian Express
  4. Service95.com

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