समाजख़बर फैन के द्वारा उत्पीड़न के बाद एम्मा राडुकानू ने तोड़ी चुप्पी, महिला एथलीटों के सामने जोखिम

फैन के द्वारा उत्पीड़न के बाद एम्मा राडुकानू ने तोड़ी चुप्पी, महिला एथलीटों के सामने जोखिम

डब्ल्यूटीए ने एक आधिकारिक बयान जारी किया। उन्होंने कहा गया, "सोमवार, 17 फरवरी को, एम्मा से एक सार्वजनिक स्थान पर एक व्यक्ति ने संपर्क किया, जिसने उनका पीछा किया। यही व्यक्ति मंगलवार को दुबई ड्यूटी फ्री टेनिस चैंपियनशिप के दौरान मैच में पहली कुछ पंक्तियों में देखा गया और बाद में उसे बाहर निकाल दिया गया। अब उसे सभी डब्ल्यूटीए टूर्नामेंटों से प्रतिबंधित कर दिया गया है, और आगे खतरे का आकलन किया जाएगा।"

ब्रिटिश टेनिस खिलाड़ी एम्मा राडुकानू का बीच में खेल रोकना, अंपायर की कुर्सी के पीछे छिपकर रोना, जब उन्होंने उस व्यक्ति को देखा जिसने उनका उत्पीड़न किया। यह एक बेहद परेशान करने वाला दृश्य था। इस घटना ने एक बार फिर इस सच्चाई को उजागर किया कि महिला एथलीटों को नियमित रूप से किस तरह के खतरों, लैंगिक हिंसा का सामना करना पड़ता है। मंगलवार को दुबई टेनिस चैंपियनशिप में हुई इस घटना के बाद पुलिस ने उस व्यक्ति को हिरासत में ले लिया और उस पर प्रतिबंधात्मक आदेश लागू कर दिया।

दुबई टेनिस चैंपियनशिप के सेकेंड राउंड के एक मैच के दौरान 22 वर्षीय ब्रिटिश टेनिस स्टार एम्मा राडुकानू को दूसरे दौर के मुकाबले के दौरान एक कठिन अनुभव से गुजरना पड़ा। करोलिना मुचोवा के ख़िलाफ़ मैच खेलते समय, अचानक असहज नजर आईं। दरअसल, स्टैंड में वह व्यक्ति भी मौजूद था जिसने टूर्नामेंट से पहले भी उनका उत्पीड़न किया था। दर्शक दीर्घा में बैठे उस व्यक्ति पर उनका पीछा करने का आरोप था। मैच के दौरान उसे देखने पर उन्हें बीच मैच में अधिकारियों को सतर्क करना पड़ा।

विमेन इन स्पोर्ट संस्था की मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टेफ़नी हिलबोर्न ने बीबीसी स्पोर्ट से कहा कि “हर महिला के अंदर एक स्तर का डर होता है। यह डर सिर्फ प्रसिद्ध महिलाओं तक सीमित नहीं है, लेकिन जितना अधिक आप सार्वजनिक रूप से दिखते हैं, यह खतरा उतना ही अधिक बढ़ जाता है।

दूसरी वरीयता प्राप्त एम्मा असहज नज़र आईं और वर्ल्ड नंबर 17 के ख़िलाफ़ पहले दो गेम हार गईं। तीसरे गेम से पहले, वह अंपायर की कुर्सी के पास पहुंचीं और भावुक होकर रोने लगीं। इसके बाद टूर्नामेंट डायरेक्ट से बात हुई, और सुरक्षा अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई की। संदिग्ध व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया और उसे सभी डब्ल्यूटीए टूर्नामेंटों से प्रतिबंधित कर दिया गया। हिंदुस्तान टाइम्स में छपी जानकारी के अनुसार इस घटना की पुष्टि करते हुए डब्ल्यूटीए ने एक आधिकारिक बयान जारी किया। उन्होंने कहा गया, “सोमवार, 17 फरवरी को, एम्मा से एक सार्वजनिक स्थान पर एक व्यक्ति ने संपर्क किया, जिसने उनका पीछा किया। यही व्यक्ति मंगलवार को दुबई ड्यूटी फ्री टेनिस चैंपियनशिप के दौरान मैच में पहली कुछ पंक्तियों में देखा गया और बाद में उसे बाहर निकाल दिया गया। अब उसे सभी डब्ल्यूटीए टूर्नामेंटों से प्रतिबंधित कर दिया गया है, और आगे खतरे का आकलन किया जाएगा।”

बयान में आगे कहा गया, “खिलाड़ियों की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है, और अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों के लिए टूर्नामेंटों को सुरक्षा से जुड़ी सर्वोत्तम प्रक्रियाओं की सलाह दी जाती है। डब्ल्यूटीए सक्रिय रूप से एम्मा राडुकानू और उनकी टीम के साथ काम कर रहा है ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और आवश्यक सहायता प्रदान की जा सके। हम दुनियाभर के टूर्नामेंटों और उनकी सुरक्षा टीमों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि सभी खिलाड़ियों के लिए एक सुरक्षित माहौल बनाए रखा जा सके।” वहीं ब्रिटेन में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम पर बोलते हुए ब्रिटिश टेनिस संघ (एलटीए) ने कहा है कि ब्रिटेन में होने वाले सभी टूर्नामेंटों में विस्तृत सुरक्षा इंतज़ाम किए जाते हैं और इन्हें लगातार समीक्षा के तहत रखा जाता है।”टेनिस टूर में पहले से ही मजबूत सुरक्षा प्रक्रियाएं मौजूद हैं, और हम पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर ऐसे मामलों से सख्ती से निपटने के लिए काम करना जारी रखेंगे।” 

पहले भी हो चुकी है ऐसा उत्पीड़न 

तस्वीर साभारः The Indian Express

ब्रिटिश खिलाड़ी राडुकानू के साथ सार्वजनिक जगह पर उत्पीड़न की घटनाओं का सामना पहले भी करना पड़ा था।  यह पहली बार नहीं है जब उनको इस तरह की घटना का सामना करना पड़ा है। द गार्जियन में छपी जानकारी के मुताबिक़ साल 2022 में, अमृत मगर (35 वर्षीय) नाम के एक व्यक्ति को पाँच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था, जब उसने लंदन में उस समय  का पीछा किया था। इस पुरुष ने उनके पारिवारिक घर के बाहर कई बार चक्कर लगाए और राडुकानू से कुछ सामान भी चुरा लिया, जिससे एम्मा और उनका परिवार डर गया था। इसके बाद, अदालत ने उसे समुदाय सेवा (कम्यूनिटी सर्विस) का आदेश दिया और उनके पास जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। 

दुबई चैंपियनशिप मे हुई घटना के बाद राडुकानू ने अपने सोशल मीडिया पर कहा है,”आपके समर्थन संदेशों के लिए धन्यवाद। कल का अनुभव कठिन था, लेकिन मैं ठीक रहूंगी और मुझे इस बात पर गर्व है कि मैंने वापसी की और मैच की शुरुआत में हुई घटना के बावजूद प्रतिस्पर्धा की। करोलिना को उनकी शानदार खेल भावना के लिए धन्यवाद और टूर्नामेंट के शेष मुकाबलों के लिए उन्हें शुभकामनाएं।” इस घटना के बाद बीच में खेल रोकने के बाद दोबारा शुरू हुआ, लेकिन राडुकानू मैच में 4-0 से पिछड़ गईं थी। हालांकि, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और पहला सेट टाई-ब्रेक तक ले गईं, लेकिन अंततः उन्हें 7-6 (6), 6-4 से हार का सामना करना पड़ा।

महिला एथलीटों के सामने ‘अतिरिक्त खतरा’

बीबीसी स्पोर्ट्स में छपी रिपोर्ट के अनुसार यूके के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार, लगभग हर पांच में से एक महिला अपने जीवन में कभी न कभी पीछा किए जाने (स्टाकिंग) का अनुभव करती है। यदि कोई महिला सार्वजनिक रूप से जानी-मानी हस्ती हो, तो यह जोखिम और भी बढ़ जाता है। हाल के वर्षों में कई महिला टेनिस खिलाड़ियों को इस तरह की उत्पीड़न करने वाली घटनाओं का सामना करना पड़ा है। ब्रिटिश टेनिस खिलाड़ी केटी बौल्टर ने भी गार्जियन से बातचीत में बताया था कि उन्हें कई बार गाड़ियों और पैदल चलते लोगों ने पीछा किया।

इसी तरह, अमेरिकी टेनिस खिलाड़ी डेनिएल कोलिन्स और स्लोएन स्टीफेंस ने भी खुलासा किया कि वे उत्पीड़न का सामना कर चुकी हैं। पिछले महीने, एक व्यक्ति पर अमेरिकी बास्केटबॉल खिलाड़ी केटलिन क्लार्क का पीछा करने का आरोप लगाया गया था। वहीं, धाविका गैबी थॉमस और रग्बी खिलाड़ी इलोना माहेर ने भी हाल ही में अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई। पूर्व विंबलडन चैंपियन मैरियन बारटोली ने भी 2007 में ऑल इंग्लैंड क्लब में खेले गए एक मैच के दौरान हुए एक खौफनाक अनुभव के बारे में बताया कि एक व्यक्ति ब्रिटिश ग्रास-कोर्ट सीजन के दौरान बर्मिंघम और ईस्टबॉर्न टूर्नामेंटों में उनका पीछा करता रहा। फिर, उसने विंबलडन के ग्राउंड स्टाफ बनकर उनके करीब आने की कोशिश की।

तस्वीर साभारः L.A. Times

महिला खिलाड़ियों के ख़िलाफ़ इस तरह की घटनाएं केवल पीछा करने तक सीमित नहीं है। महिला एथलीटों के प्रति जुनूनी व्यवहार रखने वाले ने उन्हें कई स्तर पर हानि पहुंचाई है। 30 अप्रैल 1993 में, दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी रही मोनिका सेलेस को जर्मनी के हैम्बर्ग में एक टूर्नामेंट के दौरान स्टेडियम में सुरक्षा को चकमा देकर आए एक व्यक्ति ने चाकू घोंप दिया था। उस व्यक्ति की मंशा जर्मनी की स्टार खिलाड़ी स्टेफी ग्राफ को वापस नंबर एक स्थान पर देखना था। इस हमले के बाद सेलेस का करियर काफी प्रभावित हुआ। टेनिस की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी सेरेना विलियम्स के एक प्रशंसक ने उन्हें यूरोप और अमेरिका के टूर्नामेंटों में लगातार फॉलो करता रहा, जब तक कि उसे यूएस ओपन में गिरफ्तार नहीं किया गया। 34 वर्षीय जर्मन अल्ब्रेख्ट स्ट्रोमेयर को अधिकारियों ने कई बार दूर रहने की चेतावनी दी थी, लेकिन जब उसने इन चेतावनियों को नजरअंदाज किया, तो उसे विंबलडन के गेट पर हंगामे के बाद गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद स्ट्रोमेयर ने पुलिस से कहा, “मैं विलियम्स से प्यार करता हूं।” 

विमेन इन स्पोर्ट संस्था की मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टेफ़नी हिलबोर्न ने बीबीसी स्पोर्ट से कहा कि “हर महिला के अंदर एक स्तर का डर होता है। यह डर सिर्फ प्रसिद्ध महिलाओं तक सीमित नहीं है, लेकिन जितना अधिक आप सार्वजनिक रूप से दिखते हैं, यह खतरा उतना ही अधिक बढ़ जाता है। खेल की दुनिया में, जहां आपका शरीर खुले तौर पर सबके सामने होता है, यह जोखिम और भी ज्यादा हो जाता है।” यूनाइटेड नेशन की ‘टेक्लिंग वायलेंस अगेस्ट वीमन एंड गर्ल इन स्पोर्ट्स’ रिपोर्ट के मुताबिक़ खेलों की दुनिया में महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा का जोखिम अस्वीकार्य रूप से अधिक है। लगभग 21 प्रतिशत पेशेवर महिला एथलीटों ने बचपन में खेलों के दौरान यौन शोषण का सामना किया है। यह दर पुरुष एथलीटों के मुकाबले लगभग दोगुनी है। 

यूके के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार, लगभग हर पांच में से एक महिला अपने जीवन में कभी न कभी पीछा किए जाने (स्टाकिंग) का अनुभव करती है। यदि कोई महिला सार्वजनिक रूप से जानी-मानी हस्ती हो, तो यह जोखिम और भी बढ़ जाता है।

महिला खिलाड़ियों के ख़िलाफ़ उत्पीड़न, घृणा, पीछ़ा करना और यौन उत्पीड़न को रोकना बहुत ज़रूरी है। पूर्व में इस तरह की घटना सामने आने के बाद टूर्नामेंट में सुरक्षा बढ़ाई गई थी, लेकिन इस तरह की घटनाएं फिर भी सामने आती रही। इसका तो यही नतीजा है कि मौजूदा सुरक्षा उपाय महिला खिलाड़ियों को सुरक्षित खेल का माहौल बनाने में असमर्थ है और उन्हें अधिक सुरक्षा प्रदान करने की ज़रूरत है। खेल में महिलाओं के ख़िलाफ़ इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त नीतियां होनी ज़रूरी है। वुमेन इन स्पोर्ट्स संगठन का इस पर मानना है खेल को मिलने वाली फंडिंग के लिए एंटी-मिज़ोजिनी (महिलाओं के प्रति घृणा) नीतियों को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए। संगठन ने यह भी मांग की है कि सोशल मीडिया पर मिज़ोजिनी फैलाने वाले अकाउंट्स को डिएक्टिवेट किया जाए और खेल में महिलाओं के प्रति भेदभाव और उत्पीड़न की शिकायतों को संभालने के लिए एक स्वतंत्र नियामक (स्पोर्टिंग रेगुलटर) नियुक्त किया जाए। 


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