इतिहास गीता मुखर्जीः संसद में महिला बिल को पेश करने वाली पहली सांसद| #IndiaWomenInHistory

गीता मुखर्जीः संसद में महिला बिल को पेश करने वाली पहली सांसद| #IndiaWomenInHistory

महिलाओं के लिए विधानसभा और लोकसभा में एक तिहाई आरक्षण के मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया और संसद में निजी विधेयक पेश किया। गीता मुखर्जी ने 12 सितंबर 1996 को लोकसभा में प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया, जिसने भारत में महिला आरक्षण आंदोलन की नींव रखी। 27 साल बाद, 19 सितंबर 2023 को, यही विधेयक "नारी शक्ति वंदन अधिनियम" के रूप में प्रस्तुत किया गया।

गीता मुखर्जी एक भारतीय राजनीतिज्ञ और समाजसेवी थी। लगभग साढ़े पांच दशकों तक राजनीति में सक्रिय रही गीता मुखर्जी ने किसानों और महिलाओं के अधिकारों के प्रति प्रतिबद्धता से काम किया। अपने राजनीतिक करियर में महिलाओं के अधिकारों के लिए मजबूती से काम किया और नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वीमेन (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महिला संगठन) की अध्यक्ष भी रहीं। उन्होंने संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण दिये जाने की मांग उठाई थी और इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साल 1996-1997 में, जब वह लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण पर संयुक्त चयन समिति (ज्वाइंट सिलेक्ट कमेटी) की अध्यक्ष थीं, तब उन्होंने महिला आरक्षण विधेयक का प्रारूप तैयार करने में अहम भूमिका निभाई। वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सात बार लोकसभा सदस्य रहीं।

जन्म और शुरुआती जीवन

गीता मुखर्जी का जन्म 8 जनवरी 1924 को कलकत्ता, पश्चिम बंगाल में हुआ था। उनकी शादी 8 नवंबर 1942 को बिश्वनाथ मुखर्जी से हुई। मुखर्जी ने आशुतोष कॉलेज, कलकत्ता से बंगाली साहित्य में स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी। गीता मुखर्जी की बहुत छोटी उम्र से ही सामाजिक और राजनीतिक आंदोलनों की ओर रूचि थी। गीता मुखर्जी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी की और अंग्रेजों के शासन के ख़िलाफ़ जन आंदोलनों में हिस्सा भी लिया। ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ आंदोलनों में शामिल होने के कारण वह कई बार जेल भी गईं। उन्होंने न केवल ब्रिटिश राज के ख़िलाफ, बल्कि आज़ादी के बाद भी वह जन आंदोलनों शामिल रही और कई बार जेल भी गईं। गीता मुखर्जी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ छात्रों और श्रमिकों के आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी की। उन्होंने “रशीद अली दिवस” पर कोलकाता में बैरिकेड संघर्ष में हिस्सा लिया और 1946 के पोस्ट एंड टेलीग्राफ विभाग की हड़ताल में भाग लिया। मात्र 22 साल की उम्र में, उन्होंने कोलकाता में एक विशाल रैली को संबोधित किया।

गीता मुखर्जी का पूरा जीवन और संघर्ष स्वतंत्रता संग्राम, किसानों के अधिकार, और महिलाओं की समाज में स्थिति को बेहतर करने की दिशा में रहा। महिलाओं के लिए विधानसभा और लोकसभा में एक तिहाई आरक्षण के मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया और संसद में निजी विधेयक पेश किया।

राजनीतिक जीवन

तस्वीर साभारः India Today

साल 1947 से 1951 तक, उन्होंने बंगाल प्रोवेशियल स्टूडेंट्स फेडरेशन की सचिव के रूप में काम किया। साल 1946 में उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, बंगाल राज्य परिषद की सदस्यता ग्रहण की। उनका विवाह 1942 में पश्चिम बंगाल के एक प्रसिद्ध कम्युनिस्ट नेता बिश्वनाथ मुखर्जी से हुआ था। 1948 में, कांग्रेस सरकार द्वारा सीपीआई पर प्रतिबंध लगा दिया गया, जिसके बाद गीता मुखर्जी और उनके पति बिश्वनाथ मुखर्जी को गिरफ्तार कर बिना मुकदमे के छह महीने तक प्रेसिडेंसी जेल में रखा गया था। वह जेल से रिहा होने के बाद तीन साल तक भूमिगत रहीं, जब तक कि अदालत ने सीपीआई पर लगे प्रतिबंध को असंवैधानिक घोषित नहीं किया। वह सीपीआई की तरफ से सात बार लोकसभा की सदस्य रहीं। साल 1967 में वह पहली बार पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए निर्वाचित हुईं। 1972 में फिर से राज्य विधानसभा सदस्य बनीं। 1980 में वह पहली बार लोकसभा सांसद चुनी गई थीं। 1980 से 2000 तक, उन्होंने पांशकुड़ा, पश्चिम बंगाल से हर लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी।

महिला बिल पेश करने वाली पहली सांसद

गीता मुखर्जी का पूरा जीवन और संघर्ष स्वतंत्रता संग्राम, किसानों के अधिकार, और महिलाओं की समाज में स्थिति को बेहतर करने की दिशा में रहा। महिलाओं के लिए विधानसभा और लोकसभा में एक तिहाई आरक्षण के मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया और संसद में निजी विधेयक पेश किया। गीता मुखर्जी ने 12 सितंबर 1996 को लोकसभा में प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया, जिसने भारत में महिला आरक्षण आंदोलन की नींव रखी। 27 साल बाद, 19 सितंबर 2023 को, यही विधेयक “नारी शक्ति वंदन अधिनियम” के रूप में प्रस्तुत किया गया। गीता मुखर्जी महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रति पूरी तरह समर्पित थीं। उनका मानना था कि जब तक संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को पर्याप्त संख्या में प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा, तब तक सशक्तिकरण अधूरा रहेगा। उन्होंने महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने के लिए ऐतिहासिक संघर्ष किया। गीता मुखर्जी संसद में इस बिल को पेश करने वाली पहली सांसद बनीं।

तस्वीर साभारः NDTV

गीता मुखर्जी राष्ट्रीय महिला महासंघ की अध्यक्ष भी रहीं, जो सीपीआई की महिला विंग थी। उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण श्रम आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय बाल बोर्ड, प्रेस काउंसिल जैसे संगठनों में भी सक्रिय भूमिका निभाई। इसके अलावा, वह बर्लिन स्थित “वीमेंस इंटरनेशनल डेमोक्रेटिक फेडरेशन” की सचिवालय सदस्य भी थीं। राजनीति के अलावा, गीता मुखर्जी ने कई किताबें भी लिखीं। उनका लेखन कार्य विशेष रूप से बच्चों के लिए रहा। भारत उपकथा–भारतीय लोक कथाओं का संग्रह, छोटोडेर रवींद्रनाथ– बच्चों के लिए रवींद्रनाथ टैगोर पर केंद्रित पुस्तक, हे अतीत, कथा कहो नामक पुस्तकें लिखीं। इसके अलावा, उन्होंने ब्रूनो अपिट्ज की प्रसिद्ध जर्मन पुस्तक “नेकेड अमंग वोल्व्स” का बंगाली में अनुवाद भी किया।

साल 1967 में वह पहली बार पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए निर्वाचित हुईं। 1972 में फिर से राज्य विधानसभा सदस्य बनीं। 1980 में वह पहली बार लोकसभा सांसद चुनी गई थीं। 1980 से 2000 तक, उन्होंने पांशकुड़ा, पश्चिम बंगाल से हर लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी।

गीता मुखर्जी अपने बेहद सादगीपूर्ण जीवनशैली के लिए जानी जाती थीं। बिना किसी प्रचार के वे केवल जन कल्याण काम पर ध्यान देती थीं। सांसद बनने के बाद तक वह नई दिल्ली और हावड़ा के बीच यात्रा करने के लिए सामान्य थ्री-टियर स्लीपर कोच का ही इस्तेमाल करती थीं। वह बहुत अधिक मृदुभाषी और लो-प्रोफाइल विचारों वाली थीं। हमेशा लोगों के लिए उपलब्ध रहने वाली और उनके मुद्दों को उठाने वाली गाती मुखर्जी को लोग ‘गीतादी’ के नाम से पुकारते थे। 4 मार्च 2000 में हार्ट अटैक के कारण इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। वे अपना कार्यकाल भी पूरा नहीं कर सकीं। गीता मुखर्जी सादगी, सख्त अनुशासन और अपने काम के प्रति समर्पण के लिए याद की जाती हैं। वह जनता के बीच रहने वाली नेता थीं और नियमित रूप से अपने संसदीय क्षेत्र का दौरा करती थीं, भले ही डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी हो। राजनीति जनसेवा के लिए होती है इस बात को उन्होंने राजनीति जीवन में मूल मंत्र के तौर पर रखा और अंतिम समय तक लोगों के लिए और उनके बीच बनी रहीं।

सोर्सः

  1. Wikipedia
  2. The Wire
  3. DNA

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