स्वास्थ्यशारीरिक स्वास्थ्य पेरिमेनोपॉज़ क्या है और इस दौरान खुद का ख्याल कैसे रखें?

पेरिमेनोपॉज़ क्या है और इस दौरान खुद का ख्याल कैसे रखें?

यह अवस्था पीरियड्स होने वाले लोगों के जीवन में अलग-अलग समय पर आती है। इसके लिए आनुवांशिक इतिहास, जीवनशैली और हार्मोन बदलाव को देखना होता है लेकिन पेरिमेनोपॉज की शुरुआच 30 की उम्र में हो सकती है या किसी के साथ यह 50 की उम्र में भी हो सकती है। कुछ लोग थोड़े समय के लिए ही पेरिमेनोपॉज़ की अवस्था में रहते हैं, जबकि अन्य कई सालों तक इसमें रहते हैं।

पीरियड्स होने वाले लोगों ने अपने जीवनकाल में मेनोपॉज़ की स्थिति के बारे में कभी न कभी सुना ही होगा लेकिन क्या पेरिमेनोपॉज़ के बारे में कभी सुना है? यह क्या है और कब होता है? इस स्थिति के लक्षण और शरीर पर इसके प्रभाव के बारे में जानना ज़रूरी है और इस पर बात करना क्यों आवश्यक है? ज़्यादातर पीरियड्स होने वाले लोगों के लिए, मेनोपॉज़, मेंस्ट्रुअल साइकल के अंत से चिह्नित होता है, जो ओवेरियन फॉलिक्युलर फंक्शन के कार्य बंद करने के कारण होता है। इसका मतलब है कि अंडाशय निषेचन (फर्टिलाइजेशन) के लिए अंडे जारी करना बंद कर देते हैं। पीरियड चक्र की नियमितता और लंबाई एक महिला के प्रजनन जीवन काल में भिन्न होती है, लेकिन जिस उम्र में प्राकृतिक मेनोपॉज़ होता है वह आम तौर पर दुनिया भर में महिलाओं के लिए 45 से 55 वर्ष के बीच होती है।

वहीं दूसरी ओर, पेरिमेनोपॉज़ तब होता है जब एक महिला का शरीर मेनोपॉज़ की ओर बढ़ना शुरू करता है। इसके दौरान, शरीर के अंडाशय कम हार्मोन का उत्पादन शुरू करते हैं, जिससे महिला का पीरियड्स साइकल अनियमित हो जाता है। पेरिमेनोपॉज़ की स्थिति में शरीर प्रजनन वर्षों के अंत की ओर बढ़ रहा होता है। कहने को तो यह एक प्राकृतिक और सामान्य बदलाव हैं, लेकिन यह शारीरिक और भावनात्मक दोनों लक्षणों के साथ आता है। इनमें से कुछ लक्षण पीरियड्स होने वाले लोगों के जीवन को बाधित करते हैं या उसको असहज कर देते हैं।

पेरिमेनोपॉज़ की औसत अवधि लगभग चार साल होती है, लेकिन यह आठ साल तक भी चल सकती है। कुछ महिलाएं इस अवस्था में केवल कुछ महीनों के लिए ही रह सकती हैं, जबकि अन्य कई वर्षों तक इस चरण में रहती हैं।

पेरिमेनोपॉज कब होता है?

यह अवस्था पीरियड्स होने वाले लोगों के जीवन में अलग-अलग समय पर आती है। इसके लिए आनुवांशिक इतिहास, जीवनशैली और हार्मोन बदलाव को देखना होता है लेकिन पेरिमेनोपॉज की शुरुआच 30 की उम्र में हो सकती है या किसी के साथ यह 50 की उम्र में भी हो सकती है। कुछ लोग थोड़े समय के लिए ही पेरिमेनोपॉज़ की अवस्था में रहते हैं, जबकि अन्य कई सालों तक इसमें रहते हैं। भले ही एक महिला के मेंस्ट्रुअल साइकल अप्रत्याशित हों और आपके हार्मोन का स्तर कम हो रहा हो, फिर भी पेरिमेनोपॉज़ में गर्भवती होना संभव है। यह एक संक्रमणकालीन समय है जो मेनोपॉज में समाप्त होता है अर्थात जब लगातार 12 महीनों तक महिला को पीरियड्स नहीं होते हैं, तो वह महिला आधिकारिक तौर पर मेनोपॉज तक पहुंच जाती हैं। 

पेरिमेनोपॉज के दौरान गर्भवती होने की संभावना

पेरिमेनोपॉज के दौरान महिला यह सोचें कि अब गर्भधारण करने की संभावनाएं न्यून होती जा रही है, तो गलत है क्योंकि पेरिमेनोपॉज़ के दौरान भी गर्भधारण संभव है। मेंस्ट्रुअल के बिना लगातार 12 महीने तक अनचाहे गर्भधारण से बचने के लिए गर्भनिरोधक की सलाह दी जाती है। पेरिमेनोपॉज की स्थिति में भी महिला को असुरक्षित यौन संबंध कतई नहीं बनाए चाहिए क्योंकि विशेषज्ञ कहते हैं कि पेरिमेनोपॉज के दौरान प्रजनन क्षमता में गिरावट के बावजूद, असुरक्षित यौन संबंध के कारण एक महिला गर्भवती हो सकती है। हालांकि संभावना दुर्लभ है, लेकिन, इस चरण के दौरान सुरक्षित यौन संबंध रखने की ही सलाह दी जाती है। इसके अलावा इस अवस्था में असुरक्षित यौन संपर्क, जिसमें मौखिक, गुदा और योनि सेक्स शामिल है, के माध्यम से एचआईवी सहित यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) होना भी संभव होता है। मेनोपॉज के बाद योनि की दीवार के पतले होने से घाव और फटने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे योनि सेक्स के दौरान एचआईवी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

क्या पेरिमेनोपॉज़ के दौरान हार्मोनल परिवर्तन होते हैं

पेरिमेनोपॉज़ के दौरान महिला द्वारा अनुभव किए जाने वाले हार्मोनल परिवर्तन ज़्यादातर एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट के कारण होते हैं। महिला अंडाशय एस्ट्रोजन बनाते हैं, जो महिला प्रजनन तंत्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जैसे-जैसे एस्ट्रोजन कम होता है, यह प्रोजेस्टेरोन के साथ संतुलन बिगाड़ता है, जो महिला अंडाशय द्वारा उत्पादित एक और हार्मोन है। पेरिमेनोपॉज़ के दौरान हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव होना आम बात है। महिला के शरीर में हॉर्मोन रोलरकोस्टर की तरह ऊपर-नीचे होते रहते हैं । जब महिला रजोनिवृत्ति तक पहुँचती हैं, तो महिला का शरीर इतना कम एस्ट्रोजन बनाता है कि महिला के अंडाशय अब अंडे (ओव्यूलेशन) नहीं छोड़ते हैं। इस स्थिति पर, महिला को मासिक धर्म आना बंद हो जाता है और महिला गर्भवती होने की क्षमता खो देती हैं।

पेरिमेनोपॉज़ का पहला संकेत अनियमित पीरियड्स होता है। महिला पूर्वानुमानित मेंस्ट्रुअल से लेकर अनियमित रूप से मासिक धर्म आने या मासिक धर्म बिल्कुल न आने तक की स्थिति में आ सकती हैं। बहुत से लोग रजोनिवृत्ति के सबसे आम लक्षणों जैसे कि हॉट फ्लैशेस (गर्म चमक) और योनि में सूखापन का भी अनुभव करती हैं।

पेरिमेनोपॉज़ कितने समय तक रहता है

पेरिमेनोपॉज़ की औसत अवधि लगभग चार साल होती है, लेकिन यह आठ साल तक भी चल सकती है। कुछ महिलाएं इस अवस्था में केवल कुछ महीनों के लिए ही रह सकती हैं, जबकि अन्य कई वर्षों तक इस चरण में रहती हैं। कैसे पता चलेगा कि महिला पेरिमेनोपॉज़ में हैं तो इसके लिए यह जानना ज़रूरी है कि हर किसी का शरीर अलग होता है और हर कोई पेरिमेनोपॉज़ के लक्षणों को अलग-अलग तरीके से अनुभव करता है। आम तौर पर, पेरिमेनोपॉज़ का पहला संकेत अनियमित पीरियड्स होता है। महिला पूर्वानुमानित मेंस्ट्रुअल से लेकर अनियमित रूप से मासिक धर्म आने या मासिक धर्म बिल्कुल न आने तक की स्थिति में आ सकती हैं। बहुत से लोग रजोनिवृत्ति के सबसे आम लक्षणों जैसे कि हॉट फ्लैशेस (गर्म चमक) और योनि में सूखापन का भी अनुभव करती हैं।

पेरिमेनोपॉज़ के दौरान डिप्रेशन और एंग्जायटी की समस्या 

तस्वीर साभार: Hyphen

पेरिमेनोपॉज़ से जुड़ी डिप्रेशन और एंग्जायटी की समस्या के बारे में बहुत कम अध्ययन हुए हैं। लेकिन स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के अनुसार पेरिमेनोपॉज़ में अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य स्थितियां आम हैं। कई महिलाएं पेरिमेनोपॉज़ में ज़्यादा चिंतित महसूस करने की शिकायत करती हैं। एंग्जायटी की समस्या एक निरंतर चिंता है जो महिला के दैनिक जीवन को बाधित कर सकती है। चिंता के साथ पसीना आना, मतली या मांसपेशियों में तनाव जैसे लक्षण भी हो सकते हैं। पेरिमेनोपॉज़ की चिंता के कारण महिला की नींद और दिनचर्या पूरी करना मुश्किल हो सकता है।

इसके अलावा महिला में अन्य स्वास्थ्य जोखिम भी होते हैं। प्रजनन क्षमता खत्म होने के तनाव से महिला में उच्च रक्तचाप हो सकता है। पेरिमेनोपॉज आस्टियोपोरोसिस, मोटापा और हृदय रोग जैसे विभिन्न रोगों के विकास के जोखिम को भी बढ़ाता है।कुछ कारक समय से पहले पेरिमेनोपॉज़ से जुड़े हैं। इनमें शामिल हैं-धूम्रपान या तम्बाकू उत्पादों का उपयोग करना। जो लोग नियमित रूप से इन उत्पादों का उपयोग करते हैं, वे उन लोगों की तुलना में लगभग एक से दो साल पहले मेनोपॉज में चले जाते हैं जो इनका उपयोग नहीं करते हैं। जैसे समय से पहले मेनोपॉज का पारिवारिक इतिहास, कैंसर के उपचार का इतिहास, यदि गर्भाशय (हिस्टेरेक्टॉमी) या अंडाशय (ओओफोरेक्टॉमी) को हटाने के लिए सर्जरी करवाई है।

पेरिमेनोपॉज की स्थिति में भी महिला को असुरक्षित यौन संबंध कतई नहीं बनाए चाहिए क्योंकि विशेषज्ञ कहते हैं कि पेरिमेनोपॉज के दौरान प्रजनन क्षमता में गिरावट के बावजूद, असुरक्षित यौन संबंध के कारण एक महिला गर्भवती हो सकती है। हालांकि संभावना दुर्लभ है, लेकिन, इस चरण के दौरान सुरक्षित यौन संबंध रखने की ही सलाह दी जाती है।

पेरिमेनोपॉज़ की स्थिति में कैसे रखें ख्याल

यदि महिला अपने कार्य को शुरू से ही एक लय के साथ करेगी तो वह पेरिमेनोपॉज के दौरान स्वास्थ्य के जोखिम को कम कर सकती हैं। एक महिला दवा लिए बिना घर पर ही पेरिमेनोपॉज़ के लक्षणों को प्रबंधित कर सकती हैं। अच्छी जीवनशैली को अपनाकर लक्षणों को कम किया जा सकता है। बहुत सारे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और स्वस्थ वसा खाएं।वजन कम करने वाले व्यायाम जैसे कि पैदल चलना, लंबी पैदल यात्रा करें। टीवी और कंप्यूटर स्क्रीन से दूर रहकर और सोने से पहले आरामदेह गतिविधियां करके नींद की स्वच्छता में सुधार करें। शराब और कैफीन का सेवन सीमित करें। ध्यान या अन्य तनाव प्रबंधन तकनीकों का अभ्यास करें। तंबाकू उत्पादों का सेवन बंद करें। अपने आहार में कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों का नियमित रूप से सेवन करें। अपने लिए स्वस्थ वजन बनाए रखें।

पेरिमेनोपॉज़ के बारे में बात करना महत्वपूर्ण क्यों है

पेरिमेनोपॉज़ के बारे में बात करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक प्राकृतिक परिवर्तन है जो शारीरिक और भावनात्मक कल्याण को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है। कम बातचीत और जानकारी के अभाव की वजह से इसके लक्षणों को पेरिमेनोपॉज़ से संबंधित नहीं पहचाना जाता हैं, जिसके परिणामस्वरूप संभावित असुविधा और उचित प्रबंधन की कमी हो सकती है। इस विषय पर खुली चर्चा महिलाओं को सहायता प्राप्त करने, अपने बदलते शरीर को समझने और मूड स्विंग, अनियमित पीरियड्स और योनि सूखापन जैसे लक्षणों को कम करने के लिए उचित उपचार विकल्पों तक पहुंचने की अनुमति देती है। पेरिमेनोपॉज़ के बारे में जागरूकता बढ़ाने से महिलाओं को यह समझने में मदद मिलती है कि ये लक्षण सामान्य हैं और इन्हें लेकर शर्मिंदा होने की आवश्यकता नहीं है, जिससे जीवन स्तर के बारे में सामान्यता की भावना को बढ़ावा मिलता है। स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं से बात करने से महिलाओं को लक्षणों को कम करने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए हार्मोन थेरेपी, जीवनशैली में बदलाव और परामर्श जैसे विभिन्न उपचार विकल्पों का पता लगाने की अनुमति मिलती है। इसके अलावा, पेरिमेनोपॉज़ को संबोधित करने से हार्मोनल उतार-चढ़ाव से जुड़े मूड स्विंग, चिंता और अवसाद जैसी संभावित मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं को प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है।


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