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इंटरसेक्शनलविकलांगता विकलांग लोगों से सहज और सम्मानजनक तरीके से बात कैसे करें?

विकलांग लोगों से सहज और सम्मानजनक तरीके से बात कैसे करें?

कई बार लोग विकलांग व्यक्तियों से बात करते समय उनके अंगों को या उनकी विकलांगता को घूरते हैं, जिससे वे असहज और असुरक्षित महसूस कर सकते हैं। बातचीत के दौरान सामान्य व्यवहार बनाए रखें।

हमारे समाज में आम तौर पर विकलांग व्यक्तियों की पहचान उनकी विकलांगता से जोड़कर देखी जाती है। उनकी क्षमताओं को अक्सर नकार दिया जाता है और उन्हें एक बोझ, घृणा या बेचारगी के रूप में देखा जाता है। उनसे सम्मानपूर्वक बात नहीं की जाती। कई बार उनके परिचय के आगे उनकी विकलांगता को आधार करते हुए उनका नाम पुकारा जाता है, और उनकी स्थिति का मजाक बनाया जाता है। इसके साथ ही, उन्हें काम के अवसरों और खुद को प्रस्तुत करने के अवसरों से वंचित किया जाता है, जिससे उनकी गरिमा और आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती है। भारत की 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, भारत में विकलांग व्यक्तियों की संख्या 26.8 मिलियन थी, जो देश के स्तर पर कुल जनसंख्या का 2.1 प्रतिशत है।

यह आंकड़ा विश्व स्वास्थ्य संगठन के 15 प्रतिशत के अनुमान से बहुत कम है। उनमें से 11.9 मिलियन महिलाओं (44 फीसद) की तुलना में 14.9 मिलियन पुरुष (56 फीसद) विकलांग हैं। विकलांग व्यक्तियों का प्रचलन शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक है। भारत में, इसका मतलब है कि 69 प्रतिशत विकलांग व्यक्ति ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं,  जबकि 31 प्रतिशत शहरी क्षेत्र में रहते हैं। विकलांग महिलाओं के रोजगार के लिए अलग-अलग आंकड़े हैं। ग्रामीण भारत में 25 प्रतिशत विकलांग महिलाएं काम कर रही है। इसलिए, आज हम जानेंगे कि हमें कैसे संवेदनशीलता के साथ विकलांग व्यक्तियों से बातचीत करनी चाहिए या विकलांग लोगो से बात करते हुए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

बातचीत में सहानुभूति नहीं सम्मानजनक शब्दों का प्रयोग

फेमिनिज़म इन इंडिया के लिए रितिका बैनर्जी

किसी भी व्यक्ति की विकलांगता को उनकी कमजोरी या दुर्बलता के रूप में नहीं देखना चाहिए। उन्हें हमेशा एक इंसान के रूप में सम्मान दें। उनके प्रति दया या बेचारगी का भाव न दिखाएं। हमारे समाज में विकलांग व्यक्तियों की पहचान उनकी विकलांगता से जोड़ दी जाती है, और कई बार उनके नाम को उनकी विकलांगता से जोड़ा जाता है हालांकि हमें उन्हें उनके नाम से पुकारना चाहिए। व्यक्ति की लैंगिक पहचान के आधार पर सही सर्वनाम का उपयोग करें, ताकि वे सहज महसूस कर सकें। अगर आप नहीं जानते हैं तो आप विनम्रता से उनसे इस विषय पर पूछ सकते हैं। कई बार लोग विकलांग व्यक्तियों से बात करते समय उनके अंगों को या उनकी विकलांगता को घूरते हैं, जिससे वे असहज और असुरक्षित महसूस कर सकते हैं। बातचीत के दौरान सामान्य व्यवहार बनाए रखें।

विकलांगता के बारे में बातचीत में सहमति का ध्यान रखें

जब तक कोई विकलांग व्यक्ति खुद अपनी विकलांगता के बारे में चर्चा न करे, तब तक इस विषय पर बात करने से बचें। यदि किसी विशेष कारण से इस विषय पर बात करनी हो, तो पहले उनकी सहमति लें। यदि वे मना करें, तो उनकी इच्छा का सम्मान करें। विकलांगता पर चर्चा करते समय सम्मानजनक शब्दों का प्रयोग करें। उदाहरण के लिए, कुछ लोग ‘विकलांग’ शब्द पसंद करते हैं, जबकि कुछ ‘दिव्यांग’ शब्द को बेहतर मानते हैं।प्रत्येक व्यक्ति की विकलांगता अलग होती है। विकलांगता शारीरिक, मानसिक, संज्ञानात्मक या भावनात्मक हो सकती है। प्रत्येक विकलांगता की आवश्यकताएं भिन्न होती हैं, इसलिए व्यक्ति की जरूरतों को समझने का प्रयास करें।

प्रत्येक व्यक्ति की विकलांगता अलग होती है। विकलांगता शारीरिक, मानसिक, संज्ञानात्मक या भावनात्मक हो सकती है। प्रत्येक विकलांगता की आवश्यकताएं भिन्न होती हैं, इसलिए व्यक्ति की जरूरतों को समझने का प्रयास करें।

विकलांगता के विभिन्न प्रकारों को समझें

तस्वीर साभार: Times of India

प्रत्येक व्यक्ति की विकलांगता अलग होती है। विकलांगता शारीरिक, मानसिक, संज्ञानात्मक या भावनात्मक हो सकती है। प्रत्येक विकलांगता की आवश्यकताएं भिन्न होती हैं, इसलिए व्यक्ति की जरूरतों को समझने का प्रयास करें। साथ ही, ये मानकर न चले कि कोई व्यक्ति विकलांग है, इसलिए उसे मदद की जरूरत होगी। विकलांग लोगों के जीवन के फैसले उन्हें खुद लेने की आज़ादी और एजेंसी दें।

मदद करते समय संवेदनशीलता बरतें

विकलांग व्यक्ति को देखकर लोग अक्सर सोचते हैं कि वे असहाय हैं और उन्हें मदद की जरूरत है। लेकिन यह सोच गलत हो सकती है। यदि आप किसी विकलांग व्यक्ति की मदद करना चाहते हैं, तो पहले उनसे पूछें कि क्या उन्हें आपकी मदद की आवश्यकता है। यदि वे मना कर दें, तो उन्हें सहज महसूस करने दें और उन पर सहायता थोपने की कोशिश न करें।

धैर्य और समानता के साथ बातचीत करें

तस्वीर साभार: Canva

संज्ञानात्मक या भाषाई विकलांगता से प्रभावित व्यक्ति को अपनी बात कहने में समय लग सकता है। उन्हें अपनी बात रखने के लिए पूरा समय दें और बीच में न टोकें। विकलांग व्यक्ति से बातचीत करते समय ध्यान रखें कि आप उनके सामने एक समान ऊंचाई या जगह पर रहते हुए बात कर रहे हैं ताकि वो चाहे तो आपकी आँखों में देखकर बात कर सकें। उनकी प्राथमिकताओं और आवश्यकताओं को समझें। यदि किसी को गाइड डॉग या बैसाखी की जरूरत होती है, तो उनकी आवश्यकताओं का सम्मान करें।

किसी विकलांग व्यक्ति को सिर्फ उनकी विकलांगता के कारण किसी काम या कार्यक्रम में भाग लेने से न रोकें। उनकी योग्यता और क्षमता को महत्व दें। यदि उन्हें किसी सहायक उपकरण या सुविधा की आवश्यकता हो, तो उन्हें उपलब्ध कराएं।

अवसरों में समानता और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं

किसी विकलांग व्यक्ति को सिर्फ उनकी विकलांगता के कारण किसी काम या कार्यक्रम में भाग लेने से न रोकें। उनकी योग्यता और क्षमता को महत्व दें। यदि उन्हें किसी सहायक उपकरण या सुविधा की आवश्यकता हो, तो उन्हें उपलब्ध कराएं। जब वे किसी कार्य या कार्यक्रम में भाग लें, तो केवल उनकी विकलांगता को ध्यान में रखकर उनकी प्रशंसा न करें। उनकी मेहनत और प्रतिभा की सराहना करें, जैसे आप किसी अन्य व्यक्ति के लिए करते हैं।

सहायक उपकरणों का सम्मान करें

यदि किसी विकलांग व्यक्ति को विशेष उपकरण या सहारा की आवश्यकता हो, तो उनका सम्मान करते हुए उन उपकरणों के उपयोग की अनुमति दें। समाज में सभी को विकलांग व्यक्तियों के साथ बातचीत करते समय इन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। इससे हम संवेदनशीलता के साथ उनके लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक स्थान बना सकते हैं। इसके अलावा, हमें उनकी गरिमा, स्वतंत्रता और अधिकारों का सम्मान करना चाहिए ताकि वे भी समाज की मुख्यधारा में समान रूप से शामिल हो सकें। हमारे समाज में लोगों को विकलांग लोगों को देखने का नजरिया बदलना चाहिए। उन्हें उनकी विकलांगता की पहचान से परे एक इंसान के रूप में देखना चाहिए। हमें समाज में सभी व्यक्तियों की तरह विकलांग व्यक्तियों से भी सम्मानजनक तरीके से बात करनी चाहिए, जिससे उनका आत्मविश्वास बना रहे और वे भी स्वतंत्र और सम्मानपूर्ण जीवन जी सकें। इसके अलावा, उन्हें सामाजिक ढांचे की मुख्यधारा में शामिल होने का अवसर दिया जाना चाहिए।

हमारे समाज में लोगों को विकलांग लोगों को देखने का नजरिया बदलना चाहिए। उन्हें उनकी विकलांगता की पहचान से परे एक इंसान के रूप में देखना चाहिए।

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