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इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणी और सोशल मीडिया पर महिला विरोधी अभियान
इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर एक ट्रेंड चल निकला। दहेज के केस से प्रताड़ित पुरुषों की कहानी और महिलाओं के द्वारा झूठे केस से जुड़ी तर्कहीन बातें दी जाने लगी। ट्विटर पर #Genderbaisedlaws और #498A के तहत महिलाओं को शादी के नाम पर मर्दों से पैसा वसूलने का जरिया बनाने की बात कही गई।
फिल्म रक्षाबंधन का ट्रेलरः बॉलीवुड के लिए रूढ़िवाद भी मुनाफ़ा कमाने का एक फॉर्मूला...
भाई बने अक्षय पर अपनी चारों बहनों की शादी करवाने की ज़िम्मेदारी है। उनके लिए दहेज इकठ्ठा करना है। चारों बहनों को ऐसा दिखाया गया है जो ब्राह्मणवादी पितृसत्ता के बनाए पैमानों में फिट नहीं बैठती हैं। किसी की लंबाई कम है, किसी का वज़न ज्यादा है, किसी के बाल छोटे हैं। इन ‘कमियों’ के आधार पर सबका दहेज और भी ज्यादा लगेगा।
पितृसत्ता क्या है? – आइये जाने
पितृसत्ता एक ऐसी व्यवस्था के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें पुरुषों का महिलाओं पर वर्चस्व रहता है और वे उनका शोषण और उत्पीड़न करते हैं|
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उफ्फ! क्या है ये ‘नारीवादी सिद्धांत?’ आओ जाने!
नारीवाद के बारे में सभी ने सुना होगा। मगर यह है क्या? इसके दर्शन और सिद्धांत के बारे में ज्यादातर लोगों को नहीं मालूम। इसे पूरी तरह जाने और समझे बिना नारीवाद पर कोई भी बहस या विमर्श बेमानी है। नव उदारवाद के बाद भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति आए बदलाव के बाद इन सिद्धांतों को जानना अब और भी जरूरी हो गया है।