“मैं अमेरिकी संविधान और व्यक्ति के अधिकारों में विश्वास रखती हूं। मेरा मानना है कि आपराधिक प्रवृत्ति दिखाने वाले व्यक्ति को उचित मौका दिया जाना चाहिए”। ये शब्द जज केतनजी ब्राउन जैक्सन के हैं, मौका है कंफर्मेशन हियरिंग का। जैसा कि जो बाइडन ने कैंपेन के समय वादा किया था, उन्होंने जैक्सन को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में जज के पद के लिए नामित किया है। जैक्सन के नाम की पुष्टि होती है तो वह जस्टिस स्टीफन ब्रेयर की जगह लेंगी।
दरअसल, राष्ट्रपति द्वारा नामित होने के बाद कैपिटोल हिल में ज्यूडिश्यरी कमेटी की बैठक बुलाई जाती है। इसमें नामित व्यक्ति से सवाल किए जाते हैं। इसे आधिकारिक भाषा में कंफर्मेशन हियरिंग कहते हैं। डिस्ट्रिक्ट और अपीलीय न्यायालयों में सेवाएं दे चुकीं जैक्सन अमेरिका की टॉप कोर्ट के लिए नामित होने वाली पहली ब्लैक महिला हैं। यहां तक पहुंचने में उनकी कड़ी मेहनत और कानून में विश्वास की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। साथ ही आज उन तमाम ब्लैक महिला-पुरुषों के योगदान को नहीं भूलना चाहिए जो लगातार अपने अधिकारों को लेकर लड़ते आ रहे हैं और जिन्होंने जैक्सन जैसी प्रेरणादायक महिलाओं के लिए रास्ता बनाया।
51 वर्षीय जैक्सन मूल रूप से वॉशिंगटन की रहनेवाली हैं। वह अमेरिका के दक्षिण-पूर्वी शहर फ्लोरिडा के प्रमुख तटीय शहर मियामी में पली-बढ़ी हैं। कंफर्मेशन हियरिंग के दौरान ही उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता सरकारी सेवा में रहे हैं। उनके भाई भी कानून प्रवर्तन और मिलिट्री में सेवाएं दे चुके हैं। बैठक के दौरान वह लगातार व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बात पर ज़ोर देती नज़र आईं।
और पढ़ें : टोनी मोरिसन : साहित्य का नोबेल पुरस्कार जीतनेवाली पहली ब्लैक लेखिका
इस दौरान रिपब्लिकन पार्टी ने उन्हें जमकर घेरा। उन पर तमाम तरह के आरोप लगे। एक गंभीर आरोप जो उन पर पहले भी लगता रहा है, वह यह था कि जैक्सन कानून के विपरीत अपराधी को जरूरत से कम सजा सुनाती हैं। इसे रिपब्लिकन पार्टी ने ‘सॉफ्ट ऑन क्राइम’ की संज्ञा दी। इसमें साल 2013 का हॉकिन्स पॉर्न केस प्रमुख है, जहां उन्होंने अपराधी को कुछ महीने की सजा दी थी। इसके जवाब में चेहरे पर नम्रता के भाव के साथ जैक्सन ने कहा, “उन मामलों में जहां अपराध एक समान हो वहां सज़ा अपराध की तीव्रता पर निर्भर करती है।”
इस केस की सुनवाई पूरी होने के बाद लगे आरोप पर जैक्सन ने सफाई दी, “इस केस में अपराधी एक किशोर है। उसे अपने किए का पछतावा है। मेरा फैसला किशोर की मनोवैज्ञानिक रिपोर्ट पर आधारित है। अभी उसके सामने उसकी पूरी जिंदगी पड़ी है।” जैक्सन उस समय भावुक हो गईं और अपने आंसुओं को नहीं रोक पाईं जब डेमोक्रैट सीनेटर कोरी बुकर ने उनके संघर्षों को याद किया। बुकर ने नस्लीय विभाजन को याद करते हुए कहा, “आप अपने जेंडर और नस्ल से कहीं ज्यादा हैं। आप इसाई हैं, मां हैं, बुद्धिजीवी हैं और आपको किताबें पसंद हैं। इस देश के लिए आपका प्यार अनमोल है।” उन्होंने आगे कहा, “आपने ये मक़ाम हासिल किया है। आप इसके काबिल हैं और एक महान अमेरिकी हैं।” बुकर के भाषण का वीडियो इंटरनेट पर सभी को भावुक कर रहा है।
और पढ़ें : मैरी फील्ड्स : अमेरिका में चिट्ठियां पहुंचाने वाली पहली ब्लैक महिला
कौन थीं जेन बोलिन
इस संदर्भ में जेन बोलिन का नाम प्रमुख है। बोलिन अमेरिका में जज बनने वाली पहली ब्लैक महिला थीं जिन्हें साल 1939 में फैमली कोर्ट में जज चुना गया था। आज भी राज्य एवं फेडरल स्तर पर बेहद कम ब्लैक महिलाएं जज के पद तक पहुंच पाई हैं। अमेरिका की टॉप कोर्ट में अब तक केवल 5 महिलाएं और दो अफ्रीकी-अमेरिकन पुरुष ही जज के पद तक पहुंचे हैं। राष्ट्रपति लिंडन बेन्स जॉनसन ने थर्गुड मार्शल को साल 1967 में सुप्रीम कोर्ट के लिए नामित किया था। वे पहले अफ्रीकी-अमेरिकी पुरुष थे, जो सुप्रीम कोर्ट के जज बने।
रिपब्लिकन ने बैठक की शुरुआत में ही डेमोक्रैट्स पर ताना कसते हुए कहा कि वे डेमोक्रैट्स की तरह छिछले प्रश्न और भद्दी टिप्पणियां नहीं करेंगे। दरअसल राष्ट्रपति ट्रंप ने 2018 में सुप्रीम कोर्ट जज पद के लिए ब्रेट कावानाग को नामित किया था। उनके नाम की पुष्टि से पहले डेमोक्रैट्स ने कावानाग पर यौन शोषण के आरोप से जुड़े बेहद तीखे सवाल पूछे थे। विपक्षी रिपब्लिकन इसी ओर इशारा कर रहे थे।
और पढ़ें : एंजेला डेविस : एक बागी ब्लैक नारीवादी क्रांतिकारी
एक रिपब्लिकन सीनेटर ने कहा कि पूर्व में डेमोक्रैट्स ने ‘जुडिशियल फिलॉसफी’ के आधार पर ‘पर्सन ऑफ कलर’ के नॉमिनेशन को रोका है। उसी आधार पर रिपब्लिकन भी ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं। “एक महिला क्या होती है, क्या बच्चे नस्लभेदी होते हैं, क्या आप एक्टिविस्ट जज हैं” जैसे सवालों के साथ-साथ रिपब्लिकन ने जैक्सन के धर्म पर भी सवाल पूछे। इससे तो यहीं दिखता है कि विपक्षी इतने महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक मौके पर अपनी दोयम दर्जे की राजनीति का प्रदर्शन कर रहे हैं।
तमाम आरोप के बीच जैक्सन ने स्पष्ट किया कि अगर पद पर उनके नाम की पुष्टि होती है तो बतौर सुप्रीम कोर्ट जज वही करेंगी जो फेडरल कोर्ट के जज के तौर पर किया। उन्होंने कहा कि वह तटस्तथा के साथ न्याय करेंगी, बिना किसी एजेंडे के सभी तथ्यों एवं परिस्थितियों की जांच के बाद फैसला देंगी और इस दौरान वह न्याय को किसी तय दिशा में धकेलने की कोशिश नहीं करेंगी।
हालांकि, इससे एक बात तो स्पष्ट है कि भले ही हम लोग बाहरी दुनिया के तेजी से बदलने का आभास करते हो पर इसमें कोई दो राय नहीं कि सामाजिक बदलाव बेहद धीरे-धीरे हो रहे हैं। जहां आज भी लोग जातिगत, लैंगिक, वर्ग, नस्ल और रंगभेद का सामना कर रहे हैं। किसी भी क्षेत्र में हाशिये से आनेवाले वर्ग के लोगों का प्रथम होना महत्व और गर्व की बात होती है। उससे भी महत्वपूर्ण यह है कि ये अन्य लोगों के लिए प्रेरणा बनता है। इसके माध्यम से सफल व्यक्ति संदेश दे रहा होता है कि ऐसा करना संभव है।
और पढ़ें : इडा बी वेल्स की नज़रों से समझते हैं आज के पत्रकारिता जगत में महिलाओं की चुनौतियां
(यह लेख आरती प्रजापति ने लिखा है जो पेशे से एक मीडियाकर्मी हैं। वह गांव-समाज से लेकर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी राय रखती हैं। आरती को सामाजिक सिनेमा देखना पसंद है और वह स्मिता पाटिल की बहुत बड़ी फैन हैं)
तस्वीर साभार : Carolyn Kaster/AP Photo