अंतरराष्ट्रीय संगठन ऑक्सफैम की भारतीय शाखा ने बीते बुधवार को ‘इंडिया इनइक्वलिटी रिपोर्ट 2020: ऑन वीमेन बैक’ नामक एक रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट बताती है कि कोरोना महामारी ने भारत में लैंगिक असमानता की खाई को और गहरा कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक ये असमानताएं भारतीय समाज में पहले से मौजूद थी लेकिन कोरोना महामारी ने इसकी स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। इस रिपोर्ट का उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ हिंसा और उनके द्वारा किए जाने वाले अनपेड केयर वर्क से जुड़े पहलुओं को उजागर करना है। यह रिपोर्ट नई दिल्ली और राजस्थान की ग्रामीण महिलाओं से जुड़े आंकड़ों पर आधारित है। ऑक्सफैम की रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं और लड़कियां भारत में हर दिन अनपेड केयरवर्क में 3.26 बिलियन घंटे व्यतीत करती हैं। रिपोर्ट के लेखकों में शामिल दिव्या दत्ता के मुताबिक भारत में महिलाओं पर घर के कामों का बोझ इतना अधिक है जो वर्कफोर्स में उनके योगदान को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। साथ ही भारत की जीडीपी में महिलाओं को योगदान 17 फीसद है जो दुनिया में सबसे कम है।
रिपोर्ट को तैयार करने के लिए जिन महिलाओं का साक्षात्कार किया गया उनमें से करीब 50 फीसद महिलाओं ने माना कि अनपेड केयर वर्क यानी घर के जुड़े कामों में परिवार के पुरुष सदस्य उनकी बिल्कुल मदद नहीं करते। रिपोर्ट में बताया गया कि ग्रामीण उदयपुर और दिल्ली में खराब अनपेड केयर वर्क के कारण हर तीन में से एक महिला और लड़कियों को शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ा है। साक्षात्कार में शामिल 50 फीसद महिलाओं ने कहा कि पुरुषों को अनपेड केयर वर्क में मदद नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि “अगर पुरुष ऐसा करेंगे तो लोग हमारे बारे में क्या कहेंगे, अगर हम अपने पुरुषों को वह काम करने दें जो हमारी जिम्मेदारी है?”
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रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण उदयपुर (राजस्थान) में तो लड़कियों और महिलाओं को अपने गांव से बाहर यात्रा करने की इजाज़त नहीं है। साथ ही 12 वीं तक पढ़ाई करने वाली लड़कियां अक्सर अनपेड केयर वर्क में अपनी माओं की मदद करने के लिए समय से पहले पढ़ाई छोड़ देती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 26.1 फ़ीसद लड़कियां और महिलाएं (15-49 वर्ष की आयु) इस बात से सहमत हैं कि पति का अपनी पत्नी को मारना-पीटना सही है, अगर पत्नी बिना अपने पति की अनुमति के बाहर जाती है।
ऑक्सफैम की रिपोर्ट में साफ तौर पर यह दिखाया गया है कि महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाली हिंसा और अनपेड केयर वर्क आपस में किस तरह संबंधित हैं।
32.7 फीसद महिलाएं और लड़कियां ये मानती हैं कि घरेलू हिंसा सही है अगर अगर पत्नी घर या बच्चों की उपेक्षा करती है। वहीं, 19.1 फीसद महिलाओं और लड़कियों ने माना कि पत्नी को मारना ठीक है अगर वह ठीक से खाना नहीं बनाती है। इसके अलावा 37.1 फीसद के मुताबिक घरेलू हिंसा जायज़ है अगर औरत अपने ससुराल वालों का सम्मान नहीं करती और 13.3 फीसद के मुताबिक यह सही है अगर वह पति के साथ यौन संबंध बनाने से इनकार करती है। अध्ययन से पता चलता है वे महिलाएं जो अनपेड केयर वर्क काफी अच्छे से संभालती हैं उनकी भी हिंसा से बचने की संभावना काफी कम होती है। इसका मूल कारण महिलाओं का अवमूल्यन है। न केवल उनके घरों में उनकी मेहनत और बुद्धि का कोई मोल नहीं होता बल्कि बाहर भी उन्हें इस गैरबराबरी का सामना करना पड़ता है। साथ ही, हर तीन में से एक मर्द ने माना कि वह अपनी पत्नी के प्रति हिंसक हैं। रिपोर्ट यह भी बताती है कि मर्दों को आज भी घर के काम करने में शर्म आती है। ऑक्सफैम की रिपोर्ट में साफ तौर पर यह दिखाया गया है कि महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाली हिंसा और अनपेड केयर वर्क आपस में किस तरह संबंधित हैं।
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