शादी-ब्याह या प्यार का मामला किसी के जीवन का निज़ी मामला होता है। यह कहते हुए हमें यह बात बतानी ज़रूरी है कि हमारा समाज प्रेम से बड़ा डरता है। प्रेम समाज के बने-बनाए ढांचे को खुलेआम चुनौती देता है। प्रेम का संबंध अपने साथी से होता है न कि उसके धर्म, जाति या जेंडर से। पुराना गाना है “आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं।” हालांकि यह वही देश है जहां सोशल मीडिया से लेकर गली- मोहल्ले तक हर किसी को दूसरों के निजी जीवन के क़िस्सों को चाय पर चर्चा या डाइनिंग टेबल पर चटखारे मारकर सुनने और बताने में बड़ा मज़ा आता है। यह व्यवहार व्यापक स्तर पर हानिकारक तब बन जाता है जब यही लोग इस प्रेम कहानी की आड़ में अपना नफ़रती एजेंडा बेचने लगे या किसी लड़की को एक नागरिक के रूप में देखने के बजाय उसे उसका सही-ग़लत बताना अपना पितृसतात्मक फ़र्ज़ समझने लगते हैं। ऐसा ही कुछ देखने को मिलता है टीना डाबी और अतहर आमिर के तलाक के फ़ैसले पर।
यूपीएसई की परीक्षा में साल 2015 में टॉपर टीना डाबी थी और दूसरे स्थान पर रहे थे अतहर आमिर उल सफी खान। दोनों पहली बार ट्रेनिंग के दौरान नई दिल्ली स्थित नार्थ ब्लॉक दफ्तर में मिले थे। टीना के मुताबिक आमिर को उनसे पहली नजर में प्यार हो गया था। इस बारे में उन्होंने बताया था, “हम सुबह मिले और शाम को आमिर मेरे दरवाजे पर था।” टीना ने आमिर का प्रपोजल अगस्त 2016 में स्वीकार किया। टीना हमेशा अपने प्यार का इजहार सोशल मीडिया पर बेझिझक करती रही हैं। सोशल मीडिया ऐसी जगह है जहां ज्यादातर लोग जिम्मेदार बर्ताव नहीं करते हैं। टीना ने एक मुस्लिम, कश्मीरी लड़के से प्रेम किया था। हालांकि दोनों के बयान के अनुसार उनके परिवारों को इससे कोई दिक़्क़त नहीं थी पर दुनिया को तो थी। उन्होंने तब लिखा था, “मैं अपने निर्णय से बेहद खुश हूं। आमिर भी हैं। हमारे परिवारों को कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन कुछ वैसे लोग जो हर जगह हैं जिन्हें इस बात से दिक्कत है कि वो गैर-मज़हबी है। कुछ टिप्पणियां जाति-विरोधी हैं, आरक्षण विरोधी हैं, एक धर्म विशेष को निशाना बनाते हैं। जैसे कि किसी ऐसे के प्रेम में पड़कर जो मेरे जाति या धर्म का नहीं है, मैंने कोई गुनाह कर दिया हो।”
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तीन साल तक डेट करने के बाद 2018 को टीना ने ट्वीट कर बताया कि उन्होंने और आमिर ने 20 मार्च को जयपुर में शादी कर ली है। कश्मीर में शादी समारोह का जश्न खत्म हुआ है और 14 अप्रैल को दिल्ली में दूसरा समारोह होने वाला है। इस घोषणा के बाद ही धार्मिक कट्टरपंथी दल और लोगों की मानसिकता दोबारा हरक़त में आ गई थी। जब टीना और आमिर की शादी होने वाली थी तब हिंदू महासभा ने इस शादी पर एतराज जताते हुए इस शादी को लव-जिहाद की साजिश का नाम दिया था। उन्होंने टीना के पिता को खत लिखते हुए इस शादी पर आपत्ति भी जताई थी। टीना अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर शादी के रस्मों की तस्वीरें साझा करते हुए इस नफ़रत का जवाब मोहब्बत से देती रही। शुरू से ही दोनों अपने प्रेम और उनसे जुड़े फैसलों पर खुले और स्वतंत्र विचारों वाले रहे हैं।
जैसे कि दो व्यस्क लोगों के शादी करने या साथ रहने का निर्णय उनका निज़ी है उसी तरह से उस रिश्ते का भविष्य भी उनका आपसी मामला है। जिस प्रेम संबंध को बनते देख जिन्हें परेशानी हो रही थी उसके अंत होने पर उनके नैतिक पाठ पढ़ाने की आदत फिर से जग चुकी है।
हालांकि ‘लव-जिहाद’ जैसा कोई शब्द सरकारी दस्तावेजों में नही है। वह अलग बात है कि धर्म और सांप्रदायिकता की आग पर चुनावी रोटी सेंकने वाले राजनीतिक दल और संगठनों ने इसे प्रचलित भाषा का हिस्सा बनाने की कोशिश की है। एक वयस्क, स्वतंत्र लड़की की बातों और फैसले की इज़्ज़त करने के बजाय वे उसे कमज़ोर, नासमझ मान उसकी ‘रक्षा’ करने बिना न्योता दिए आने लगते हैं। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 भारतीय नागरिकों की निज़ी स्वतंत्रता को सुनिश्चित करता है। टीना के मामले में संविधान से ऊपर मानते हुए अपनी नैतिकता का पाठ दूसरों पर थोपने के लिए कुछ लोग हमेशा तैयार थे।
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ऐसे लोगों और समूहों को एक बार फिरसे अपनी द्वेषपूर्ण भावना को हवा देने का बहाना मिल चुका है। जैसे कि दो व्यस्क लोगों के शादी करने या साथ रहने का निर्णय उनका निज़ी है उसी तरह से उस रिश्ते का भविष्य भी उनका आपसी मामला है। जिस प्रेम संबंध को बनते देख जिन्हें परेशानी हो रही थी उसके अंत होने पर उनके नैतिक पाठ पढ़ाने की आदत फिर से जग चुकी है। अब दो साल बाद दोनों आपसी सहमति से तलाक के लिए जयपुर कोर्ट का रुख़ कर चुके हैं और दोनों ने सहमति से तलाक लेने की अर्जी दाखिल कर दी है। लेकिन एक बार फिर इन दोंनो के साथ ‘लव जिहाद’ का नफ़रती मुद्दा जोड़ा जा रहा है। दिल्ली बीजेपी के नेता कपिल मिश्रा ने एक ट्वीट किया है। मिश्रा ने ट्वीट में बिना जिक्र किए ‘लव जिहाद’ पर इशारा किया है। कपिल मिश्रा ने लिखा है कि तलाक़ पर खुश नहीं हो रहे, एक बिटिया जीवित वापस आ गई, इसलिए खुश हो रहे हैं, मतलब कि उनका सीधा इशारा टीना डाबी को लेकर है। ट्वीट पर उनके अलग होने का निज़ी मामला सार्वजनिक कुंठा बनकर ट्रेंड कर रहा था।
कई शादियां समाज में इसलिए टूटने से बच जाती हैं क्योंकि शादी से प्रेम खत्म होने के बाद भी उसे बचाने का जिम्मा औरतें के कंधों पर डाल देती हैं। यहां एक औरत किसी के साथ रहने या नहीं रहने का निर्णय अपनी मर्ज़ी से लेती है। तब भी प्रेम विरोधी ये लोग उनके व्यक्तिगत जीवन को अपनी साम्प्रदायिक हिंसा का रंग देने का तरीका बनाना चाहते हैं। छोटे शहरों, गांवों में ‘ऑनर किलिंग’ के कई मामले सामने आते हैं। अंतर-जातीय या अंतर धार्मिक शादियों से, प्रेम कहानियों से समाज को या परिवार को दिक्कत होती है। यह ट्रोलिंग की अवधारणा भी उसी मानसिकता से निकली हुई है। क्या एक लड़की को बेटी कहकर कोई पितृसत्तात्मक सोच का इंसान उसके लिए परवाह जताने के शब्दों में उसकी मोरल पुलिसिंग किया जाना सही है या उसके किसी के साथ जीवन बिताने या ना बिताने के फैसले को अपना राजनीतिक मतलब निकालने का ज़रिया मान लेना सही है।