इंटरसेक्शनलजेंडर शादी के बाद ‘पति-पत्नी’ नहीं बल्कि ‘साथी’ बनना है समानता का पहला क़दम

शादी के बाद ‘पति-पत्नी’ नहीं बल्कि ‘साथी’ बनना है समानता का पहला क़दम

समाज में अपने साथ होने वाली घरेलू हिंसा को छुपाती ऐसी कई औरतें हैं जो अपने पति को ईश्वर मानती है और उनके ऊपर हाथ उठाए जाने को भी सही ठहराती है।

‘क्या पति पत्नी के रिश्ते के लिए आपको कोई दूसरा शब्द ही नहीं मिला? पति यानी कि मालिक और अगर रिश्ते में एक अगर मालिक है तो दूसरा नौकर ही होगा ना।’

कमला भसीन की कही ये बात एकदम तार्किक लगती है, ख़ासकर तब जब हम इसे समाज के बनायी शादी वाली परिभाषा से परे, जीवनभर साथ निभाने वाले जीवनसाथी के संदर्भ में दो इंसानों के रिश्ते को देखते है। हमारे समाज में औरत और मर्द के रिश्ते को जन्म-जन्मांतर के रूप में देखा जाता है और साथ फेरों से ही यह तय हो जाता है कि सात जन्म तक दो लोग एक ही साथ रहने वाले हैं। इसके