पीरियड्स के दौरान अचार नहीं छूना चाहिए, मंदिर में नहीं जाना चाहिए। पीरियड्स का खून गंदा होता है, इस दौरान महिलाएं अशुद्ध होती हैं और न जाने क्या-क्या। पीरियड्स से जुड़े ऐसे कई मिथ्य हमें अपने आस-पास सुनने को मिलते हैं और तो और लोग इन मिथकों पर विश्वास भी करते हैं। आज के इस लेख में तोड़ें पीरियड्स से जुड़े ऐसे ही मिथ्य:
1.
मिथ्य: पीरियड के दौरान निकलने वाला खून गंदा होता है।
तथ्य: पीरियड के दौरान निकलने वाला खून गंदा नहीं, बल्कि सामान्य खून होता है। यह वही खून होता है, जिससे गर्भावस्था के दौरान कोख में पलने बच्चे का शरीर तैयार होता है।
2.
मिथ्य: पीरियड मिस होने का मतलब आप प्रेग्नेंट है।
तथ्य: प्रेग्नेंट होने के लक्षण में से एक प्रमुख लक्षण पीरियड मिस होने को माना जाता है। लेकिन पीरियड मिस होना सिर्फ प्रेग्नेंसी का ही लक्षण नहीं है इसके और भी कई कारण हो सकते हैं जैसे – स्ट्रेस, खराब डाइट, वेट-लॉस और हॉरमोनल चेंजेज़ वगैरह। अनियमित पीरियड या अचानक पीरियड मिस होना कहीं-न-कहीं अपने अस्वस्थ होने का लक्षण होता है।
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3.
मिथ्य: पीरियड के दौरान अचार-पापड़ छूने से वह खराब हो जाएगा।
तथ्य: पीरियड को लेकर ये एक ऐसी सीख है जो महिलाओं को अक्सर दी जाती है। लेकिन वास्तविकता ये है कि पीरियड का अचार-पापड़ से कुछ भी लेना-देना नहीं है, केवल शर्त ये है कि आप स्वच्छता का ख़ास ध्यान रखें।
4.
मिथ्य: पीरियड के दौरान नहाना नहीं चाहिए।
तथ्य: ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी इस मिथ्य का प्रचलन बेहद ज्यादा है। आपको बता दें कि ये बिल्कुल निराधार बात है। पीरियड के दौरान हमें साफ़-सफाई का ख़ास ध्यान रखना चाहिए और जिसके लिए नहाना बेहद ज़रूरी है। ध्यान रहे कि जैसे आप अन्य दिनों में नहाती है वैसे ही इन दिनों में भी नहाना चाहिए, न ज्यादा न कम, क्योंकि ये दोनों ही आपके लिए हानिकारक हो सकता है।
5.
मिथ्य: महिलाओं में चिड़चिड़ापन सिर्फ पीरियड की वजह से होता है।
तथ्य: अक्सर लोग कहते है कि महिलाओं में चिड़चिड़ापन पीरियड की वजह से ही होता है। ऐसा नहीं है, महिलाओं में चिड़चिड़ापन उनके स्वभाव व अन्य कारणों से भी हो सकता है।
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6.
मिथ्य: पीरियड्स के दौरान सेक्स नहीं करना चाहिए।
तथ्य: पीरियड्स के दौरान अन्य दिनों की तरह ही सेक्स किया जा सकता है। इससे अक्सर पीरियड्स में होनेवाला दर्द भी ठीक होता है।
7.
मिथ्य: पीरियड्स के दौरान सेक्स करने से इंसान प्रेगनेंट नहीं होता।
तथ्य: प्रेगनेंसी किसी भी वक़्त हो सकती है अगर गर्भनिरोधक का इस्तेमाल न किया जा रहा हो। वीर्य शरीर के अंदर पांच दिनों तक रहता है तो ऐसा भी हो सकता है कि पीरियड्स के बाद ही प्रेगनेंसी हो गई हो। प्रेगनेंसी को रोकने के लिए कॉन्डम, गर्भनिरोधक गोलियों आदि का प्रयोग करना ज़रूरी है।
8.
मिथ्य: मेंस्ट्रुअल कप और टैंपन का इस्तेमाल उन्हें नहीं करना चाहिए जिन्होंने कभी सेक्स न किया हो।
तथ्य: जिसने कभी सेक्स नहीं किया हो वह आसानी से पीरियड्स के दौरान मेंस्ट्रुअल कप और टैंपन का इस्तेमाल कर सकते हैं। मेंस्ट्रुअल कप और टैंपन से जुड़ा यह मिथक एक सामाजिक अवधारणा ही है। ‘वर्जिनिटी’ की अवधारणा एक सामाजिक निर्माण है जो पितृसत्तात्मक सोच की उपज है। वर्जिनिटी की कोई मेडिकल या बायॉलॉजिक परिभाषा नहीं है।
9.
मिथ्य: लड़कियों को पीरियड्स के बारे में पब्लिक में बात नहीं करनी चाहिए।
तथ्य: माहवारी या पीरियड्स बायोलॉजिकल यानी एक जैविक प्रक्रिया है। ऐसे में ज़रूरी है कि पीरियड्स से जुड़ी चर्चा ना सिर्फ पब्लिक में हो बल्कि यह प्रयास किया जाना चाहिए कि अधिक से अधिक लोगों को पीरियड्स से जुड़ी भ्रांतियों के बारे में जागरूक किया जाए और इस पर बात की जाए।
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तस्वीर साभार : Forbes