अच्छी ख़बर श्यामली हलदर : एयर ट्रैफिक कंट्रोल की महाप्रबंधक बनने वाली पहली महिला

श्यामली हलदर : एयर ट्रैफिक कंट्रोल की महाप्रबंधक बनने वाली पहली महिला

एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, "घर के अंदर औरतें जिस तरह के दवाब लेते हुए शांत और अपने काम के प्रति समर्पित रहने की आदि होती है मुझे यह सामान्य व्यवहार के रूप में वहां से हासिल हुआ। सुनने में कितना भी अजीब लगे लेकिन मुझे मालूम था एक दिन मैं यहां पहुंचूंगी।"

हमारे देश में पहली बार एयर ट्रैफिक कंट्रोल की कमान एक महिला को सौंपी गई है और वह महिला हैं श्यामली हलदर। श्यामली हलदर ने बीते 2 दिसंबर को कलकत्ता के हवाई-यातायात संचालन विभाग में बतौर महाप्रबंधक कार्यभार संभाला है। श्यामली हलदर इस पद पर नियुक्त की जाने वाली देश की पहली महिला हैं। तीन दशक पहले वे यातायात नियंत्रकों की प्रथम महिला बैच की सदस्य बनी थी। साल 1989 में 9 औरतों के साथ उनकी भी नियुक्ति हुई थी। इससे पहले केवल तीन महिलाएं छोटे-छोटे अंतरालों के लिए उस विभाग में शामिल हो पाई थी। 

सिविल एविएशन ट्रेनिंग कॉलेज, इलाहाबाद से पढ़ाई पूरी करने के बाद 1991 में श्यामली हलदर की पहली पोस्टिंग कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुई। तब श्यामली और अर्यमा शलगल उस विभाग में मौजूद अकेली दो महिला नियंत्रक थी। जल्द ही उनके साथ काम करने वाले पुरुष साथियों ने उनकी योग्यता जान ली। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक कलकत्ता एटीसी के संयुक्त महाप्रबंधक असित सिन्हा बताते हैं कि एक नियंत्रक को चौकन्ना होना चाहिए। जल्द ही हमने जान लिया था कि महिलाएं इस काम में बेहतर हैं। वह आत्मविश्वास से भरी थीं। असित सिन्हा ने श्यामली को साल 1991 के पहले दिन से काम करते देखा है। महाप्रबंधक बनने से पहले श्यामली हलदर रांची और कोलकाता में एयर कंट्रोलर के रूप में कार्यरत थी। साथ ही उन्होंने गुवाहाटी में भी ट्रैफिक सर्विस इंचार्ज के रूप में कार्यभार संभाला है।

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एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, “घर के अंदर औरतें जिस तरह के दवाब लेते हुए शांत और अपने काम के प्रति समर्पित रहने की आदि होती है मुझे यह सामान्य व्यवहार के रूप में वहां से हासिल हुआ। सुनने में कितना भी अजीब लगे लेकिन मुझे मालूम था एक दिन मैं यहां पहुंचूंगी।”

श्यामली हलदर, तस्वीर साभार: Times of India

अपनी नियुक्ति के बाद आने वाले सालों में हलदर ने नौकरी में पदोन्नति के लिए होने वाली सभी परीक्षाओं में अव्वल प्रदर्शन किया। टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए गए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, “घर के अंदर औरतें जिस तरह के दवाब लेते हुए शांत और अपने काम के प्रति समर्पित रहने की आदि होती है मुझे यह सामान्य व्यवहार के रूप में वहां से हासिल हुआ। सुनने में कितना भी अजीब लगे लेकिन मुझे मालूम था एक दिन मैं यहां पहुंचूंगी।” एक सिंगल पैरेंट के रूप में अपने अनुभवों पर बात करते हुए वे कहती हैं, “मैंने एक सीधी बात का पालन किया कि मैं अपने दफ़्तर का काम घर लेकर नहीं जाती और घर के काम दफ्तर लेकर नहीं जाती। मेरे काम और बेटी दोनों ने मुझे अपनी ईमानदारी के रूप में मुझे यह फ़ल दिया है।” हलदर कलकत्ता में काम करते हुए अपने विभाग में नई चुनौतियों का सामना करने, 300 नियंत्रकों को संचालित करने, नए तरीक़ों और बदलाओं का सामना करने के लिए तैयार हैं।

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